पिछला भाग पढ़े:- सर्दी में मा की चुदाई-1
पिछली स्टोरी में आपने पढ़ा मों ने मेरा लंड पकड़ लिया था. तो अब आयेज सुनिए. चलो शुरू करते है. मेरी गांद फटत रही थी. मों कुछ नही बोली, और वैसे ही सोती रही. मैं धीरे-धीरे वापस उनके पास गया और सलवार के उपर से ही उनकी गांद में लंड घुसने लगा.
इस बार भी मों कुछ नही बोली. मों जागी हुई थी, लेकिन कोई रिक्षन नही आ रहा था. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी, और मैने मों की गांद की दरार में लंड फ़ससा र्खा था. मैं धीरे-धीरे आयेज-पीछे कर रहा था.
मों ने पनटी पहन रखी थी, जो मुझे महसूस हो रहा था. मैं धीरे-धीरे मों की छूट तक लंड लेके गया, और पनटी और सलवार के उपर से ही घिसने लगा. मैं अंदर तक घुसने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सलवार की वजह से दिक्कत हो रही थी.
ऐसे करते-करते मैं भूत उतरेजित हो गया, और तेज़-तेज़ लंड को छूट पर रगड़ने लगा. फिर मैं उनकी गांद की दरार में ही सलवार पर झाड़ गया. मुझे गिल्टी फील होने लगा, की ये मैने क्या कर दिया.
अब मेरी गांद भी फटत रही थी. मेरी क्रीम मों की सलवार के उपर गिर गयी थी. फिर मैं डरते हुए उठ कर अपनी चारपाई पे चला गया. तभी मों उठ कर बातरूम चली गयी.
थोड़ी देर बाद वो वापस आई, और अपनी चारपाई पर लेट गयी. फिर उन्होने मुझे आवाज़ लगाई-
मों: बाबू आजा मेरे साथ सो जेया.
मेरी गांद फटत रही थी. नींद भी नही आ रही थी.
मैं बोला: आया मों.
फिर मैं उठ के उनके पास जाके वापस लेट गया. तकरीबन 30 मिनिट तक मैं चुप-छाप लेता रहा. मुझे नींद नही आ रही थी. मैने सोचा मों बातरूम गयी थी, तो उन्होने अपनी सलवार भी चेक की होगी. लेकिन मुझे कुछ नही कहा.
ये सोच कर मेरा दर्र तोड़ा कम हो गया. मैं वापस 30 मिनिट बाद कंबल में घुस गया. मैने हिम्मत करके मों की गांद पे हाथ रखा.
मैं शॉक रह गया, क्यूंकी मों ने पनटी उतार दी थी. अब मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया. मुझे पता था मों को भी मज़ा आ रहा था, इसलिए पनटी निकाल कर आई थी. फिर मैने हिम्मत करके उनकी छूट को छुआ, तो वो गीली थी.
मैने अपनी एक उंगली उनकी छूट पर घुमाई और सलवार के उपर से अंदर करने की कॉसिश करने लगा. इस बार उंगली सलवार के उपर से ही अंदर जेया रही थी. वाह क्या मज़ा आ रहा था. काफ़ी देर उंगली करने के बाद मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया था.
मैं अपना लंड निकाल कर मों की छूट पर फेरने लगा, और धीरे-धीरे रगड़ने लगा. फिर सोचा मों कोई प्राब्लम होती तो माना करती. लेकिन उन्होने कुछ नही बोला. यही मेरा ग्रीन सिग्नल था.
मैं धीरे से उनके पेट पर सलवार के नाडे तक हाथ लेके गया. मैने सोचा नाडा खोलूँगा. लेकिन उन्होने पहले से नाडा खोल रखा था. आप इमॅजिन कर सकते है क्या मज़े थे मेरे.
मैने सलवार को पकड़ कर तोड़ा नीचे करने लगा. मों तोड़ा उठी, और मैने सलवार नीचे खींच ली. मों की गांद अब आज़ाद थी. मैने मों की गांद पर हाथ लगाया, और मेरा लोड्ा अब फटने को हो गया. इतनी मुलायम गांद, वाह! पहली बार टच की थी मैं, वो भी नंगी.
मैने उनकी सलवार घुटनो तक कर दी, और एक उंगली उनकी छूट के पास ले गया. उनकी छूट के पास हल्के-हल्के बाल थे. मैने टाइम खराब ना करते हुए अपना लंड उनकी छूट पर रखा. छूट में से पानी निकल रहा था.
मैं लंड छूट में घुसने लगा, लेकिन लंड अनादर नही जेया रहा था. मों की छूट टाइट थी. काफ़ी टाइम हो गया था, जब से पापा विदेश थे. तो मों की चुदाई नही हुई थी. मैं समझ गया छूट टाइट थी, तो तोड़ा ज़ोर लगाना पड़ेगा.
फिर मैने थोड़ी थूक लगा के लंड उनकी छूट पर रखा, और धक्का दिया तो लंड का टोपा अंदर चला गया. मों की ह आहह निकल गयी, और मैं रुक गया. मेरा लोड्ा वैसे भी 9 इंच मोटा था.
फिर मैने एक और धक्का मारा, और गीली छूट होने की वजह से 5 इंच, यानी आधा लंड अंदर चला गया. मों थोड़ी सी हिली, लेकिन चीखी नही. फिर मैं रुका, और थोड़ी देर बाद फिर एक और झटका मारा. मेरा पूरा लंड उनकी छूट में घुस गया था.
हाए क्या गर्मी थी उनकी छूट की. मैं आगे-पीछे करते हुए उनको छोड़ता रहा, झटके पे झटका देता रहा. वो कुछ नही बोली, और चुप हो कर लेते हुए चुदाई का मज़ा लेने लगी.
उनको छोड़ने से पहले मैं झाड़ गया था. पिछली स्टोरी में बताया था मैने. इसलिए इस बार तकरीबन 40-50 मिनिट तक धन-धन चुदाई करता रहा. वो आहह अया आहह करती रही.
फिर मैं झाड़ वाला था, तो झटके तेज़ कर दिए, और उनकी छूट में ही झाड़ गया. बहुत सारा माल उनकी छूट में निकला. इस दौरान मों 4 बार झाड़ चुकी थी. पूरा माल निकालने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला.
लंड सिकुड गया था. फिर मैने मोबाइल की टॉर्च से मों की छूट देखी, तो उनकी छूट से माल निकल रहा था, और उसके साथ खून भी आ रहा था. मैं समझ गया टाइट छूट होने की वजह से छूट फट गयी थी. फिर मैं उठ कर, बातरूम जाके, अपने लंड को सॉफ करके, पेशाब करके वापस आया तो देखा, मों ने अपनी सलवार वापस पहन ली थी.
फिर मैं अपनी चारपाई पे जाके लेट गया. कुछ देर में मों उठ कर बातरूम चली गयी अपनी छूट सॉफ करने. मैं भी दबे पावं उनके पीछे चला गया. मों बातरूम में चली गयी, और मैं बातरूम के होल से देखने लगा. वो अपनी फटी छूट देख कर मुस्कुरा रही थी, और छूट सॉफ कर रही थी. मों की छूट सूज गयी थी. मैं जल्दी से वापस आके लेट गया.
थोड़ी देर बाद मों आके लेट गयी और कब मुझे नींद आ गयी पता नही चला. सुबा मेरी आँख खुली तब 10 बाज चुके थे, और मों घर का काम कर रही थी. मुझे लगा मों मुझसे नाराज़ होंगी, लेकिन ऐसा नही हुआ.
मों रूम से बाहर गया तो वो बोली: बेटा उठ गया?
मों नॉर्मल बिहेव कर रही थी, जैसे कुछ हुआ ही नही. लेकिन मुझे मों से आँखें मिलने से भी शरम आ रही थी.
मों बोली: मूह धो ले, और छाई गरम करके पी ले.
और वो अपना काम लग गयी. लेकिन मों आज खुश-खुश नज़र आ रही थी, और मुझे देख कर बार-बार मुस्कुरा रही थी. मैं समझ गया था, की मों रात वाले काम से खुश थी. इसलिए मुझे कुछ नही बोली. मैं भी मों को देख कर मुस्कुरा दिया. वो चली गयी और अपना काम करने लगी.
आयेज क्या हुआ, वो नेक्स्ट पार्ट में बतौँगा. आपको स्टोरी अची लगी तो फीडबॅक ज़रूर करना, थॅंक योउ.