बॉयफ्रेंड ने मुझे शादी का झांसा देकर चोदा

कुछ देर बाद मैं भी तैयार हो गयी। क्यूंकि मैं २५ साल की हो चुकी थी, पर आज तक एक बार भी नही चुदी थी। मेरा भी चुदवाने का और रसीली चूत में लंड खाने का बहुत मन था। इसलिए मैं मान गयी। धीरे धीरे मुझे बड़े प्यार से चुमते हुए उसने मेरा सलवार सूट निकाल दिया, फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी धर्मराज ने उतार दी। मुझे खटिया पर लिटा दिया। दोस्तों, आपको जानकर हैरत होगी की आजकल कुछ ही लोग खाट का इस्तेमाल करते है, और मेरा आशिक भी खाट पर ही सोता था। उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया और खुद भी नंगा होकर मेरे उपर लेट गया और मेरे ३६” के मम्मे पीने लगा। आह .दोस्तों, आज पहली बार कोई मेरे दूध और चुच्ची को पी रहा था।

धर्मराज बड़े मजे से चू चूं की आवाज करता हुआ मेरी बड़ी बड़ी छाती को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था, जैसे मैं कोई उसकी बीबी हूँ। मेरे टमाटर काफी बड़े थे और बड़े मुलायम और बेहद खूबसूरत थे। एक हाथ से धर्मराज मेरे बूब्स को कसकसकर दबा रहा था, तो दूसरे बूब्स को मुंह में लेकर मजे से चूस रहा था। ऐसा लग रहा था की वो मेरा सारा दूध ही पी जाएगा। फिर वो मेरा पेट चाटने लगा। मेरा फिगर तो काफी सेक्सी और छरहरा था। एथलेटिक टाइप का बदन था मेरा। कुछ देर बाद मेरा आशिक और बॉयफ्रेंड धर्मराज मेरी सफ़ेद भरी हुई गोरी गोरी जांघो को चूमने लगा और हाथ से सहलाने लगा। कुछ देर बाद मेरी चूत पूरी तरह से सक्रिय हो गयी और गीली हो गयी।

मेरी गुलाबी चूत से उसका अमृत रस बहने लगा। मैं अब पूरी तरह से अपने आशिक ने चुदने को तैयार थी। वो मेरी रसीली चूत पर पहुच गया और मेरी बुर मजे से पीने लगा। धीरे धीरे मैं और..और जादा गर्म होने लगी। मैं बार बार अपनी कमर और गांड उठा रही थी। धर्मराज मजे से मेरी चूत की एक एक फांक मजे से पी रहा था। मुझे भी इस सबमे बहुत मजा मिल रहा था। आज पहली बार कोई लड़का मेरी चूत इतनी अच्छे तरह से पी रहा था। फिर धर्मराज ने अपना मोटा लंड मेरी बुर में डाल दिया और मजे से मुझे चोदने लगा। मैं अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह.. उ उ उ..करने लगा। मेरी पतली कमर को पकड़ कर धर्मराज मेरी रसीली बुर में जल्दी जल्दी लंड अन्दर बाहर करने लगा और मुझे चोदने लगा।

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मैंने उसकी नंगी पीठ को दोनों हाथों से पकड़ लिया और कस कसके मजे लेकर चुदवाने लगी। वो मेरी भरी हुई बुर को अच्छे से चोद रहा था। अई.अई..अई..अई, इसस्स्स्स्स्स्स्स् उहह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह की तेज आवाजे मैं बार बार निकाल रही थी। मेरे कुवारे होठ धर्मराज बड़े कायदे से चूस रहा था और मेरी चूत में बार बार अपना लंड उतार रहा था और मुझे चोद रहा था। मैं चुद रही थी और बहुत जादा कामुकता महूसस कर रही थी। और धर्मपाल एक दुसरे की आँखों में एक दूसरे को देख कर कर सम्भोगरत थे और जवानी का मजा उठा रहे थे। मेरी रसीली योनी में बड़ा मीठा मीठा अहसास हो रहा था। कुछ देर बाद मेरे आशिक धर्मराज का माल गिरने वाला था। उसका बदन एठने लगा तो मैं जान गयी की उसका लौड़ा माल गिराने वाला है। धर्मराज बहुत जादा गर्म हो गया और जोश में आ गया। उसने मुझे कसकर दोनों कंधे से पकड़ लिया और किसी रंडी की तरह फट फट करके चोदने लगा। अचानक उसने अपनी चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी, और बड़ी जल्दी जल्दी मेरी बुर चोदने लगा। कुछ देर बाद वो स्खलित हो गया और अपना माल उसने मेरे गुलाबी भोसड़े में ही छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों किस करने लगे। मैं शाम तक धर्मराज के कमरे पर रुकी और ३ बार उसने मुझे चोदा।

धीरे धीरे मेरा उससे प्यार बढ़ने लगा। हर दिन हम हम दोनों एक्सपोर्ट हाउस में आते तो एक दूसरे को आँखों ही आँखों में हाय कहते। हम चुपके चुपके प्यार करते पर किसी से कहते नही थे। मैं नही चाहती थी की वहां के दूसरे लडको को पता चले की मैं धर्मराज से प्यार करती हूँ और उससे शादी करने वाली हूँ। एक दिन मेरी माँ ने मुझे धर्मराज के साथ मार्केट में घूमते देख लिया।

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“बेटी शेफाली..तेरा उस लड़के से इतना मिलना जुलना सही नही!!” माँ बोली

“माँ..वो मुझसे प्यार करता है..मुझसे ही शादी करगा” मैं कहा

“बेटी..तुम लोग के बीच कुछ हुआ तो नही?” माँ ने पूछा

“नही..मैंने उसे खुद को नही छूने दिया” मैंने कहा

मैं अपनी माँ की बात अच्छे से समझ रही थी। माँ पूछ रही थी की कहीं मैं अपने प्रेमी और बॉयफ्रेड धर्मराज से चुदवा तो नही लेती हूँ। तो मैंने साफ़ साफ़ नही बोल दिया। पर असलियत में मेरा बॉयफ्रेंड कई बार मुझे अपने कमरे पर ले जाकर चोद चूका था। अगले दिन धर्मराज फिर मुझे अपने कमरे पर ले गया। इधर मेरा भी कई दिनों से चुदवाने का बड़ा दिल कर रहा था। एक बार चूत में लंड खाने के बाद तो मुझे धर्मराज और भी जादा अच्छा लगने लगा था। वो बहुत मस्त ठुकाई करता था। पिछली बार की चुदाई याद कर करके तो मुझे अंगडाई सी आ रही थी। हम दोनों से अपने अपने कपड़े निकाल दिए और नंगे हो गये।

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