मेरी मदमस्त रसीली चूत का नशा

ही दोस्तों मैं हूँ 36 साल की गोरी लंबी रसीली कातीली पुष्पा. मेरी बड़ी बड़ी गोल गोल गोरी गोरी पर बिल्कुल कसी हुई बूब्स. मेरे लंबे काले नागिन सी बाल. मेरी कजरारी आँखें तीखे नैन नक्स. कोमल सराब की बोतल नुमा मेरे बदन. उस पर मेरी मदमस्त रसीली छूट हर एक को नशे से भर देती है.

मेरी मदमस्त रसीली छूट का नशा जिसने भी चखा वो मेरा गुलाम बन के रह गया. आज मैं अपनी मस्त चुदाई की दास्तान आपको लोगों को सूनवँगी. मुझे पूरा विश्वास है आप भी मेरी इश्स कहानी को पढ़ छोड़ने और छुड़वाने के लिए ब्यकुल हो जाओगे.

चलिए तो मैं अब आपका ज़्यादा वक़्त जया ना कर सीधे कहानी पर आती हूँ.

मेरा ट्रान्स्फर पटना से गंगटोक हो गया था. मुझे इश्स फ़ैसले से अच्छा तो नही लगा पर आदेश का पालन तो करना था. सो मैने गंगटोक जाने का फ़ैसला कर लिया.

निर्धारित डटे को मैं गंगटोक के लिए रवाना हो गयी. यात्रा के बीवियन्‍न चर्नो को पूरा करते हुए मैं गंगटोक पहुच गयी. मेरा कार्यस्थल गंगटोक से कार्ब 15 किलोमीटेर दूर था. सो मैने उस रत के लिए होटेल ले ली रूम बॉय जिसका नाम रंजीत था. लंबा च्चारहरा एकद्ूम स्मार्ट हॅंडसम बॉय था. ने मेरा समान होटेल के कमरे मे सिफ्ट कर दिया.

फिर अभीबादन करते हुए मुझे निहारते हुए बोला.. माँ किसी चीज़ की ज़रूरत हो इंटेरकोमे से बोल देना. रणजी की स्पोर्टी बदन को देख मुझे भी कुच्छ कुच्छ होने लगा था.

मैं सोच रही थी कसह इश्स हॅंडसम बॉय का लंड खाने को मुझे मिल जाता. मैं ख्यालों में खो गयी थी. रंजीत ने दुबारा आवाज़ दी माँ कोई कम हो मुझे याद कर लेना.

मैं बेझिझक बोल गयी.. मुझे तो तुम्हारी ही ज़रूरत है. सुनकर रंजीत मुसाकुराया बोला 10 भजे तक मेरी ड्यूटी है, फिर मैं आपके पास आता हूँ.

मैने मुसाकुराते हुए ओक बोली. रंजीत को 500 सौ का नोट पकड़ते हुए बोली ड्रिंक का इंतज़ाम के साथ आना. ओक मेडम कहते हुए रंजीत चला गया.

मैं फ्रेश होने बातरूम गयी. फ्रेश होके रूम में लगे टीवी को ओन्न की फिर मैं अडल्ट पिक्चर खोजने लगी. टाइम पास होता जेया रहा था. मैं रंजीत के ख्वाबों में खोते जेया रही थी. मॅन में ताने बने बुन रही थी, 18 साल का नया छ्हॉकरा है, सेयेल से मैं ऐसे चुड़ववँगी वैसे चुड़ववँगी.

इसी करम में मुझे एक चॅनेल पर ब्लू फिल्म चलते हुए मिला. उसमे भी एक आंटी जो लगभग मेरी ही आगे की थी. उसको एक छ्हॉकरा एकद्ूम बेदर्दी से छोड़ रहा था. विशाल लंड का मल्क था वो सला. औंती भी कोई कम ना थी, उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ चूड़ते हुए एकद्ूम से उच्छल रही थी.

इसी समय दरवाजे पर दुस्तक हुई, मैने दरवाजे को खोली सामने रंजीत मुसाकुरा रहा था. मैं रंजीत के गले को पकड़ के झूल गयी. मेरी बड़ी बड़ी चुचियाँ रंजीत के सिने से टकरा रही थी. और मेरी चुचियों की टकराहट से रंजीत गरम हो रहा था.

बोला – आपके बदन की गर्मी मुझे गरम कर रही है.

मैं बोली – मेरी मदमस्त रसीली छूट का नशा जब तुम्हे लगेगा, देखना कैसे तुम मेरे गुलाम बन जाओगे.

कहते हुए मैं रंजीत के पैंट की जीप खोलने लगी. रंजीत भी मेरी चुचियों को सहलाने लगा. मैं तो घंटे भर से छुड़वाने के लिए ब्यकुल थी.

नाइट गावन् के अतिरिक्त मेरे बदन पर कुछ भी नही था. एक झटके में मैने अपना गावन् उतार दी. अब मेरी बड़ी बड़ी गोरी चुचियाँ हवा में लहराते हुए रंजीत को ललकार रही थी. और कह रही थी आजा बेटे चुचियों का मज़ा ले ले. नीचे मेरी मदमस्त रसीलीचूत भी रंजीत के लंड को ललकार रही थी.. आजा आजा अपना दूं मुझे दिखा जेया, मेरी ललकार का असर हुवा.

रंजीत मेरी चुचियों को मसालने सहलाने तथा चाटने लगा. मैने सराब की बोतल को अपनी चुचियों पर उदेलने लगी. रंजीत मेरी चुचियों पर से गिरते सराब को पी रहा था.

इश्स कामुक नज़ारे का गजब आनंद मिल रहा था मुझे. मैने रंजीत को नीचे झुकने का इशारा किया. सला गजब का खिलाड़ी था झट मेरी छूट पर पहुच गया. अपनी जीभ मेरी छूट उसने लंड को छूट के मुहाने पर फिट कर जोरदार शॉर्ट लगाया. पूरा लंड बिना पर फिरने लगा.

कभी कभी वा अपना जीभ मेरी छूट के अंडर भी दल देता था. मैं मस्त हो रही थी, मैने छूट पर भी सराब को उदेला सराब छूट पर होकर बह रहा था. रंजीत पी के मज़ा ले रहा था.

मेरी छूट अब बर्दस्त नही कर पा रही थी लंबे मोटे लंड को अपने उंड़र लेने को, उफान मचा रही थी. मैने रंजीत के मोटे लंबे लॅंड को हाथ मे ले सहला रही थी बार बार फिंगटे लंड को छूट पर रख रही थी.

रंजीत समझ गया था, उसने लंड को छूट के मूह पर सेट किया और जोरदार धक्का लगा. दिया पूरा लंड बिना किसी रुकावट के फिसलता हुवा छूट में समा गया.

लंड को छूट में ले मैं असीम आनद की अनुभूति कर रही थी, लंड का मज़ा ऐसा था जिसे मैं कलाम से नही बयान कर सकती. मैं तो बस ये अपील करूँगी अपनी तमाम बहनो से कोई मज़ा लो या ना लो लंड का मज़ा ज़रूर लिया करो.

रंजीत ढाका धक मुझे छोड़ रहा था. उसके छोड़ने की रफ़्तार से मैं फील कर रही थी उसे मुझे छोड़ते हुए कितना मज़ा मिल रहा था. रंजीत पूरी ताक़त से मुझे छोड़ रहा था. मई जन्नत का मज़ा ले रही थी, मेरी छूट सिकुड़ने लगी थी, बदन कपने लगा था और ये मेरी छूट से अमृत की धार बह गयी.

रंजीत इश्स पल को महसूस कर चुका था. उसके लंड का रफ़्तार मेरी छूट के उंड़र उच्चतम बिंदु पर पहुच चुका था. उस के लंड भी पूरा फूल कर फ़चफच मेरी छूट को छोड़ रहा था. रंजीत का बदन मे भी कंपन हुवा वा आ आ.. के साथ लंड के मदन रस को छूट में फीचकारी की तरह मार रहा था.

मैं तो आत्म बिभोर हो गयी थी. रंजीत मेरे बदन पर लुढ़का हुवा था. मैने रंजीत को हिलाई, रणजी उठा बिना देर किए वा पुनः छोड़ने की तैयारी मे लग मेरी छूट को छत छत कर साफ करने लगा.

18 साल का बांका जवान रात भर मेरी चुदाई करता रहा. मैं खुश थी और सोच रही थी छोकरे के चुनाव में मैने कोई ग़लती नही की. रंजीत मेरी मदमस्त रसीली छूट का नशा ले गुलाम हो चुका था.

सुबह के 08 बाज गये थे, मैं अपने कॉलेज के लिए निकल पड़ी थी. पहुच कर जाय्निंग की प्रकारिया पूरी कर मैं होस्टल अपने रूम में आ गयी थी. सारा चीज़ अरेंज करते हुए दिन बीत चुका था.

मैं सो गयी पता ना चल कैसे रत बीत गयी. आज यान्हा मेरी पहली क्लास थी. मैं अपने स्टूडेंट्स को पढ़ा रही थी साथ ही एक ऐसे स्टूडेंट की तलाश कर रही थी जिससे मई मदद ले साकु अपने छ्होटे मोटे कम में.

मेरी नज़र बार बार एक लड़के पर टिक जेया रही थी. उसका नाम था दीपक, प्लस टू का स्टूडेंट था. वो भी नीची निगाहों से मुझे घूरता रहता था. अपने पास बुला कर मैने उससे थोड़ी बातें की, उसके बिसे में जानकारी ली, दूसरे दिन मिलने को कहा.

मैं अपने होस्टल में चली गयी. आज सनडे का दिन था, मैने दीपक को बुलाया आस पास कोई टूरिस्ट प्लेस की जानकारी ली. दीपक ने मुझे नाथुला पास के बिसे में बताया जो वान्हा से बिके से दो घंटे की दूरी पर था.

मैं दीपक के साथ उसके बिके से नाथुला के लिए निकल पड़ी. अछा रमणीक जगह थी, पहाड़ियों से घिरी हुई, एक छोटी सी पहाड़ी पर एक मंदिर था. मंदिर के लिए हम लोग पहाड़ी पर उपर चढ़ रहे थे.

थोड़ी दूर के बाद ही मैं उपर जेया नही पा रही थी. मैं लोटने के लिए बोल रही थी तभी दीपक ने मुझे उसकी पीठ पर सॉवॅर होने का ऑफर दिया. तो मैं मान गयी, मेरा मॅन भी तो दीपक के करीब से करिबटर होना चाह रही थी.

मैं दीपक की पीठ पर सॉवॅर हो गयी. मेरी बड़ी बड़ी चुचियाँ दीपक के गर्दन से रग़ाद खा रही थी. मुझे तो मज़ा मिल रहा था दीपक बेचारा मुझे धोए जेया रहा था.

मंदिर पहुच कर दीपक ने मुझे नीचे उतरा. दीपक उत्तेजना से भर गया था मुझे ये फील उसकी पीठ से नीचे उतरने पर हुवा. हम लोग एक सुनसान जगह पर बैठे बातें कर रहे थे.

दीपक के हाथों में मेरा हाथ था, वा लगातार मेरे हाथों को सहला रहा था. फिर उसने मेरे होतो को चूमने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था मई भी दीपक को चूमने चाटने लगी. दोनो के बीच की दूरियाँ मिटने लगी.

यही दीपक वन्हि पर मुझे छोड़ना चाह रहा था. लेकिन मैने माना कर दिया. दीपक ज़ोर ज़ोरी करने लगा लेकिन मैने उसे समझाया आउटडोर में करना ठीक नही, चलो होस्टल में पहुच कर जाम के चुदाई करते हैं.

दीपक राज़ी हो गया, मैने दीपक को अपनी मद मस्त रसीली छूट का नशा पीला कर गुलाम बनाने की पूती तैयारी कर ली थी. की गंगटोक में रहते हुए मुझे ना तो लंड के लिए भटकना पड़े और नही किसी और कम के लिए.

सोचते हुए हम लोग होस्टल फूच गये. होस्टल में पहुच कर मई जी भर के चुडवाई. कैसे चुडवाई ये मैं अब आयेज की कहानी में बतावुँगी.

कहानी अची लगी तो मुझे मेरे ए-मैल पर या साइट के कॉमेंट बॉक्स में बताना

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