बोली- आप जो छोड़ रहे हो.. वो मेरी चूत में ही छोड़ देना.. ताकि मेरी चूत को आराम मिले।
मेरे लंड ने उसकी चूत में ही अपना लावा छोड़ दिया।
हम दोनों अब निढाल थे.. मैं उसके ऊपर लेट गया। मैंने अपने लंड को अब भी उसकी चूत में ही रख रखा था। उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ रखा था। हम दोनों एक-दूसरे के साथ दस मिनट तक चिपके रहे।
मैंने कहा- अब हमें साफ-सफाई कर लेनी चाहिए।
वो एकदम उठ खड़ी हुई और बोली- हाँ शायद मेरी माँ आ जाएगी।
हम दोनों उठे.. और मैंने अपना लंड जो कि खून से और मेरे और उसके लावे से सना हुआ था.. उसको एक कपड़े से साफ किया और उसने अपनी चूत को भी साफ किया।
चूत की हालत बिगड़ गई थी।
उसके बाद मैंने कपड़े पहने और उसने खून से भरे हुए कपड़े को बाहर घर के पीछे जहाँ पर गंदगी पड़ी हुई थी.. वहाँ डाल दिया और सफाई करके नहाने चली गई।
मैं भी अपने घर पर चला गया।
मैं थोड़ी देर बाद आया तो फिर वो घर पर अकेली थी, उसकी माँ घर पर नहीं आई थी।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
तो बोली- कसम से तुमने मुझे और मेरी चूत को निहाल कर दिया। अब मैं आप को राजा कह कर बोला करूँगी।
मैंने कहा- ऐसा मत करना.. नहीं तो घर वाले शक करेंगे.. तू मुझे अंकल जी ही कहा कर।
तो बोली- आप तो बहुत समझदार हो।
मैंने कहा- समझदार हूँ तभी तो तेरे को चोद पाया।
इस पर वो हँस पड़ी.. और बोली- मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ।
मैंने कहा- चाय तो तेरी माँ के हाथों की ही पिऊँगा.. अब मैं चलता हूँ।
बोली- कोई बात नहीं.. आप जब चाहें तब पी लेना।
फिर मैंने उसके गालों की एक पप्पी ली और अपने घर आ गया।
दोस्तो.. अब जब वो घर पर अकेली होती है तो मेरे को ‘मिस कॉल’ कर देती है.. ओर मैं उसको चोदने के लिए उसके घर पर पहुँच जाता हूँ।
मैंने उसकी चुदाई बड़े मस्त अंदाज में की है।
उसने अपनी दो कुँवारी सहेलियों को भी मेरे से चुदवाया है। वो कहानियां मैं आपको बाद में बताऊँगा।
कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताना। आपका दोस्त आपके संदेश का इंतजार कर रहा है।