ही गाइस, मैं आज स्टोरी के नेक्स्ट पार्ट के साथ हाज़िर हुआ हू. लास्ट पार्ट में आपने पढ़ा था की किस तरह से दोनो बुद्धो ने दीदी को मिल कर छोड़ा था. सुबा दीदी की आँख खुली तो दीदी दोनो बुद्धो के दरमियाँ नंगी थी. दीदी उठी और वॉशरूम से नहा कर बाहर चली गयी, और अपने कपड़े पहन कर नाश्ता बनाने लगी.
थोड़ी देर के बाद दोनो बुड्ढे भी फ्रेश हो कर बाहर आ गये, और मिल कर नाश्ता करने लगे. नाश्ता करने के बाद शर्मा साब बोले.
शर्मा साब: चलो अब मैं चलता हू. कल बड़ा मज़ा किया.
दीदी: मज़ा तो आप दोनो ने किया. मेरी तो जान निकाल दी थी.
असलम साब: अंजलि अब तुम राधिका से कब मिलवावगी.
दीदी: चलो अभी मिलवा देती हू.
असलम साब: साची?
दीदी: अभी विकी घर पर नही होगा. तुम मेरे साथ चलो. मैं अपने बच्चे भी विकी के घर से ले लूँगी, और तुमको राधिका से भी मिलवा दूँगी.
असलम साब: ठीक है.
फिर दोनो घर आ गये. अंजलि दीदी ने दरवाज़ा नॉक किया तो राधिका ने दरवाज़ा ओपन किया. राधिका ने उस टाइम ब्लू रंग का सूट पहना हुआ था. असलम साब की नज़र राधिका की गांद पर थी. दीदी ने राधिका को असलम साब से इंट्रोड्यूस्ड करवाया.
दीदी: ये मेरे न्यू फ्रेंड असलम साब है. ये विकी के ऑफीस में ही काम करते है.
राधिका: आप से मिल कर अछा लगा असलम साहब.
राधिका ने दोनो को अंदर सोफे पर बिता दिया, और पीने के लिए पानी ले आई. जब राधिका पानी दे रही थी, तो असलम साब की नज़र राधिका के टाइट बूब्स पर थी.
थोड़ी देर तक सब बातें करते रहे. फिर दीदी और असलम साब बच्चो को लेकर घर आ गये. शाम में असलम साहब ने दीदी को फोन किया और बोले-
असलम साब: राधिका तो तेरी तरह बहुत हॉट है. अब कब मिलवाएगी उससे दोबारा?
दीदी: अगर तुम विकी को ऑफीस के काम से कुछ दीनो के लिए सिटी से बाहर भेज दो, तो राधिका मेरे पास आ जाएगी. तो तुम रोज़ उससे मिल लेना.
असलम साब: सच में राधिका तुम्हारे घर रहने आ जाएगी?
दीदी: जी बिल्कुल.
असलम साब: तुम देखो मैं सुबा ही विकी को आउट ऑफ सिटी भेजता हू.
अगली शाम राधिका दोनो बच्चो के साथ दीदी के पास चली आई. दीदी ने असलम साब को कॉल करके बोला.
दीदी: बड़ी जल्दी तुमने विकी को आउट ऑफ सिटी भेज दिया.
असलम साब: तुमने ही तो कहा था, आ गयी राधिका?
दीदी: हा आ गयी है. अब तुम रात को आना.
असलम साब: ठीक है.
रात 9 बजे असलम साब आ गये, तो दीदी ने राधिका से बोला-
दीदी: राधिका असलम साब हमारे साथ ही खाना खाएँगे.
राधिका: अछा.
फिर दीदी और राधिका दोनो ने मिल कर खाना लगाया, और सब ने मिल कर खाया. खाने के बाद दीदी ने बच्चो को सोने के लिए भेज दिया, और खुद दारू और सिगरेट लेकर असलम साब के पास आ गयी.
दीदी को सिगरेट और दारू लाते देख कर राधिका हैरान हो गयी, और पूछा-
राधिका: दीदी आप भी ये सब कुछ पीटी हो?
दीदी: हा, रात के खाने के बाद हम दोनो ये पीते है, और जब विकी इधर आया हुआ होता है, तो वो भी हमारे साथ पीटा है.
राधिका: मुझको बड़ा अजीब लगता है.
राधिका की बात सुन कर असलम साब ने टीन ग्लासस में दारू डाली और बोले-
असलम साब: आज पियो, तुमको भी मज़ा आएगा.
राधिका: और ना आया मज़ा तो?
असलम साब: मेरी गॅरेंटी है पियो, मज़ा आएगा.
फिर तीनो ने दारू पी तो राधिका को बड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने पी ली. फिर राधिका असलम साब और दीदी के साथ सिगरेट भी पीने लगी. 1 घंटे के बाद असलम साब चले गये, तो राधिका दीदी से बोली-
राधिका: असलम साब काफ़ी आचे इंसान है.
दीदी: बिल्कुल, इंसान तो काफ़ी आचे है. लेकिन अपनी बीवी के मरने के बाद से काफ़ी अकेले है. इसलिए मैं इनसे बात कर लेती हू, तो इनको अछा लगता है. मेरी वजह से अगर किसी को अछा लगे, तो मुझे खुशी होती है.
राधिका: बिल्कुल, ऐसे आचे इंसान को खुश रखना ही चाहिए.
2 दिन तक ऐसे ही शाम में असलम साब आते और तीनो मिल कर पहले खाना खाते, और बाद में दारू पीते और खूब बातें करते. राधिका को भी अब मज़ा आता था असलम साब के साथ.
तीसरे दिन दीदी और राधिका शाम में शॉपिंग करके आ रहे थे, तो असलम साब उनको अपने फ्लॅट के दरवाज़े पर खड़े मिल गये, और उनको अंदर बुलाने लगे. उस दिन राधिका ने रेड कलर की लेगैंग्स और रेड कमीज़ पहन रखी थी. और राधिका बहुत खूबसूरत लग रही थी.
दीदी ने तो माना कर दिया और बोली: मैने जेया कर खाना बनाना है. मैं नही आ सकती.
तो असलम साब बोले-
असलम साब: चलो राधिका, तुम आ जाओ. तुम पहली दफ़ा आओगी इसलिए माना नही करना.
राधिका मान गयी, और दीदी उपर अपने घर चली गयी, और राधिका और असलम साब दोनो फ्लॅट में चले गये. असलम साब ने राधिका को जूस दिया और दोनो बातें करने लगे. असलम साब जान-बूझ कर अपनी बीवी को याद करने लगे, और रोने की आक्टिंग करने लगे.
उनको को रोता देख कर राधिका असलम साब के बिल्कुल साथ जेया कर बैठ गयी, और उनको चुप करने लगी. असलम साब ने रोते हुए अपना मूह राधिका के सीने पर रख दिया. राधिका असलम साब को चुप करवा रही थी, तो वो अपना हाथ असलम साब के सर पर फेरने लगी.
असलम साब ने मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए अपना एक हाथ राधिका की कमर पर रख दिया, और अपने मूह से राधिका के टाइट बूब्स को दबाने लगे. राधिका को करेंट लगा जब असलम साब ने उसके बूब्स को अपने मूह से दबाया.
राधिका को शरम भी महसूस हो रही थी की बुद्धा इंसान उसके बूब्स पर अपना मूह फेर रहा था. लेकिन उसने असलम साब को माना नही किया. जब असलम साब ने देखा की राधिका माना नही कर रही थी, तो उनकी हिम्मत बढ़ गयी, और उन्होने अपना हाथ जो कमर पर रखा हुआ था, उसको आयेज किया और साइड में से राधिका के बूब्स दबा दिए.
राधिका के मूह से एक सिसकी निकली. अब असलम साब ने अपना मूह राधिका के बूब्स से हटता लिया था, और राधिका के मूह की तरफ देखने लगे. असलम साब और राधिका दोनो की नज़रे आपस में मिली, तो असलम साब अपना मूह आयेज को ले गये, और अपने काले होंठो को राधिका के लाल होंठो पर रख दिया.
राधिका ने अपनी आँखें बंद कर ली, और असलम साब के साथ किस करने लगी. 2 मिनिट्स तक दोनो किस करते रहे. फिर अचानक से राधिका ने अपनी किस तोड़ी, और उठ कर अपने कपड़े सही किए, और बाहर को भाग गयी.
असलम साब उसको रोकते भी रहे लेकिन वो नही रुकी, और दीदी के घर चली गयी. फिर राधिका को ऐसे आते देख कर दीदी ने पूछा-
दीदी: क्या हुआ राधिका? तेरी साँस क्यूँ फूल रहा है?
राधिका: वो दीदी बस भाग कर आ रही हू इसलिए.
फिर राधिका अपने कमरे में चली गयी तो दीदी ने असलम साब को कॉल मिलाई और बोली-
दीदी: क्या किया है तुमने राधिका के साथ? बेचारी बड़ी दररी हुई लग रही है?
असलम साब: अभी तो बस किस की है, और अभी से दर्र गयी.
दीदी: बोला था ना बड़ी शरीफ है.
असलम साब: उसके लाल होंठ चूस कर मज़ा आ गया. बाकी आब शाम में करूँगा.
शाम में 8 बजे जब असलम साब आए, तो राधिका उनको देख कर शर्मा गयी, और किचन में चली गयी.
असलम साब ने दीदी को इशारा किया, तो दीदी सब बच्चो को लेकर बाहर चीज़ दिलाने चली गयी. असलम साब किचन में दाखिल हुए, और पीछे से राधिका को पकड़ लिया.
राधिका ऐसी पकड़ से दर्र गयी, और डोर होने की कोशिश करते हुए बोली-
राधिका: आप क्या कर रहे है? घर में इतने सारे लोग है?
असलम साब: मेरे जज़्बात जगा कर तू भाग आई, तो इसलिए मैं आया हू, और घर पर कोई नही है.
इतना बोल कर असलम साब ने राधिका का मूह अपनी तरफ किया, और राधिका को किस करने लगे. राधिका काफ़ी बेचैन लग रही थी, और बार-बार अपना मूह च्चूदवा रही थी.
फिर राधिका बोली: प्लीज़ आप यहा से चले जाओ, दीदी देख लेगी.
असलम साब: तेरी दीदी कुछ नही कहेगी, तू दीदी से शरमाती है?
राधिका: प्लीज़ आप छ्चोढ़ दो मुझे. आप आचे इंसान हो.
असलम साब: तू दीदी से शरमाती है तो चल मेरे घर चल. उधर कोई नही होगा.
राधिका: दीदी क्या सोचेगी की मैं आपके साथ क्या कर रही हू?
असलम साब ने राधिका का हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ लेकर बाहर निकले और बोले-
असलम साब: कुछ नही सोचेगी अंजलि.
फिर असलम साब राधिका को लेकर अपने घर आ गये. राधिका को बड़ी शरम आ रही थी, की वो एक बुड्ढे के साथ क्या करने जेया रही थी. घर में दाखिल होते ही असलम साब ने राधिका का दुपट्टा एक तरफ फेंका, और उसको किस करने लगे.
राधिका भी असलम साब को किस कर रही थी. दोनो 5 मिनिट्स तक एक-दूसरे को किस करते रहे. फिर असलम साब ने किस तोड़ी, और राधिका की कमीज़ उतारने लगे.
राधिका उनको माना कर रही थी, की कमीज़ ना उतरो.
लेकिन असलम साब नही मान रहे थे, और उन्होने खींच कर राधिका की कमीज़ को गले तक उपर किया. इससे राधिका के टाइट बूब्स रेड ब्रा में नज़र आने लगे.
राधिका के बूब्स देख कर असलम साब को जोश आ गया, और उन्होने राधिका की कमीज़ उतार दी. राधिका को बड़ी शरम आ रही थी. असलम साब ने ब्रा के उपर से ही राधिका के बूब्स चूमने शुरू कर दिए. राधिका ने अपनी आँखें बंद कर ली थी. असलम साब ने राधिका की ब्रा उतार दी, तो राधिका के बूब्स आज़ाद हो गये.
राधिका के पिंक निपल देख कर असलम साब के मूह में पानी आ गया, और उन्होने राधिका को अंदर बेड पर धक्का दे कर लिटा दिया, और अपने कपड़े उतारने लगे.
असलम साब का काला और मोटा लोड्ा देख कर राधिका ने अपनी आँखें बंद कर ली. असलम साब अपना मोटा लोड्ा हाथ में पकड़ कर राधिका के पास आए, और राधिका के उपर लेट कर उसको किस करने लगे. राधिका असलम साब के मोटे जिस्म के नीचे च्छूप गयी. असलम साब राधिका के बूब्स को चूस रहे थे. राधिका के मूह से हल्की-हल्की सिसकियाँ निकल रही थी.
5 मिनिट्स तक बूब्स से खेलने के बाद असलम साब तोड़ा नीचे हुए, और राधिका की नेवेल चूमने लगे. फिर असलम साब ने राधिका के लेगैंग्स को फाड़ कर उतार दिया. अब राधिका सिर्फ़ एक रेड पनटी में थी.
असलम साब पनटी के उपर से राधिका की छूट चूमने लगे. राधिका की चूत गीली हो चुकी थी. असलम साब ने राधिका को घुमाया, और राधिका की गांद को पनटी के उपर से . लगे.
राधिका को बड़ा मज़ा आ रहा था, और उसने अपनी आँखें बंद की हुई थी. असलम साब ने राधिका की पनटी उतार दी और उसकी गांद को दबाने लगे. फिर असलम साब ने राधिका को घुमाया, और उसकी छूट को चाटने लगे.
फिर असलम साब ने अपना काला लोड्ा पकड़ा और उसको राधिका की छूट पर रख कर एक हल्का सा झटका मारा. इससे असलम साब के लोड का . राधिका की छूट में चला गया, और राधिका के मूह से हल्की से चीख निकली.
राधिका बोली: प्लीज़ आराम से करो.
असलम साब ने राधिका की कोई बात नही सुनी, और एक ज़ोर का झटका मारा, जिससे असलम साब का काला लोड्ा राधिका की नाज़ुक सी छूट को चीरता हुआ अंदर चला गया, और राधिका के मूह से एक ज़ोर की चीख निकली आहह. और राधिका असलम साब को . लगी.
मगर असलम साब के अंदर का जानवर जाग गया था. वो रुके नही, और ज़ोर-ज़ोर से राधिका को छोड़ने लगे. अब राधिका की आ आ श की चीखें गूँज रही थे. थोड़ी देर बाद राधिका की चीखें सिसकियों में बदल गयी.
ऐसे ही 30 मिनूत्स तक असलम साब राधिका को छोड़ते रहे. फिर एक ज़ोर का झटका मारा, और असलम साब ने अपना सारा पानी राधिका की छूट में डाल दिया, और राधिका के उपर से साइड में हो कर लेट गये.
तो बे कंटिन्यूड.