सेक्सी आंटी के साथ लेज़्बीयन सेक्स

हे दोस्तों, मैं थोर आपके लिए लेज़्बीयन सेक्स स्टोरी लेके आया हू. मेरी पिछली स्टोरीस को आपने जो प्यार दिया, उसके लिए आप सब का शुक्रिया. जिन्होने मेरी पिछली स्टोरीस नही पढ़ी है, वो उनको ज़रूर पढ़े. आज की सेक्स कहानी मुझे उत्तराखंड की सुमन ने भेजी है. तो चलिए कहानी शुरू करते है सुमन की ज़ुबानी.

हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम सुमन है, और मैं उत्तराखंड से हू. मेरी उमर 19 साल है, और मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हू. दिखने में मैं खूबसूरत हू. रंग मेरा गोरा है, और फिगर मेरा 34-30-34 है. ये कहानी मेरे और मेरी पड़ोस की दुकान वाली आंटी के बीच हुए सेक्स की है. तो चलिए शुरू करती हू.

स्कूल टाइम से मैं खुद को नोटीस कर रही थी, की मुझे लड़कों की तरफ ज़्यादा अट्रॅक्षन नही था. दूसरी लड़कियाँ हॅंडसम लड़कों को देख कर हाए-हाए करती थी, और उनको पाटने के तरीके सोचती रहती थी. लेकिन मुझे लड़के पाटने की ऐसी कोई तलब नही लगती थी. फिर मैं कॉलेज में हुई, तो भी मेरा हाल वहीं था.

हमारे घर के सामने एक शॉप थी, जो एक आंटी ने खोली थी कुछ साल पहले. उन आंटी की मेरी मम्मी से अची दोस्ती भी हो गयी थी. आंटी का नाम गाज़ल था. आंटी काई बार हमारे घर भी आती थी, और बातें करती रहती थी.

वो काफ़ी मॉडर्न थी, और मॉडर्न कपड़े ही पहनती थी, जिसमे जीन्स और त-शर्ट, लोंग फ्रॉक्स, लेगैंग्स-कुरती एट्सेटरा. होते थे. मुझे हमेशा से आंटी बहुत अची लगती थी. उनके मोटे-मोटे बूब्स की क्लीवेज, सेक्सी गांद, फ्लॅट कमर देख कर मेरी छूट में हलचल होने लगती थी.

कॉलेज में जाके मुझे लेज़्बीयन कॉन्सेप्ट का पता चला. मेरी सहलियान बाय्स के बारे में सोच कर फिंगरिंग करती थी. लेकिन मुझे कभी फिंगरिंग वाली फीलिंग ही नही आई थी किसी लड़के से. जब मुझे लेज़्बीयन सेक्स के बारे में पता चला तो मैने लेज़्बीयन सेक्स वीडियोस देखी. उन्हे देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गयी.

फिर मैने आंटी के बारे में सोच कर अपनी पहली फिंगरिंग की. मुझे बहुत मज़ा आया, और मेरी छूट का पानी भी बहुत निकला. अब मैं समझ गयी थी की मैं कों थी, और मुझे क्या पसंद था.

अगले दिन से मैने आंटी से बातें करना और उनसे दोस्ती बढ़ाना शुरू कर दिया. मैं बातें करते हुए उनके जिस्म को देखती रहती थी. इससे मैं उत्तेजित हो जाती थी. मुझे किसी भी तरह आंटी को प्यार करना था. लेकिन कैसे करती, इसका कोई अंदाज़ा नही था.

फिर एक दिन मुझे मौका मिल गया. आंटी का हज़्बेंड अक्सर दुकान पर आ कर उनसे झगड़ा करता था. उस दिन भी वो आया, और उनसे झगड़ा करने लगा. उनकी आवाज़े हमारे घर तक आ रही थी. फिर मैं वहाँ गयी, और दुकान के बाहर से देखने लगी. मैने देखा अंकल ने आंटी को थप्पड़ मार दिया, और चले गये.

अब आंटी रो रही थी वहीं बैठ के. मैं उनके पास गयी, और उनको गले से लगाया. उनके बूब्स टच होते ही मेरे जिस्म में करेंट दौड़ गया. जब मैने उनसे पूछा, तो उन्होने कहा-

आंटी: किसी काम का हज़्बेंड नही है मेरा. प्यार कभी करता नही है, और हमेशा पैसे माँगता रहता है. पता नही क्या करेगा पैसों का?

ये सुन कर मैं समझ गयी थी की आंटी और अंकल के बीच में फिज़िकल रीलेशन नही था. तभी मैने आंटी से पूछा-

मैं: आंटी क्या मैं आपको प्यार कर सकती हू.

ये सुन कर आंटी मेरी तरफ देखने लगी. उन्होने कोई जवाब नही दिया, और उनकी चुप्पी को मैने उनकी हा समझते हुए अपने होंठ उनके होंठो से चिपका दिए. पहले कुछ सेकेंड्स सिर्फ़ मैं ही आंटी के होंठ चूस रही थी, फिर उन्होने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया. आज आंटी ने फ्रॉक पहनी हुई थी, और मैने जीन्स और त-शर्ट.

कुछ 5 मिनिट एक-दूसरे के होंठ चूसने के बाद हम दोनो अलग हुए. अब हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे. फिर आंटी उठी, और उन्होने दुकान का शटर अंदर से बंद कर दिया. फिर उन्होने अपनी फ्रॉक उपर उठाई, और उसको निकाल दिया. ओह मी गोद! अब आंटी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पनटी में थी.

उनको देख कर मैने भी अपने कपड़े उतार दिए, और ब्रा और पनटी में आ गयी. फिर हम दोनो करीब आई, और पागलों की तरह किस करने लगी. किस करते हुए हम दोनो ने एक-दूसरे की ब्रा उतरी, और बूब्स चूसने लगे. हम दोनो को ही बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर की चुम्मा-छाती के बाद आंटी मुझे उपर वाले कमरे में ले गयी. वहाँ हम दोनो बेड पर लेट गयी. हम दोनो 69 पोज़िशन में आ गयी, और एक-दूसरे की पनटी उतार दी. आंटी की छूट एक-दूं क्लीन थी, जब की मेरे पर थोड़े बाल थे. जैसे ही आंटी ने मेरी छूट में मूह लगाया, मैं पागल सी हो गयी, और मेरे मूह से आ आ की आवाज़े निकालने लगी.

फिर मैने भी आंटी की छूट चाटनी शुरू कर दी, और वो भी आ आ करने लगी. नीचे से आंटी मेरी छूट में अपनी जीभ डालने लगी, और छूट के दाने को मसालने लगी. उपर से मैं भी वहीं करने लगी. फिर उन्होने मेरी छूट में उंगली डाल दी. मेरी छूट वर्जिन थी, इसलिए मुझे दर्द होने लगा. इधर मैने भी उनकी छूट में उंगली डाली. तभी आंटी बोली-

आंटी: एक उंगली से मेरा काम नही बनेगा.

ये सुन कर मैने पहले 2, और फिर 3 उंगलियाँ आंटी की छूट में डाल दी. अब हम दोनो एक-दूसरे की छूट को चाट-चूस कर, उसमे उंगली करके एक-दूसरे की चुदाई कर रही थी. तकरीबन 15 मिनिट हम ऐसे ही करते रहे, और मेरी छूट का पानी निकल गया. आंटी ने मूह लगा कर मेरा सारा पानी पी लिया.

आंटी का पानी अभी तक नही निकला था, तो मैने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. वो आ आ आ करने लगी. अगले 5 मिनिट में उनकी छूट ने भी पानी छ्चोढ़ दिया, जो मैने पी लिया. उसके बाद हम दोनो सीधे होके एक-दूसरे के साथ कुछ देर लेते रहे.

फिर कुछ देर बाद हम दोनो उठे, और अपने कपड़े पहने. उसके बाद जब मैं वहाँ से आने लगी, तो आंटी बोली-

आंटी: सुमन आज मुझे बहुत मज़ा आया. तुम्हारा जब भी दिल करे, मेरे पास आ जया करो.

मैं ये सुन कर खुश हो गयी. आपको भी मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर खुशी मिली हो, तो मुझे गुलाटी.गुलाटी555@गमाल.कॉम पर मैल करे.

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