रंडी मेडम को पार्किंग में पेला

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम प्रकाश है. मैं पुणे में रहता हू. मेरी उमर 30 साल है, और मैं एक शादी-शुदा आदमी हू. कुछ दिन पहले मैं अपने कॉलेज के दीनो को याद कर रहा था, और तभी मुझे मेरी और मेरी टीचर की चुदाई का एक किस्सा याद आया.

आज मैं वही किस्सा आप सब लोगों के शेर करने जेया रहा हू. मुझे उमीद है, की आपको मेरी ये रियल चुदाई की कहानी पसंद आएगी, और आप इसको पूरी तरह से एंजाय करेंगे. तो चलिए शुरू करता हू.

मेरा कॉलेज का फाइनल एअर चल रहा था. क्यूंकी हम फाइनल एअर में थे, तो हमे सब जानते थे. मैं पढ़ाई में अछा था, तो कोई मेरे ग्रूप से पंगा लेने की हिम्मत नही करता था. हम साइन्स स्टूडेंट्स थे.

हमारी बाइयालजी की टीचर अचंक से बीमार पद गयी, और काफ़ी दिन कॉलेज नही आई. स्टूडेंट्स की पढ़ाई का नुकसान ना हो, इसलिए कॉलेज ने एक नही टीचर को भारती किया. उस टीचर का नाम भारती था.

जब भारती पहली बार आई, तो सब लड़के उसको देखते ही रह गये. वो 27 साल की एक जवान और सेक्सी लड़की थी. उसका रंग ठीक-ताक था और फिगर 36-29-36 होगा. उसने जीन्स और कुरती पहनी हुई थी, और उसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी.

उसकी कुरती डीप गले वाली थी, तो जब भी वो झुकती थी, तो उसकी क्लीवेज के दर्शन हो जाते थे. उसकी क्लीवेज देख कर सब लड़कों के मूह से पानी आने लगा था. फिर भारती ने हमे पढ़ना शुरू किया. लेकिन किसी को कुछ समझ नही आ रहा था.

कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा. वो पढ़ती रही, लेकिन किसी को कुछ समझ नही आता था. लड़के उसको इसलिए बर्दाश्त कर रहे थे क्यूंकी वो सेक्सी थी, और लड़कियाँ हमारी वजह से चुप थी. और वैसे भी क्लास में सब मेरी बात सुनते थे, तो मैने किसी को कुछ बोलने से माना किया था.

एक दिन मैं और मेरे फ्रेंड्स कॉलेज में किसी प्रोग्राम की तैयारी कर रहे थे. कॉलेज ख़तम हो चुका था, और सब जेया चुके थे. हम सब तोड़ा एक्सट्रा टाइम लगा रहे थे. फिर जब हमारा काम ख़तम हो गया, तो हम सब जाने लगे.

जब हम कॉलेज से बाहर आ रहे थे, तो मैने पार्किंग में भारती माँ का स्कूटर देखा. मैने सोचा की वो अब तक कॉलेज में क्या कर रही थी. ये सोच के मैने अपने दोस्तो को बोला की वो चले जाए, क्यूंकी मुझे कुछ काम था.

फिर उन सब को भेज कर मैं कॉलेज में वापस गया. अंदर जाके देखा तो मेरी आँखें फाटती की फाटती रह गयी. भारती माँ हमारे होड़ (हेड ऑफ डिपार्टमेंट) के ऑफीस में थी. वो घुटनो के बाल बैठी थी, और होड़ सिर का लंड चूस रही थी. मुझे समझ नही आ रहा था की क्या हो रहा था. तभी होड़ सिर बोले-

होड़: तुम मेरी वजह से इस जॉब पर हो. स्टूडेंट्स को तुम्हारी समझ नही आती. ज़रा आचे से चूसो.

मैं समझ गया की भारती माँ को जॉब कैसे मिली थी. मैने जल्दी से मोबाइल निकाला, और उस सब की वीडियो बना ली. फिर सिर ने अपने लंड का पानी माँ के मूह में निकाल दिया, जिसको वो सारा पी गयी. फिर वो खड़ी हुई और बोली-

भारती: सिर मैं रोज़ आपका लंड चूसूंगई. लेकिन मुझे जॉब से मत निकालना.

ये बोल कर वो बाहर आ गयी. अब मुझे पता था की मैं माँ को बड़े आराम से छोड़ सकता था. माँ ने अपना स्कूटर स्टार्ट किया, और कॉलेज से जाने लगी. जब वो स्कूटर पार्किंग से बाहर निकाल रही थी, तो मैं आयेज आ कर खड़ा हो गया. मुझे अचानक से अपने सामने देख कर वो घबरा गयी. फिर वो बोली-

भारती मेडम: अर्रे प्रकाश, तुम यहा. घर नही गये?

मैं: मेडम आप भी तो घर नही गयी.

मेडम: मुझे कुछ काम था, इसलिए लाते हो गयी.

मैने अपनी जेब से फोन निकाला, और वीडियो दिखाते हुए बोला-

मैं: यही काम था ना?

वीडियो देख कर माँ की गांद फटत गयी. फिर वो बोली-

मेडम: प्लीज़ इसके बारे में किसी को कुछ नही बताना.

मैं: मुझे ये च्छूपा कर क्या मिलेगा.

मेडम: तुम्हे क्या चाहिए?

मैं: मुझे आपको छोड़ना है.

मेडम: तुम पागल हो गये हो? छोड़ने तो आज तक मैने होड़ सिर को भी नही दिया.

मैं: चलो ठीक है फिर मैं चलता हू.

वो जल्दी से स्कूटर से उतरी, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोका. फिर वो बोली-

मेडम: मैं तुम्हारा लंड चूस देती हू.

मैने उसको अपनी बाहों में खींच लिया, और किस करने लगा. हम पार्किंग में थे, तो कोई आस-पास नही था. मैने अपने होंठ उसके होंठो से मिलाए, और उनको चूसने लग गया. वो माना कर रही थी, लेकिन मैं सुन नही रहा था. फिर मैं अपने हाथ उसकी गांद पर ले गया, और उसको दबाने लगा.

5 मिनिट लगातार मैं उसको किस करता रहा, और उसकी गांद दबाता रहा. इस बीच वो भी गरम हो गयी और मेरा साथ देने लगी. फिर मैने उसकी कुरती उतरी, और उसकी क्लीवेज को चूमने लग गया. वो मेरा सर अपनी ब्रेस्ट में दबा रही थी.

उसके बाद मैं उसको पार्किंग के टाय्लेट में ले गया. मैने उसको टाय्लेट की दीवार के साथ लगाया, और उसकी ब्रा उतार कर उसके बूब्स चूसने लग गया. बड़े ही काससे हुए बूब्स थे भारती माँ के.

मैने उनकी जीन्स का बटन खोला, और नीचे बैठ कर उनकी जीन्स और पनटी उतार दी. अब उनकी हल्के बालों वाली छूट मेरे सामने थी. मैने उनकी छूट में अपना मूह डाल लिया, और उसको चाटने लगा. वो पागल हो रही थी, और गांद हिला-हिला कर अपनी छूट चुसवाने लगी.

फिर मैं खड़ा हुआ, और अपनी जीन्स और अंडरवेर उतरा. मेरा मोटा तगड़ा लंड देख कर माँ घबरा गयी. फिर मैने उनकी कमर को अपनी बाहों में भरा, और उनको उपर उठाया. दूसरे हाथ से मैने उनकी छूट पर लंड सेट किया, और ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड उनकी छूट में घुसा दिया.

उनकी चीख निकल गयी, और मेरा लंड उनकी गरम छूट में समा गया. वो वर्जिन नही थी, लेकिन उनकी छूट काफ़ी टाइट थी. फिर मैं खड़े-खड़े ही उनको छोड़ने लगा. मैं उनकी हवा में उछाल-उछाल कर छोड़ रहा था, और वो भी अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट कर मेरा सपोर्ट कर रही थी.

10 मिनिट मैने उसको ऐसे ही छोड़ा. फिर मैने उसको नीचे उतार कर उसको घोड़ी बनाया, और पीछे से लंड छूट में डाल कर छोड़ने लगा. 15 मिनिट मैने उसको तबाद-तोड़ छोड़ा, और फिर लंड उसके मूह में डाल कर झाड़ गया. फिर हमने कपड़े पहने, और अपने-अपने घर चले गये.

दोस्तों अभी के लिए इतना ही. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करिएगा.

यह कहानी भी पड़े  मेरी चुदाई की शुरुआत नानी के साथ


error: Content is protected !!