भरे घर में मा चुद गयी

जी हा दोस्तों, बात ये ताज़ी-ताज़ी है. और इसको हफ़्ता ही हुआ है. मैं भुला के भी नही भूल पा रहा हू. जब भी याद करता हू, तो लंड फंफना जाता है. सीधा बंबू बन जाता है अंडरवेर में.

मा भी नज़रे मिला नही रही है मुझसे. अब 2 दिन हो गये है सब रिश्तेदार और दोस्तों को जाके. घर सूना हो गया है. पापा भी काम पर जेया रहे है. घर में मा और मैं दोनो ही रहते है.

मा को देखते ही लंड खड़ा होने लगा है. मा ने भी भाँप ली है हालत. वो मेरे सामने अपने आप को सवारने लगती है. हुआ कुछ यू, की हमारे घर बड़े दीदी की बेटी का पहला जानम-दिन था. तो दीदी के ससुराल वाले, हमारे रिश्तेदार, फ्रेंड्स से घर भरा पड़ा था.

हमारी मस्त कोठी है 4 रूम की, और उपर से च्चत अलग. सो दीदी और बच्चा एक रूम में थे, मा-पापा एक रूम में, और मेरी वाली एक रूम में थी. और एक ऐसे ही पड़ी थी. रिश्तेदार ज़्यादा होने के कारण मैने और पापा ने अपना रूम उन्हे दे दिया.

मैं, मा, पापा कभी कभार एक दो और रिश्तेदार हम उपर च्चत पर सोते थे. दीदी और जीजू कुछ ज़्यादा ही गरम हुए पड़े थे. बच्चे की वजह से उन्हे ज़्यादा समय नही मिलता था एक-दूसरे के साथ. अब यहा बच्चे का ख़याल रखने काफ़ी सारे रिश्तेदार होने के कारण मौके पर चौका मार रहे थे.

मैने भी उनकी आवाज़े सुनी थी. दीदी की सिसकारिया सुनाई दे रही थी. शायद जीजू बड़ी बेरेहमी से दीदी का पानी निकाल रहे थे. उनकी आवाज़ सुन कर मेरा बंबू जाग रहा था. शायद उन्हे देख कर ही मा की जवानी जागी थी.

मा का नाम काँटा है. अभी 40 साल की है. पर ऐसे देखने से पता नही चलता था उनकी उमर का. लेकिन उस दिन जो मा ने चुडवाया, कसम से कह सकता हू कॉलेज की लड़की मा के सामने पानी कम छाई है.

उनके मम्मो में क्या मुलायंता थी. उनके निपल मस्त बड़े-बड़े किशमिश जैसे थे. चूसने में मज़ा आ रहा था.

उससे भी ज़्यादा मज़ा वो चुस्वा के ले रही थी. छूट शायद काई साल ना चूड़ने की वजह से टाइट थी. अछा लग रहा था, जैसे कमसिन लड़की को छोड़ रहा हू, ऐसी फील आ रही थी.

जिस दिन बर्त हुआ, उस दिन देर रात तक मंडप वाले उनका समान लेने आए थे. सब काम चालू थे. रात के 2 बजे मैं तक के उपर आके सोया था. पापा उनके साथ बात कर रहे थे पैसे को लेके. फिर पता नही मा को क्या हुआ. मा उपर आई, जिसका मुझे भी पता नही था. फिर वो मेरी रज़ाई में घुस गयी और बोली-

मा: श हाअ आ क्या ठंड पड़ी है इस बार. हाए मैं मॅर जावा (मेरी तरफ करवट लेके पीछे से मुझे कस्स के बाहों में भर लिया. मैं सिर्फ़ चड्डी में सोता हू और पापा भी). वाह क्या गरम बदन है आपका. इतने जवान कैसे महसूस हो रहे हो जी आज, बंटी के पापा?

मा की पीछे से झप्पी के वजह से मेरी नींद खुल गयी. और मुझे लगा की मा मुझे पापा समझ रही थी. कुछ गड़बड़ होने से पहले मैं मूड के मा को बोलने ही वाला था, की जैसे ही मुड़ा, मा बाहों में आ गयी.

मा: ओह मेरे राजा, आज तो मुझे अपनी गर्मी आपको देनी ही पड़ेगी. मेरी इस ठंड को डोर भगा दो.

मा अब मेरी च्चती पर चूम रही थी. वो मेरे मम्मो को जीभ से चाट रही थी. काफ़ी मांझी हुई खिलाड़ी लग रही थी मा. मुझे समझ नही आ रहा था क्या करू, की तभी अचानक मा मेरी चड्डी में हाथ डाल कर लंड को सहलाने लगी.

अब तो दिमाग़ की सारी बत्ती गुल हो चुकी थी. मा का ठंडा हाथ पड़ते ही मेरा लंड बंबू बन गया था.

मा: अया क्या गर्मी है आपकी चड्डी के अंदर जी. और ये आपका लंड कितना गरम है. ऐसा लग रहा है इसको अपने पुर शरीर पर रगडू, खा जौ इसको.

उनके मूह से ऐसी बाते सुन के मैं तो हैरान था. मा तड़पति भूखी शेरनी की तरह यहा वाहा झपट रही थी, कर रही थी. फिर मा ने चड्डी नीचे करके अपनी निघट्य उपर उठा ली. फिर वो मेरी उंगलिया पकड़ के अपनी छूट में डलवाने लगी.

मा: आ सस्सह, ऐसे ही करो जी. थोड़ी-थोड़ी गरम हो रही हू मैं. रूको, आपका लंड मूह में लिए बिना चैन नही आएगा.

फिर वो उठ कर मूह में लंड लेकर चूसने लगी. वाह! आपके लंड में आज इतनी जवानी कैसे चढ़ि है. ऐसे लग रहा है जवान लौंदे का लंड चूस रही हू. मज़ा आ गया आज तो, रस्स-पॅयन किए बिना नही जाने दूँगी.

मा मेरे लंड को बिना सोचे समझे चूस रही थी. ऐसे जैसे कोई आइस क्रीम की कुलफी जैसे. वो सारा रस्स निकालने पर तुली थी. अपने हाथो से वो मेरी गोतिया सहला रही थी. अब मा मेरी जाँघो को फैला कर जीभ से चाटने लगी.

पहली बार मैं स्वर्ग में था. जैसे ही मा सुपादे को उंगलियो से दबोच कर उसको जीभ से चाटने लगी. मैं अपने आपको काबू नही कर सका, और मैं झाड़ गया. मा सारा पी गयी. फिर वो अपनी निघट्य पर पड़े हुए माल को भी उंगलियो से चाट रही थी.

फिर मा वापस लंड चूसने लगी. लंड जब तोड़ा सा रेडी हो गया, तो मा ऐसे ही निघट्य गांद तक उपर करके लंड को छूट के मूह पर रग़ाद रही थी. अजीब सा मज़ा आ रहा था.

मा: बिट्टू के पापा आज तो कमाल हो गया. आप भी मूड में है. वाहा बेटी को भी हमारा दामाद नही छ्चोढ़ रहा. सच में आपकी नज़र कभी धोखा नही खा सकती. हमारा दामाद बेटी को काफ़ी खुश रखता है, जैसे आप मुझे रखते हो.

अब मा ने लंड अंदर डाला, और मा थोड़ी चीखी. लेकिन उपर कोई नही था. पूरी च्चत खाली थी. हम दोनो के सिवाय और कोई नही था, और हम दोनो कंबल में थे. कोई आता भी तो मा को निघट्य नीचे करके सिर्फ़ सोने का नाटक करना था.

लेकिन नसीब कहो या समय, हमारा साथ दे रहा था. मा की छूट काफ़ी टाइट थी. मुझे दर्द हो रहा था सूपड़ा अंदर-बाहर करते वक़्त. अब तक मा भी मूड में आ गयी थी. मा लंड अंदर डाल कर रग़ाद रही थी.

अब मा मेरे उपर लेट गयी, और गांद से हिला-हिला कर लंड अंदर बाहर कर रही थी. मा मेरी गर्दन पर किस करने लगी. बालों में हाथ डाल कर, और बाल पकड़ कर, वो मेरा नीचे वाला होंठ मूह में लेके चूसने लगी.

मैं भी अब साथ दे रहा था मा का. मा मेरी जीभ पकड़ कर चूस रही थी. मैं भी मा की जीभ चूस रहा था. अब मेरे दोनो हाथ मा की गांद पर गये. फिर मा बोलने लगी.

मा: बिट्टू के पापा, क्या मज़ा आ रहा है आज, जवानी वापस आ गयी जैसे. हा मारो ना गांद पर मेरे. (मैने गांद पर धीरे से थप्पड़ मारा. ) आहह, हाअ, ज़ोर से, ऐसे ही लाल कर दो मेरी गांद.

फिर मा ने निघट्य से माममे निकाल लिए. उन्होने एक बूब मेरे मूह में दिया, और चूसने को बोली. मैं माममे चूसने लगा. मैने मम्मी के निपल को किशमिश की तरह काटा, तो मा बोल पड़ी-

मा: आआआ, दुख़्ता है ना बेटा. काट मत, चूस सिर्फ़.

और मैं चूसने लगा.

मा: मस्त चूस रहे हो जी, चूसो ऐसे ही हाआँ, आअहह.

और मा ने अब स्पीड बढ़ा दी. अब मैं भी मा की कमर को पकड़ कर नीचे से गांद उठा-उठा कर धक्के देने लगा. पच-पच की आवाज़ आने लगी थी. मा रुकने का नाम नही ले रही थी.

मा: आआ ओह, उउउफफफफफ्फ़, हाऐी, हा, ऐसे ही मारते रहो. उछालो, रूको मत, अया, आआहा. ., ..

अब में झाड़ गया अंदर ही. मा धक्के मारते रही, और 5-6 धक्को के बाद मा भी झाड़ गयी. मेरे लंड पर मुझे महसूस हुआ गरम पानी. मा मेरे उपर ही पड़ी रही 1 मिनिट. फिर वो मेरे कान में बोली-

मा: मैं आती हू नीचे मूट कर.

और वो उठ कर चली गयी. मैं तो जैसे कोमा में गया था. अभी 20 मिनिट में जो हुआ, मुझे सपने जैसे लग रहा था. यकीन नही हो रहा था. फिर मैने अपने लंड पर हाथ लगाया, तो वो गीला था. जाँघो पर पानी गिरा था. मैने चड्डी से लंड पोंचा, और पहन लिया.

नींद मेरे से कोसो डोर थी. आधे घंटे बाद मा पापा के साथ उपर आई. शायद मा को पता चल गया था, की वाहा मैं सोया था. तब से मा बोल नही रही थी मुझसे. आज 2-4 दिन हो गये है. अब आयेज क्या हुआ ये अगली कहानी में बतौँगा. अगर कहानी अची लगी हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.

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