बूढ़ो मे भी दम है –2

गतान्क से आगे………बूढ़ो मे भी दम है –1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा बूढ़ो मे भी दम है का तीसरा पार्ट लेकर हाजिर हूँ अब आगे की कहानी

कंदर अंकल ने मेरी बाहों के नीचे से हाथ ले जाकर मेरे बदन को ठीक मेरे बूब्स के नीचे से पकड़ा. जिससे मेरे बड़े बड़े बूब्स शर्मा अंकल की तरफ उँचे हो गये. शर्मा अंकल ने ये देखकर मेरे बूब्स की चोटियों पर एक एक किस दिया. कंदर अंकल ने मुझे उनकी गोद से उठाया.

” शर्मा उठ अब मेरी बारी है.” मैं उनके सामने सिर झुकाए हुए खड़ी थी. शर्मा अंकल चेर से उठ गये. उन की जगह कंदर अंकल कुर्सी पर बैठ गये. मैं वापस अपने पैरों को फैला कर उनकी गोद मे जा बैठी. मैने अपने होंठ अब कंदर अंकल के होंठों पर लगा दिए. इनके मुँह से शर्मा अंकल की तरह मिंट की स्मेल नही बल्कि बियर की बदबू आ आ रही थी. मैने अपनी साँस को रोक कर उनके मुँह मे अपनी जीभ डाल दी. कंदर अंकल के सीने से अब मेरे उँचे उँचे शिखर दबे हुए च्चटपटा रहे थे. शर्मा अंकल मेरे पीछे ज़मीन पर बैठ गये और मेरी पेंटी के दोनो टाँगों के बीच के जोड़ को खींच कर तोड़ दिया. मेरी पेंटी के दोनो पल्ले अलग हो कर मेरे कमर से झूल रहे थे. उन्हों ने मेरे निवस्त्र नितंबों के उपर से पेंटी के झूलते टुकड़े को उपर उठा कर मेरे नितंबों पर अपने होंठ लगा दिए. उनके होंठ अब मेरे नितंबों पर फिर रहे थे. कंदार अंकल के हाथ मेरे टॉप को उपर उठा कर मेरी नग्न पीठ पर हाथ फिराने लगे. उनके हाथ मेरे ब्रा के हुक पर आकर ठहरे और मेरे ब्रा के हुक को खोल कर मेरे बूब्स को आज़ाद कर दिया. फिर सामने की तरफ हाथ लाकर मेरे ब्रा को सीने से उपर कर के मेरे नग्न बूब्स को अपने हाथों मे लेकर मसालने लगे. मेरे बूब्स को बुरी तरह मसालते हुए मेरे खड़े हो चुके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीच लेकर ज़ोर ज़ोर से दबाने और खींचने लगे. मेरे मुँह से कराह की आवाज़ निकल कर उनके होंठों के बीच क़ैद हो जा रही थी.

उधर शर्मा अंकल की जीभ अब मेरी योनि के दोनो ओर फिर रही थी. कंदर अंकल ने बैठे बैठे अपने दोनो पैरों को फैला दिया था जिसके कारण मेरे पैर भी फल गये थे और मेरी योनि अब शर्मा अंकल की हरकतों के लिए बेपर्दा थी. मैं उनकी हरकतों से गर्म हो गयी थी. अब मेरा अंग अंग किसी च्चटपटा रहा था इनके लंड के लिए. कुच्छ देर तक इसी तरह मुझे किस करते रहने के बाद हम तीनो उठे. दोनो ने सबसे पहले मुझे पूरी तरह नग्न किया. मैंने उनका किसी तरह भी विरोध किए बिना उनके काम मे मदद की जब मैं पूरी तरह नग्न हो गयी तो मैने पहले शर्मा अंकल के और उसके बाद कंदर अंकल के सारे कपड़े उतार दिए. मैने पहली बार दोनो के लिंग को देखा. दोनो के लिंग इस उम्र मे भी किसी 30 साल के नौजवान से बड़े और मोटे ताजे थे. शर्मा अंकल का लिंग तो पूरी तरह ताना हुआ झटके खा रहा था. उनके लिंग से एक एक बूँद प्रेकुं निकल रहा था. कंदर अंकल का लिंग अभी तक पूरी तरह खड़ा नही हुआ था. मैने दोनो के लिंग अपने हाथों से थाम लिए और बारी बारी से दोनो के लिंग के टिप को अपने होंठों से चूमा. उनके लिंग को सहलाते हुए मैने नीचे लटकते हुए उनकी गेंदों को भी अपनी मुट्ठी मे भर कर सहलाया.

फिर हम तीनो बेड रूम की ओर बढ़े मानो हमारे बीच पहले से ही तय हो की अब क्या होने वाला है. बेडरूम मे जाकर मैं पलंग पर लेट गयी. अपने हाथों को उठा कर मैने उन्हे बुलाया. दोनो कूद कर बिस्तर पर चढ़ गये.

” एक एक करके.” मैने दोनो से कहा.

“ठीक है” कहते हुए शर्मा अंकल मेरी टाँगों के बीच आ गये और उन्हों ने अपने हाथों से मेरी दोनो टाँगों को फैलाया. फिर आगे बढ़कर झुकते हुए मेरी योनि पर अपने होंठ रख दिए. उनकी जीभ पहले मेरी योनि के उपर फिरी फिर उन्हों ने अपने हाथों से मेरी योनि की फांकों को अलग किया और मेरी रस टपकाती हुई योनि मे अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगे. मैं उत्तेजना मे उनके अधपके बालो को सख्ती से अपनी मुट्ठी मे भर कर उनके मुँह को अपनी योनि पर दबा रही थी. साथ साथ अपनी कमर को उपर उठाकर उनके जीभ को जितना अंदर तक हो सके उतना अंदर घुसा लेना चाहती थी. इस प्रकार का सेक्स मैने पहले कभी महसूस नही किया था. जोसेफ के लिए सेक्स भी एक तरह से ऐसा काम था जिसे पूरी गंभीरता से अपनी मर्यादा मे रहकर करना चाहिए. जब की सेक्स चीज़ ही ऐसी है की इसमे जितनी सीमाओं का उल्लंघन होता है उतना ही मज़ा आता है.

“आआआआअहह. ……म्‍म्म्ममममममम म…….. उंकलीईई. ……ऊऊफोफ़ फ्फूफ्फ… नहियीईईईई. ……… .. म्‍म्म्मममममाआआ. ……… ……क्य्ाआअ काआरररर रहीई हूऊऊऊओ.. ..चछूड्डू मुझीईए… …. नहियीईईई.. ……… ऊऊऊऊफफफफफ्फ़. ……… औरर्र……आअंडर डलूऊऊ… ….प्लीईईई ईईएसससे. ……अओउर्र्र अंडाआरर… . हाआनन्न…. .आईईीईसीए. ..हाआनन्न. ….” इस तरह की आवाज़ें मेरे मुँह से निकल रही थी.

कंदर अंकल कुच्छ देर तक हम दोनो के खेल देखते रहे. उनका लिंग पूरी तरह तन चुका था. पूरी तरह तना हुआ उनका लिंग काफ़ी मोटा और लंबा था. वो अपने लिंग को हाथों मे लेकर सहला रहे थे. मुझे उनपर दया आ गयी और मैने हाथ बढ़ा कर उनके लिंग को अपने हाथों मे थाम लिया. अब मैं अपने हाथों से उनके लिंग को सहला रही थी. मेरी आँखें उत्तेजना से बंद हो गयी थी. कंदर अंकल मेरे बूब्स को सहला रहे थे. फिर उन्हों ने झुक कर मेरे निपल को अपने मुँह मे भर लिया और हाथों से उस बूब को मसालते हुए मेरे निपल को चूसने लगे. मानो मेरे स्तन से दूध पी रहे हों.

अचानक मेरे बदन मे ऐसा लगा मानो किसी ने बिजली का तार च्छुआ दिया हो. मैं ज़ोर से तदपि और मेरी योनि से रस बह निकला. मैं खल्लास हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी. अब कंदर अंकल नेआगे बढ़ कर मेरे सिर को बालो से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने लिंग को रगड़ने लगे.

” ले मुँह खोल. इसे मुँह मे लेकर चूस” मैने अपना मुँह खोल दिया और उनका मोटा लिंग मेरे मुँह मे घुस गया. मैने उनके लिंग को अपने हाथों से पकड़ रखा था जिससे एक बार मे पूरा लिंग मेरे मुँह मे ना ठूंस दें. पहले वो धीरे धीरे अपने कमर से धक्के मार रहे थे लेकिन कुच्छ ही देर मे उनके धक्कों की गति बढ़ती गयी. वो अब ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह मे धक्के लगाने लगे. मेरे हाथ को अपने लिंग से उन्हों ने हटा दिया जिससे उनका लिंग जड़ तक मेरे मुँह मे घुस सके. उनका लिंग मेरे मुँह को पार करके मेरे गले के अंदर तक घुस रहा था. लेकिन आगे कहीं फँस जाने के कारण लिंग का कुच्छ पोर्षन बाहर ही रह रहा था. मैं चाह रही थी की वो मुँह मे ही खल्लास हो जाए जिससे मेरी योनि को करने लायक दम नही बचे. आफ्टर ऑल बूढ़े हो रहे थे कितना और स्टॅमिना होगा इस शरीर मे. लेकिन उनका इरादा तो कुच्छ और ही था.

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” शर्मा तू रुक क्यों गया फाड़ दे साली की छूट.” कंदर अंकल ने कहा. शर्मा अंकल कुच्छ देर सुस्ता चुके थे सो अब वापस मेरी टाँगों के बीच आकर उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर सटाया और एक धक्के मे पूरे लिंग को जड़ तक अंदर डाल दिया. अपने लिंग को पूरा अंदर करके वो मेरे ऊपर लेट गये. उनके बॉल्स मेरी योनि के नीचे गुदा द्वार के उपर सटे हुए थे. मैने उनके लिंग को अपनी योनि मे काफ़ी अंदर तक महसूस किया. कंदर अंकल मेरे मुँह मे अपना लिंग ठूंस कर धक्के मारना कुच्छ समय के लिए भूल कर शर्मा अंकल के लिंग को मेरी योनि के अंदर घुसता हुआ देख रहे थे. फिर दोनो एक साथ धक्के लगाने लगे. दोनो दो तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे. मेरा बदन दोनो के धक्कों से बीच मे आगे पीछे हो रहा था. कुच्छ देर इसी तरह करने के बाद कंदर अंकल का लिंग फूलने लगा. मुझे लगा की अब उनका रस निकलने वाला ही है. मैं उनके लिंग को अपने मुँह से उगल देना चाहती थी लेकिन उन्हों ने खुद ही अपना लिंग मेरे मुँह से निकाल लिया. वो मेरे मुँह मे नही शायद मेरी चूत मे अपना रस डालना चाहते थे. दो मिनिट अपने उत्तेजना को काबू मे कर के वो शर्मा अंकल के करीब आए.

” शर्मा ऐसे नही दोनो एक साथ करेंगे.” कंदर अंकल ने कहा.

” दोनो कैसे करेंगे एक साथ.” शर्मा अंकल ने मेरी योनि मे ठोकते हुए कहा. ” मैं इसकी गंद मे डालता हू और तू इसकी छूट फाड़” कह कर कंदर अंकल मेरे बगल मे लेट गये. शर्मा अंकल ने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया. मुझे ऐसा लगा मानो मेरा पसंदीदा खिलोना मुझसे छीन लिया गया हो.

मैं बिस्तर से उठी. मैने देखा की कंदर अंकल का मोटा लंड छत की ओर ताने हुए खड़ा है.

” आजा मेरे उपर आजा.” कंदर अंकल ने मुझे बाँह से पकड़ कर अपने उपर खींचा. मैं उठ कर उनके कमर के दोनो ओर पैर रख कर बैठ गयी. उन्हों ने मेरी दोनो नितंबों को अलग कर मेरे आस होल के उपर अपना लिंग टीकाया.

” अंकल मैने कभी इसमे नही लिया. बहुत दर्द होगा. ” मैने उनसे हल्के से मना किया. मुझे मालूम था की मेरे मना करने पर भी दोनो मे से कोई भी पीछे हटने को तैयार नही होगा.

मुझे कमर से पकड़ कर उन्हों ने नीचे खींचा. लेकिन उसका लिंग थोड़ा भी अंदर नही घुस पाया.

” शर्मा तेल लेकर आ. साली इस होल मे अभी भी वर्जिन है. काफ़ी टाइट होल है.”

शर्मा अंकल बिस्तर से उतर कर किचन मे जाकर एक तेल की कटोरी ले आए. कंदर अंकल ने ढेर सारा तेल अपने लिंग पर लगाया और एक उंगली से कुच्छ तेल मेरे गुदा के अंदर भी लगाया. एक उंगली जाने से ही मुझे दर्द होने लगा था. मैं “आआहह” कर उठी.

वापस उन्हों ने मेरे दोनो आस को अलग करके मेरे गुदा द्वार पर अपना लिंग सेट करके मुझे नीचे की ओर खींचा. इसमे शर्मा अंकल भी मदद कर रहे थे. मेरे कंधे पर अपने हाथ रख कर मुझे नीचे की ओर थेल रहे थे. मैं भी पूरी ताक़त के साथ नीचे की ओर धक्का दी. मुझे लगा मानो मेरा गुदा फट जाएगा. लेकिन इस बार भी उनका लिंग अंदर नही जा पाया. अब उन्हों ने मुझे उठा कर चौपाया बनाया और पीछे से मेरे अशोल पर अपना लिंग टीका कर एक ज़ोर का धक्का मारे. दर्द से मेरी चीख निकल गयी. लेकिन इस बार उनके लिंग के आगे का सूपड़ा अंदर घुस गया. मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गई उईईईईईई माआआआआ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गैिईईईईईईईईईईईईईईईईई दोस्तो कहानी अभी बाकी है
क्रमशः………

गतान्क से आगे………

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा बूढो मे भी दम है का लास्ट भाग लेकर हाजिर हू अब आगे..

” माआआअ…………ऊऊऊफफफफफफफफ्फ़…….मा

आआअ” मैं कराह उठी.

धीरे धीरे उनके लिंग मे हरकत आ गयी और वो मेरी गुदा के अंदर आगे पीछे होने लगी. धीरे धीरे दर्द भी कम हो गया. कुच्छ देर बाद मैने अपने हाथ से च्छू कर देखा तो पाया उनका लिंग पूरा मेरे अशोल मे समा चुक्का था. अब इसी तरह मेरे गुदा मे धक्के मारते हुए उन्हों ने मेरी कमर को अपनी बाहों मे लिया और पीछे की ओर लुढ़क गये. अपनी गुदा मे उनका लिंग लिए लिए ही मैं उनके उपर लेट गयी. अब शर्मा अंकलने मेरी टाँगों को उठा कर मेरे सीने पर मोड़ दिया. इससे मेरी चूत उनके सामने हो गयी. उन्हों ने अब मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरे अंदर अपना लिंग प्रवेश कर दिया. अब दोनो आगे और पीछे से मेरे दोनो होल मे धक्के मारने लगे. मैं उनके बीच मे सॅंडविच बनी हुई थी. दोनो इस तरह ज़्यादा देर नही कर पाए. दोनो की ना तो अब वैसी उम्र थी कि मुझ जैसी आग को दोनो तरफ से झेल सके ना ही उनकी बढ़ी हुई तोंद उन्हे ऐसा करने दे रही थी. कुच्छ ही देर मे कंदर अंकल ने अपना रस मेरी गुदा के अंदर डाल दिया और नीचे से निकल कर अलग हो गये. अब शर्मा अंकल ही सिर्फ़ धक्के लगा रहे थे. काफ़ी देर तक धक्के देने के बाद उनके लिंग ने मेरी योनि मे पिचकारी की तरह रस छ्चोड़ दिया. हम तीनो अब बिस्तर पर लेटे लेटे हाँफ रहे थे. कंदर अंकल उठ कर फ्रिड्ज से ठंडे पानी की बॉटल निकाल कर ले आए. हम तीनो अपनी अपनी प्यास बुझा कर थोड़े शांत हुए. मगर मैं इतनी जल्दी शांत होने वाली थी नही. मैं दोनो के लिंग सहला कर वापस उन्हे उत्तेजित कर रही थी. दोनो शांत पड़े हुए थे. मुझे गुस्सा तो तब आया जब मैने कंदर अंकल के ख़र्राटों की आवाज़ सुनी.

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” क्या अंकल इतनी जल्दी सो गये क्या.” मैने उन्हे हिलाया मगर उनकी आँख नही खुली.

” चल छ्चोड़ इन्हे. मैं हूँ ना. तू तो मेरे लिंग से खेल. ” कह कर वो मेरे बूब्स को मसल्ने लगे. मैं करवट बदल कर पूरी तरह उनके बदन के उपर लेट गयी. मेरा सिर उनके बालों भरे सीने पर रखा हुआ था चूचिया उनके छाती की उपर चपटी हो रही थी. और योनि के उपर उनका लिंग था. इसी तरह कुच्छ देर हम लेटे रहे. फिर मैने अपनी दोनो कोहनी को मोड़ कर उनके सीने पर रखी और उसके सहारे अपने चेहरे को उठाया. कुच्छ देर तक हमारी नज़रें एक दूसरे मे खोई रही फिर मैने पूछा.

“अब तो आपकी मुराद पूरी हो गयी?” मैने पूछा

” हां… जब से तुम इस बिल्डिंग मे रहने आई हो मैं तो बस तुम्हे ही देखता रहता था. रात को तुम्हारी याद कर के करवटें बदलता रहता था. लेकिन तुम मेरी बहू के उम्र की थी इसलिए मुझमे साहस नही हो पाता था कि मैं तुम्हे कुच्छ कहूँ. हाहाहा …… मुझे क्या मालूम था कि गीदड़ की किस्मेत मे कभी अंगूर का गुच्छा टूट कर भी गिर सकता है.”

“एक बात बताओ? सपना भी तो इतनी खूबसूरत और सेक्सी है. उसे चोदा है कभी?” मैने उन्हे उनकी पुत्रवधू के बारे मे पूछा.

” नही कभी मौका ही नही मिला. एक बार कोशिश की थी. लेकिन उसने इतनी खरी खोटी सुनाई की मेरी पूरी गर्मी शांत हो गयी. उसने दीपू से शिकायत करने की धमकी दी थी. इसलिए मैने चुप रहना ही उचित समझा.”

“बेचारी…उसे क्या मालूम कि वो क्या मिस कर रही है.” मैने उनके हल्के हल्के से उभरे निपल्स पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा.

फिर हम दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे बिस्तर से उठाया और अपने साथ लेकर ड्रेसिंग टेबल के पास गये. मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा करके मेरे बदन से पीछे की ओर से लिपट गये. हम दोनो एक दूसरे मे हमारे गूँथे हुए अक्स देख रहे थे. मुझे बहुत शर्म आ रही थी. उनके हाथ मेरे बूब्स को मसल रहे थे, मेरे निपल्स को खींच रहे थे, मेरी योनि मे उंगलियाँ डाल कर अंदर बाहर कर रहे थे. मैने महसूस किया कि उनका लिंग अब वापस खड़ा होने लगा है. फिर वो मुझे लेकर बिस्तर के किनारे पर आकर मुझे झुका दिया. उनके झुकने से मैं बिस्तर पर सोए हुए कंदर अंकल पर झुक गयी थी. मेरे पैर ज़मीन पर थे. पीछे से शर्मा अंकल ने अपने लिंग को मेरे योनि के द्वार पर सेट किया. एक धक्का देते ही उनका लिंग योनि मे घुस गया. अब तो योनि मे घुसने मे उसे कोई भी तकलीफ़ नही हुई. वो पीछे से धक्के लगाने लगे. साथ साथ वो अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को भी मसल रहे थे. मेरा सिर कंदर अंकल के लिंग के कुच्छ उपर हिल रहा था. मैने एक हाथ से उनके ढीले पड़े लिंग को खड़ा करने की नाकाम कोशिश की मगर मेरे बहुत चूसने और सहलाने के बाद भी उनके लिंग मे कोई जान नही आई. शर्मा अंकल ने उसी तरह से काफ़ी देर तक धक्के मारे. मेरा वापस रस बह निकला. मैं निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी. शर्मा अंकल ने अपने हाथों से पकड़ कर मेरी कमर को अपनी ओर खींचा और वापस धक्के मारने लगे. कुच्छ ही देर मे उनका भी रस निकल गया. हम वापस बिस्तर पर आकर सो गये. सुबह सबसे पहले कंदर अंकल की नींद खुली. मैने अपने शरीर पर उनकी कुच्छ हरकत महसूस की तो मैने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा की वो मेरी टाँगों को अलग कर के मेरी योनि को चाट रहे थे. मैं बिना हीले दुले पड़ी रही. कुच्छ देर बाद वो मेरे निपल्स को चूसने लगे. उनके चूसे जाने पर नरम पड़े निपल्स फिर से खड़े होने लगे. कुच्छ देर बाद वो उठ कर मेरे सीने के दोनो तरफ अपनी टाँगे रख कर मेरे दोनो बूब्स के बीच अपने लिंग को रखा फिर मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर अपने लिंग को उनके बीच दाब लिया फिर अपने कमर को आगे पीछे करने लगे. मानो वो मेरी दोनो चूचियो के बीच की खाई नही होकर मेरी योनि हो. उनकी हरकतों से मुझे भी मज़ा आने लगा. मैं भी फिर से गर्म होने लगी. लेकिन मैने उसी तरह से पड़े रहना उचित समझा.

कुच्छ देर बाद वो उठ कर मेरे दोनो टाँगों के बीच आ गये. अब तक उनके उस मोटे लिंग को मैने अपनी योनि मे नही लिया था. मैं उनके लिंग का अपनी योनि मे इंतेज़ार करने लगी. वो शायद जान गये थे कि मैं जाग चुकी हूँ इसलिए वो मेरी योनि और गुदा के उपर अपने लिंग को कुच्छ देर तक फिराते रहे. मैं हार मान कर अपनी कमर को उपर उठाने लगी. लेकिन उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से हटा लिया. मैने तड़प कर उनके लिंग को अपने हाथों मे थाम कर अपनी योनि मे डाल लिया. उनके लिंग को लेने एक बार मे हल्की सी दर्दीली चुभन महसूस हुई लेकिन उसके बाद उनके धक्कों से तो बस आनंद आ गया. मैं भी उनका पूरी तरह सहयोग देने लगी. वो मेरे उपर लेट गये. उनके होंठ मेरे होंठों पर फिरने लगे. उनके मुँह से बासी मुँह की बदबू आ रही थी. लेकिन इस समय उस बदबू की किसे परवाह थी. मुझे तो सिर्फ़ उनके धक्के याद रहे. काफ़ी देर इसी तरह करने के बाद उन्हों ने अपना रस छ्चोड़ दिया.

तब तक शर्मा अंकल भी उठ गये थे. वो भी हम दोनो के साथ हो लिए. शाम तक इसी तरह खेल चलते रहे. हम तीनो एक दूसरे को हराने की पूरी कोशिश मे लगे हुए थे. उस दिन उन बूढो ने मुझे वो मज़ा दिया जिस की मैने कभी कल्पना भी नही की थी. कंदर अंकल के साथ फिर तो कभी सहवास का दुबारा

मौका नही मिला लेकिन जब तक मैं उस अपार्टमेंट मे रही तब तक मैं शर्मा अंकल से चुदवाती रही. दोस्तो ये कहानी आपको कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त



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