बेटे ने अपनी मा की गांद और चूत चोदी

दोस्तों, आप सब को मेरा नमस्कार. ये कहानी का दूसरा हिस्सा है. पहले पार्ट में आपने जाना कैसे हमारी खोई हुई दौलत पापा ने वापस कमाई, और कैसे हम हाइ क्लास हो गये.

पापा हमेशा मा को हाइ क्लास होने को कहते. वो उनको चाल-ढाल बदलने को कहते, तो मैने उनको सीखा दी थी. बस कमी थी तो हाइ क्लास वालो जैसी हवस की. पहले पार्ट में मैने मा को चुदाई की वीडियो दिखा-दिखा कर चूसना सिखाया, और उनको छोड़ा. वो बहुत खुश थी.

अब मा मुझसे चूड़ने को हमेशा तैयार रहती. मैने मा को अलग से छोड़ने का वादा किया था, सो मैने अंग्रेज़ो जैसी हथकड़ी, पूरा उपर से नीचे तक जाली वाला ड्रेस, मोरपिसे की छ्होटी लकड़ी मारने को, गांद में डालने को छ्होटी इलेयची जैसी मेटल, नकली लंड, आंड पनटी जो पहनने के बाद वाइब्रट कर सकते है.

ऐसे समान मँगवाए थे मैने. उस दिन के बाद मैने मा को छोड़ा नही था. मुझे उन्ही चीज़ो के साथ मा को छोड़ने का था. सो मैं राह देख रहा था. मैं कॉलेज में था तभी मा का फोन आया.

वो बोली: कुछ समान आया है, वो मेरे हाथ में नही दे रहे. तुझे ही आके लेना पड़ेगा.

सो मैं मॅन में बहुत खुश हुआ. मैं दौड़ कर घर गया और समान लिया. मा मुझसे पूछने लगी, की वो क्या था.

मैने कहा: आपको जन्नत पहुँचने का समान है.

तो वो समझी नही. फिर मैं उन्हे अपने कमरे में लेके गया, और वो जाली का ड्रेस दिया. मैने मा को बोला, की वो ड्रेस पहन के आए. मा हस्सी, नॉटी स्माइल दी, और बातरूम में चली गयी. मा जब तक बाहर आई, मैने सारा समान निकाल रखा था.

वो जब बाहर आई उस काली नेट में, या जाली में, तो ऐसे दिख रही थी जैसे स्ट्रॉबेरीस को किसी नेट या जाली की थैली में बाँध के देते है, वैसे दिख रही थी. जाली के अंदर से मा के माममे बाहर आए थे. एक-दूं वीडियो वाली आक्ट्रेस लग रही थी.

मा को देख मैं मा के पास गया, और उसको बाहों में भर कर चूमने लगा. फिर मैने मा को बिस्तर पर लिटाया, और हाथ में और पैरों में हथकड़ी बाँध दी.

मा: गुड्डू ये क्या कर रहा है? ऐसे मेरे हाथ क्यू बाँधे है. मैं कहा भागी जेया रही हू?

मे: आप बस मज़े लो ना मा.

फिर मैने मा की आँखों पर पट्टी बाँधी. और वो मोरपिसे की लकड़ी सारे बदन पर घुमा रहा था. मा को गुदगुदी हो रही थी.

मा: आआ, हा, हाहाहा, अर्रे गुड्डू, ये क्या कमाल चीज़ लाया है? पुर बदन पर रोंते उठ रहे है. मेरी आँखें खोल गुड्डू, मैं देखना चाहती हू.

मैने मा के आँखें खोल दी. अब मैं मा के मम्मो पे उसको मारने लगा. मा मस्त होके मार से रही थी. फिर मैने मा की गांद पर मारना चालू किया, और फिर छूट पर मारी.

मा मूड में आ गयी थी. मैने पैर फैला कर मा की छूट छाती. अब मैने नकली लंड निकाला, और मा उसको देख के घबरा गयी.

मा: गुड्डू ये क्या है? इतना बड़ा कैसे लूँगी. पागल हो गया है क्या? मुझे सच में मार के जन्नत भेजना चाहता है क्या?

मैने वो चालू किया, और वो मोबाइल जैसे वाइब्रट होने लगा. फिर मैने वो मा की छूट के दाने पर रखा. उससे होने वाले कंपन से मा तिलमिलने लगी. मा बार-बार उछाल-उछाल उससे अपने से डोर कर रही थी, पर बँधी होने के कारण कुछ कर नही पा रही थी.

मा: एयाया, आआव, ओह, फफफफफफफफ्फ़, सस्स्स्स्स्सें, गुड्दुऊऊुुउउ, आआ डोर कर इसको, मुझसे बर्दाश्त नही हो रागा. मैं मूट दूँगी.

मैने उसको दबा कर उसकी स्पीड बढ़ा दी. और मुझे पता भी नही चला मा ने मूट दिया तोड़ा सा. मेरे मूह पर और च्चती पर पानी गिरा, और मा मुझे सॉरी बोलने लगी. मैने वो छाता और बोला-

मे: खट्टा सा है.

मा हासणे लगी और बोली: हॅट नालयक!

अब मैने वो एलेयची केले जैसा जो लाया था, उसकी केयचईन जैसी चैन थी. वो गांद में डाल के रखना होता है. धीरे-धीरे वो गांद को फैलता है, ताकि गांद मारने को परेशानी ना हो.

मैने मा की गांद के नीचे तकिया रख कर उसको गांद में घुसने की कोशिश कर रहा था.

मा: आआ गुड्डू, ये क्या कर रहा है? दर्द हो रहा है. निकाल इसको, कहा डाल रहा है.

मे: मा इससे आपको अभी दर्द होगा, लेकिन बाद में बहुत मज़ा आएगा. यकीन कीजिए.

फिर मा चुप के दर्द सहने लगी. मैने वो गांद में डाल मा के मूह में लंड देके मा की छूट पेर वो नकली लंड रगड़ने लगा. मा इस बार फिर मूटि, और पिछले आए तोड़ा ज़्यादा मूटि. सारा बेड गीला हुआ पड़ा था. और नीचे पानी पड़ा था.

मैने छूट में लंड डाला, और मा को छोड़ने लगा. मा को गांद में डाली हुई मेटल की चीज़ की वजह से साथ नही देना आ रहा था. तो मैने उसको खींचा, और मा चिल्लाई.

मा: आआ, आराम से गुड्डू दुखा ना. मैने निकाल कर वापस घुसाया और छोड़ने लगा. ऐसे मैं उस चुदाई के दौरान बार-बार निकाल और वापस डाल रहा था. चुदाई के बाद मा ड्रेस निकाल रही थी, पर मैने मा को बोला-

मैं: मत निकालो, सुबा उठने के बाद उसको निकलना.

मा को चलने में दिक्कत हो रही थी. शाम को तो मा की चल देख कर लग रहा था जैसे गांद में समा गया हो. दूसरे दिन मा ने निकाल दिया था. हमे एक फंक्षन पर जाना था शाम पापा के दोस्त के यहा.

मा जो वन-पीस लाई थी वो पहन के आई. उसको देख पापा हक्के-बक्के थे. पापा काफ़ी इंप्रेस हुए थे.

फिर पापा बोले: तुम सीख रही हो धीरे-धीरे जानू, अछा है.

मैने मा के लिए पनटी लाई थी, और वो पहनने को दी थी. उसमे भी छूट के दाने के यहा एक चिप थी. जिसका रिमोट आता है अलग से.

उसको दबाने पर वो वाइब्रट करने लगता है. ये मैने मा को नही बताया था. पार्टी में सब मा के बारे में बाते कर रहे थे. पापा ने इससे पहले मा को कभी किसी फंक्षन नही लेके गये थे. पापा शान से मा की कमर पर हाथ रख कर मा को घुमा रहे थे.

वो मा को पार्टी में सबसे मिला रहे थे. जिसके घर पार्टी थी, उसका नाम विनीत था. उसकी बीवी का नाम मिथिला था, जो पार्टी में मा को टक्कर दे रही थी. वो भी कमाल की आइटम थी. खानदानी दिख रही थी एक-दूं प्रोफेशनल, महँगी वाली रंडी जैसे.

मैं तो उसको देख कर मा को भूल गया था कुछ पल के लिए. अब मेरे लंड में खुजली होने लगी थी. मैने रिमोट दबाया, तो मा एक-दूं हिल गयी. अचानक मा की छूट में वाइब्रेशन हुआ ना इसलिए. मा के मूह पर एक्सप्रेशन्स सॉफ-सॉफ दिख रहे थे.

वो खुद को कंट्रोल नही कर पा रही थी. वो बिना आवाज़ निकाले सिसकिया ले रही थी. मुझे देख कर वो दाँत रही थी आँखों से. मैने बटन बंद किया तो वो मेरे पास आके बोली-

मा: ये क्या आफ़त है? कैसी पनटी है ये?

मैं बोला: मा मज़े लो.

फिर मैने स्पीड में चला दी, तो मा संभली नही और सीधे मेरे पे आके गिरी. मैने मा को खड़ा किया. वो मेरा हाथ हाथ में लेके दबा रही थी, और मुझे प्लीज़-प्लीज़ बोल रही थी.

मा: बंद करो इसको. तुम्हे मालूम है ना मुझे मूट आता है ऐसी चीज़ो से. अगर यहा सब के सामने मूट दूँगी, तो अछा लगेगा क्या?

शायद ये सब वो मिथिला देख रही थी. उसने मंज़र भाँप लिया था. फिर वो हमारे पास आके बातें करने लगी. मा ने जब उसको मुझसे मिलाया तो मैने उसकी आँखों में अजीब सी चमक देखी. मैं हाथ मिला रहा था उससे, तो उसने हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच कर गले लगाया.

मुझे उसके माममे महसूस हुए. उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी. उसके निपल्स भी दिख रहे थे. उसने मा को उपर कमरे में जाके बातरूम उसे करने का सजेस्ट किया. फिर जब मा गयी, तो वो मुझसे बातें कर रही थी.

आज मुझे पता था पापा मा को छोड़े बिना नही छ्चोधेंगे. सो मुझे पापा के पहले मा को छोड़ना था. फिर मैं मिथिला को हटा कर मा के पीछे गया. मा बातरूम में थी. वो बाहर आई, और मुझे बैठा देख कर बोली-

मा: तू यहा क्या कर रहा है गुड्डू? अगर किसी ने देखा तो?

मैने बोला: उसमे क्या है? आप मेरी मा हो. आपको बातरूम पता नही था इसलिए आपके साथ आया बोल देंगे.

मा कुछ नही बोली. फिर मा ने मेरे मूह पर चड्डी फेंकी और बोली-

मा: आइन्दा ऐसी चीज़े मुझे देने से पहले बता देना कैसे काम करती है. 2 मिनिट अगर और वाहा रहती, तो मूट देती.

फिर मैने मा को अपनी बाहों में लिया और बोला-

मे: मज़ा आया ना मा लेकिन?

मा: लेकिन-वेकीन कुछ नही.

अभी मा बोल ही रही थी, की मैने सीधा उनके होंठो से होंठ चिपका दिए. हमारा एक बढ़िया स्मूच हुआ.

फिर मा मुझे बोली: छ्चोढ़, यहा नही. ये दूसरे का घर है, तमाशा मत कर.

मैने बोला: आपको क्या लगता है ये पार्टी शरीफों की है. यहा ऐसे ही धंधे करने आते है ये बड़े लोग. बगल वाले कमरे में चुदाई चालू है आपको बता डू.

मा ने मेरी बात झट से मान ली.

मे: आज इतना कहर ढा रही हो. जी कर रहा है आपको अभी घर ले जेया के रात भर छोड़ू. खेलु आपकी बॉडी के साथ, और चातु आपको.

मा मेरी बात सुन कर शर्मा गयी.

वो बोली: चल हॅट कुछ भी.

मैं ऐसे ही मा को बातों-बातों में उलझा के उनकी छूट सहलाने लगा. मा को कपड़े उतारने बोला तो मा ने ड्रेस उपर करी.

फिर वो बोली: जो करना है कर.

मैने मा को उठा के सामने बने टीवी टेबल पर बिता दिया. फिर पंत की चैन खोल कर लंड छूट में डाल कर मैं धक्के मारने लगा. मा भी पैरों से मुझे अपनी और खींच कर साथ दे रही थी.

फिर मैने मोबाइल निकाला, और कॅमरा ओं किया. उसमे मैने वीडियो निकली, और मा रोक नही पाई. मैं पानी मा के मूह में देना चाहता था, लेकिन मा बोली-

मा: मेक उप खराब हो जाएगा, अंदर ही छ्चोढ़.

हमारा होने के बाद मा ने खुद को सावरा. तभी वाहा मिथिला आंटी आई. नसीब से हमारा हो गया था, लेकिन मम्मी की पनटी वही पड़ी थी जो उन्होने देख ली. फिर वो हस्स के वाहा से चली गयी.

मा और मैं टेन्षन में थे. 2 दिन बाद मिथिला आंटी अपने बच्चे को लेकर हमारे घर आई. मैं कॉलेज में था, तो मुझे मा का फोन आया. उन्होने मुझे घर बुला लिया.

आयेज क्या हुआ पढ़िए अगले हिस्से में. मिथिला आंटी का इरादा क्या था, और उस दोपहर क्या हुआ, सब अगले पार्ट में.

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