कहानी जिसमें पति-पत्नी और उनके दोस्तों ने चुदाई के मजे लिए

पत्ते बांट दिए गए। हर कोई खेलने लगा। सब को मज़ा आ रहा था। फिर एक बाज़ी में नीलेश जीत गया, और निखिल हार गया। तो नीलेश ने निखिल से अपनी टी-शर्ट उतारने के लिए कहा। तब निखिल ने अपनी टी-शर्ट उतार दी। हम सब हूटिंग करने लगे।

अगली बाजी में निखिल जीत गया और टीना हार गई। तो निखिल ने टीना से उसका पहना हुआ टॉप मांग लिया। इस बात से मैं तो सन्न रह गई, कि निखिल ये क्या बोल रहा था। जब मैंने नीलेश ओर टीना की तरफ देखा, तो निखिल की इस बात से जैसे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ा। मैंने सोचा, कि अब टीना गेम छोड़ देगी, मगर उसने अपना टॉप उतारा और निखिल को दे दिया।

गोरे बदन पर उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी, और उसके बूब्स की क्लीवेज में फंसा उसका मंगलसूत्र लटक रहा था। अगली बाज़ी में मैं नीलेश से हर गई। तो फिर नीलेश ने भी मुझसे मेरा टॉप मांग लिया। मैंने निखिल की तरफ देखा। निखिल भी मुझे देख रहा था पर कुछ ना बोल सका।

तब नीलेश ने कहा: गेम तो गेम है डियर, तुमको गेम के नियम मानने पड़ेंगे।

तो थोड़ा सा संकुचाते हुए मैंने भी अपना टॉप उतार कर नीलेश के हाँथों में दे दिया। ब्लैक ब्रा में मेरे बूब्स देख कर नीलेश बोला-

नीलेश: वाह! इसे कहते है ब्यूटी। सच मे रोमा, तुम्हारे बूब्स लाजवाब है।

मैं थोड़ा शरमाई, मगर फिर भी गेम खेलती रही। इसी तरह गेम चलता रहा और एक-एक करके सब के कपड़े उतरने लगे। अब नीलेश ओर निखिल सिर्फ चड्डियों में थे। और टीना और मैं सिर्फ ब्रा-पेंटी में ही रह गए थे।

हमको ब्रा-पेंटी में देख कर नीलेश ओर निखिल के लंड अब तन चुके थे। और वो हमें उनकी चड्डियों में से अकड़े हुए दिख रहे थे।

फिर अगली बाज़ी में जब टीना जीती। तो उसने निखिल से चड्डी उतारने को कहा। निखिल ने बिना देर किए ही अपनी चड्डी नीचे खिसका कर उतार दी। फिर मेरे जीतते ही मैंने भी नीलेश की चड्डी उतरवाई। अब दोनों मर्द हमारे सामने बिल्कुल नंगे बैठे थे, और उनके तने हुए लंड देख कर हमारा भी मूड बन रहा था।

आज मैं किसी पराये मर्द को अपने पति के सामने ही नंगा देख रही थी। जो ठीक मेरे सामने था। उसका लंड देख कर मेरे मुँह से तो लार टपकने लगी। नीलेश का लंड गजब का मोटा ओर लम्बा था। अगली बाज़ी में पहले निखिल ने टीना की ब्रा-पेंटी उतरवा दी, और फिर नीलेश ने मेरी ब्रा-पेंटी उतरवा दी।

अब हम चारों बिल्कुल नंगे थे। पर गेम रुका नहीं। फिर अगली बाज़ी में नीलेश ने मुझे हराया, और मुझे अपनी गोद में आकर बैठने के लिए कहा। इसकी इजाजत मुझे निखिल ने दे दी, तो मैं नीलेश की गोद मे जा कर बैठी। उसका तना हुआ लंड मेरी चूत से लगा। मेरा तो दिल किया कि ये मेरी चूत में ही घुस जाए, पर पति के सामने कैसे करती।

फिर ऐसे ही टीना को भी निखिल ने अपनी गोद मे बिठा लिया।

बेशक मुझे लग रहा था कि ये गेम सिर्फ हमें बेवकूफ बना कर सेक्स पार्टी मनाने के लिए खेला जा रहा था। पर कहीं ना कहीं सबको ये अच्छा लग रहा था। तो सब चुप रह कर एन्जॉय कर रहे थे। टीना और मैं एक-दूसरे के पतियों की गोद में बैठी हुई थी।

फिर एक और बाज़ी हुई तो नीलेश से मेरे पति निखिल हर गये।

तो नीलेश ने कहा: मैं रोमा को चोदना चाहता हूँ।

एक बार को तो कमरे मे सन्नाटा से छा गया। मैंने फिर से अपने पति निखिल की तरफ देखा तो निखिल ने मुझे आँखों से इशारा करके हामी भर दी, और इजाज़त दे दी। तो फिर मैं उठी और नीलेश से बोली: चलो, कहाँ चोदोगे?

फिर नीलेश ने मुझे वहीं लिटाया, और मेरी टांगे खोल कर अपना लंड उसने मेरी चूत पर रख दिया। मैंने भी अपनी कमर उठा कर उसके लंड को अपने अंदर ले लिया। हम दोनों के बदन एक हुए। वो अपने होंठों को मेरे होंठो से मिला कर किस करते हुए धीरे-धीरे अपनी कमर चलाने लगा।

ये देख कर टीना खुद ही नीचे लेटा गई, और निखिल जैसे ही उसके ऊपर आया, तो टीना ने अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत में घुसेड़ लिया और चुदाई शुरू हो गई। टीना मेरे पति निखिल से चुद रही थी, और मैं उधर टीना के पति नीलेश से चुद रही थी। माहौल बहुत गर्म था।

जब नीलेश मुझे चोद रहा था तो बोला: जानती हो रोमा जब हम इस हनीमून ट्रिप पर निकले थे, तो तभी मेरे दिल में यह ख्वाहिश थी कि मैं तुम्हारी चुदाई करू। और देखो आज मेरी ये ख्वाहिश पूरी हो गई। इतने बड़े-बड़े बूब्स जिन्हें मैं छू सकता हूँ, चूस सकता हूँ। और ये संगमरमर जैसा तुम्हारा ज़िस्म, जिसे में सहला सकता हूँ। तुम बहुत सेक्सी हो रोमा डार्लिंग!

ये कह कर उसने मेरे बूब्स पकड़े और बच्चों की तरह चूसने लगा। यही हाल टीना और निखिल का भी था। आधी रात तक हम चारों का चुदाई का प्रोग्राम ऐसे ही चलता रहा। फिर धीरे-धीरे हम चारों ही झड़ गए, और सब वहीं लेटे-लेटे सो गए।

हम सब जब सुबह सो कर उठे तो हम चारों नंगे ही थे। तो मैंने हंसते हुए निखिल और नीलेश से कहा-

मैं: अभी रात में ही तो तुम्हारे लंडो की हवा निकाली है। ये तो फिर खड़े हो गए?

नीलेश बोला: रोमा जी, अब तो ये इंडिया पहुँच कर ही शांत होंगे। यहाँ तो अंदर-बाहर चारों तरफ ही सेक्स के नजारे हैं। यहाँ तो बम्बू का तम्बू तना ही रहेगा। और चारों हंस पड़े।

निखिल रूम के बाहर बने पूल में उतर गया, और उसने मुझे और टीना को भी बुलाया। टीना तो गई नहीं, पर मैं पूल में उतर गई। टीना और नीलेश रूम के अंदर ही थे। अब यह कोई कहने की बात नहीं कि उन दोनों पति-पत्नी ने एक-दूसरे को चूमना चाटना शुरू कर दिया था। बाहर निखिल मुझे पानी में नीचे खींच कर मेरे बूब्स दबा रहा था। तो मैंने भी निखिल का लंड ऊपर से पकड़ लिया था।

मैं समझ गई कि अब अगर अंदर से टीना और नीलेश बाहर नहीं आये, तो पक्का उधर उन दोनों की चुदाई चल रही होगी। तब मैं पूल से बाहर आ गई। मेरा अंदाज सही था। नीलेश और टीना के होंठ मिले हुए थे, और दोनों एक-दूसरे को चूम रहे थे।

मैंने ऐसा दिखाया कि मैंने कुछ देखा नहीं है और जोर से निखिल को आवाज दी। तब नीलेश और टीना दोनों शीशे का दरवाजा खोल कर बाहर आ गए। जब वो दोनों बाहर आये तो मैं वाशरूम में बने बाथटब में चली गई, निखिल भी पीछे-पीछे चला आया।

तभी कुछ देर बाद टीना की आवाज आई कि वो दोनों जा रहे थे, और लंच पर रिसोर्ट के रेस्टोरेंट में एक घंटे बाद मिलेंगे। असल में निखिल ने मुझे ओर नीलेश ने टीना को गर्म कर दिया था। तो अब दोनों को चुदाई सूझ रही थी.

रूम का दरवाजा बंद होने की आवाज आते ही निखिल ने बाथटब में ही मुझे घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया, और फिर यह चुदाई अंदर बेड पर आकर ही पूरी हुई।

एक घंटे बाद रूम का फोन बजा। नीलेश ने रूम से बाहर आने को कहा था। निखिल ने फटाफट बरमूडा और टी-शर्ट और मैंने एक फ्रॉक डाली, और दोनों बाहर आ गए। बाहर वो एक बैटरी रिक्शा जिसे वहाँ बग्गी बोलते थे, में बैठे थे।

टीना ने तो एक टॉप और स्कर्ट डाली थी, और नीलेश शॉर्ट्स और टी-शर्ट में था। टीना की स्कर्ट तो शार्ट थी, जिससे स्कर्ट का पहनना या ना पहनना बराबर था। पर उसने पैंटी पहन रखी थी। ब्रा हम दोनों लड़कियों ने नहीं पहनी थी, तो झुकते ही देव दर्शन हो जाते थे। खाना खाकर चारों समुद्र तट पर रेत पर ही लेट गए।

वहाँ रिसोर्ट के बंदे ने हमें नीचे बिछाने को टॉवल दे दिये। वहाँ कुछ टाइम मस्ती करने के बाद हम चारों अपने-अपने रूम की ओर चल दिए। रास्ते में हमें बग्गी मिल गई, तो आगे तो निखिल और मैं, और पीछे नीलेश और टीना बैठ गये ।

पहले मेरा रूम पड़ा तो मैं नीलेश ओर टीना को बाय बोल कर अपने रूम की ओर हंसते हुए चल दी। रात को हम वापस रेस्टोरेंट में जाकर डिनर करके आये। रेस्टोरेंट के रास्ते में माहौल बहुत सेक्सी था। एक तो रिसोर्ट बहुत सेफ था, ऊपर से अँधेरा और एकांत। रास्ते में अनेक जोड़े एक दूसरे को चूमते चाटते मिले। एक दो तो शायद सेक्स भी कर रहे थे। अब पेड़ की ओट में अंधेरे में कौन क्या कर रहा है, किसी को किसी की परवाह नहीं थी।

वहीँ रिसोर्ट के कोने में एक कॉमन बड़ा सा स्विमिंग पूल था। जब हम वहाँ से निकल रहे थे, तो हमने देखा कि कुछ विदेशी जोड़े उसमें उतरे हुए थे और खुल कर बेशर्मी कर रहे थे। उन्हें देख कर नीलेश को मस्ती आ गई। उसने रिसोर्ट की हेल्प डेस्क से चारों के लिए स्विमिंग कोस्ट्यूम इशू कराये, और चारों कपड़े बदल कर स्विमिंग पूल में उतर गए।

अंदर छेड़-छाड़ पूरे जोरों पर थी। चारों ओर अंधेरा था, और हल्का म्यूजिक चल रहा था। नीलेश ने टीना के टॉप को ऊपर कर दिया जिससे उसके मम्मे बाहर आ गए। तो टीना ने भी नीलेश का लंड बाहर निकाल दिया। निखिल ओर मैं ये सब देख कर हैरान थे कि वो दोनों कैसे बिना किसी शर्म के इतने सारे लोगों के बीच मे एक दूसरे को नंगा कर रहे थे।

इस बीच निखिल ने नीलेश को कह दिया: हम रूम में जा रहे है।

तो नीलेश ने कहा: रुको, कुछ ही देर में हम भी साथ चलेंगे।

फिर शायद उन्हें भी कुछ शर्म आई, तो उन लोगों ने अपने कपड़े ठीक किये और आधे घंटे मस्ती करने के बाद बिना कपड़े बदले ही हम अपने-अपने रूम की ओर चल दिए। वहाँ पहुंच कर नीलेश ने ऑफर दिया: चलो पूल में ड्रिंक करेंगे।

इधर निखिल को भी मस्ती सूझ रही थी, तो उन्होंने भी हाँ कह दी।

तो हम चारों नीलेश ओर टीना के रूम में पहुंचे और पीछे बने पूल के पास बैठ गए। नीलेश फ्रिज से व्हिस्की निकाल लाया। मैंने और टीना ने पीने से मना कर दिया, और हम दोनों तो पूल में उतर गई।

निखिल और नीलेश गीले कपड़े उतार कर टॉवल लपेट कर वहीं पड़ी चेयर्स पर बैठ गए और ड्रिंक लेने लगे। पूल में टीना और मैंने अपनी अदाओं से उनको उकसा-उकसा कर जल्दी ही उन्हें भी पूल में आने पर मजबूर कर दिया।

नीलेश टॉवल उतार कर स्विमिंग कोस्ट्यूम पहनना चाह रहा था, पर टीना बोली-

टीना: बिना कपड़ों के ही जाओ दोनों।

इस पर नीलेश बोला: तुम दोनों भी उतार दो, तो हम भी ऐसे ही आ जायेंगे।

तो टीना ने एक ही झटके में अपने कपड़े उतार दिए, और बाहर फेंक दिए। उसने मेरे भी कपड़े जबरदस्ती उतरवा दिए। अब चारों नंगे ही पूल में थे। चारों ओर अँधेरा था। पर बराबर वाले रूम में भी शायद पूल में एक जोड़ा था जिसकी हल्की-हल्की आवाज हमें आ रही थी। और वो भी शायद चुदाई में मशगूल थे।

पूल में आते ही निखिल ने मुझे ओर नीलेश ने टीना को अपनी तरफ खींच लिया। पूल छोटा सा था, पर सेक्स और रोमांच के लिए बहुत था। निखिल ने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे बूब्स जकड़ लिए। हमारी वासना चरमोत्कर्ष पर आ गई थी। एक मिनट के अंदर ही मेरे और निखिल के होंठ मिले हुए थे।

उधर नीलेश और टीना का भी यही चल रहा था। कुछ देर चुम्मा-चाटी के बाद टीना और मैं एक दूसरे के पतियों के गले में बाहें डाल कर झूल गई, और पतियों को एक्सचेंज करके चूमना शुरू कर दिया। ऐसा करते ही दोनों ने एक दूसरे की पत्नियों को पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया।

निलेश का लंड बार-बार मेरी चूत पर टक्कर मार रहा था, और नीलेश तो मेरे के बूब्स को खा ही जाना चाहता था।फिर नीलेश ने मेरी की एक टांग ऊपर करके अपना लंड मेरी चूत में करना चाहा, पर मैं बैलेंस नहीं कर पा रही थी। तो मैं नीचे झुकी और नीलेश के लंड को अपने मुंह में लेके चूसने लगी।

फिर हम दोनों से ही बर्दाश्त नहीं हुआ, तो हम फटाफट पूल से बाहर निकले, और अपने बदन को टॉवल से पौंछ कर बेड की ओर भागे। बेड पर जाते ही नीलेश ने अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दी, तो में सिहार गई। फिर नीलेश ने मेरी टांगे अच्छे से फैला दी, और जीभ अंदर तक घुसा दी, और अपने हाथों से मेरे बूब्स मसलने शुरू कर दिये। मैंने भी उसके बाल कस कर पकड़ लिए थे, और उसके सिर को चूत पर दबा रही थी।

उधर पूल का मामला कुछ और ही था। मेरे पति निखिल और टीना बाहर बने पूल में उतर गए थे, और उनके कपड़े उतर कर बाहर आ पड़े थे। निखिल पूल की सीढ़ी पर बैठ गया तो टीना ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। दो मिनट चुसवाने के बाद निखिल नीचे उतरा, और टीना को सीढ़ी पर ही घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत को चोदने लगा।

निखिल के दोनों हाथ टीना के बूब्स मसल रहे थे। इधर मैंने अपने आप को नीलेश से अलग किया और बाथरूम में जाकर शावर लेने लगी। तो नीलेश भी मेरे पीछे-पीछे आ गया और शावर लेने लगा। नीलेश का लंड पूरे जोश में खड़ा था। में उसकी ओर इशारा करके हंस पड़ी। तो नीलेश ने मुझे अपनी गोदी में उठाया और बोला-

नीलेश: अभी तुम्हारी हंसी बंद करता हूँ।

मैंने नीलेश को कस के चूमा और बोली: मैं हंस इसलिए रही थी कि जो लंड अभी तन कर खड़ा है, थोड़ी ही देर में मैं उसे निचोड़ दूँगी।

नीलेश बोला: तुम तो बाद में निचोड़ोगी, उससे पहले तो ये तुम्हारी चूत फाड़ देगा।

मुझको चुदने की कोई जल्दी नहीं थी। तो मैंने नीलेश से पूछा: ड्रिंक लोगे?

तो नीलेश ने हाँ कर दी। मैंने बार से बियर निकली, और एक छोटी शीशी शहद की।

नीलेश बोला: शहद का क्या करोगी?

तो मैंने मुस्कुरा दिया। हम दोनों नंगे ही सोफे पर बैठ गये, और नीलेश बोतल से ही बियर पीने लगा। फिर नीलेश ने मेरे बूब्स पर बियर टपकाया और फिर उसे चाट-चाट कर पीया। अब चुदाई का पूरा माहौल गर्म था। नीलेश का लंड तनतना रहा था, और मेरी फुद्दी भी फुद-फुद कर रही थी। मैंने दो बड़े टॉवल बेड पर बिछाये।

नीलेश ने पूछा: ये क्यों?

तो मैंने बोली: चुपचाप लेट जाओ।

नीलेश लेटा तो मैंने उसके लंड पर शहद लपेट दिया, और फिर लगी उसे चूसने। मैं इतना कस कर चूस रही थी, कि उम्म्ह… अहह… हय… याह… नीलेश की तो हालत ख़राब हो गई थी.।

फिर वो चीखा: मान जाओ, वर्ना मुँह में ही धार छूट जायेगी।

दया खाकर मैंने उसे छोड़ दिया तो अब नीलेश ने मुझे नीचे टॉवल पर पटका और बचा हुआ शहद मेरे बूब्स और चूत में भर दिया। अब नीलेश की बारी थी चूत और चूत वाली को मदहोश करने की। उसने चूस-चूस कर मुझे इतना गर्म कर दिया, कि मैं वासना की आग में जलते हुए गिड़गिड़ाने लगी-

मैं: नीलेश, अब अपना लंड दे दो। मेरी चूत को अब फाड़ दो जानू। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा प्लीज।

तभी निखिल और टीना भी बेड पर ही आ गये थे, और वो लोग भी अपनी कामक्रीड़ा में बिजी थे। नीलेश ने मेरी टांगें ऊपर करके चौड़ी की, और लंड को मेरी चूत में पेल दिया। दोनों मर्दो ने एक दूसरे की बीवियों की जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी। चूत का तो भोसड़ा बना ही गया, पर लंड भी ऐसा निचुड़ा कि पूरा बेड तहस-नहस हो गया।

नीचे बिछा टॉवल वीर्य और चूत रस से भीग चुका था, और वासना की आग में जले दोनों बदन निढाल पड़े थे। आगे के 3-4 दिन भी एसे ही मस्ती में बीते। कभी अपनी-अपनी के साथ, और कभी बदल कर। और कभी-कभी तो निखिल नीलेश ने एक साथ कभी मुझ को चोदा तो कभी टीना को। मुझ से ज्यादा जबरदस्त चुदाई तो टीना की हुई।

नीलेश ने नीचे लेट कर उसकी चूत में अपना लंड नीचे से घुसाया, और ऊपर से निखिल ऊपर से उसकी चूत में धक्का देते हुए घुस गया। अब चूत एक और लंड दो थे। टीना तो चीखने लगी थी। फिर उन्होंने यही चुदाई मेरे साथ करनी चाही, पर इसके लिए मैंने उन्हें साफ मना कर दिया था, कि में दो लंड एक साथ अपनी चूत में नहीं ले सकती।

तो उन्होंने भी मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की।

चूत लंड का ऐसा घमासान शायद उस रिसार्ट में पहले कभी नहीं हुआ होगा। अगले दिन इतनी रंग बिरंगी यादों को लेकर दोनों जोड़े वापस हुए। इस वादे के साथ कि जो हुआ वो एक हसीन सपना था। इससे ज्यादा कुछ नहीं!

दोस्तो, कैसी लगी कहानी आप सभी को मुझे मेल कर के बताइयेगा जरूर।

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