सविता भाभी का पति घर में अकेला बेचारा क्या करे!

‘अरे साहब आप सविता भाभी के पति हैं?’
अशोक- हाँ..
‘वो हमेशा कोहिनूर ब्रांड ही लेती हैं।’

यह कहते हुए राजू अन्दर गोदाम में सामान निकालने चला गया।’
अन्दर गोदाम में नौकर राजू के दिमाग में भी सविता भाभी ही चलने लगी कि एक महीना करीब हो गया.. सविता भाभी की महक यहाँ अब तक बसी है जब मैंने उन्हें यहीं बोरियों के बीच में चोदा था।

उस दिन हुआ कुछ यूं था कि सविता भाभी अपना पर्स भूल आई थीं।

सविता भाभी ने दुकानदार के नौकर राजू से कहा- मैं पर्स भूल आई हूँ.. इन पाव रोटी के पैसे तुम घर आ कर ले लेना।
तो राजू ने कहा- हम उधार नहीं देते!
सविता भाभी ने उस राजू के मस्त कड़ियल शरीर को नजर भर कर देखा और कहा- लेकिन अदला-बदली तो कर लेते हो! मेरे पास भी कुछ स्वादिष्ट पाव है.. लोगे?

राजू समझ गया और सविता भाभी ने टेबल के नीचे से अन्दर आकर उसका लंड निकाल कर अपने मुँह में ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू कर दिया।

अभी सविता भाभी उसका लंड चूस ही रही थीं कि उन्हें एक आवाज सुनाई दी जो उनको जानी-पहचानी लगी।
यह आवाज मिसेज खन्ना की थी जो उनकी पड़ोसन थी, शायद वे कुछ सामान लेने आई थीं- राजू.. ये लो लिस्ट और जल्दी से सामान निकाल दो।
‘आप घर जाइए मैडम मैं आपको घर पर आकर सामान दे जाऊँगा।’
‘नहीं राजू.. मुझे अभी यही दे दो मैं सामान घर पर नहीं ले सकती हूँ।’

इन दोनों की बातचीत से सविता भाभी की समझ में आ गया कि मिसेज खन्ना भी राजू का ‘सामान’ लेती हैं।
किसी तरह मिसेज खन्ना वहाँ से गईं।

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अब राजू ने सविता भाभी से कहा- चलो बस ठीक है भाभी.. अब बाहर निकलो।

लेकिन सविता भाभी ने उससे खुद को चोदने की ख्वाहिश प्रकट कर दी। फिर राजू ने गोदाम की शटर गिरा कर सविता भाभी की धमाकेदार चूत चुदाई की।

एक बार चूत चुदवाने के साथ ही सविता भाभी ने राजू से अपनी गांड भी कोल्ड क्रीम लगवा कर मरवाई।
अभी राजू ये सब सोच ही रहा था कि तभी सेठजी की आवाज आई- क्या कर रहा है अन्दर.. इतनी देर क्यों लग रही है.. चावल का पैकेट लेने गया या खेतों में उगाने लगा?

खैर राजू सामान लाया तो पैसों के समय राजू ने अशोक से कहा- नहीं साहब आप सविता भाभी के पति हैं मैं आपसे पैसे नहीं ले सकता।
अशोक- क्या मतलब.. मुफ्त में दे रहे हो क्या?
राजू- न..नहीं.. मेरा मतलब सविता भाभी से हिसाब चलता है मैं उनसे ले लूँगा।
अशोक परेशान होते हुए घर आ गया।

कुछ देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई, अशोक ने देखा तो एक कुल्फी वाला आया हुआ था।
‘मेम साब हैं..?’
‘नहीं वो कहीं गई हैं.. बोलो?’
जी कुछ नहीं मैं कुल्फी वाला हूँ.. मेरी कुल्फी मेम साब को पसन्द है इसलिए पूछने आया था।’

अशोक ने सोचा कि चलो इसकी कुल्फी का स्वाद भी ले ही लेता हूँ। ये सोच कर अशोक उससे एक कुल्फी ले ली और इधर भी वही हुआ।

जब पैसे देने की बारी आई तो कुल्फी वाले ने पैसे लेने से मना कर दिया।

अब आप भी समझ ही गए होंगे कि कुल्फी वाले की कुल्फी को सविता भाभी अपनी चूत में लेती थीं।

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अशोक की गैरमौजूदगी में सविता भाभी किस-किस से.. किस-किस तरफ से अपनी चूत की खुजली मिटवाती थीं, इस सबका चित्रांकन इतने कामुक ढंग से किया गया है कि आप इस चित्रकथा को देखकर अपनी प्यारी सविता भाभी के नाम पर सड़का लगाए बिना रह ही नहीं पाएंगे।

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