अनजान आंटी की चूत चुदाई बस में

अनजान आंटी की चूत चुदाई बस में

(Anjan Aunty Ki Choot Chudai Bus Me)

Anjan-Aunty-Ki-Choot-Chudai-Bus-Meदोस्तो, मेरा नाम हितेश है.. मैं मुंबई से हूँ। अक्सर यहाँ बस या ट्रेन में सेक्स की स्टोरी पढ़ता था.. तो सोचता था कि काश मुझे भी कभी ऐसा मौका मिले। मुझसे लगता है कि यह बहुत ही मजेदार सोच है कि जहाँ इतने लोग आसपास हों और आप किसी से साथ चुदाई कर रहे हों।

मेरा घर इंदौर में है। इस दीवाली के बाद जब मैं वापस मुंबई लौट रहा था.. उस समय टिकट की बहुत मारामारी थी। ट्रेन और बस सब फुल चल रही थीं और मुझे अर्जेंट वापस आना था।

मैंने जैसे-तैसे करके एक सीट बुक की.. लेकिन मुझे पीछे की साइड की एक डबल सीट मिली। मुझे लगा पता नहीं अब किसके साथ सीट शेयर करना पड़ेगी। उस वक्त तक मुझे नहीं लगा था कि कोई भी लड़की पीछे की तरफ की सीट लेना पसन्द करेगी और वो भी किसी के साथ शेयरिंग में सीट बुक करना चाहेगी।

खैर.. मैं बस में बैठ गया और अपने साथ वाले का इंतज़ार करने लगा। लेकिन बोर्डिंग टाइम तक कोई नहीं आया। फिर मुझे लगा कि शायद कोई नहीं आने वाला है.. और अब सफर आराम से होगा। मैंने मोबाइल में अपनी प्लेलिस्ट लगाई और आराम से गाना सुनने लगा।

करीब दो घंटे बाद बस डिनर के लिए रुकी.. मैं भी वहाँ उतरा और डिनर करके अपनी सीट पर आकर बैठ गया। जैसे ही गाड़ी चलने लगी.. किसी ने गाड़ी रुकवाई और थोड़ी देर में गाड़ी चल दी।

मैं अपना हेडफोन लगा ही रहा था.. तभी एक 30-35 साल की आंटी आई- एक्ससियूज मी.. आप अपना बैग साइड में कर लीजिए।
मैंने देखा वो थोड़ी घबराई हुई लग रही थी। मैंने अपना बैग हटाया और उसका लगेज सैट करवाया और उनकी हेल्प की।

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वो अब भी थोड़ी घबराई हुई लग रही थीं। मैंने उन्हें पानी दिया और उनसे पूछा- क्या कोई परेशानी है?
लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं।
मैंने सोचा शायद वो बात करने में इच्छुक नहीं हैं।

मैंने फिर अपना हेडफोन लगाया और मोबाइल पर गाने सुनने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे अपने हाथ पर किसी का हाथ फील हुआ तो मैंने पलट कर देखा। वो आंटी मेरी तरफ देख रही थीं और अब वो थोड़ी नॉर्मल लग रही थीं।

मैंने अपना मोबाइल बंद किया और उनसे पूछा- क्या हुआ?
तो वो ‘सॉरी..’ बोलीं।

उनकी आवाज़ बहुत अच्छी थी, मैं तो उनकी आवाज़ में ही खो गया, सच में बहुत खनकती आवाज़ थी, मैं उनकी तरफ देख रहा था.. उनके होंठ तो और भी सुंदर थे, उस पर हल्की सी पिंक लिपस्टिक कमाल की लग रही थी।

उन्होंने एक बार फिर मेरे सामने चुटकी बजा कर कहा- हैलो.. कहाँ खो गए?
अचानक मेरा ध्यान टूटा और इस बार मैंने कहा- आई एम सॉरी.. वो मैं कुछ सोच रहा था।
‘ओके..’
फिर मैंने उनसे पूछा- आप उस समय इतनी घबराई हुई क्यों थीं?
उन्होंने कहा- कल मेरे पति भी अपनी बिजनेस ट्रिप से मुंबई लौट रहे हैं और मैं चाहते थी कि मैं उनका वेलकम करूँ। लेकिन दीवाली सीज़न होने के कारण टिकट नहीं मिल रही थी और मिली भी तो बस निकल गई। वो तो बस ऑपरेटर ने मुझे दूसरी बस में बैठा कर यहाँ पर बस रुकवा दी.. इसलिए उस टाइम थोड़ी घबरा गई थी।

इस तरह हम दोनों की बातें शुरू हो गईं और हम दोनों बातें करने लगे।

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अब मैं उनके बारे में बता दूँ.. उनका नाम प्रतिभा था। वे 33 साल की शादी शुदा महिला थीं। उनके पति एक मार्केटिंग मैनेजर थे.. जो अक्सर मार्केट में रहते थे। जो कि बाद में मेरे लिए प्लस पॉइंट हो गया।

उनका फिगर 34डी-30-36 का था.. जो मैंने एक बार खुद नापा था। वो बहुत गोरी तो नहीं थीं.. हल्की सी सांवली थीं लेकिन उनके फीचर उन्हें बहुत आकर्षक बना रहे थे।

उस वक़्त उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी, लाल रंग की साड़ी में उनकी बॉडी बहुत मस्त लग रही थी, ऊपर से उन्होंने लो-नेक ब्लाउज पहना हुआ था.. जिसमें से उनका क्लीवेज साफ़ दिख रहा था। उनके संग बात करते-करते मेरा ध्यान बार-बार उनके मम्मों की दिखती दरार पर ही जा रहा था।

उन्होंने मेरी इस नजर का एक-दो बार नोटिस भी किया.. और बस उस वक्त वो अपना पल्लू ठीक कर लेतीं.. लेकिन वे मुझसे कुछ कह नहीं रही थीं।

फिर मैंने हिंदी सेक्स स्टोरीज की इस साइट का फंडा यूज किया। मैंने धीरे से उनकी मैरिड लाइफ के बारे में बात करना शुरू की। अब वो थोड़ा उदास हो गईं।
मुझे लगा यही मौका है.. शायद आज मेरा काम बन जाए, मेरे मन में जो चलती बस या ट्रेन में लोगों के बीच चुदाई की इच्छा थी शायद आज वो पूरी हो जाए।

अब मैंने वो टॉपिक चालू रखा।
उन्होंने बताया- मेरे हब्बी वर्कहॉलिक हैं और अक्सर बिज़ी रहते हैं। इस कारण वो अपनी फैमिली नहीं बढ़ा पा रहे हैं.. क्योंकि वो हर बार कहते हैं कि वो अभी इस बात के लिए तैयार नहीं हैं और इस कारण अब हम दोनों की मैरिड लाइफ बहुत अधिक मधुर नहीं रही है।

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