तीन भाभियों की फुद्दी चुदाई

‘तो होने दो। मंगल, पसंद आई मेरी चूची?’

‘उस दिन तो ये कच्ची थी, छूने पर भी दर्द होता था। आज मसल भी डालो, मज़ा आता है।’

मैंने हाथ छुड़ा लिया और कहा- ‘चली जा, कोई आ जाएगा।’

वो बोली- ‘जाती हूँ लेकिन रात को आऊँगी। आऊंगी ना?’

उसका रात को आने का ख्याल मात्र से मेरा लौड़ा तन गया। मैंने पूछा- ‘ज़रूर आओगी?’ और हिम्मत जुटा कर स्तन को छुआ।

विरोध किए बिना वो बोली, ‘ज़रूर आऊँगी।’

‘तुम उपर वाले कमरे में सोना और एक बात बताओ, तुमने किसी लड़की को चोदा है?’ उसने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर हटाया नहीं।

‘नहीं तो।’ कह के मैंने स्तन दबाया। ओह, क्या चीज़ था वो स्तन। उसने पूछा- मुझे चोदना है?’ सुनते ही मैं चौंक पड़ा।

‘उन्न।।ह।।हाँ लेकिन?’

‘लेकिन बेकिन कुछ नहीं। रात को बात करेंगे।’ धीरे से उसने मेरा हाथ हटाया और मुस्कुराती चली गई।

मुझे क्या पता कि इसके पीछे सुमन भाभी का हाथ था?

रात का इंतज़ार करते हुए मेरा लण्ड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मुट्ठ मारने के बाद भी। क़रीबन दस बजे वो आई।

‘सारी रात हमारी है मैं यहाँ ही सोने वाली हूँ,’ उसने कहा और मुझसे लिपट गई। उसके कठोर स्तन मेरे सीने से दब गए वो रेशम की चोली, घाघरा और ओढ़नी पहने आई थी। उसके बदन से मादक सांस आ रही थी। मैंने ऐसे ही उसको मेरे बाहुपाश में जकड़ लिया।

मेरा पहला चुम्बन बसन्ती के साथ

‘हाय दैया, इतने ज़ोर से नहीं, मेरी हड्डियाँ टूट जाएगी।’ वो बोली। मेरे हाथ उसकी पीठ सहलाने लगे तो उसने मेरे बालों में उंगलियाँ फिरानी शुरू कर दी। मेरा सर पकड़ कर नीचे किया और मेरे मुँह से अपना मुँह टीका दिया।

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उसके नाज़ुक होंठ मेरे होंठ से छूते ही मेरे बदन में झुरझुरी फैल गई और लौड़ा खड़ा होने लगा। ये मेरा पहला चुम्बन था, मुझे पता नहीं था कि क्या किया जाता है?

अपने आप मेरे हाथ उसकी पीठ से नीचे उतर कर चूतड़ पर रेंगने लगे। पतले कपड़े से बनी घाघरा मानो थी ही नहीं। उसके भारी गोल गोल नितम्ब मैंने सहलाए और दबोचे। उसने नितम्ब ऐसे हिलाया कि मेरा लण्ड उसके पेट साथ दब गया।

थोड़ी देर तक मुँह से मुँह लगाए वो खड़ी रही। अब उसने अपना मुँह खोला और जुबान से मेरे होंठ चाटे। ऐसा ही करने के वास्ते मैंने मेरा मुँह खोला तो उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुझे बहुत अच्छा लगा।

मेरी जीभ से उसकी जीभ खोली और वापस चली गई अब मैंने मेरी जीभ उसके मुँह में डाली।

उसने होंठ सिकोड़ कर मेरी जीभ को पकड़ा और चूसा। मेरा लण्ड फटा जा रहा था। उसने एक हाथ से लण्ड टटोला। मेरे कठोर लण्ड को उसने हाथ में लिया तो उत्तेजना से उसका बदन नर्म पड़ गया। उससे खड़ा नहीं रहा गया। मैंने उसे सहारा दे के पलंग पर लेटाया।

चुम्बन छोड़ कर वो बोली- ‘हाय, मंगल, आज मैं पंद्रह दिन से भूखी हूँ, पिछले एक साल से मेरे पति मुझे हर रोज़ एक बार चोदते हैं लेकिन यहाँ आने के कारण मैं नहीं चुदी हूँ मुझे जलदी से चोदो, मैं मरी जा रही हूँ।’

मुसीबत ये थी कि मैं नहीं जानता था कि चोदने में लण्ड कैसे और कहाँ जाता है फिर भी मैंने हिम्मत करके उसकी ओढ़नी उतार फेंकी और मेरा पाजामा निकाल कर उसकी बगल में लेट गया। वो इतनी उतावाली हो गई थी कि चोली घाघरा निकालने से रही। फटाफट घाघरा उपर उठाई और…

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शेष कहानी अगले भाग में !

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