हेलो दोस्तों, मेरा नाम रीना है, और मेरी उमर 20 है. मैं आमेडबॅड से हू. अगर कोई आमेडबॅड से है, और अगर लेज़्बीयन सेक्स में इंट्रेस्टेड हो, तो मैल करके मुझे अपनी फीडबॅक ज़रूर देना.
चलिए अब ज़्यादा बोर ना करते हुए स्टोरी पर आते है. पिछली स्टोरी में आपने पढ़ा की कैसे आंटी ने मेरे साथ बस में सेक्स किया. उन्होने मेरे अंदर हाथ ही डाल दिया था, उफ़फ्फ़. फिर जब मैं घर पहुँची तो आंटी का मेसेज आया हुआ था.
आंटी: ही मेरी डार्लिंग.
मैने भी रिप्लाइ किया-
मे: हेलो आंटी, कैसे हो?
आंटी: मैं ठीक हू. क्या कर रही हो?
मे: अभी नहा के निकली हू. बहुत दर्द हो रहा है आंटी. आपने बहुत गंदा छोड़ा है मुझे.
आंटी: मेरी डार्लिंग, ये तो बस थी. अगर तुम मेरे साथ रूम में होती, तो खून ही निकाल देती तुम्हारी छूट में से.
मे: आह हह सॅकी में आंटी?
आंटी: अर्रे मुक़छि मेरी डार्लिंग.
मे: तो निकाल दो ना. यही तो छाईए मुझे. बहुत खुजली चढ़ि है मेरी इस छूट में.
आंटी: तो चलो मिलते है होटेल में.
मे: पर कों सी होटेल में मिलेंगे आंटी?
आंटी: वो सब मैं देख लूँगी, तू बस तैयार रहना.
मे: ठीक है आंटी.
फिर हमारी ऐसे ही बात चली पूरी दिन. फिर दूसरे दिन मुझे आंटी का मेसेज आया.
आंटी: क्या तुम आज फ्री हो तो मिल सकते है?
मैने हा कह दिया, क्यूंकी आज मुझे कुछ काम नही था.
आंटी: तो फिर ठीक है. मैं इस होटेल में रूम बुक कर लेती हू. तुम इस टाइम पर पहुँच जाना डार्लिंग.
मे: ओक आंटी, मैं पहुँच जौंगी.
फिर मैं तैयार हो कर अपनी छूट को शेविंग करके वाहा पहुँच गयी. जैसे ही मैं होटेल पहुँची, मैने आंटी को फोन किया, और आंटी ने मुझे जिस रूम में जाना था, उसका नंबर दिया. फिर मैं तोड़ा दर्र-दर्र के रूम तक पहुँच गयी.
फिर जैसे ही मैने डोरबेल बजाई, आंटी ने दरवाज़ा खोला. आंटी ने आज ब्लॅक कलर की सारी पहनी थी. वो क्या कमाल लग रही थी क्या बतौ. मेरा मॅन तो कर रहा था बस पकड़ कर किस कर लू उनको मैं. फिर वो बोली-
आंटी: अब मुझे ही देखती रहोगी के अंदर भी आओगी?
फिर मैं अंदर चली गयी. मैं जैसे ही अंदर गयी, और मैने दरवाज़ा बंद किया, आंटी वैसे ही मुझ पर टूट पड़ी. वो मेरे गले पर किस करने लगी, और बोलने लगी-
आंटी: बहुत तड़प लगी है तेरी, प्लीज़ इसको बुझा दे.
मैने कहा: मेरी भी छूट में बहुत पानी जमा हो गया है. निकाल दो ना प्लीज़ आंटी.
आंटी: आज तेरी छूट का सारा पानी निकाल दूँगी. तू बस देखती जेया.
मे: ह, ऐसे ही करो, रूको मत.
फिर आंटी ने मेरे कपड़े उतार दिए. मैने भी आंटी के सब कपड़े उतार दिए. क्या बतौ आंटी एक नंबर की रंडी लग रही थी. उनके बड़े-बड़े बूब्स लटक रहे थे. उफ़फ्फ़ क्या बूब्स थे उनके, मज़ा ही आ गया देख कर. फिर मैं टूट पड़ी उनके बूब्स पर, और उनको मसालने लगी. उनके निपल्स को मैने ज़ोर से दबा दिया तो आंटी चिल्ला उठी.
आंटी: रंडी धीरे कर, मा चुड गयी मेरे बूब्स की. मदारचोड़ धीरे कर.
फिर मैं उनके बूब्स को और चूसने लगी, और बोली-
मे: हा मेरे रंडी आंटी, और मज़े लो.
आंटी: आहह चूसो अपनी रंडी को.
आंटी मेरी छूट मसल रही थी, और मेरे लिप्स पर किस भी कर रही थी. क्या बतौ क्या सीन था वो. मेरे छूट में से पानी की नहर बहने लगी थी.
मे: आह उ, मार ही डाला आज तो आपने आंटी.
फिर आंटी ने मुझे उठाया, और घोड़ी बना दिया. मुझे लगा वो छूट चाटेंगी, पर आज आंटी पूरी तायारी करके आई थी. उन्होने अपने पर्स में पत्ता लाया हुआ था. वो मेरी गांद पर पत्ते मारने लगे, और बोल रही थी की-
आंटी: और ले मेरी रंडी छिनाल. बहुत मज़े चाहिए ना तेरे को? तुझे आज मज़े पूरी गांद लाल करके दूँगी.
फिर आंटी ने मेरी टांगे और चौड़ी की, और छूट पर भी पत्ता मारा. मैं तो सहम गयी.
मे: उई मा, मॅर गयी आज तो. मार ही डालगी क्या रंडी आंटी मुझे क्या? अपनी बेटी के भी ऐसे ही गांद पर पत्ते मार्टी हो क्या,?
आंटी: बेटी को नही, पर रंडी को ज़रूर मार्टी हू. चुप कर छिनाल, वरना मा छोड़ दूँगी तेरी.
मे: तो छोड़ दो ना आह.
फिर आंटी ने मेरी छूट को चाटना शुरू किया. मेरी तो टांगे काँपने लगी. मैने बिस्तर को पकड़ लिए, और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी.
मे: आ आह आ ऐसे ही, मत रूको, छातो, और छातो. तुम्हारे लिए ही शेविंग करके लाई हू. चाट-चाट कर सॉफ कर दो इस हरामी छूट को आ आ.
आंटी: हा आज तो इस पिंक को छूट को लाल कर दूँगी.
मे: आह प्लीज़ आंटी मत रूको. ऐसे ही करती रहो, आ छिनाल आंटी.
फिर आंटी ने मेरे गांद पर हाथो से लाफे मारने स्टार्ट किए. ज़ोर-ज़ोर से मार-मार कर, उसको पूरा लाल कर रही थी. मानो जैसे आज तो गांद ही फाड़ देंगी मेरी.
आंटी: आज तो तुझे रंडी की तरह छोड़ूँगी. तेरी गंद और छूट दोनो मारूँगी. बस तू देखती जेया.
मे: हा छोड़ दो मुझे, आपकी ही रंडी हो. जैसे मॅन करे वैसे छोड़ो. बस रूको मत.
आंटी: हा-हा नही रुकूंगी. तू रुकने के लिए बोलेगी, फिर भी नही रुकूंगी. आज लड़की से तुझे औरत बना दूँगी.
मे: हा बना दो. आह आह.
फिर आंटी ने मुझे उठाया, और मेरे होंठो पर किस करने लगी. मैं उनकी छूट मसालने लगी. फिर आंटी ने भी मेरी छूट पर हाथ रख दिया, और ज़ोर-ज़ोर से मसालने लगी. मैं तो काँपने लगी.
मे: ऐसे ही आंटी, और करो, फाड़ दो इस छूट को.
आंटी: आज तुझे चलने लायक नही छ्चोधूंगी. रेंगते हुए घर जाएगी तू आज.
मे: हा फाड़ हो इस छूट को. बहुत आग लगी है इसमे. बुझा दो इस आग को.
अभी के लिए इतना ही, आयेज की स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में. इस स्टोरी की फीडबॅक आप क्राज़्ीबल्ल893@गमाल.कॉम इस ईद पर दे सकते है, और कोई लेज़्बीयन है आमेडबॅड में से, जो सेक्स छत करना चाहती हो, तो ये ईद पर मैल कर सकती है. दोस्तों अगली कहानी के लिए फीडबॅक ज़रूर देना. बाइ, गुड नाइट.
थॅंक योउ वेरी मच.