तीन भाभियों की फुद्दी चुदाई

मैं अपने किशोरावस्था में आने पर मेरे भैया की तीसरी पत्नी सुमन भाभी को जब पहली बार नंगा देखा तब मेरे मन में हलचल सी हुई और मेरा भी मन चुदाई को होने लगा..

भैया के चौथी शादी करने का फैसला

नमस्ते!

मैं हूँ मंगल। आज मैं आपको हमारे खानदान की सबसे करीबी बात बताने जा रहा हूँ। मेरे हिसाब से मैंने कुछ बुरा किया नहीं है, हालांकि कई लोग मुझे पापी समझेंगे। कहानी पढ़़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा की जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं।

कहानी कई साल पहले की उन दिनों की है जब मैं अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया, काशी राम चौथीं शादी करना सोच रहे थें।

हम सब राजकोट से पचास किलोमीटर दूर एक छोटे से गाँव मैं ज़मीदार हैं। एक सौ बीघा की खेती है और लंबा चौड़ा व्यापार है हमारा। गाँव मे चार घर और कई दुकानें है मेरे, माता-पिताजी जब मैं दस साल का था तब गुजर गए थें।
मेरे बड़े भैया काशी राम और भाभी सविता ने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया।

भैया मेरे से तेरह साल बड़े हैं। उनकी पहली शादी के वक़्त मैं आठ साल का था। शादी के पाँच साल बाद भी सविता को संतान नहीं हुई। कितने डॉकटर को दिखाया लेकिन सब बेकार गया। भैया ने दूसरी शादी की, चंपा भाभी के साथ तब मेरी आयु तेरह साल की थी।लेकिन चंपा भाभी को भी संतान नहीं हुई।

सविता और चंपा की हालत बिगड़ गई, भैया उनके साथ नौकरानियों जैसा व्यवहार करने लगे। मुझे लगता है कि भैया ने दोनो भाभियों को चोदना चालू ही रखा था, संतान की आस में। दूसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की, सुमन भाभी के साथ।

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उस वक़्त मैं सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में फ़र्क पड़ना शुरू हो गया था।

सबसे पहले मेरे वृषण बड़े हो गए बाद में काँख में और लौड़े पर बाल उगे और आवाज़ घना हो गया। मुँह पर मूछ निकल आई। लौड़ा लंबा और मोटा हो गया। रात को स्वप्न-दोष होने लगा। मैं मुट्ठ मारना सिख गया।

सविता और चंपा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे मन में चोदने का विचार तक आया नहीं था, मैं बच्चा जो था।

सुमन भाभी की बात कुछ और थीं। एक तो वो मुझसे चार साल ही बड़ी थीं। दूसरे, वो काफ़ी ख़ूबसूरत थीं, या कहो कि मुझे ख़ूबसूरत नज़र आती थीं। उसके आने के बाद मैं हर रात कल्पना किए जाता था कि भैया उसे कैसे चोदते होंगे और रोज़ उसके नाम मुट्ठ मार लेता था। भैया भी रात दिन उसके पीछे पड़े रहते थें।

सविता भाभी और चंपा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीं थीं। मैं मानता हूँ है कि भैया चंगे होने के वास्ते कभी कभी उन दोनो को भी चोदते थें।

ताज्जुब की बात ये है कि अपने में कुछ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीं थें। लंबे लण्ड से चोदें और ढेर सारा वीर्य पत्नी की चूत में उढ़ेल दें इतना काफ़ी है मर्द के वास्ते बाप बनाने के लिए ऐसा उनका अंधविश्वास था। उन्होंने अपने वीर्य की जाँच करवाई नहीं थीं।

सुमन भाभी की नंगा बदन देखा

उमर का फ़ासला कम होने से सुमन भाभी के साथ मेरी अच्छी बनती थीं, हालांकि वो मुझे बच्चा ही समझती थीं। मेरी मौजूदगी में कभी कभी उसका पल्लू खिसक जाता तो वो शरमाती नहीं थीं। इसी लिए उसके गोरे गोरे स्तन देखने के कई मौक़े मिले मुझे।

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