हेलो फ्रेंड्स. यह कहानी शिवानी की ज़िंदगी की है और मई भी इसका एक छोटा सा हिस्सा हू.
शिवानी के फॅमिली मे 7 लोग थे. मा बाप शिवानी 1 बड़ी 1 जीजा और 2 छोटी बाहेने.
मा : वसन्ती
बाप : विजय
बड़ी बाहें : नेहा, आगे 23.
जीजा : अशोक, आगे 29.
छोटी बाहें : जनवी, जेम्मी 16,17
आंड शिवानी : आगे 19
शिवानी के मा बाप क बीच मे कुछ खास रिश्ता नई था बात भी मुश्किल से होती थी.
वसन्ती के काफ़ी सारे अफेर्स थे. प्यार क लिए नही सिर्फ़ पैसो के लिए. एक जाता तो दूसरा आता और यह बात घर मे भी सबको पता थी. आए दिन कोई न कोई यार घर आकर उसको ठोकता था. यह महॉल होते हुए भी सब नॉर्मल थे और ज़िंदगी चल रही थी.
शिवानी को पास के ही गाव मे टेक्सटाइल वर्कशॉप मे काम मिल गया था. वाहा वो लोग बॅग्स बनाते थे. काफ़ी औरते ओर लड़किया भी थी जो काम करती थी वाहा.
वाहा 1 मॅनेजर था राकेश. 1 नो का तर्की ओर चाँदी. सबको पता थी यह बात. लेकिन वो किसी लड़की या औरत क साथ ज़बरदस्ती नही करता था. प्यार से या पैसो से ही उनकी ठुकाई करता था.
शिवानी को यूयेसेस वर्कशॉप मे काम करते हुए कुछ दिन हो गये थे. वो देखती के कभी कभी कोई लड़की मॅनेजर के साथ ऑफीस मे जाती ओर 2 – 2 घंटे बाद बाहर आती.
बाल बिखरे हुए लिपस्टिक फैली हुई कभी कपड़े ठीक नही तो कभी कभी ऑफीस से आहह. धीरे… बस भी करो… उउउइई मा की आवाज़े आती रहती.
3 महीने निकल गये अब राकेश की नज़र शिवानी पे पड़ी.
राकेश : हेलो शिवानी जी.
शिवानी : जीई राकेश भाई कुछ काम था क्या?
राकेश : कितना कमा लेती हो?
शिवानी : जी 9000.
राकेश : बस इतने मे घर चल जाता है?
शिवानी : बस घर ही चलता ह बाकी कुछ भी नही, ज़िंदगी क मोज सोख पूरे नही होते.
राकेश : क्या मोज सोख चाहिए तुम्हे ज़िंदगी मे?
शिवानी : सब जो अमीर लड़किया करती ह और हा 1 अक्तिवा भी.
राकेश : मे दिलवा सकता हू तुम्हे सब लेकिन बदले मे 1 डील ह.
शिवानी : क्या???
फिर वो शिवानी को अपने ऑफीस मे ले गया. शिवानी पहली बार ऑफीस मे गयी थी. ऑफीस मे 1 सोफा था 1 टेबल और 1 बाँध अलमारी.
राकेश : डील ये है की 9000 के अलावा भी मे तुम्हे पैसे दूँगा. लेकिन पैसो के बदले मे मुझे भी कुछ चाहिए.
राकेश ने फिर एक मेनू कार्ड जैसा शिवानी के हाथ मे दिया. शिवानी देख के शॉक हो गयी.
मेनू.
किस : 500
नेकेड किस : 1000
नेकेड किस 2 : 2000 ( साथ बूब्स दबाना गंद दबाना छूट मे उंगली करना.)
लंड चूसना : 3000.
नंगी होके लंड गले तक उतार लेना : 5000.
ठुकाई : 10000.
और गांद मरवाने के 15000.
राकेश बोला इसके अलावा भी काफ़ी डील्स है अगर तुम करना चाहो तो. शिवानी खड़ी होके बाहर चली गयी और अपनी दोस्त सोनल को सब बताया.
सोनल मुस्कान क साथ बोली : अरे शिवानी, मई खुद 2 बार मॅनेजर का लंड चूस चुकी हू.
शिवानी के पास कोई जवाब नही था. रात को उससे नींद नही आई और ब्स मॅनेजर के बारे मे ओर डील क बारे मे सोच ने लगी.
दूसरे दिन उसने डिसाइड किया के वो मॅनेजर से चुदाई करवाएगी.
कोंसि वर्जिन हू जो दर्र रही पहेले भी 3 लोगो से छुड़वा चुकी हू वो भी फोकट मे.यहा तो पैसे भी मिलेंगे.
शिवानी पहेले भी 3 लोगो से चुड चुकी थी लेकिन प्यार से. योग.जीजा अशोक और एक मे.वो बाड़मे बतौँगा.
तो डोपेहर को लंच टाइम क बाद शिवानी ऑफीस मे गई वाहा पहेले से एक आंटी मॅनेजर का लंड चूस रही थी.
र : आओ शिवानी बेतो.
स : क्या डील चूस की ह आंटी ने.
र : सिर्फ़ चुस्के चली जाएगी.और तुमने क्या चूस किया ह.
स : पूरी ठुकाई वाली.
आंटी जैसे ही हट जाती ह ओर शिवानी लंड देखती ह.उसकी आँखे ओर गंद दोनो फटत जाते ह.करीब करीब 9″ का कला मोटा लंड वो भी सख़्त खड़ा हुआ.
शिवानी : नही नही मे इससे नही चुड सकती.देख कर ही फटत गई आंड जाएगा तो क्या होगा.
र : अरी कुछ न्ही होगा यह रेखा आंटी से पूछो यह भी ले चुकी ह.
आंटी : हा बेटा पहेले 2 3 बार मुस्केलि होगी बाड़मे आदत पड़ड़ जाएगी.लंड ओर पैसे दोनो की.
शिवानी ने दर्द क उपर पैसो को चुना और घुटनो को बाल बैठ क लंड धीरे धीरे उपर नीचे करने लगी.
शिवानी ने काफ़ी खूबसूरत बाल थे.सिल्की स्मूद.
यूयेसेस दिन उसने पोनी टेल बनाई हुई थी.
राकेश ने पोनी टेल पकड़ी ओर मूह मे लंड घुसने लगा.
अब राकेश ने ज़ोर लगा क गले तक लंड ले गया.शिवानी क आँख मे आँसू निकल रहे थे.
यह देख कर राकेश ने लंड बाहर निकाला.जैसे ही लंड बाहर आया शिवानी ज़ोर ज़ोर से ख़ास्स कर रोने लगी.
राकेश ने पोनी टेल की रब्बर निकल क बाल खोल दिए.
और वापस ज़ोर ज़ोर से शिवानी के मुहह को ठोकने लगा.
कभी बाल खिचता कभी समेत लेता फिर लंड दबाता कभी चुस्वता.
करीब आधे गाँते बाद एक तेज धार शिवानी क माथे पे पड़ी.
घाड़ा वीर्य ढेर सारा.
मॅसिव कम शॉट उ कनव गाइस.
ऐसा लग रहा था शिवानी ने बालो मे आयिल लगाया हो.
आंटी ने फिर शिवानी को संभाला.
थोड़ी बाद राकेश ने कहा आज ब्स इतना ही बाकी का कल.
शिवानी यह सुन क खुस हुई ओर सोचा हाय बच गई आज.
फिर उसने वो सारा माल जो बालो पे था उसको हाथो से ही आयिल की तरह बालो पे लगा लिया ओर बहाल चली गई.
बाहर जाते ही सोनल ने पूछा यह बाल कैसे बिखर गये.
शिवानी : जैसे टुजे पता ही नही ह हाँ???
सोनल : सिर्फ़ मूह की ही ठुकाई हुई ह लगता ह अभी तक.
शिवानी : हा लेकिन टुजे कैसे पता.
सोनल : कई औरते ह जो ऑफीस से बाहर आती ह तब बालो क साथ साथ उनकी टांगे भी लंगड़ाई रहेती तो पता चल जाता ह क किस किस जगह की ठुकाई हुई है.
शिवानी : मैने इतना बड़ा लंड कभी नही लिया.
सोनल : मैने भी नही लिया लेकिन ट्राइ करूँगी लेने की.
फिर दोनो ने बाते की ओर शाम को घर चली गई.
आयेज और भी मज़ा आएगा फरन्ड.
हा थोड़ी बोरिंग लगेगी स्टार्टिंग मे लेकिन जब कहानी घर पे आएगी तब बहोट मज़ा आएगा.
यह कहानी 50% सच्ची ह ओर 50% काल्पनिक.
थॅंक योउ फरन्ड जल्दी मिलेंगे अगले पार्ट मे.