बिहार की गर्म कुंवारी चूत-1

सब कुछ ठीक करके वो कोठी में अन्दर आई और दरवाजे को अन्दर से बन्द कर दिया।

वो रसोई घर से दूध का गिलास लेकर आई थी और उसके पास एक पुड़िया थी। जिसमें कुछ पाउडर था। उसने पाउडर को दूध में मिलाकर पीने को कहा।

मैंने मना किया तो बोली- मैं अपने माता-पिता को सब कुछ बता दूँगी।

मैं डर कर पी गया।

चाँदनी- आज तुम नहीं बचोगे।
मैं बोला- यह दूध में क्या था?
चांदनी हँसते हुए बोली- अभी पता चल जाएगा।
मैंने गुस्से से पूछा- बता मुझे.. ये क्या था?

चांदनी- मेरे राजा डर मत.. यह तेरी आग को जगाएगा और तेरे लंड को ताकत देगा।
मैं- यह तुमने क्या किया..
यह कह कर मैं मदहोश हो कर बिस्तर पर गिर गया।

चांदनी- मेरे राजा लगता है.. देसी दवाई का असर चालू हो गया।

मेरे शरीर में हलचल नहीं हो रही थी.. क्योंकि मैंने कभी यह दवाई नहीं ली थी।

फिर चांदनी ने मेरा लोवर उतार दिया। वो मेरे लंड को सहलाने लगी, पर अभी लंड अपनी जवानी पर नहीं था, अभी दवाई काम कर रही थी।

चूत चटाई
फिर उसने अपनी साड़ी उतार दी और अपनी पैन्टी उतार कर अपनी चुदासी चूत मेरे मुँह के पास ले आई और बोली- मैं इसे डेढ़ साल से तुम्हारे लिए तैयार कर रही थी.. आज मौका मिला है।

मैं गुमसुम सा उसे देख रहा था।
चांदनी की चूत पर एक भी बाल नहीं था।

फिर वो बोली- इस चूत के लिए सारे गाँव के लड़के मर रहे हैं.. पर ये मैंने तेरे लिए सील बन्द करके रखी है। मेरी एक सहेली कहती है कि मेरे मालिक मेरी हर रोज लेते हैं और मजा भी देते हैं और मुझे कह रही थी कि तेरा मालिक तो अभी इतना जवान है.. क्या वो तुमको चोदता नहीं है। आज के बाद मैं उस साली का मुँह बन्द कर दूँगी।

वो अपनी चूत को मेरे होंठों पर रगड़ने लगी।
मैंने अपना मुँह नहीं खोला तो वो फिर से मुझे धमका कर चूत को जीभ से चाटने को कहा।
मुझे मजबूर होकर उसकी चिकनी चूत को चाटना पड़ा।

कुछ मिनट बाद वो झड़ गई और उसने अपना सारा रस मेरे मुँह पर झाड़ दिया।

अब तक मेरे लंड में भी हलचल चालू हो गई थी, शायद दवा का असर शुरू हो गया था, मेरा लौड़ा अपने भीमकाय आकार में आ रहा था।

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चांदनी- अहह.. मेरा छोटा राजा जाग गया।
फिर वो लौड़े को हाथ में लेकर मुठ मारने लगी।

दो मिनट बाद ही वो मेरे कड़क लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.. पर अभी मैं मदहोश सा ही पड़ा था।

फिर वो मेरे ऊपर आई.. अपनी चूत को लंड के टोपे सी घिसने लगी, फिर सिसकी लेने लगी ‘आहहह..’

मुझे अब कुछ अलग सा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ।
कुछ ही पलों बाद बहुत अच्छा लगने लगा था।

वो लंड को चूत के अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.. पर सील बन्द चूत के कारण वो नाकाम रही।

अब तक मैं होश में आ गया था.. मैं भी वासना का भूखा था।
जब वो फिर से कोशिश करने लगी.. तो मैंने उसे नीचे धकेल दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।

वो खुश हो कर बोली- आह्ह.. राजा बजा दे मेरी चूत का बाजा।
मैंने कहा- मैं अब तुमको बताता हूँ.. तुमने सोए हुए शेर को जगा दिया है.. अब तू और तेरी चूत किसी भी तरह नहीं बचेगी।
चांदनी- मन्नी राजा.. मैं भी यही चाहती हूँ। अब लगता है कि दवाई पूरे असर में है।मैंने उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश की.. पर वो बार-बार दर्द के कारण लंड का टोपा बाहर निकालने को कहती।

मैं- अब क्या हुआ.. पहले तो ‘लंड.. लंड..’ कर रही थी।

बातों-बातों में मैंने पूरा लंड उसकी चूत में जोर लगाकर डाल दिया।

वो दर्द से चीखने लगी।
मेरा कमरा कोठी के पीछे के हिस्से में था और कोठी खेतों में होने के कारण किसी को कुछ नहीं पता चल सकता था।
मैंने अपना लंड कुछ देर अन्दर रखने का फैसला किया।

चांदनी ने दर्द से तड़फते हुए कहा- मुझे माफ कर दो.. गलती हो गई।
मैं- अब कुछ नहीं हो सकता.. जानवर उठ गया है.. और इसे सुलाएगी भी तू ही।

उसका दर्द का मारे बुरा हाल था।

मेरा कद और वजन अधिक होने के कारण वो हिल भी नहीं पा रही थी। मैं उसकी बुर में मोटा लंड डाल कर उसके ऊपर लेटा था।

वो ‘माफ कर दो..’ कह रही थी।

मैं कुछ मिनट बिल्कुल भी नहीं हिला, उसे शांत करने लगा।

वो अधमरी सी हो गई थी, मैंने 5 मिनट बाद लंड को धीरे से बाहर को निकाला।
जब मैंने लंड निकाला उसकी चूत से खून बाहर आ रहा था। अब उसे अच्छा लगा रहा था। जब उसने खून देखा तो डर गई और बकने लगी।

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चांदनी- साले चूतिए.. गान्डू.. ये क्या किया तूने.. खून निकाल दिया।
मैं- जानेमन चूत चुदाने से पहले अपनी सहेली से पता तो कर लेती कि पहली बार खून आता ही है.. मैं मेडिकल का स्टूडेंट हूँ.. मुझे पता है। बड़ी आई चुदवाने वाली.. साली मेरी।

चांदनी ने भी अब हँसते हुए कहा- तुम भी ना छुपे रुस्तम निकले।
मैं- ये तो कुछ भी नहीं, मैंने तो कामसूत्र वाली किताब पढ़ी हुई है। तू देखती चल अब कैसे तेरी चुदाई करूँगा।
चांदनी ने फिर हँसते हुए कहा- चल-चल पहले अब कुछ कर तो..

मैं फिर से उसकी चूत में जोर-जोर से धक्के लगाने में लग गया, चांदनी ‘आहह..ह ईई..ई..’ की आवाज निकल रही थी।
सारे कमरे में चुदाई की आवाज गूंज रही थी।

देर तक चूत की कुटाई हुई, फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने सारा गरम रस उसकी चूत में ही निकाल दिया।

माल निकलने के बाद मैं निढाल हो कर उसके ऊपर ही ढेर हो गया। वो मेरे शरीर के मुकाबले एक खिलौने वाली गुड़िया जैसी मेरी नीचे दबी हुई थी।
वो भले मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी थी।

मैं थोड़ी देर बाद उसके नीचे उतर गया।

चांदनी भी हरकत में आकर अपना चेहरा दूसरी तरफ करके सो गई।

मेरी नजर उसकी गांड पर गई। मेरा मन कर रहा था कि उसकी गांड भी फाड़ डालूँ.. चूत का नजारा और ही होता है।

मैंने लंड खड़ा करके चांदनी को मुँह और छाती के बल लिटा कर उसके ऊपर आ गया। वो कुछ भी प्रतिवाद नहीं कर रही थी।
मैंने चांदनी की दोनों बाजू से पकड़ कर उसकी लातें थोड़ी फैला दीं और उसे पीछे को खींच लिया। अब मैंने लंड का निशाना साध कर चूत में डाल कर उसे घोड़ी सा बना लिया.. पूरा लवड़ा अन्दर पेल दिया और मेरे चौके-छक्के लगने लगे।

वो नींद से उठ गई थी और मुझे गाली दे रही थी ‘हरामी अब तो तू पक्का चोदू हो गया.. आआहह..ह ईई..’
उसकी मादक आवाजें निकल रही थीं।

मैं- अब तो तुमने चूत का चस्का डाल दिया.. अब तू हर वक्त और रोज चुदेगी।
चांदनी- बस कर.. हब्सी जानवर.. पता है मुझे.. साले अभी तो सोने दे।

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