बिहार की गर्म कुंवारी चूत-1

मैं उसकी मदद करने के लिए चला गया। वहाँ पहुँच कर मैं नीचे से भारी सामान उठाकर कोठी के बाहर वाले कमरे में ले गया। चांदनी भी हल्का सामान लेकर आ गई.. उसकी बहनें भी मदद कर रही थीं। जब मैं सामान छोड़ कर पीछे हटा.. तो चांदनी के साथ टकरा गया और चांदनी सहम कर हट गई।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं.. बस जरा ऐसे ही झटका सा आ गया था।

मैं पहली बार उसके साथ टच हुआ था शायद इसलिए वो सहम गई थी।
मेरे मन में उसके बारे में अब तक कोई गलत विचार नहीं था।

फिर मैं उससे ठंडा पानी मेरे बाथरूम में भर कर रखने के लिए कह कर फिर से कसरत करने चला गया।
मैं बाद में आकर नहाया और खाना आदि खाकर अपने कुत्तों को रोटी खिलाकर बाहर घुमाने ले गया।

नंगी चूत और चूत में उंगली
जब मैं रात को 9 बजे वापिस आया तो चांदनी के कमरे में से अजीब सी आवाज आ रही थी। जब मैंने खिड़की में से देखा तो हैरान रह गया।
चांदनी बिस्तर पर नंगी पड़ी थी और अपनी चूत को उंगली से संतुष्ट कर रही थी।
उसकी बहनें गर्मी के कारण बाहर कमरे के बाहर तख्त पर सो रही थीं।

मैंने पहली बार किसी लड़की को असली में नंगी देखा था और चांदनी मेरा नाम लेकर उंगली को चूत में अन्दर-बाहर कर रही थी।
मैं अपने आप पर कंट्रोल रखने के लिए वहाँ से जाने लगा तो मेरा पैर अंधेरे में अपने एक कुत्ते से टकराया।

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मेरा कुत्ता जोर से रोने लग गया और चांदनी की बहनें उठ गईं.. चांदनी भी जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आ गई और बात को संभालते हुए मैं वहाँ से चला गया।

उस रात को मैं बड़ी मुश्किल से सो पाया। मैं मुठ भी नहीं मार सका क्योंकि दवा लेने के कारण माल जल्दी बाहर नहीं आ रहा था।
फिर मैं किसी तरह सो गया।

दो-तीन दिन मैं रात को उसे देखता रहा पर एक रात मैं पकड़ा गया।
उस रात चांदनी जिस कमरे में रह रही थी उस छोटी लाइट बन्द थी।

मैं अंधेरा देख कर वापस आने लगा और जाते समय मैं बड़बड़ा रहा था- साला आज चांदनी की चूत नहीं दिखाई दी।

उस रात चांदनी बाहर सो रही थी और उसने यह सुन लिया, वो उठकर बोली- तुमको शर्म नहीं आती?
उसे तो मौका मिल गया.. मैं घबरा गया।

वो मुझे धमकी देने लगी- मैं अपने माँ और बाबा को बताएगी।

मैं वहाँ से भाग कर कमरे की ओर चल दिया.. पर वो मेरे पीछे आ गई।
मैं डरा हुआ था।

वो अन्दर आकर बोली- मुझे पता है कि तुम क्या कर रहे थे.. मैं अपने माता-पिता को सब कुछ बता दूँगी।

मैंने कहा- इस तरह की कोई बात नहीं है।
पर वो मानने को तैयार नहीं थी।

मैंने उससे कहा- तुम कुछ मत कहना.. मैं सब कुछ करूँगा जो तुम कहोगी।
वो अन्दर ही अन्दर खुश हो रही थी कि मैं आज उसके जाल में फंस गया।

चाँदनी बोली- मैं अपने माता-पिता को नहीं बताऊँगी.. अगर तुम सब कुछ करने के लिए तैयार हो।
‘ठीक है।’
बोली- मैं 5 मिनट में आती हूँ।

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वो अपनी बहनों के पास गई और बहाना बनाकर आई- मन्नी आज बीमार है.. उसको रात को किसी चीज की जरूरत हो सकती है.. तो मैं उसकी मदद के लिए कोठी में ही सो जाऊँगी।

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