सुहागरात पर पहली चुदाई के मजे की हिंदी सेक्सी कहानी

मेरा नाम किसन है। इस वक्त मेरी उम्र 36 साल है। मैं एक सामान्य कद-काठी का लड़का हूं। आज मैं आपके साथ अपनी सेक्स लाइफ के किस्से शेयर कर रहा हूं। शुरू से ही मेरा रुझान सेक्स के प्रति बहुत अधिक रहा है। मेरे घर में मेरी मां, मेरी बहन, और मेरी पत्नी रहते हैं। मेरी पत्नी की उम्र 28 वर्ष है। वह स्वभाव से बहुत ही चंचल और प्यारी महिला है। वह देखने में कुछ-कुछ साउथ फिल्म एक्ट्रेस नित्या मेनन के जैसी है।

हमारी शादी एक अरेंज मैरिज थी। पर शादी से पहले हम लोग एक-दूसरे से काफी खुल चुके थे। कई बार शादी से पहले ही फोन पर सेक्स चैट भी किया था। हम अक्सर फोन पर फोन सेक्स किया करते थे। हमें लगा था कि हम सुहागरात में आराम से एक-दूसरे की बाहों में समा जाएंगे, पर सुहागरात के वक्त उसे देख कर उसकी खूबसूरती देख कर मैं अचंभित था।

मैं आज आपको अपनी सुहागरात की कहानी बताने जा रहा हूं। आज शादी का दूसरा दिन था। शादी की थकावट के कारण सभी लोग दोपहर में अपने-अपने रूम में सोए हुए थे। हमारी सुहागरात में अभी देर थी। मेरी पत्नी जिसका ना सृष्टि है, वह आईने के पास बैठी अपने गहने उतार रही थी। तभी मैं अपने दोस्तों को विदा कह कर अपने रूम में आया। ना जाने क्यों हमारे बीच अभी भी एक झिझक थी। मैं उसे चूमना चाहता था, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

वह भी ना जाने क्यों पहल नहीं कर रही थी। हम दोनों ही एक-दूसरे की पहल का इंतजार कर रहे थे। मैंने औपचारिक बातें शुरू की जैसे तुम थक गई हो तो आराम कर लो, या कुछ भूख लगी है तो मैं खाने को ला देता हूं। उसने कहा भूख लगी है। फिर मैं उठा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हल्की सी चुंबन ले ली और जाने को हुआ। उसने मुझे अपनी ओर खींच कर दोबारा अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए। यह चुंबन कुछ मिनट तक चला। फिर मैं उसे रुकने को कह कर किचन की ओर गया, और खाने का एक प्लेट ले आया।

अक्सर मैं खाना अपनी प्लेट में ही खाता हूं। मेरी पत्नी की इच्छा थी कि हम साथ में खाना खाए। यह मेरे लिए थोड़ा असहज था, पर उसकी बात रखने के लिए मैं साथ में खाने के लिए बैठ गया। उसने खाने का पहला कौर बनाया, और मेरी और बढ़ा दिया। मैं उसकी आंखों में देखता रहा और अपना मुंह खोला। उसने बड़े प्यार से खाने का एक‌ निवाला मेरे मुंह में डाल दिया।

मैंने इस वक्त उसे अपनी और खींचा, और उसके गालों को चूम लिया। वह हंसते हुए मेरे नजदीक आई और मेरे होठों को चूम लिया। अब मैंने उसे दोबारा अपनी ओर खींच कर अपने होठों को उसके होंठ पर रख दिया, और चूमने लगा। हमारे होंठ एक-दूसरे से अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। बस हम होठों से होंठ मिला कर एक-दूसरे को चूम रहे थे। तभी उसने इशारे से कहा कि, “बाद में अभी खाना खा लेते हैं”।

फिर हम दोनों ने खाना खाया, और प्लेट रख दी। मैं वापस अपने रूम में आया। यह देखते हुए कि सारे लोग अपने-अपने कमरे में सोए हुए थे, मैंने दरवाजा बंद कर दिया। मेरी पत्नी ने मुझे इशारे से कहा कि, “अभी मत बंद कीजिए, लोग क्या सोचेंगे”? मैंने कहा, “कुछ नहीं सोचेंगे, तुम मेरे पास आओ”। मैंने उसे अपनी और खींच कर गले से लगा लिया। यह हमारा पहला आलिंगन था। पहली बार स्त्री के शरीर के सुख से मैं भाव विभोर हो चुका था।

मैंने दोबारा अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए, और यह चुंबन काफी लंबा चला। मैं सुहागरात के लिए वेट नहीं करना चाहता था। मैंने पीछे हाथ बढ़ा कर उसके ब्लाउस को खोलने की कोशिश की, पर ब्लाउज मुझसे ना खुल पाया। मेरी पत्नी ने हंसते हुए मेरे दोनों गाल को पकड़ा, और मेरे होठों को चूम लिया और बोली, “आपको यह भी नहीं आता”?

फिर उसने बिल्कुल सहजता से ब्लाउज खोल दिया। अब उसके स्तन मेरे सामने ब्रा में कैद किसी पहाड़ी नुमा चोटी के जैसे लग रहे थे। उसके सफेद संगमरमर सी छातियां मेरे सामने थी। उसकी ब्रा उसके स्तनों को ढक नहीं पा रही थी। मैंने आज पहली बार किसी लड़की के स्तन इस तरह से देखे थे। मैं जल्दी से उन्हें ब्रा से आजाद कर देना चाहता था। मैंने ब्रा के हुक को खोलने की कोशिश की, पर फिर से नाकाम रहा।

मेरी पत्नी ने हंसते हुए सहज भाव से अपनी ब्रा को खोल कर अलग कर दिया। मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर अपने सर को उसके बीच में घुसा दिया, और उसे चूमने लगा। उसे नजदीक से गले लगा कर, उसके लहंगे को अपने हाथों से उठा कर, उसके नितंबों पर हाथ फेरने लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी पेंटी बहुत ही टाइट थी। मैंने पेंटी के किनारों पर उंगली रख कर उसकी पेंटी को उसके नितंबों से अलग किया, और उसके नितंबों को सहलाना शुरू किया।

फिर उसके चूचों को मुंह में भर लिया। मेरी पत्नी आंखें बंद करके यह आनंद ले रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया। उसके लहंगे की डोरी खोलते हुए मैंने उसे उसके बदन से अलग करना चाहा। उसने समर्थन देते हुए अपने नितंबों को ऊपर की ओर उठाया। उसकी अधखुली हुई पेंटी से उसकी योनि झांक रही थी। उसकी पूरी के समान फुली हुई योनी देख कर मैं ललायित हो रहा था। मैंने उसकी पैंटी को उसके पैरों से निकाला तो पाया कि उसकी पैंटी की योनि वाली जगह पर योनी रस लगा हुआ था।

मैं उसे यह दिखा ही रहा था कि वह शर्मा गई। मैं उसकी बुर को देखने लगा। वह दोनों पैर एक-दूसरे पर चिपकाए लेटी रही। मैं चाहता था कि उसके पैरों को खोल दूं, और उसकी योनि पर मुंह लगा दूं। पर मैं रुका रहा, और उसकी योनि को निहारता रहा। मेरी पत्नी ने आंखें खोल कर मेरी तरफ देखा जैसे पूछ रही हो किस चीज का इंतजार है। मैंने उसके पैर फैलाए, और उसकी योनि को जी भर कर देखने लगा। मैंने उसके जांघों को एक-दूसरे से अलग किया। उसकी योनि दरार अभी भी चिपकी हुई थी, पूरी तरह से कुंवारी।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी योनि को फैलाया, और एक गर्म फूंक उसकी योनि पर दे मारी। वह गर्म सांस के चुंबन को बर्दाश्त ना कर पाई, और सिहर उठी। मैंने पाया कि उसकी योनि से योनि रस बह रहा था, और उसकी योनि रस से उसकी योनि चमक रही थी। इतने में उसने मेरा हाथ खींच कर मुझे अपने ऊपर ले लिया। मैं उसके ऊपर सीधा लेट गया। मेरा लिंग सीधे उसकी योनि पर चिपक गया।

मैंने अपनी कमर को हिला कर उसकी योनि की दरार पर अपने लिंग को एडजस्ट किया। उसने भी अपने पैर खोल के मेरे लिंग का स्वागत किया। मेरी छाती उसके स्तनों से चिपकी हुई थी, और हमारे होंठ मिले हुए थे। मुझे उसकी योनि का योनि रस अपने लिंग पर महसूस हो रहा था। मैं अपनी कमर को हिला कर उसकी योनि को रगड़ रहा था। उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। मैंने उसकी गर्दन को और उसके कान के ठीक नीचे चूमना शुरू किया।

उसके मुंह से लव यू जान निकला। मैंने भी उसे लव यू टू जान कहा, और अपने लिंग को उसकी योनि पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू किया। मेरा लिंग उसकी योनि से पूरी तरह भीग चुका था। मैं उठा और बिस्तर से नीचे खड़ा हो गया। उसके दोनों पैरों को खींच कर मैं उसे बिस्तर के किनारे पर लाया, और उसकी बुर में अपना मुंह लगा दिया। मैं उसकी बुर की लकीरों पर जीभ फिराता हुआ उसके कट तक गया, और उसके किशमिश नुमा कट को चुभलाने लगा।

उसकी बुर में एक उंगली के बराबर छेद था। मैंने एक बार अपनी बहन का बुर चूसा था। वह कहानी मैं बाद में बताऊंगा। मेरी बहन का बुर अंदर से भूरे रंग का था, पर यह बुर बिल्कुल लाल था। उसकी बुर से एक मादक खुशबू आ रही थी, और स्वाद नमकीन लग रहा था। मैं उठा और अपने लिंग को उसकी योनि के अग्रभाग में लगाया। उसने सहजता से अपने दोनों पैर फैला दिए, और मैंने अपने लिंग का प्रवेश उसकी योनि में कर दिया, और उसके ऊपर लेट गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैंने इतनी आसानी से अपना लिंग उसकी योनि में उतार दिया था।

उसकी योनि इतनी गीली थी कि सहायता से लंड को अपने अंदर समा लिया। मैंने उसके चेहरे पर देखा वह आंखें मूंदे पड़ी थी। उसकी आंखों में एक बूंद आंसू आ गए थे। शायद यह दर्द के आंसू थे। उसकी आंखों को चूम कर मैंने अपने लिंग को धीरे-धीरे बाहर निकाला, और फिर धीरे-धीरे अंदर किया। मैंने उससे पूछा कि, “क्या मैं चालू रखूं”?

उसने बस मुझे जोर से कस लिया और मैंने तीन-चार धीमे-धीमे धक्के उसकी बुर पर लगने शुरू किए। अब वो आंखें खोल कर मुझे देखने लगी। मैंने इसे समर्थन समझा, और फिर से धक्के लगना शुरू किया। उसने फुसफुसाते हुए कहा, “और तेज”। मैंने आठ-दस तेज धक्के मारे। फिर मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊंगा, तो मैंने लंड को बाहर निकाल लिया। उसने मुझे अपनी आंखों के इशारे से ही पूछा, “क्या हुआ”? मैंने कहा, “कुछ नहीं”।

मैं उसे यह जताना नहीं चाहता था कि मैं झडने वाला था। मैं उससे कहा कि धीरे-धीरे करेंगे और मैं उससे अलग हुआ और उसकी योनि को देखने लगा। मैंने देखा उसकी योनि खुली हुई थी। मेरे लिंग पर इसका सफेद-सफेद योनी रस लगा हुआ था। मैंने उसे अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए दिखाया, “तुम्हारा रस मेरे लिंग पर लगा हुआ है”। वह देख कर शर्मा गई। फिर अपने ब्लाउस को उठा कर मेरे लिंग को पोंछ दिया। मैं घुटनों के बल बैठ कर उसकी योनि को चूमने लगा।

वह जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी। वह कमर हिलाने लगी। मैंने उसके कट को अपने दांतों से दबाया, और उसके मुंह से संस्कारी निकल पड़ी। फिर वह झड़ गई। झड़ते समय उसने मेरे चेहरे को अपनी बुर में दबा दिया। उसने इतनी जोर से दबाया, कि मैं सांस भी नहीं ले पा रहा था। पांच-दस सेकंड के बाद मैं उससे अलग हुआ। वह शर्मा कर पलट गई। अब उसके नितम्ब मेरे सामने थे।

मैंने उसके नितंबों को बारी-बारी से चूमा, और उसकी पीठ को सहलाता हुआ उसके बगल में लेट गया। मैं गर्ववानवित था कि मैंने अपनी पत्नी को सेक्स का सुख दिया। मैं अभी भी झड़ा नहीं था। वह दुपट्टा अपने कमर में बांधते हुए बाथरूम की ओर बढ़ी और दरवाजा बंद कर दिया। अंदर से नल खोलने की आवाज आई। मैं उसके पीछे-पीछे गया तो पाया कि वह यूं ही बैठ कर सुसु कर रही थी। मुझे यूं देख कर वह शर्मा गई। वह यह नहीं चाहती थी कि मैं उसे सुसु करते हुए देखूं।

उसने मुंह बनाया तो मैंने कहा कि, “मुझे भी पेशाब करना है”। फिर वह अपना सर अपने हाथों से पकड़ कर पेशाब करने लगी। मैं उसके पीछे गया और अपना हाथ पीछे से उसके नितंबों से होते हुए उसकी योनि पर रख दिया। वह इस अचानक हमले से चमक गई। उसकी पेशाब की धार मेरे हाथों से होते हुए जमीन पर जा रही थी। उसका गरम-गरम पेशाब और उसकी कोमल चूत मुझे गजब का एहसास दे रहे थी। मैंने उसकी चूत को अपने हाथों से मलना शुरू किया, और एक ऊंगली उसकी चूत में डाल दी। वह पेशाब करती रही और मैं मलता रहा।

फिर वह खड़ी हुई और मुझे चपत लगाते हुए मेरे हाथों को पकड़ कर एक मग पानी मेरे हाथों में डाला। फिर अपनी चूत पर डाला और मुझे कहा, “यह क्या था?” मैंने कहा, “अब जो कुछ तुम्हारा है, वह मेरा है”। फिर मैंने उसे अपनी ओर खींचा और गले लगा लिया। मेरा लिंग उसकी नाभि पर चिपक गया था। मैंने उसके कमर को जोर से सटा लिया, और उसके एक पैर को उठा कर अपनी‌ कमर पर बांध दिया। वह समझ नहीं पाई मैंने उसे गोद में उठा लिया।

अब उसने खुद ही दूसरा पैर मेरे कमर पर बांध दिया। मैंने उसके नितंबों को उठा कर लिंग को उसकी योनि पर एडजस्ट किया। उसे लगा कि मैं उसे दोबारा चोदने वाला था। पर मैंने अपने पेशाब की धार उसकी योनि पर छोड़ दी। वह मुझसे लिपट गई और मेरे गर्म पेशाब की धार उसकी चूत से होते हुए मेरी जांघों से बहने लगी। मैंने जितना हो सके तेज पेशाब करना शुरू किया, और शावर को चला दिया। हम दोनों भीगने लगे।

पानी की एक-एक बूंद का एहसास और अपनी पत्नी के जिस्म की गर्माहट साथ ही पेशाब की धार कमाल कर गई। मैंने रश्मि को गोद से उतारा और उसके चूचों को चूसने लगा। मेरा एक हाथ उसके नितम्ब के छेद को रगड़ रहा था, और दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था। मेरी पत्नी ने मुझे चूमते हुए मुझे नहलाना शुरू किया। उसने बड़े प्यार से मेरे पूरे शरीर को साफ किया और मुझे गले लगा लिया।

हमने तौलिया से एक-दूसरे को पोंछा। इस बार मेरी पत्नी ने शरारती अंदाज में मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बाहर की ओर चलने का इशारा किया। मैं बस उसके पीछे-पीछे पलंग पर गया और लेट गया। वह भी मेरे बगल में लेट गई, और मेरे लिंग को सहलाते हुए मेरी छाती पर अपना सर रख कर मुझसे बातें करने लगी। हम कुछ देर तक बातें करते रहे।

फिर मैंने उससे कहा कि,‌ “अपने छुटकु को प्यार नहीं करोगी”? वह मेरे लंड को प्यार से छुटकु कहती है। मैंने उसका सिर अपने लंड की ओर किया। उसने बड़े प्यार से मेरे लंड का अग्र भाग मुंह में लिया, और चूसते हुए मुझे आंख मारी। मैंने कहा, “पूरा लेलो मेरी जान”। वह मेरे लंड को अपने मुंह में भर कर धीरे-धीरे अपनी गर्म सांसे उस‌ पर छोड़ते हुए चूसने लगी। यह मेरा पहला ब्लोजॉब था।

फिर वह उठी और मेरे ऊपर बैठ गई।उसकी बुर ठीक मेरे लंड के ऊपर थी। उसने लंड को अपनी बुर पर सेट किया, और बैठ गई। फिर वह आगे का तरफ झुक कर मुझ पर लेट गई। मैंने उसके नितंबों को पकड़ कर हिलाना शुरू किया। उसकी बुर का गरम एहसास मुझे पागल कर रहा था। वह उठी और दोनों पैरों पर बैठ कर अपनी बुर को ऊपर-नीचे करना शुरू किया।

ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझे चोद रही थी। मैंने इस पोजीशन में उठ कर उसे गले लगा लिया। अब वह ठीक मेरे गोद पर बैठी हुई थी। मेरा लंड उसकी बुर में समाया हुआ था। उसके पैर मेरे कमर में लिपटे हुए थे, और हम चुंबन लेते हुए कमर हिलाये जा रहे थे। मेरी सिसकारी निकल रही थी। मैं जोर से सिसकारियां लेते हुए झड़ने लगा। वह भी मेरे साथ-साथ झड़ ग‌ई। अब हम कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर वह मुझसे अलग हुई और मेरे लिंग को सिकुड़ा हुआ देख कर हंसने लगी, और उसे चूम लिया। हम एक-दूसरे की आगोश में गहरी नींद में सो गए।

यह कहानी भी पड़े  विदेशी महिला मित्र के साथ सेक्स सम्बन्ध


error: Content is protected !!