दूध वाली भाभी की कुंवारी बेटी की चूत चुदाई

मैंने उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू किया.. तो उसकी मादक सिसकारियाँ निकल पड़ीं।

मैं भी मदहोश हो गया था।
अब मैं उसके मम्मों को चूम रहा था, उसने मेरे सर को पकड़ रखा था।

फिर मैंने उसकी सलवार में हाथ डाला तो देखा कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने सोचा अब इसको चोदने का सही वक्त आ गया है।

मैंने उससे कहा- तू अपनी सलवार खोल!
तो उसने झट से अपनी सलवार खोल दी।

क्या सीन था.. अभी उसकी चूत पर सिर्फ़ देखने भर बराबर ब्राउन बाल उगे हुए थे.. और उसकी चूत ऐसी फूली हुई थी.. क्या बयान करूँ यारों.. मेरा दिल उसको खाने को कर रहा था।

मस्त चूत ऊपर की ओर फूली हुए थी और उसकी चूत का दाना काफ़ी बड़ा था।

बिल्कुल कुँवारी चूत.. सील बंद चूत थी उसकी.. मैं उसकी चूत को देखकर मदहोश हो गया था।
ऐसी चूत मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी।

मैंने उसकी चूत को मसलना शुरू किया.. तो वो भी मेरे को चूमने लगी।
वो मस्ती में ‘आह.. उआह.. उह..’ कर रही थी।

मैंने उसको एक बार गीला कर दिया था.. वो फिर अपनी चूत की तरफ इशारा करके कहने लगी- अंकल जी यहाँ पर मेरे को खुजली हो रही है.. आप कुछ करो न..
मैंने कहा- अब तेरी इस खुजली को ही दूर कर देता हूँ..

ऐसा कहकर मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके नीचे एक पुराना सा कपड़ा.. जो कि वहाँ पर रखा हुआ था.. को उसके नीचे बिछा दिया था ताकि खून के धब्बों से बेडशीट खराब ना हो।

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वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने लेटी हुई थी।
मैंने अपनी बनियान जो कि मेरे शरीर पर थी.. उसको उतार दिया।

अब हम दोनों नंगे थे मैंने कहा- सरसों का तेल कहाँ पर है?
वो बोली- उसका क्या करोगे?
मैंने कहा- बस तू बता दे.. फिर तेरे को बताऊंगा कि मैं क्या करूँगा।
उसने हाथ से टेबल की तरफ इशारा कर के कहा- उसमें है।

मैंने तेल की शीशी उठा ली और कुछ तेल अपने लण्ड पर लगाया और कुछ तेल उसकी चूत पर लगाया।

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ना शुरू कर दिया। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और कह रही थी ‘आप और मत तड़फाओ.. अब कुछ करो ना..’

मैंने अपना लंड को उसकी चूत के दाने पर आगे की तरफ धकेल दिया। कसम से यारों.. उसकी चीख ही निकल पड़ी।

यह तो मुझे मालूम ही था.. कि पैक लौंडिया है ससुरी चीखेगी ही।
मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर उसकी चीख को बंद कर दिया था.. वरना कसम से मैं तो मारा ही जाता।

वो दर्द से तड़फ कर बोली- अंकल जी इसको निकाल दो.. नहीं तो मैं मर ही ज़ाउंगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं अब दर्द नहीं होगा।

लेकिन फिर भी वो बोली- नहीं मुझे नहीं चुदवाना.. आप इसको निकाल लो.. नहीं तो मैं माँ को बता दूँगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं है.. बस थोड़ी देर रुक जाओ.. मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूँगा।
इस पर वो कुछ नहीं बोली।

मैंने उसकी चूत में अभी भी लंड को घुसाए रखा, मेरा लण्ड अभी थोड़ा सा ही घुस पाया था।
दो मिनट के बाद मैंने उससे पूछा- अब दर्द हो रहा है?

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