दोस्त के साथ मिल कर हाईफाई औरत की चूत गांड की चुदाई की-1

चुदासी और गर्म तो सारिका मेरी बातों से ही हो गई थी, क्योंकि मैं जानता था कि सारिका को मेरे साथ ऐसी अश्लील भाषा में बातें करना ज्यादा मस्त लगता है।

वो अक्सर जब भी मुझसे फोन पर बात करती थी, तो मुझे ज्यादा से ज्यादा अश्लील बातें और गालियाँ भरे अंदाज़ से बातें करने को कहती थी।

वैसे सारिका ने मुझे आने से पहले भी बोला था- मैं आ तो रही हूँ, लेकिन मुझे कहीं नार्मल चुदाई.. जैसे आम लोग करते हैं, करके ही वापिस मत भेज देना, मैं आपसे कुछ ख़ास चाहती हूँ।

मैंने भी अपनी तरफ से उसकी हर यौन इच्छा पूरी करने का वचन दिया था। अब वो वक्त आ चुका था कि मैं सारिका को दिया हुआ वचन निभा दूँ। मुझे मालूम था कि ये वादा निभाना इतना आसान नहीं है.. जितना सोचा जा सकता है। परन्तु फिर भी मैंने उस वायदे को निभाने के लिए हर इंतजाम सारिका के आने से पहले ही कर दिया था।
क्योंकि सारिका मेरे पास एक सप्ताह के लिए थी, इसलिए ये वायदा मैं आसानी से निभा सकता था।

आज तो सिर्फ उसकी जवानी को परखने का दिन था, उसको असली सुख तो मुझे उसको अगले दिन देना था।

रसभरे होंठों की चुसाई के बाद सारिका ने खुद ही मचलते हुए कह दिया- उफ्फ… रवि.. अपनी सारिका को तो नंगी कर दिया, परन्तु मेरी जान खुद भी थोड़ा हल्के हो जाओ न?

उसके इतना कहने की ही देर थी कि मैंने अपनी लोअर और टी-शर्ट उतार दी और सिर्फ अंडरवियर और बनियान में आ गया।
हम दोनों के जिस्म पर बस हमारे अंदरुनी वस्त्रों के अलावा कुछ नहीं बचा था।

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मैंने अपना लंड सहलाते हुए कहा- ले साली, लगता है आज तो मुकाबला बराबर का है मेरी रानी!

हम दोनों ऐसे एक-दूसरे के सामने खड़े थे, जैसे दो पहलवान कुश्ती लड़ने से पहले एक-दूसरे के सामने रैफरी के इशारे के इंतज़ार में खड़े होते हैं।

मैंने भी अपने मन में ठान लिया था कि जो मर्जी हो जाए.. आज साली रांड जहाँ तक जाती है जाने दूंगा और इसकी हद कहाँ तक है, ये पता करके रहूँगा। फिर आने वाले दिनों के लिए मुझे इसका पता लगाना भी बहुत जरूरी था।

मैंने ब्रा पेंटी में खड़ी सारिका के शरीर का मुआयना किया.. साली का बदन भी का पूरा सुडौल था। एकदम गदरायी जवानी, दूधिया जिस्म, कसे हुए मम्मे और गोल उठी हुई गांड, पीछे से बाहर को निकले हुए चूतड़… पट्ठी की जवानी पूरी कयामत ढा रही थी।

मैंने धीरे धीरे अपने जिस्म को सारिका के जिस्म से भिड़ा दिया.. और सारिका के मम्मों को अपनी छाती से मिला दिया। अब मैंने अपने दोनों हाथ उसके आजू-बाजू से ले जाकर पीछे से सारिका की ब्रा की हुक को खोल दिया। फिर वैसे ही धीरे-धीरे ही अपने जिस्म को सारिका की छाती से पीछे हटा लिया।

जैसे मैंने सारिका की छाती से अपनी छाती को अलग किया.. तो सारिका के मम्मों पर बंधी हुई ब्रा.. चीने कबूतर की तरह नीचे गिर गई और सामने रह गए सारिका के दो नंगे दूधिया मम्मे!

वाओ.. क्या मम्मे थे.. एकदम शेप्ड और कसे हुए मम्मे और उसकी उन्नत छातियों के बीच की गहरी खाई.. मानो दो पर्वतों के बीच की घाटी हो। उसके मम्मों के ऊपर की मोटे-मोटे कड़क निप्पल बिल्कुल लाल रंग के थे। उसके इन मदमस्त निप्पलों को देख कर तो कोई नामर्द ही चूसने से रुक सकता था।

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अब सारिका मेरे सामने सिर्फ पेंटी में खड़ी अपने निचले होंठ को अपने दांतों से काट रही थी।
मैंने उसका ये सीन देखकर कहा- ले मेरी रानी.. अगर होंठ ही काटना है तो ये ले.. काट न..

ये कह कर अपना निचला होंठ उसके होंठों में दे दिया। उसने भी वैसा ही किया.. साली ने मेरे होंठ में अपने दांत गड़ा दिए। उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे थोड़ा दर्द तो हुआ परन्तु आज तो मैंने अभी बहुत कुछ करना था इसलिए मैंने उसे सब करने दिया।

मैं अब साथ साथ उसके मम्मों पर हाथ फिराने लगा और उसके मम्मों और चूचियों को सहलाने लगा था। मेरे सहलाने से उसके मम्मों का आकार थोड़ा और बढ़ गया था।

अब मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो मेरे होंठों से और मम्मों के सहलाने से कुछ अधिक उत्तेजित और हो गई थी।

साथियो, इस घटना को लिखते हुए मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है, मैं बस अभी मुठ मारके आता हूँ, तब तक आप मुझे मेल लिखिए।

सारिका की जवानी का जलजला हिंदी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में लिखता हूँ।

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