बस में जवान लड़की और आंटी का लेज़्बीयन सेक्स

हेलो दोस्तों, मेरा नाम रीना है, और मेरी उमर 22 है, और मैं आमेडबॅड से हू. अगर कोई आमेडबॅड से है, और अगर लेज़्बीयन सेक्स में इंट्रेस्टेड हो, तो मैल या फीडबॅक ज़रूर देना.

इस कहानी में आप पढ़ोगे की कैसे एक आंटी ने मुझे सिड्यूस किया, और मेरे साथ सेक्स किया. और सेक्स करने से पहले बस में मेरे साथ क्या-क्या किया. अगर लिखने में ग़लती हो जाए, तो माफ़ करना.

मेरे बारे में बतौ तो मेरा नामे रीना है. मेरा फिगर 32-34-36 है. और मैं एक लेज़्बीयन हू. लड़कों की तरफ ज़्यादा ध्यान नही जाता मेरा. मुझे आंटीस ज़्यादा पसंद है, जो मुझे डॉमिनेट करे. चलिए अब बिना टाइम वेस्ट किए सीधे स्टोरी पर आते है.

फिर मैं बस से उतार गयी, और फिर अपने घर चली गयी. मैने आंटी को स्माइल दी, और फिर आंटी ने भी मुझे स्माइल दी. घर पहुँच कर सबसे पहले मैने नाहया. उसके बाद मैने खाना खाया. खाने खाने के बाद मैं जेया कर बिस्तर पर लेट गयी.

अब मैं यही सोच रही थी की आंटी ने मुझे कल बिना पनटी के क्यूँ आने को कहा था. यही सोचते-सोचते मैं मेरी छूट में उंगली भी करने लग गयी. उंगली करते हुए मैं हल्की-हल्की आ आ की सिसकारियाँ भी लेने लगी. फिर कब सुबह हुई, मुझे कुछ पता भी नही चला.

मैं सुबह उठी और नहाई. नहाने के बाद में नाश्ता किया. फिर जैसा आंटी ने कहा था की पनटी मत पहनना, वैसा ही किया मैने. मैने पनटी नही पहनी, और फिरसे कॉलेज के लिए निकल गयी.

कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद मैं वापस आने लगी, और फिरसे बस का इंतेज़ार करने खड़ी हो गयी. आज भी बस में काफ़ी भीड़ थी. फिर मैं जैसे-तैसे करके बस में चली गयी. बस में मैने कल वाली आंटी को देखा. वो भी मुझे घूरे जेया रही थी, और मैं भी उसको घूर रही थी.

फिर आंटी लोगों को हटा कर मेरे पास आ कर मेरे पीछे खड़ी हो गयी. मैं अंदर से दररी हुई थी, पर मज़ा भी आ रहा था, की आज क्या करेंगी आंटी मेरे साथ. फिर आंटी ने मुझे कहा-

आंटी: पनटी पहनी है आज या नही?

मैने उनको ना कहा. तो फिर आंटी ने हल्की सी नॉटी वाली स्माइल दी और एक-दूं से मेरी कमर पर हाथ रख दिया. अब वो मेरी कमर के मज़े लेने लगी. फिर धीरे-धीरे दूसरा हाथ मेरे बूब्स पे रखा, और ज़ोर से दबा दिया. मेरी तो मानो जान ही निकल गयी हो.

मैने कहा: आहह आंटी, धीरे करो प्लीज़.

आंटी: आज धीरे नही करूँगी. मसल के रख दूँगी, और वाइट से लाल कर दूँगी तेरे इन बूब्स को.

मे: ह्म.

और फिर कमर से उनका हाथ मेरी छूट पर ले गयी, और मसालने लगी, और हाथ डालने लगी.

आंटी: आज इस छूट का भोंसड़ा बना दूँगी.

मे: बना दो आंटी, कल से इंतेज़ार कर रही थी आज के दिन का. डाल दो पूरा हाथ अंदर. आपकी ही है ये छूट.

आंटी: हा तो मेरी ही है. मेरी रंडी है तू.

मे: हा मैं आपकी ही रंडी हू.

आंटी ने फिर अपने हाथ की दो उंगलियाँ मेरी छूट में डाली, और अंदर-बाहर करने लगी. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. पर मज़ा भी आ रहा था. मैं हल्की सिसकारियाँ लेने लगी-

मे: आ आ आ आंटी धीरे करो प्लीज़. पर आंटी कहा रुकने वाली थी.

फिर आंटी ने अंगूठा मेरी आस में डाला, और बहुत ज़ोर से अंदर तक डाल रही थी. वो मुझे बोल रही थी-

आंटी: आज तो तुझे ऐसे मज़े दूँगी की ज़िंदगी भर याद रखेगी.

मैने हा कहा, और एक नॉटी स्माइल दी आंटी को. फिर आंटी ने अपने बाग में से एक बैगान निकाला. वो बैंगन 7 इंच बड़ा था. मैं दर्र गयी उसको देख के. फिर आंटी ने मेरे स्कर्ट के नीचे से बैंगन डाला मेरी छूट में, पर ग़लती से मेरी आस में चला गया. मैं बस में ही चीख पड़ी.

मे: आह हह मॅर गयी. धीरे करो, मार डोगी क्या?

आंटी: आज तुझे मरने नही दूँगी मेरे रानी. बहुत कुछ करना है अभी तो.

मे: छूट का भोंसड़ा बनाने को कहा था, आस का नही आ.

और फिर आंटी मेरे गले पर किस करने लगी.

आंटी: आज छूट का क्या आस का भी भोंसड़ा बना दूँगी आह आह.

मे: और ज़ोर से अंदर डाल दो, और तेज़ आंटी. वाह क्या चुदाई करती हो तुम आंटी. और तेज़ आ आ. मॅर गयी आज तो आह ह.

और वो अंदर-बाहर करने लगी. फिर कुछ देर ऐसा ही करके उन्होने हाथ मेरी छूट और आस में डाला, और ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगी. कुछ देर ऐसा ही करने पर मैं झाड़ गयी आ आ करते हुए. फिर आंटी ने वही हाथ मेरे को चटवाया. उसके बाद वो चुपके से मेरे होंठो पर किस करने लगी.

आंटी ने फिर कहा: तुम्हारा नंबर दो मुझे.

फिर हमने नंबर एक्सचेंज किए.

उसके बाद आंटी ने कहा: मेरी छूट भी मसल दो. मैं इसी टाइम का इंतेज़ार कर रही थी कब से.

मैने तुरंत मेरा हाथ उनकी छूट पर रखा और मसालने लगी. आंटी सिसकारियाँ ले रही थी.

आंटी: अहह्ा हह ऐसे ही, और करती रहो. और ज़ोर से. रुकना मत मेरी रानी. मसल दो इस छूट को आहह और तेज़ पूरा हाथ डालडो.

मे: हा आंटी, आज इस छूट को झाड़वा दूँगी मैं.

फिर आंटी झाड़ गयी, और मैं उनका सारा पानी पी गयी अपने हाथ पर लगा हुआ.

आंटी: क्या मज़ा आया आज.

मे: बहुत मज़ा आया आंटी. आप बहुत तेज़ करती हो.

आंटी: अभी तुमने देखा ही कहा है, की मैं कैसा करती हू. एक बार अकेले में मिलना, फिर पता चलेगा तुम्हे.

फिर उसके बाद हमारा स्टॉप भी आ गया. हमने कपड़े ठीक किए, और मैं उस बस से उतार गयी. उसके बाद घर पहुँच कर मैं सीधा नहाने चली गयी, और नहाते समय भी मैने छूट में उंगली की. मैं आंटी के बारे में ही सोच रही थी, और फिर मैं झाड़ गयी. नहाने के बाद मैने खाना खाया, और फिर सो गयी. जब सुबह उठी तो मेरे फोन पे आंटी का मेसेज आया हुआ था.

आज के लिए बस इतना ही. इस स्टोरी का फीडबॅक आप क्राज़्ीबल्ल893@गमाल.कॉम इस ईद पर दे सकते है. और कोई लेज़्बीयन है आमेडबॅड में से, और सेक्स छत करना चाहती हो, तो ये ईद पर मैल कर सकती है. दोस्तों अगली कहानी के लिए फीडबॅक ज़रूर देना. बाइ, गुड नाइट, थॅंक योउ.

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