जहाज में मिली हसीन चूत को मुम्बई में चोदा

फिर थोड़ी देर हम ऐसे ही चुदाई की बातें करने लगे।
बातों ही बातों में वो मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगी और मेरे लण्ड की पैमाइश करने लगी।
मैं भी उसकी जांघों को सहला रहा था।

चूत चुदवाने की इच्छुक

फिर उसने अपनी इच्छा जताई, कहने लगी- कुणाल जी, मैं आपसे चुदना चाहती हूँ।
मैंने कहा- मुझे कोई परेशानी नहीं है अगर आप तैयार हो तो!

और ऐसे ही बातों में पता नहीं चला कि कब हम मुम्बई पहुँच गए।
मुम्बई पहुँचते ही सबसे पहले हम होटल पहुँचे, वहाँ हमने दो अलग अलग कमरे लिये हमारे कमरे आमने सामने थे।

इशिका अपने कमरे में अपना सामान रख कर तुरंत मेरे कमरे में आ गई, कमरे में आते ही वो मुझसे लिपटने लगी और मुझे मेरे बदन पर चूमने लगी।

वो जीन्स और टी शर्ट पहने हुए थी।
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फिर मैंने भी उसे कस कर पकड़ लिया और उसके होठों की जबरदस्त चुसाई करने लगा, मैंने उसको दीवार के सहारे खड़ा कर लिया था।
वो भी मेरे होठों को ऐसे चूस रही थी कि जैसे उनसे रस निकल रहा हो!

फिर मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और बेड पर पटक दिया और मैं उसके ऊपर आ गया।
हम दोनों अभी तक एक दूसरे के होठों को ही चूस रहे थे, अब वो कभी मेरी जीभ को पकड़ कर चूसने लगती तो कभी मैं उसकी जीभ को अपने होठों से पकड़ कर बाहर की तरफ खींच कर चूसता!

तब उसने झटके से मुझे अपने नीचे कर लिया, वो मेरे ऊपर आ गई थी, और उसने मेरी पैंट और शर्ट उतार कर फेंक दी और मेरे लण्ड को चड्डी के ऊपर से ही सहलाने लगी।

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अब मैंने भी अपने हाथ आगे बढ़ाकर उसकी टी शर्ट उतार दी।
मैं उठ गया और उसको लिटा कर उसकी जीन्स को भी उतार दिया।
वो गुलाबी रंग की पैंटी और ब्रा पहने हुए थी।

जैसे ही मैंने उसकी जीन्स उतारी, मैं उसके गोल गोल चूतड़ देख कर खुश हो गया।

चूत चुसाई

अब वो मेरे सामने ब्रा और पैंटी में थी।
अब मैं उसकी गोरी गोरी टांगों को चूमने लगा और टांगों चूमते चूमते उसकी गांड तक पहुँच गया।

वो उल्टी होकर लेटी थी और मैं उसके चूतड़ों को जोर जोर से चाट और मसल रहा था।
मैंने उसकी ब्रा पैंटी को भी उतार दिया, उसकी चूत एकदम गोरी और चिकनी थी, उसकी चूत को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उसकी चूत को चूसने लगा।

इशिका पहले से चुदी थी, उसकी चूत खुली हुई थी, वो चुदाई में बहुत माहिर थी!

जैसे ही मैं उसकी चूत को चाटता वैसे ही वो मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबा देती!
मैं उसकी चूत को खूब मज़े से चूस रहा था, कभी उसकी चूत के छेद में जीभ डाल देता तो वो उछल पड़ती!
कभी उसकी चूत में एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करता!

वो बहुत बुरी तरह तड़फ रही थी, उसकी आहे बंद ही नहीं हो रही थी, वो ‘आअह्ह आह्ह्ह ओफ़्फ़ हम्म्म… ऐसे ही चूसो… बहुत मज़ा आ रहा है… मेरी चूत का सारा पानी निकाल दो कुणाल आज…’ ऐसे बोल रही थी।

मैं समझ गया कि इससे अपनी आग सहन नहीं हो पा रही है जो इसकी चूत में लग रही है।

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उसकी चूत के दाने को जो चूत के बीच में लंबी से खाल लटकी होती है, मैं उसे अपने होठों से पकड़ कर खींचता तो उसके मुँह में से आवाज़ निकलती ‘आआ आहह ओफफ्फ़…’

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