अपनी वर्जिनिटी एक आंटी के साथ तोड़ी – १

ही मेरा नामे करी है मेरी आगे 20 है. बिना टाइम वेस्ट किए मैं आपको एक रियल इन्सिडेंट बताता हू जो की मेरे साथ हुआ था जब मैं 12त मे था, यानी अब से ऑलमोस्ट 2.5 यियर्ज़ फेले.

मेरा कॉलेज मेरे घर से ऑलमोस्ट 1 घंटे का रास्ता था वो भी एक्सप्रेस बेस्ट बस से (जो लोग मुंबई से है उनको पता है एक्सप्रेस बस).

मैं 11त मे अपने डॅडी के साथ जाता था तब कॉलेज 12 पीयेम का था आंड अब कॉलेज सुबा 7 का है जिसके लिए मुझे 5:30 बजे की बस पकड़नी पड़ती है. मेरी तरफ से आने वेल स्टूडेंट्स मे से मैं बस अकेला ही था तो सारे रास्ते मे कोई न्ही मिलता कॉलेज का.

एक दिन बारिश का टाइम था वो भी सुबा मैं बस स्टॅंड पर खड़ा था. तब एक लेडी भी वाहा खड़ी थी, मैं देखते हू समझ गया की ये कोई ऑफीस मे काम करने वाली लेडी होगी. क्यू की उन्होने फॉर्मल शर्ट पंत पहेनी थी.

जब एक बस आई तो वो उसमे च्छाद गयी, फिर अगली बस मे मैं च्छाद गया. लेकिन क्या बतौ यूयेसेस लेडी का फेस, बॉडी एक दम मस्त था और उनके बूब्स का तो क्या ही कहना, ऑलमोस्ट 36 के होंगे.

ये ही सोचते सोचते पूरा दिन निकल गया और पूरे दिन मेरा लंड शांत ही नही हुआ.

फिर अगले दिन सुबा 5:20 आम मैं बस स्टॅंड पर था तो वो लेडी भी थी. पूरे बस स्टॅंड पर हम दो ही थे. मुझे पता था की हुमारे अलावा वाहा से कोई बस मे नही च्छाड़ता.

ये सोच ही रहा था तब वो लेडी पास आई और बोली – बेटा ये *** जाने वाली बस कब आएगी? वो उसी बस की बात कर रही थी जिसे मैं पकड़ता हू. बातो बातो मे उन्होने बताया की वो कल उनके न्यू ऑफीस मे पहले दिन था और वो ग़लत बस मे चली गयी थी.

तब उसी पल बस आ गयी और हम च्छाद गये. बस मे ज़्यादा लोग ना होने के कारण वो अलग सीट मे बैठ गयी. फिर मैं मेरे स्टॉप पर उतार गया और वो बैठी ही थी.

ऐसे ही अगले दिन सुबा वो पास आई और बोली – कल तुम्हारे वजह से ऑफीस टाइम पर पहुँची, मैने कहा कोई बात नही. थोड़े बात करते उन्होने अपना नामे बताया “सुनीता”, फिर जब उन्होने अपनी आगे 41 बताई तो मैं हैरान हो गया. इस हैरानी मैं मेरे मूह से निकल गया आप तो 31-32 साल के लगते हो.

वो सुनते ही हस्स पड़ी, फिर बस आ गयी. आज वो मेरे साथ सेम सीट पर बैठी थी.

अगली सुबा बारिश हो री थी और मैं अंब्रेला भूल गया था तो मैं भीग गया था. ये देख कर सुनीता ने अपने बाग से एक छोटा हॅंड टवल लेकर मेरा सिर पोछने लगी.

मैं बैठा था तो उनके बूब्स मेरे सिर के सामने थे. तोड़ा हिम्मत करके मैने अपना फेस उनके बूब्स पर मार दिया. मुझे लगा मैं तो गया काम से, लेकिन उन्होने कुछ न्ही कहा.

फिर बस आ गयी और हम साथ मे बैठे थे. मेरे गीले कपड़ो से उनके भी कपड़े थोड़े गीले हो गये.

थोड़े देर से सफ़र मे उन्होने अचानक मेरी आगे पूछी, मैं 18 बोल दिया. फिर इस पर वो बोली अरे रे तुम मुझे से 23 साल छोटे हो. तुम तो मेरी बेटी से भी छोटे निकले. मुझे ये सुनने अलग ही लगा. फिर वो अपने बूब्स को मेरे साइड मे चिपकती हटती, ऐसा ऑलमोस्ट कई दिन चला.

फिर एक दिन मैं आउट ऑफ कंट्रोल होके उनके बूब्स पर हाथ लगा दिया. वो ये देख कर बहोट गुस्सा हो गयी और सीट चेंज कर दी.

इस दिन के बाद मेरी एग्ज़ॅम स्टार्ट हो गयी जिसके वजह से मैं 10 आम की बस पकड़ने लगा.

एग्ज़ॅम ख़तम हुई तो दीवाली की वाकेशन स्टार्ट हो गयी. ये सब के साथ 30 दिन बीट गये और मुंबई मे सर्दी का सीज़न आ गया था.

फिर कॉलेज स्टार्ट हुए तो मैं फिर से बस स्टॅंड पे खड़ा था. तब मुझे सुनीता आंटी याद आई, मैं दर्र सा गया. 10 मीं स्टॅंड पर खड़ा रहने के बाद दूर से एक मस्त लेडी स्कूटी पर आते दिखी, पास आई तो पता चला ये सुनीता थी.

वो पास आई और रुक गयी और बोली करी बेटा कहा थे इतने दिन?

मैने एग्ज़ॅम्स, वाकेशन की बात बताई.

फिर वो बोली चलो मैं ड्रॉप कर देती हू. तो मैं उनके पीछे बैठ गया. जब कॉलेज पहुँचा तो थॅंक योउ आंटी बोला. तो उन्होने ओके बेटा बोली और साथ मे मेरा नंबर माँगी. फिर बोली सुबा कॉल करूँगी साथ मे चलेंगे. मैं तो मानो हवे मे उड़ने लगा.

अलगे दिन वो सुबा 4:50आम को मुझे फोन करती है और बोलती है की 10 मीं मे आ जाओ. मैं जब स्टॅंड पर पहुँचा तो मेरे लंड से मेरे ट्राउज़र मे टेंट बन गया था, वो नज़ारा ही कुछ अलग था.

दोस्तो सुनीता साउत से थी और उस दिन वो सारी मे थी तो किसी साउत इंडियन आक्ट्रेस जैसी लग रही थी. ये सब देख कर मैं खो गया था तब आंटी ने स्कूटी की हॉर्न बजाई और बोली “कहा खो गये.. जल्दी से बैठ जाओ चलना नही है क्या?”

मैं बिना सोचे बैठ गया.

स्कूटी पर बस दो लोगो के लिए ही जगह थी और हम दोनो के बॅग्स के वजह से हम एकदम चिपक के बैठे थे.

5 मीं का ही सफ़र हुआ था तब एक स्पीड ब्रेकर जो कम लाइट के कारण आंटी को नही दिखा और आंटी ने उस पर से जैसे ही स्कूटी लेकर गयी तो ऐसा लगा की मैं गिर जौंगा. इस दर्र से मैने आंटी की कमर एकद्ूम ज़ोर से पकड़ लिया.

ज़ोर से पकड़ते ही आंटी के मूह से च्चीख निकल गयी. मैने सुनते ही सॉरी बोला और फिर आराम से स्कूटी चलते चलते पहले आंटी ने कॉलेज छ्चोड़ा फिर चली गयी.

बुत दोस्तो क्या बोलू आंटी की सॉफ्ट कमर का फील मेरे हाथो से जेया ही नही रहा था, मानो किसी सॉफ्ट-टॉय की तरह था.

अगले 2 दिन आंटी का फोन नही आया, इस पर मुझे लगा की अब सब ख़तम हो गया.

तीसरे दिन सुबा आंटी का फोन आया और बोली “ही करी कहा हो तुम , 2दिन से फोन नही किया तुमने. कॉलेज जेया रहे हो या नही और कैसे हो?”

तब मैं बोला जा रहा हू बस से.

फिर आंटी बोली “अरे बेटा मुझे फोन कर देता मैं चलती तुम्हारे साथ. और इस पल तुम बस स्टॅंड पर रूको रूको, वही मैं आती हू.”

मैने जी ओके बोला.

सुबा के 5:15आम हो रहे थे आंड नवेंबर एंड था तो अंधेरा भी था काफ़ी. 5 मीं वेट करने के बाद आंटी आई और उनके आते ही मेरा लंड ट्राउज़र मे टेंट बन गया.

ऐसा हुआ क्यू की आज आंटी ने एक मस्त मुल्तिकोलोरेड सारी पहनी थी और स्लीव्ले ब्लाउस. उनके रुकते ही मैं स्कूटी पर बैठ गया. और जब बैठा तो मैने देखा की आज सुनीता आंटी ने जो ब्लाउस पहनी है वो स्लीव्ले आंड बॅकलेस भी था. ये देख कर किसका लंड खड़ा नही होगा!

तब आंटी ने स्कूटी स्टार्ट की और बोली बेटा आज आचे से पकड़ के बैठो नही तो उस दिन जैसा होगा.

मैं एक हाथ उनके शोल्डर पर रखा जिस पर सारी का पल्लू नही था. और एक हाथ आब्वियस्ली कमर पर रख दिया. और फिर हम चल पड़े.

अगले कुछ ही सेकेंड्स मे मुझे पता चल गया की आंटी ने आज ब्रा या तो नही पहनी है या तो स्ट्रेप्लेस्स वाली ब्रा पहनी होगी. ठंडी और अंधेरे की वजह से आंटी स्कूटी स्लो चला रही थी.

जब आंटी की पीठ देखते देखते मई आउट ऑफ कंट्रोल हो गया तो मैने आंटी की कमर ज़ोर से पकड़ ली. इस पर सुनीता का कोई रिक्षन ना देख कर मैने पीछे से चलती स्कूटी पर आंटी की गर्दन और पीठ पर किस करना स्टार्ट कर दिया.

इससे स्कूटी का तोड़ा बॅलेन्स बिगड़ा बुत सुनीता ना संभाल लिया और स्कूटी रोक कर उन्होने बड़े गुस्से से कहा की “पागल अगर गिर जाते तो!”

बस इतना बोल कर स्कूटी स्टार्ट की और चलने लगे. उसके बाद वो हाइवे पर से एक छोटे रास्ते से जाने लगी और मेरे बिना पूछे ही बोली की “ये शॉर्ट कट है और यहा ज़्यादा ठंडी भी नही लगेगी”.

फिर से वो बॅकलेस देख कर मैने आंटी की पीठ पर किस करने लगा और एक हाथ से कमर दबा र्हा था. इस बार आंटी बिना रिक्ट किए चुप छाप एक पेड़ के साइड मे स्कूटी ले कर गयी और वाहा रोक दी.

(दोस्तो यहा से मेरी लाइफ चेंज होने वाली थी.)

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