मेरा नाम रज है और मैन पतना मेन रहता हून। हुम लोग गावँ के रहने वले हैन। हमरा गावँ पतना से 44 कम। दूर है। पास के हि एक गावँ मेन भैया कि शदि हो गयि। भभि बहुत हि अच्चहि थि और खूबसुरत भि। भैया कि उमर 20 साल कि थि। वो उमर मेन भैया से 4 साल छोति थि। मैन भभि से उमर मेन 1 साल बदा था। भभि कि उमर 18 साल कि थि। गावँ मेन ये उमर शदि के लिये कफ़ि मनि जति है।
शदि के बाद भैया कि नौकरि पतना के एक सोमपनी मेन लग गयि। वो पतना मेन हि रहने लगे। वो खुद हि घर का सारा काम करते थे और खना भि बनते थे। जब उनहेन खना बनने मेन और घर का काम करने मेन दिक्कत होने लगि तो उनहोने भभि को भि पतना बुला लिया। मुम्मी तो थि नहिन केवल पपा हि थे। कुछ दिनो के बाद पपा का भि सवरगवस हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास हि रहने के लिये बुला लिया।
मैन उनके पास पतना आ गया और वहिन रह कर पधयि करने लगा। मैने बा तक कि पधयि पूरि कि और फिर नौकरि कि तलश मेन लग गया। अभि मुझे नौकरि तलश करते हुये 1 साल हि गुजरे थे कि भैया का रोअद एक्ससिदेनत मेन सवरगवस हो गया। उस समय मेरि उमर 21 साल कि हो चुकि थि। अब तक मैन एक दम हत्तहा कत्तहा नौजवन हो गया था। मैन बहुत हि तकतवर भि था कयोन कि गावँ मेन कुशति भि लदता था।
मुझे भैया कि जगह पर नौकरि मिल गयि। अब घर पर मेरे और भभि के अलवा कोयि नहिन था। वो मुझसे मुझसे बहुत पयर करति थि। मैन भि उनकि पूरि देखभल करता था और वो भि मेरा बहुत खयल रखति थि। भभि को हि घर का सारा कम करना पदता था इस लिये मैन भि उनके काम मेन हाथ बता देता था। वो मुझसे बार बार शदि करने के लिये कहति थि। एक दिन भभि ने शदि के लिये मुझ पर जयदा दबव दला तो मैने शदि के लिये हान कर दि।
भभि के एक रिशतेदर थे जो कि उनके गावँ मेन हि रहते थे। उनकि एक लदकि थि जिसका नाम शलु था। भभि ने शलु के साथ मेरि शदि कि बात चलयि। बात पक्कि करने से पहले भभि ने मुझे शलु कि फोतो दिखा कर मुझसे पूछा, कैसि है। मैन शलु कि फोतो देख कर दनग रह गया। मैन समझता था कि गावँ कि लदकि है, जयदा खूबसुरत नहिन होगि लेकिन वो तो बहुत हि खूबसुरत थि। मैने हान कर दि। शलु कि उमर भि 18 साल कि हि थि। कहिर शदि पक्कि हो गयि। शलु के मुम्मी पपा बहुत गरीब थे। 1 महिने के बाद हि हमरि शदि गावँ के एक मनदिर मेन हो गयि। शदि हो जने के बाद दोपहर को भभि मुझे और शलु को लेकर पतना आ गयि। घर पर कुछ पदोस के लोग बहु देखने आये। जिसने भि शलु को देखा उसकि बहुत तरीफ़ कि। शम तक सब लोग अपने अपने घर चले गये।
रात के 8 बज रहे थे। भभि ने मुझसे कहा, आज मैन बहुत थक गयि हून। तुम जा कर होतेल से खना ले आओ। मैने कहा, थीक है। मैने झोला उथया और खना लने के लिये चल पदा। मेरा एक दोसत था विजय। उसका एक होतेल था। मैन सीधा विजय के पास गया। विजय बोला, आज इधर कैसे। मैने उस से सारि बात बता दि। वो मेरि शदि कि बात सुनकर बहुत खुश हो गया। हुम दोनो कुछ देर तक गप शप करते रहे।