सेक्सी टीचर को पति से बचाया और चोदा

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम अरमान है. मैं 26 साल का हू, और मेरी शादी हो चुकी है. देल्ही से हू मैं, और मेरा अपना छ्होटा सा बिज़्नेस है. आज जो मैं कहानी आप सब के साथ शेर करने जेया रहा हू, वो मेरे कॉलेज टाइम की कहानी है. तब मैं 20 साल का था. उस वक़्त मेरा लंड 6.5 इंच का था. तो चलिए अब मैं कहानी शुरू करता हू.

मैं कॉलेज में कॉमर्स का स्टूडेंट था, और हमे अकाउंट्स पढ़ती थी ललिता मेडम. जिस दिन मैने उनको पहली बार देखा था, उसी दिन से मैं उनका दीवाना बन गया था. ललिता मेडम मॅरीड थी, और उनकी एक बेटी भी थी. उनकी उमर 28 साल थी, और रंग गोरा था. फिगर उनका 34-30-36 था.

एक अजीब सी कशिश थी उनमे, जो मुझे उनकी और खींचती थी. वो ज़्यादातर लेगैंग्स के साथ कुरती पहनती थी. उनके कपड़े पूरी फिटिंग वाले होते थे. उन कपड़ों में उनके जिस्म की शेप का पूरा अंदाज़ा लग जाता था. जब भी उनकी क्लास होती थी, मैं तो उनको बिना कपड़ों के ही इमॅजिन करता रहता था.

जब वो बोर्ड पर लिखती थी, तो उनकी गांद की मूव्मेंट बड़ी दिलकश होती थी. लिखने के लिए उपर उठे हुए उनके हाथ के नीचे से दिखते उनके साइड बूब्स बहुत उत्तेजित करते थे मुझे. ऐसा फील होता था की वो अपने हाथ इसलिए उठती थी, ताकि मैं उनके कपड़े उतार साकु. उनके लिप्स, जो लिपस्टिक लगा कर इतने रसीले लगते थे, की बंदा अभी चूस ले.

दिन में मैं कॉलेज में उनको देखता रहता था. फिर शाम में भी उनके साथ टाइम स्पेंड करने के लिए मैने उनके पास टुटीओन रख ली. घर में ज़्यादातर उन्होने पाजामा और त-शर्ट पहनी होती थी. जब वो बैठ कर उठती थी, तो उनका पाजामा उनकी गांद में घुसा होता था. ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

मैं जान-बूझ कर समझने में टाइम लगता था, ताकि बाकी स्टूडेंट्स चले जाए, और मुझे उनके साथ अकेले में टाइम स्पेंड करने का चान्स मिल जाए. मैने अब्ज़र्व किया था, की उनके हज़्बेंड उनकी इज़्ज़त नही करते थे. वो टुटीओन का काम अपने हज़्बेंड के आने से पहले ख़तम करने की कोशिश करती थी, ताकि स्टूडेंट्स को ये पता ना चले.

लेकिन क्यूंकी मैं ज़्यादा टाइम लगता था, तो मैने उनके हज़्बेंड को उनको बिना वजह दाँत-ते हुए देखा था. एक दिन मैं ऐसे ही टुटीओन पर बैठा था. तभी उनके हज़्बेंड आए, और 5 मिनिट बाद वो मेडम पर चिल्लाने लगे. इस बार मेडम ने भी उनको जवाब दिया सामने से. इससे वो बहुत गुस्सा हो गये, और उन्होने मेडम को थप्पड़ लगा दिया.

तभी मैं उठा, और रूम के अंदर जाके उन दोनो के बीच खड़ा हो गया. मैने उनके हज़्बेंड को धक्का मारा जिससे वो गिर गया. मैं जिम जाता था, तो मेरी बॉडी अची थी. वो एक ही धक्के में दर्र गया. फिर मैने उसको वॉर्निंग दी, की अगर उसने दोबारा ऐसा कुछ किया तो उसके लिए अछा नही होगा. वो घबरा कर वाहा से निकल गया.

मैने मेडम की तरफ देखा, तो उनका गाल लाल हुआ पड़ा था. उनकी आँखों में आँसू थे, तो मैने उनको गले लगा लिया. वो 10 मिनिट मेरे गले लगे रही.

अब माहौल तोड़ा गरम सा हो गया था. फिर मैने उनको तोड़ा पीछे किया, तो वो मुझे आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी. मुझे लगा यही सही मौका था, तो मैने अपने होंठ उनके होंठो के साथ मिला दिए. तभी वो पीछे हटती और हैरान होते हुए बोली-

मेडम: ये क्या कर रहे हो अरमान?

मैं: ई लोवे योउ ललिता. ये आदमी तुम्हे प्यार नही दे सकता. लेकिन मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हू.

मेडम: ये ग़लत है, मैं तुम्हारी टीचर हू.

मैं: कुछ ग़लत नही है. प्यार कभी ग़लत नही होता. मैं आपसे बहुत प्यार करता हू.

मेडम चुप हो गयी, और मेरी तरफ देखती रही. उनकी खामोशी को उनकी हा समझ कर मैं आयेज बढ़ा, और उनको अपनी बाहों में भर लिया. वो बस मुझे देख रही थी. फिर मैने दोबारा उनको किस करना शुरू किया. इस बार उन्होने मुझे डोर करने की कोशिश नही की, उल्टा मेरा साथ देने लगी.

हम दोनो मज़े से एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे. मैं साथ में अपने हाथ उनकी पीठ पर फेर रहा था. फिर मैने उनका पाजामा नीचे किया, और मेरा हाथ पड़ा उनके सॉफ्ट चूतड़ पर. मैं पनटी के उपर से उनका चूतड़ दबाने लगा. इससे वो और उत्तेजित होने लगी.

फिर मैने उनका पाजामा नीचे गिरा दिया, और उनकी त-शर्ट उतारने लगा. अब वो मेरे सामने ब्रा पनटी में थी. उन्होने मुझे पीछे धक्का दिया, और बेड पर लिटा दिया. फिर उन्होने जल्दी से मेरे भी कपड़े उतार दिए. अब मैं सिर्फ़ अंडरवेर में था. हम दोनो बेड पर कड्ड्ल करने लगे. कभी हम किस करते, कभी मैं उनकी गर्दन और क्लीवेज चूमता, कभी वो मेरी चेस्ट चूमती.

बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैने उनकी ब्रा उतरी, और उनके बूब्स चूसने लगा. वो मदहोश हो रही थी. बूब्स के बाद मैं उनकी छूट पर आया, और पनटी उतार कर छूट चूसने लगा. मस्त चिकनी छूट थी उनकी. वो अब मुझे लंड डालने को बोल रही थी.

फिर मैने अंडरवेर उतार कर अपना हात्ोड़ा बाहर निकाला. वो मेरा लंड देख कर खुश हो गयी. मैने छूट पर लंड रगड़ना शुरू किया, और रगड़ते हुए अंदर डाल दिया. वो ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी. फिर मैने अपने होंठो से उसका मूह बंद कर लिया, और उसकी छूट छोड़ने लगा.

बड़ा मज़ा आ रहा था. उसकी छूट की गर्मी मुझे परम आनंद दे रही थी. मैं तेज़ी से छोड़ने लगा, और उसका भी दर्द ख़तम हो गया. अब उसने मेरी कमर पर अपनी टांगे लपेट ली, और मज़े से मुझसे चूड़ने लगी. मैं पूरा ज़ोर लगा कर उन्हे छोड़ रहा था. छाप-छाप की आवाज़े आनी शुरू हो गयी थी पुर रूम में.

फिर जब मेरा निकालने वाला हुआ, तो मैं पीछे हटने लगा. लेकिन उन्होने मुझे बाहों में कस्स लिया, और बोली-

मेडम: रूको मत, करते रहो.

मैं: मेरा निकालने वाला है.

मेडम: कोई बात नही, बस करते रहो.

फिर मैं उनको छोड़ता गया, और उनकी छूट में ही झाड़ गया. हमारा ये रीलेशन कॉलेज ख़तम होने तक चला रहा.

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