पंडितजी के साथ सुहाग रात

पंडितजी ने मुझे बेड पे जाके बैठने के लिए कहा, बेड गुलाब की पखुड़ियो से सज़ा हुआ था, बेड की चारो और धूप जल रहा था अंड उस धूआ से मूज़े तोड़ा तोड़ा नशा हो रहा था.

पंडितजी कुछ मंत्र बोलते हुआ बेड के फेरे लगा रहे थे, थोड़ी देर बाद वो मेरे सामने बेड पर आके बैठ गये उन्होने सिर्फ़ धोती पहनी थी, वो बोहट बूढ़े लग रहे थे फर्स्ट टाइम मे उनको इतना करीब से देख रही थी.

उन्होने मेरा घुँगट उठाया अंड एक काच की बॉटल से ओइल निकाला अंड मेरा हाथ सामने करने के लिए कहा अंड वो मेरे दोनो हाथो पे तेल लगाने लगे तेल की बोहत शानदार खुश्बू आराही थी, तेल लगते वो मेरे गले तक पोहच् गये उन्होने मूज़े नेक को भी तेल लगाना शुरू किया मूज़े बोहत अच्छा लग रहा था, पंडितजी मेरे हाथ को गले को तेल माल रहे थे, मूज़े उनका स्पर्श बोहत मदहोश किए जा रहा था.

अब पंडितजी ने मेरे आधे खुले बूब्स पे तेल लगाया, मै भी बेशरम हो के मेरी छति आगे कर रही थी, मै बोहत मदहोश हो रही थी, तेल से मेरा पतला ब्लाउस गीला हो गया था, अंड मेरे सॉफ्ट पिंक निपल्स क्लियर्ली दिख रहे थे, मेरी सास के साथ मेरे बूब्स उपर नीचे हो रहे थे.

पंडितजी ने धिरेसे मेरा ब्लाउस खोल दिया, अंड जटाका देते हुआ मेरे बूब्स उछाल पड़े आंड मेरे बूब्स के उपर अब ब्लाउस बस चिपक गया था, मई शर्मा के नीचे देखने लगी, मुझे पता चल गया था के पंडितजी पूजा सिर्फ़ नाटक कर रहे है, असल मै उनको मेरे साथ मज़े लेने है, मै भी बोहत प्यासी थी.

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पंडितजी ने मुझे बेड पर लिटा दिया, आंड मेरा ब्लाउस मेरे बूब्स पास खिच लिया, अब मे टोटली टॉपलेस थी हो गई थी, मे पहली बार किसी मर्द के सामने खुले बूब्स लेके लेती थी, मैने सोचा था शादी के बाद मूज़े दिनेश सुहग्रत की रात फुलोसे भरे बेड पे मेरी पहली बार चुदाई करेगा, बट मेरी सुहग्रत पंडितजी के साथ हो रही थी.

अब मई भी बोल्ड हो रही थी, पंडितजी मेरे बूब्स को घूर रहे थे, मैने पंडितजी के तरफ देख कर कहा ” पंडितजी ऐसे क्या देख रहे हो?”, “बेटी तेरे स्तन बोहट शानदार है” पंडितजी ने कहते हुआ मेरे दोनो बूब्स पे हाथ रख दिया, पहली बार कोई मर्द मेरे बूब्स को हाथ लगा रहा, मेरा बदन काप रहा था.

मैने पंडितजी के हाथ मेरे बूब्स पे दबा दिए अंड उनको मेरी उपर किचके किस करने लगी, मई मदहोश हो चुकी थी, मई पहली बार किसी मर्द को किस कर रही थी, मैने सोचा था मेरी सुहग्रत दिनेश के साथ होगी बट.

पंडितजी को मेरे साथ सुहग्रत करने का मोका मिला था, पंडितजी के मूह से पान की खुश्बू आराही थी, हम दोनो एक दूसरे के होठों को चूसे जा रहे थे, पंडितजी के दोनो हाथ मेरे बूब्स पे कब्जा किए हुआ थे.

वो बड़े मजेसे मेरे बूब्स का आनद ले रहे, थे मेरे 36 के सफेद स्तन पंडितजी के हाथो मसले जा रहे थे, मसालने की वजसे मेरे बूब्स लाल हो गये थे, मे बोहत गरम हो चुकी थी, मेरी चुत गीली हो गई थी, पंडितजी ने अपनी धोती खोल दी उनका लंड 9′ लंबा आंड बोहत मोटा था, वो काले नाग की तरहा टन के खड़ा हो गया था.

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पंडितजी मेरे जवान बदन का बोहत मज़ा ले रहे थे, मै पंडितजी को लिप्त गई थी आंड पंडितजी मेरे पूरे बदन को पागलो की तरह चूमे जा रहे थे, पंडितजी का लंड मेरे चूत को टच कर रहा था, हर एक स्पर्श से मेरी चूत कप रही थी.

पंडितजी अब मेरे गले को चूमते हुआ मेरे छति पे आगाय, वो मेरे सॉफ्ट पिंक निपल्स को घूर ने लगे, मैने पंडितजी को कहा, “पंडितजी ऐसे घूर क्यू रहे हो?” आंड मायने पंडितजी का सर पकड़ के राइट निपल पे दबा दिया.

पंडितजी ने अपना मूह खोल कर निपल को चूसने लगे, मूज़े बोहत मज़ा आरहा था, पंडितजी मज़े से मेरे निपल चूस रहे थे, वो मेरे जवानी से भर बदन का पूरा मज़ा ले रहे थे.

मेरे जवान बूब्स को पंडितजी पहले मर्द थे जो मसल रहे थे अंड चूस रहे थे, मूज़े मेरी ये सुहाग रातयादगार बनानी थी चाहे वो पंडितजी के साथ क्यू ना हो, एस लिए मई पंडितजी को अच्छी तारहसे साथ दे रही थी, पंडितजी भी मुजको बोहत मज़े दे रहे थे, मेरे राइट निपल को पंडितजी बड़े मजेसे चूस रहे थे, उनकी ज़ुबान मेरे निपल पे रग़ाद रही ती, मूज़े अधभूत रोमांचा अनुभव हो रहा था.

पंडितजी मेरे दूसरे बूब्स को दबा रहे थे, मेरे बूब के उपर हाथ घूमके बूब्स के गोलाई का आनंद ले रहे थे, पंडितजी बीच मे मेरे निपल की चुटकी भी ले रहे थे, मूज़े उनका निपल पे चुटकी लेना बोहत मज़े दर लग रहा था आंड मुझे बोहत मज़ा आरहा था.

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