कहानी बाप और भाई से चुदी सेक्सी लड़की की

मैं अपने आख़िर एग्ज़ॅम की पूरी तैयारी ख़तम करके अम्मी के कमरे में चल आई. वाहा अम्मी अपनी ब्लू निघट्य में बैठी हुई मस्त फोन चला रही थी. उनके कानो में इयरफोन्स थे, जिससे मैं शुवर थी अम्मी पक्का पॉर्न देख रही थी.

इसलिए मैं बिना किसी आवाज़ के बेड पे चढ़ि, और नीचे निघट्य में हाथ डालते हुए उनके पैरों से शुरू करके जाँघ के तोड़ा उपर आई. अम्मी ने अपनी पनटी डाली थी. मेरे टच से अम्मी थोड़ी गरम हो गयी, और अपनी टाँगो को फैला कर मेरा काम ईज़ी कर दिया.

फिर मैं अपना सर अम्मी की निघट्य में घुसा के खुद अंदर आ कर उनकी छूट चाटने लगी. अम्मी के मूह से निकलती सिसकियाँ सॉफ-सॉफ बता रही थी अम्मी कितनी गरम हो चुकी थी. और मैं भी मस्ती से अपनी जीभ से अपना काम करने में लगी रही.

वो कहते है ना कबाब में हड्डी. ठीक तभी मेरा फोन रिंग हुआ. पहली बार तो मैने फोन बजने दिया, लेकिन दूसरी बार मॅन मार कर मैने अपना फोन उठाया, और जैसे ही अपनी जीभ फिरसे निकाल के आयेज बढ़ी.

फोन से आवाज़ आई: ज़राइना बेटी, मैं आधे घंटे में घर पहुँच जौंगा.

ये अब्बू की आवाज़ थी, जिसे सुन कर मैं पहले शॉक हुई. फिर जब अम्मी को बताया तो अम्मी और मैं पहले तोड़ा घबरा गये. फिर जल्दी से हम दोनो उठे, पहले तो अम्मी ने अपनी सेक्सी सी निघट्य मेरे सामने ही निकाल दी. अब अम्मी ने बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी आल्मिराह से अपनी ब्रा-पनटी के साथ बाकी दूसरे पहनने लायक कपड़े निकाले.

जल्दी-जल्दी में बाहर आ कर जैसा लास्ट टाइम अब्बू घर छ्चोढ़ के गये थे, सब ठीक करते हुए मैं और अम्मी हॉल के बीचो-बीच खड़े हो कर बात करने लगे, की कुछ और बचा तो नही था. तभी अम्मी जल्दी से अपने रूम से अपना फोन लाई, और सारी हिस्टरी सॉफ कर दी. फिर हम दोनो ने एक राहत की साँस ली, और सोफे पे बैठ गये.

तभी बेल बाजी, एक-दूसरे को देख और कपड़ो पे नज़र डालते हुए अम्मी दरवाज़े के पास गयी. फिर जैसे ही दरवाज़ा खुला, बाहर से मुराद भाईजान अम्मी से गले लगे. उनको देख मैं और अम्मी दोनो हैरान थे.

भाईजान: कैसा लगा अम्मी मेरा सर्प्राइज़?

मैं: लेकिन भाईजान आप तो.

भाईजान: हा लेकिन जैसे ही काम ख़तम हुआ, मैं जल्दी से आ गया. क्यूंकी मुझे अम्मी की याद जो बहुत आ रही थी.

ये कह कर भाईजान ने अम्मी के गले लग मेरी तरफ नज़रे घुमा कर एक आँख मारी. जैसे ही भाईजान ने कुछ देर रेस्ट की, दूसरी बार बेल बाजी, और अब्बू भी आ ही गये. फिर दोनो ने अपने-अपने ट्रिप के किससे सुनाए, और दोनो अपने-अपने रूम में रेस्ट करने लग गये. हम भी बाहर आ कर शाम के खाने की तैयारी करने में लग गये.

अम्मी: यार इतनी जल्दी भी आने की क्या तलब थी?

मैं: जैसे अल्लाह की मर्ज़ी.

शायद दोनो के ट्रिप का हॅंगओवर कुछ ज़्यादा ही था, इसलिए बहुत ज़्यादा थकान के कारण उनकी नींद ही नही खुली. मैं भी रूम में आ कर मस्त एग्ज़ॅम के लिए रिविषन में लग गयी (वो आखरी एग्ज़ॅम की खुशी जो सब को होती हा, फाइनली. )

( नेक्स्ट मॉर्निंग – आखरी एग्ज़ॅम )

मैं आराम से फ्रेश हो कर अपने कमरे में आ कर बाल बनाने लगी. तभी अब्बू मेरे पीछे खड़े हो कर मेरी गांद पे अपना लंड रगड़ने लगे.

मैं: थकान डोर हो गयी आपकी?

अब्बू: तुझे देख के तो मेरे शरीर का एक-एक बॉडी पार्ट खड़ा हो जाता हा.

तभी बाहर से अम्मी की आवाज़ आई की “नाश्ता रेडी है”.

अब्बू: ये साली, हर टाइम मेरे मूड की मा छोड़ देती है.

मैं मुस्कुरा के बाहर डाइनिंग टेबल पे आ कर बैठ गयी. अम्मी किचन मेरे लिए प्लेट तैयारी में थी. तभी मेरे लेफ्ट में भाईजान मुराद आ कर बैठ गये, और मेरी रिघ्त साइड में अब्बू.

मैं: गुड मॉर्निंग मुराद भाईजान.

भाईजान: मॉर्निंग!

तभी अब्बू अपना एक हाथ मेरी जाँघ पर रख कर धीरे से मेरी स्कर्ट के अंदर घुसने लगे. जैसे मैं अब्बू को माना करने उनकी तरफ मूडी, लेफ्ट साइड से भाईजान मुराद ने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया. अब मैं कुछ आयेज कर पाती, तभी सामने से अम्मी मेरे लिए नाश्ते की प्लेट लेके आ गयी.

दोनो अपनी-अपनी तरफ से मेरी पनटी को उतारने में लगे हुए थे. मैं दोनो तरफ घबराए हुए चेहरे से देख के माना करने लगी. लेकिन दोनो मेरी पनटी को उतारने पर उतार आए.

अम्मी: ले खा के बता कैसा बना है?

मैं एक बीते लेने के लिए जैसे तोड़ा उठी, मेरी पनटी मेरी हिप से उतार गयी, और मैं झट से वापस बैठ गयी. अब मेरी गांद से पनटी आधी उतार चुकी थी. अब्बू हाथ से मेरी पनटी वापस से चढ़ने लगे.

फिर अब्बू मेरा हाथ अपने खड़े लंड पर रख उसे हिलने पे मजबूर करने लगे. मैं दूसरा बीते लेने के लिए अपना लेफ्ट हाथ आयेज बढ़ती, तभी मुराद भाईजान ने अपने लंड को मेरे हाथ पर चढ़ा कर मूठ मरवाने लगे.

अम्मी: श! मैं दूध लाना तो भूल ही गयी.

ये कह कर अम्मी फिर किचन में चली गयी. अब मुझे मजबूरन अपनी पनटी को छ्चोढना पड़ा. बस अम्मी के वापस आने तक मैं दोनो के लंड को शांत करने में लग गयी. मुराद भाईजान और अब्बू मस्त अपना नाश्ता करे जेया रहे थे.

थोड़ी देर बाद अब्बू ने अपना नाश्ता ख़तम कर, मेरी साइड में खड़े हो कर मेरा मूह पकड़ कर, लंड घुसा दिया. सामने अम्मी मस्त दूध गरम करने में लगी थी, और बगल में जैसे भाईजान सबसे अंजन नाश्ते करे जेया रहे थे.

अब्बू का मोटा लंड और लंड के अगाल-बगल वो झाँते सब मेरे मूह में जेया रही थी. मैं भी मस्त और थोड़ी घबराहट में अब्बू का साथ देने लगी. तभी मेरा सर पकड़ कर अब्बू ने सारा का सारा माल मेरे मूह में झाड़ दिया.

मेरी गर्दन को सीधा कर अब्बू ने अपना माल आधे से ज़्यादा मेरी गार्डेन से नीचे उतार दिया. बचा कूचा माल साइड से मेरे गालों पर आ गया. तभी अम्मी को दोबारा आता देख मैं भाईजान का लंड छ्चोढ़ नाश्ता करने लगी. आख़िर में मैं दूध पी के उठी.

भाईजान: चल मैं तुझे एग्ज़ॅम सेंटर छ्चोढ़ देता हू. मैं भी आज वही से जौंगा.

अब्बू: बेटा मुझे भी वाहा काम है.

भाईजान: ठीक है चलो फिर.

अम्मी हम तीनो को गाते तक छ्चोढने आई. अब्बू भाईजान के साथ आयेज बैठ गये, और मैं पीछे बैठ के सोचने लगी, की मैं जो अभी बिना पनटी की थी, आयेज क्या होगा. तभी साइड में भाईजान ने गाड़ी रोकी, और भाईजान और अब्बू दोनो गाड़ी से उतरे. फिर अब्बू ड्राइविंग सीट पे और भाईजान पीछे मेरी बगल में आ कर बैठ गये.

भाईजान: वैसे तेरे एग्ज़ॅम की टाइमिंग क्या है?

मैं: 9:30 बजे.

भाईजान: मतलब अभी 1 घंटा है.

फिर क्या था, भाईजान ने अपनी पंत उतार अपने लंड पर चॉक्लेट फ्लेवर का कॉंडम चढ़ाया, और मुझे अपने लंड पे बिता कर छोड़ने लगे. शायद रोड खराब था, जिससे मेरे सर पर गाड़ी की रूफ लगने लगी. इसलिए बॅक सीट पर मुझे लिटा कर भाईजान मेरी टाँगो के बीच घुस कर वापस मेरी छूट में लंड डाल चुदाई कंटिन्यू करने लगे.

फाइनली भाईजान झाडे, और मेरी हालत खराब हो गयी थी. मैं और भाईजान मस्त एक-दूसरे का फेस देख मुस्कुराने लगे. थोड़ी देर हम गाड़ी में बैठे रहे, और मैने अपनी हालत ठीक करी.

मैं: अब मेरी पनटी दोनो में से जिसके पास है, डेडॉ?

अब्बू: अर्रे तेरी छूट और मेरे लंड के मिलन के बीच में आती है, इसलिए फेंक दी.

मैं: क्या बात कर रहे हो. फेंक दी?

भाईजान: अर्रे अब्बू, मज़ाक कर रहे है.

तभी भाईजान ने पनटी दी, और फिर फुल तैयार हो कर मैं एग्ज़ॅम सेंटर घुसी.

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