सेक्सी बहन के लिए खड़ा हुआ भाई का लंड

मेरी बेहन मुझसे 4 साल बड़ी है. उस वक़्त मैं 19 का था, और वो 23 की थी. उसका ससुराल देल्ही है, और मैं अक्सर उसको लाता लेजता रहता हू. मेरी बेहन का मुझे 3 डिसेंबर को कॉल आया, और उसने कहा-

बेहन: कब आ रहा है लेने के लिए? काफ़ी महीनो से घर नही आई हू. याद आ रही है सब की. जल्दी आजा अब रहा नही जेया रहा है.

मैं: अर्रे मुझे भी बोलने देगी, या खुद ही बोलती रहेगी (मैं अपनी बेहन को प्यार से दुगू बुलाता हू). और कैसी है तू? सब ठीक तो है ना?

दुगू: सब ठीक है भाई. बस तू लेने आजा. अब तो साल का लास्ट मंत है. मैने तेरे जीजा जी से बात कर ली है. तू बस आजा अब.

मैं: हा ठीक है. मैं मम्मी को बोलता हू, फिर आता हू. तू कपड़े पॅक कर, मैं आया तुझे लेने.

दुगू: सब कुछ पॅक है. बस आजा अब तू. आज रात ही बैठ जेया.

मैं: हा ठीक है. आता हू मैं.

दुगू: इंतेज़ार कर रही हू मैं. चल बाइ, बाकी तैयारी कर लेती हू.

मैं: हा ठीक है.

फिर मैने मूमी को बोला: दुगू का कॉल आया था. वो आने के लिए कह रही है.

मम्मी: मुझे भी उसने काफ़ी बार कहा है, की मम्मी आपकी याद आ रही है. (मम्मी मुझे प्यार से बाबू कहती है) बाबू ले आ तू उसको. काफ़ी टाइम हो गया है, और उसका बर्तडे भी आने वाला है.

मैं: हा, दुगू का बर्तडे भी आ रहा है. शादी के बाद उसका बर्तडे सेलेब्रेट ही नही करा.

मम्मी: हा ये सही है. उसको अछा भी लगेगा. तू आज ही चला जेया.

मैने पहले ही ऑनलाइन टिकेट्स करा ली थी. मुझे पता था मम्मी माना नही करेगी. फिर मैं रात को देल्ही ट्रेन में निकल गया और सुबा देल्ही पहुँच गया. जैसे ही दुगू के घर पहुँचा, वो खुशी से नाचने लगी. उसने मुझे गले लगाया, और इतना तेज़ गले लगाया, की सब कुछ फील हो गया और मैं सुन्न पद गया.

फर्स्ट टाइम ऐसा फील हुआ. फिर वो रूम में ले गयी जहा जीजा जी सो रहे थे. फिर हम दूसरे रूम चले गये.

दुगू: तू कितना बड़ा हो गया है. लंबा भी हो गया. एक-दूं मर्द जैसा हो गया. क्या खा लिया ऐसा अचानक से, जो ऐसा हो गया है? बता मुझे भी, मैं भी ख़ौ.

मैं: तुम भी तो कितनी चेंज हो गयी हो. शादी से पहले तो पतली सूखी लकड़ी तरह थी, और जैसे ही शादी हुई सब कुछ बदल गया.

दुगू: अछा, क्या चेंज हुआ बता? क्या बदलाव आए मेरे अंदर जो तू ऐसा बोल रहा है? मैं तो पहले से ही ऐसी थी.

मैं: ना बिल्कुल नही. सब कुछ चेंज हुआ है तुम्हारी बॉडी और सब कुछ.

दुगू: बॉडी में क्या चेंज हुआ? सब वही है जैसे होता है. तू कुछ भी बोलता है.

मैं: पहले से मोटी हो गयी हो एक-दूं मस्त और भी.

दुगू: और क्या बता. मुझे भी तो पता चले क्या बदलाव आया है, जो टोंटू (मेरी बेहन मेरे को टोंटू कहती है) ने देखा मैने नही?

मैं: अर्रे छ्चोढो ना. आप भी क्या बात लेकर बैठ गयी हो. बॉडी तो चेंज होती रहती है.

दुगू: तू बता ना टोंटू प्लीज़.

मैं: कुछ भी तो नही. अब छ्चोढ़ दो आप.

दुगू: तेरे को मेरी कसम है. बता चल.

अब दुगू ने मुझे अपनी कसम दे दी थी. तो मुझे उसे बताना था की तुम्हारे बूब्स और बड़े हो गये है.

मैं: आप बुरा तो नही मानोगी ना? आपने कसम दी है. तभी बता रहा हू, नही तो नही बताता.

दुगू: पागल तेरी बातों का कब से बुरा मानने लगी मैं? भूल गया बचपन में तू कैसे मुझे बातें बताता था, कुछ भी नही च्छूपाता था. चाहे कोई भी बात हो.

मैं हिम्मत करके बोला: तुम्हारे पेट और कमर पहले से काफ़ी आचे और मोटे हो गये है. तुम ज़्यादा अची लगने लगी हो, और तुम्हारी जांघें भी काफ़ी अची दिखने लग गयी है.

दुगू: और क्या टोंटू, बता?

मैने बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा: काफ़ी बड़े हो गये है. तुम ज़्यादा सुंदर दिखने लगी हो.

इतना कहते ही दुगू बोल पड़ी-

दुगू: तो पागल इसमे इतना क्या सोच के बोला? और ऐसी बातों का मैं कब से बुरा मानने लग गयी मेरे टोंटू.

मुझे रिलॅक्स फील हुआ, और मेरा हाथ दुगू की जांघों पर चला गया. पर उसने कुछ नही बोला. तभी जीजा जी आ गये. जीजा जी का बिज़्नेस है. अछा ख़ासा पैसा है. वो बस घूमते रहते है, कभी यहा कभी वाहा.

जीजा जी: अर्रे पिंटू (नामे चेंज है इस स्टोरी में) कब आया? कॉल कर देता, तुझे लेने आ जाता यार.

मैने जीजा जी के पैर छुए, और नमस्ते करी.

जीजा जी: अर्रे बस-बस, तू तो काफ़ी बड़ा हो गया यार. एक-दूं आदमी सा लगता है.

तभी दीदी बोली-

दुगू: हा मैने इसको यही कहा था. पूरा मर्द बन गया है मेरा टोंटू.

जीजा जी: छाई-नाश्ता काराव सेयेल साहब को. और भाई, बड़ी देर लगा दी अपनी बेहन को ले जाने में. ले जाओ, सारे दिन दिमाग़ खाती है मेरा.

दुगू: हा तभी तो आपको नही बोला, अपने टोंटू को बोला. यही तो है जो मेरी सारी बातें सुनता है और मानता भी है. एक फोन में लेने आ गया

जीजा जी: हा ठीक है. अब तुम दोनो भाई-बेहन से कों जीते?

और इतना कह कर जीजा जी नहाने चले गये. उन्हे ऑफीस जाना था.

मैं भी नहा कर दूसरे रूम में जेया कर लेट गया, और फिर आँख लग गयी. 12 बजे दुगू रूम में आई, और मुझे उठाने लगी.

दुगू: ऊ टोंटू, उठ जेया. खाना खा ले. कितना सोएगा उठ जेया.

दुगू ने उठाने की कोशिश की पर मैं उठा नही. तो फिर उसने मुझे गुदगुदी की. मेरी आँखें खुल गयी. मुझे गुदगुदी बिल्कुल पसंद नही. कोई एक उंगली कर दे तभी हस्सी आने लगती है. उसके बूब्स मेरे पेट को लग रहे थे. जैसे ही उठा तो मेरा हाथ उस रिघ्त वाले बूब पर लग गया, और तोड़ा ज़ोर से प्रेस हो गया. तभी उसके मूह से ‘आहह’ निकल गयी, और मेरी नींद उडद गयी.

दुगू: उठ जेया रे, अब तो इतनी गुदगुदी कर ली तुझे.

मैं उठा और सॉरी बोला.

मैं: वो ग़लती से हाथ लग गया.

उसने कुछ नही बोला और खाना खाने को बोला सिर्फ़. मैने खाना खाया और टीवी देखने लग गया. दुगू भी पास आ कर बैठ गयी. फिर हम बातें करने लगे.

दुगू: टोंटू तुझे पता है मैं तुझे और मम्मी को कितना मिस करती थी. बहुत याद आती थी तुम्हारी. तुमसे मिले 1 साल हो रहा है. अब जेया कर मिलूंगी ढंग से.

मैं: मुझसे तो ढंग से मिल लिए. अब मूमी से मिलना आप.

दुगू: नही अभी तक तुमसे ढंग से नही मिली. तू काफ़ी शरमाने लगा है. बातों को नोटीस करने लगा है. पहले तो मुझसे सब कुछ शेर करता था. अब पता नही क्या हुआ, जैसे किसी अंजान लड़की से मिल रहा है ऐसा लगता है.

मैं: ऐसी कोई बात नही है. मैं तो अभी भी शेर करता हू. और मेरी तो तुम ही दोस्त थी बचपन से ही. तुम्हारे अलावा मेरा कोई दोस्त ही नही है. मेरी दुगू, मी जान.

दुगू: अछा, मुझे तो नही लगता है की मैं तेरी बचपन वाली दोस्त हू, तेरी जान हू.

मैं: अछा बताओ क्या करू मैं?

दुगू: चल बता तेरी गफ़ कों है?

मैं: काश कोई होती, बुत नही है अबी तो.

दुगू: चल झूठा, तू बताना नही चाहता है.

मैं: आपकी कसम दुगू दी.

दुगू: चल मान लेती हू. बाकी तू बदल सा गया है.

मैं: बिल्कुल भी नही. मैं तो पहले भी आपका टोंटू था, और आज भी.

मेरे और दुगू के पैर टेबल पर थे, और टच भी हो रहे थे. मैने दुगू से बचपन वाली बातें पूछी. मुझे भी अंदर से पूछने का, टच करने का मॅन होने लगा था.

मैं: दुगू तुम्हे याद है बचपन में तुमसे जो बातें शेर करता था, और भी बहुत कुछ?

दुगू: हा बिल्कुल, और भाई तेरी वजह से ही मैने गालियाँ सीखी थी. तूने ही मुझे गालियाँ सिखाई थी.

मैं: अछा कों सी गालियाँ सिखाई ज़रा बताना?

जैसे ही दुगू बोलने लगी, डोरबेल बाजी, और जीजा जी आज जल्दी आ गये थे.

दुगू: आप, इतनी जल्दी.

जीजा जी: जल्दी अओ तो बोलती हो, लाते अओ तो भी. अब बंदा क्या करे?

दुगू: अर्रे नही-नही, वो बात नही.

जीजा जी: सेयेल साहब आए है, घुमा कर तो लाए तोड़ा.

मैं: हा बिल्कुल.

फिर मैं और जीजा जी घूमने चले गये. रात को 8 बजे हम वापस घर आए. दुगू ने सारी पॅकिंग कर ली थी, और हाथो में लाल चूड़ा, जीन्स, और वाइट शर्ट पहनी हुई रेड लिपस्टिक लगा कर हमारी वेट कर रही थी. जैसे ही हम घर पहुँचे, दुगू ने हमे खाना खाने के लिए बोला.

पर बाहर बहुत खा लिया था, तो पेट भरा हुआ था. थोड़ी देर में हम घर से निकल गये. फिर स्टेशन पहुँचे, और ट्रेन में बैठ गये. थोड़ी देर में जीजा जी चले गये, और ट्रेन चल पड़ी.

नेक्स्ट पार्ट में पढ़ेंगे की बचपन की बातों से मैं और दुगू कितना करीब आए, और आयेज क्या हुआ बर्तडे पर. प्लीज़ फीडबॅक ज़रूर दे. थॅंक्स.

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