लाइब्ररी मे जवान लड़कियो का लेज़्बीयन सेक्स

jawan ladkiya ka lesbian sex story हेलो दोस्तो मेरा नामे अंजलि है, 27 की हू. मेरा रंग गोरा है, मेरी हाइट 5’8 और मेरी फिगर 32 28 32. मुझे देख के हर कोई मचल जाए.

तो दोस्तो अब बोर ना करते हुए सीधे कहानी पे आती हू. मई एक गर्ल्स स्कूल मे इंग्लीश की टीचर हू तो स्कूल मे सारे टीचर सारी मे जाते है. इसलिए मेरे को भी सारी मे जाना पड़ता था.

ऑगस्ट का महीना था, बारिश का मोसां था. उस टाइम पे स्कूल मे बहुत कम बचे आ रहे थे बहुत बारिश के वजह से. लेकिन मई तो टीचर हू इसलिए मेरे को जाना ही पड़ता था.

मई स्कूल मे गयी और हर रोज की तरह अपनी क्लास ली. और लंच मे स्टाफ रूम मे बेत के लंच कर रही थी. लंच के बाद लग भाग मेरे सारे पीरियड्स खाली रहते थे.

इसलिए प्रिन्सिपल माँ मेरे को अबसेंटी टीचर के जगह मेरे को भेज देती थी. या स्कूल की लाइब्ररी मे कुछ एंट्री का काम दे देती थी.

उस दिन मई लंच करने के बाद बेती हुई थी. और प्रिन्सिपल माँ ने मुझे बुलाया. बोला की अंजलि तुम एक काम करो सुनीता माँ के साथ लाइब्ररी मे उनकी हेल्प कर दो बुक्स की एंट्री करने मे. और आज कोई क्लास लेने की ज़रूरत नही है. वैसे भी आज बहुत कम बचे आए है बारिश के वजह से.

जैसे ही मई ऑफीस से निकली तो देखा की फिर से बहुत तेज़ बारिश शुरू हो गयी. और लाइब्ररी पीछे वेल बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पे था और वाहा बहुत ही शांति रहती है. जो की लाइब्ररी के लिए पर्फेक्ट है.

मई सोच रही थी ये बारिश जल्दी से रुकने नहीं वाली मई फालतू में खड़े खड़े टाइम वास्ते कर रही हु. तो जल्दी से भाग भाग कर जैसे तैसे मई दूसरी बिल्डिंग में पोहोच गयी जहा लाइब्रेरी है.

वह जेक पहले अपने पल्लू से अपना फेस से पानी जो बारिश बुँदे थी उसे पूछा. और देखा की मेरी पीठ और मेरी ब्लाउज साइड से हलकी गीली हो गयी. उस दिन मैंने मेहरून कलर की सुइटी कपडे की साड़ी और ब्लाउज पेहेन रखा था. और मेहरून कलर की ब्लाउज पे बारिश की बूँद अलग ही मोतिओं की तरह चमक रही थी.

मैने ज़्यादा उनपे गौर ना करते हुए सीधा लाइब्ररी मे घुस गयी. घुसते ही देखा सुनीता माँ अपने टेबल पे नही थी तो रीडिंग रूम ही होगी. तो मई आयेज बढ़ी और रीडिंग रूम मे जाने को बढ़ी.

रीडिंग रूम के चौखट पे पेर रखते ही मेरे कानो मे किसी की सिसकिया सुनाई दे रही थी – आहह ओह उम्म्म्मममम ऑश यअहह… बड़ी कामुक आवाज़ गूँज रही थी रीडिंग रूम मे.

रीडिंग रूम के चौखट पे पेर रखते ही मेरे कानो मे किसी की सिसकिया सुनाई दे रही थी – आहह ओह उम्म्म्मममम ऑश यअहह… बड़ी कामुक आवाज़ गूँज रही थी रीडिंग रूम मे.

तो मैने रीडिंग मे एंटर करते ही देखा की सुनीता मा’आम अपनी ब्लॅक ब्लाउस और सारी मे थी. सारी का पल्लू नीचे गिरी हुई थी और मा’आम के ब्लाउस के हुक्स सारे खुले हुए थे. और अंदर ब्रा भी . नही . था और सारी और . को . तक . कर के अपनी छूट मे उंगली कर रही थी.

मेरी और सुनीता माँ’ऍम की नजरे जैसे ही टकराई तो हमदोनो शर्म से लाल हो गए थे.

मे- सॉरी मा’आम मे बाद मे आती हू.

सुनीता- अरे नही अंजलि रूको कोई बात नही… और जल्दी ब्लाउस के हुक लगा के सारी का पल्लू ठीक कर के खड़ी हो गयी.

मई जैसे ही जाने को हुई तो मा’आम ने मेरी पल्लू को पीछे से खिछा और मे अचानक से सहम गयी.

सुनीता- रूको अंजलि बोलते ही… मेरी पल्लू को हटा के मेरी चुचिया अपने दोनो हाथो से कस के दबा दिया.. मई चीख पड़ी आअहह…

मे- छ्चोड़ो मा’आम क्या कर रही हो ये, पागल हो रही हो क्या?!

सुनीता- चुप साली रंडी आज तो मौका मिला है तुझे मसलने का और एक प्यासी लेस्बियन औरत तेरे को ऐसे कैसे जाने देगी अपनी छूट की पानी छोड़े बिना.

मई उनकी बात सुनके एक दम हैरान सी हो गयी माँ’ऍम लेस्बियन है.

में- प्लीज माँ’ऍम छोड़ दो जाने दो कोई देख लेगा तो गलत सोचेगा.

सुनीता- चल साली आज तो तुझे छोड़ के और तुझसे छुड़वा के रहूंगी.

में- नो माँ’ऍम प्लीज..

माँ’ऍम ने देखते ही देखते पल्लू को हटा दिया और माँ’ऍम मेरी चुचिअ को ज़ोरो से मसलने लग गयी. और मेरे मुँह से आह्ह्ह्ह माँ’ऍम नो माँ’ऍम प्लीस्सस्सस्स स्टॉप…

सुनीता माँ’ऍम मेरे से लम्बी और हटती कटती थी और सेक्सी भी थी. उनकी हाइट होगी ५’१० और उनका फिगर ४० ३६ ४०.

माँ’ऍम के सामने मई कमजोर पड़ने लगी और रोने लगी. माँ’ऍम ने मेरे बाल खींच कर एक हाथ से मेरे फेस पे रख कर मेरे होठो को चूसने लगी. दोनों हाथो से मेरे सर को पदक कर ज़ोर से स्मूच ले रही रही थी.

मेरी सास फूलने रही थी. लेकिन माँ’ऍम को अलग ही मज़ा आ रहा था मेरी होठो को चूसने में. और मेरे बारिश में हलके भीगे हुए बदन को देख और पागल सी हो गयी थी.

पागल की तरह मेरी होठो को चूस रही थी. मेरे को मुँह खोलने को बोल रही थी. लेकिन मई नहीं खोल रही थी लेकिन माँ’ऍम ने मेरे होठो पे इतने ज़ोर से कटा. मेरी मुँह से चीख निकल पड़ी और उसी समय माँ’ऍम ने अपना जीभ मेरे मुँह में दाल कर मेरी मुँह में अपने जीभ को अंदर बहार अंदर बहार कर रही थी.

१० मिंट बाद अब माँ’ऍम ने मेरे कानो के पास जीभ फेरना शुरू कर दिया. कानो से होते हुए निचे मेरे गर्दन पे आके मेरे को एक बार अचे से घुरा. और फिर मोठे मोठे लाल लिपस्टिक वाले होठ से मेरी गर्दन पे एक किश दिया.

जिससे मेरी बॉडी में एक झनझनाहट सी हुई. फिर अपनी जीभ से मेरी गर्दन को खूब छाता अचे से छठा. इस हरकत ने मेरे को गरम कर दिया था. जिसके वजह से मेरे को भी ाचा लगने लगा था. लेकिन बहुत बुरी तरह से चाट रही थी. जैसे की वो मेरी गर्दन को खा ही जाएगी. फिर गर्दन चाटने के बाद..

सुनीता- मेरी अंजलि जान आज मई अपनी प्यास बुझाऊँगी और तुझे में अपनी रंडी बना दूंगी देख साली बहन की लोदी.

ये बोल कर उन्होंने लाइब्रेरी का दूर अंदर से लॉक कर दिया. और सारे लाइट्स ऑफ और फंस ऑफ कर मेरे पीछे से मेरी चुचिअ मसलने लगी. इतने ज़ोरो से ब्लाउज के ऊपर से मसल रही थी. इतना डैम तो किसी मर्द में भी नहीं होगा. जितना डैम इस लेस्बियन औरत के हाथो में था.

माँ थोड़ा आगे की तरफ हलकी सी झुक गयी थी. इतना दर्द हो रहा था मेरी चुचिओ में. मेरी सिस्किअ निकल रही थी आह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्हह.. आराम से माँ’ऍम दर्द हो रहा है आराम से…

सुनीता- चुप साली दर्द हो रहा है तेरे को अभी बताती हु बहुत मज़ा आएगा.

ये बोलते ही मेरी ब्लाउज एक झाकते में कीच के खोल दिया एक दो हुक टूट गए. माँ’ऍम ने मेरे को टेबल पे धक्का मार के लिटा दिया और मेरी ब्रा के कप्स को चाटने लगी. और ब्रा उतरने के लिए मेरे को फिर से खड़ा किया.

पहले मेरी साड़ी को खींच कर उतार दिया और अपनी साड़ी को भी उतर के तबेल पटक दिया. और पेटीकोट भी उतार के टेबल पे पटक के फिर से मेरे को जाकर लिया. अपने हाथो से मेरी ब्रा को उतार के फिर से टेबल पर लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ के मेरी निप्पल को मुँह में लेके चूसने लगी.

मेरी निपल को मूह मे लिया फिर उसी चुचि को चूस्ते चूस्ते खूब मसला. फिर उस चुचि को पूरा मूह मे लेने की कोशिश कर रही थी. और लग भाग पूरा चुचि मे घुस भी गया था.

मई पागलो की तरह आआहए भर रही थी उम्म्म्मम माआअ आराम सी… तोड़ा आराम से.. उसने चुचि को मूह से निकाला और दूसरी चुचि के साथ भी यही हुआ.

फिर दोनो के साथ खेलने के बाद उसने मेरी निपल्स को अपने दोनो हाथो मे पकड़ के इतने ज़ोर से खिछा. एक बार को लगा की मेरी निपल्स शायद मेरी चुचीॉ से अलग ही हो गये. मेरे आखो से आँसू निकल गये. ये देख के-

मा’आम एक थप्पड़ लगाके – चुप साली रोने की नौटंकी करती है! अभी देख तेरे को कुटिया की तरह काट काट के तेरी बदन की मा छोड़ दूँगी.

उसने फिर निपल को दाटो के बीच दबा रही थी. फिर नीचे मेरे कमर पे आई और मेरी नाभि को पहले आचे से चटा और नाभि मे जीभ डाल कर जीभ से छोड़ने लगी.

मेरे को बहुत मज़े आ रहे थे इस वजह से. लेकिन कब तक.. फिर से वो भूखी शेरनी के रूप मे आ गयी और मेरी छूट की तरफ बड़ी. और पनटी को मिंट से पहले फाड़ के फेक दिया.

मेरी चिकनी हल्की झतो वाली छूट को चाटने लग गयी. इतनी बुरी तरह चाट रही थी की मे 3-4 मे ही पानी छ्चोड़ दिया. और उसने सारा पानी पी लिया. लेकिन मा’आम की प्यास इतनी जल्दी थोड़ी ना बुझने वाली थी. मा’आम ने मेरी छूट मे अपना जीभ डाल दिया और जीभ से छोड़ने लगी.

मई तो पागलो की तरह सिस्किअ लेने रही थी आआअह्ह्ह्हह आह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह अह्हह्ह्ह्ह…

उधर माँ’ऍम अपनी जीभ से छूट को छोड़ रही थी. इस बार भी मई ५ मिनट्स में झाड़ गयी और सारा पानी वह पि गयी. लेकिन फिर से मेरी छूट के पीछे पढ़ गयी.

इस बार माँ’ऍम ने अपनी मोती वाली बिच की ऊँगली एक झटके में अंडर दाल दिया. और मई चीख उठी आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह.. मर्डर गयी ऊऊऊओह्ह्ह्हह माआ… मम्मी.. प्लीज छोड़ अब.लेकिन माँ’ऍम ज़ोरो से जल्दी जल्दी अंदर बहार ऊँगली करने लगी और मैंने फिर से पानी छोड़ दिया.

सुनीता- चल अब घोड़ी हो और अपनी गांड ऊपर कर.

मैंने कुछ न बोलते हुए घोड़ी हो गयी. और फिर माँ’ऍम ने अपनी जीभ मेरी गांड के छेड़ में दाल दिया और गांड के छेड़ को जीभ से छोड़ रही थी. मेरे को अपनी गांड जीभ से छुड़वाने में बहुत ही मज़ा आ रहा था ोुह्ह्ह्ह.. माँ’ऍम यस माँ’ऍम अह्ह्ह्ह..

सुनीता- साली रंडी अब मज़े आ रहे है…

माँ’ऍम एक हाथ से मेरी निप्पल नोच रही थी और एक हाथ से छूट रगड़ रही थी. और अपनी जीभ से मेरी गांड छोड़ रही थी.

में- यस माँ’ऍम एसससस आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्ह येअहहहह..

मैंने इस बार में ५ मिंट में ही अपना पानी छोड़ दिया और टेबल पे अध् मरी हो कर लेट गयी.

सुनीता माँ’ऍम ने अभी तक अपनी ब्लाउज और पंतय नहीं उतरा था. माँ’ऍम ने झट से ब्लाउज उतार के फेक दिया. और पंतय उतारी तोह मैंने देखा की पूरी पंतय माँ’ऍम के रास भीग चुकी थी.

माँ’ऍम ने सीधा पंतय उतार के अपनी छूट मेरे मुँह में रख दी. और अपनी छूट को मेरे मुँह पे रगड़ने लगी. मैंने भी खूब छाता माँ’ऍम की छूट को. मेरे को लगा की माँ’ऍम भी मेरी तरह जल्दी झाड़ जाएगी. लेकिन माँ’ऍम पुरे २० मिनट्स बाद झड़ी और मई सारा पानी पि गयी.

सुनीता- ओह्ह्ह्हह यस बेबी सारा पि गयी.. काश ये टेबल मेरा बीएड होता और एक सफ़ेद चादर के अंदर तेरी छूट रगड़ कर तेरे ऊपर सो जाती.

ये बोल कर माँ’ऍम ने घडी की तरफ देखा १२ बजे रहे थे. और बोलै अभी तो २ घंटे है.

ये बोलते ही उन्होंने अपनी ब्लैक साड़ी उठायी और मेरे ऊपर लेट गयी उसे ओढ़ कर. माँ’ऍम ने फिर से मेरे को किश किया और गरम हो गयी. लेकिन मई नहीं हुई थी.

मई बुरी तरह से थक गयी थी. मेरे को लगा माँ’ऍम मेरे ऊपर सोने वाली है. लेकिन माँ’ऍम ने चादर के अंदर मेरे ऊपर लेट कर मेरी छूट से अपनी छूट रगड़ रही थी. और मेरी गर्दन को चाट रही थी.

बहुत ज़ोरो से रडने लगी और चाटने लगी और मई फिर से झड़ने वाली थी. जैसे ही झड़ने गयी माँ’ऍम ने मेरी चुचिओ पे ज़ोर से कटा. मैंने उन्हें अपने चुचिओ से हटाने की कोशिश की. लेकिन माँ’ऍम ने मेरी कलिओ को इतनी टाइट से पकड़ा की मेरी कलिओ में दो तीन चुधिअ टूट गयी.

मई ज़ोर से चीख पड़ी aahhhhhhhhhhhhhhh… प्लीज माँ’ऍम काटो मत..!

माँ’ऍम ने और ज़ोरो से रगड़ना शुरू किया. करीब १५ मिनट्स बाद मेरी छूट को पीस कर जब वो को झड़ने को आयी. उन्होंने इस बार मेरी गार्डन पे अपने होठ रखे और फिर अपना पूरा मुँह खोल कर खाने को हो गयी. और मेरी आधी गार्डन उनकी मुँह में थी.

फिर माँ’ऍम ने ज़ोर से काट खायी और सारा पानी मेरी छूट पे छोड़ दिया. और मेरे ऊपर ही १ घंटा आराम से लेती रही. फिर हम दोनों ने कपडे पहने और स्कूल की छूती होने का बेल्ल बज गया.

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