नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप लोग | आशा करता हूँ की ठीक ही होगे | तो चलिए दोस्तों मैं अपने जीवन की एकदम सच्ची कहानी आप लोगो को बताने जा रहा हूँ | मेरा नाम अनुज मिश्र है | मैं लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ | मैं अभी 12में पढता हूँ | मेरा परिवार एक छोटा परिवार है मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा और एक छोटा भाई है | पापा मेरे खेती करते है और मम्मी हाउसवाइफ है | छोटा भाई अभी 5 साल का है तथा 1 क्लास में पढता है | चलिए मैं अपनी इस परिचय कहानी को आगे ज्यादा न बढ़ा कर सीधा आप लोगो को कहानी की ओर ले चलता हूँ |
दोस्तों ये बात उस समय की है जब मेरे पापा ने मेरा एड्मीसन शहर के स्कूल में करवा दिया था | क्योकि मेरी पढाई गावं के स्कूल में पूरी हो गयी थी | मैं स्कूलवेन से अपने गावं से शहरअपने स्कूल के लिए आया करता था | स्कूल वेन हमारे घर सुबह 6 बजे जल्दी ही आ जाया करती थी | हम सभी जल्दी उठकर स्कूल के लिए तैयार होते थे | हम लोग स्कूल जाते समय वैन में खूब मस्ती किआ करते थे | लगभग 8-9 महीने हो गये फिर हमारे गावं में बाढ़ आ गयी थी| औरशहर से गावं आने वाले रास्ते भी बंद हो गये थे| बाढ़का पानी बहुत था और रास्तो पर बह रहा था | क्योकि भाइयो मेरा गावं नदी के किनारे बसा था |
लगभग 1 महीने तक बाढ़ का पानी रास्तो पर भरा रहा और हम लोग अपने स्कूल को नही जा पाए | हमरे एनुअल एग्जाम भी होने वाले थे| और बाढ़ अभी तक नही ख़त्म हुई थी | धीरे-धीरे हमारे एनुअल एग्जाम आ गये और बाढ़ का पानी इतना था की पूँछो न | कोई भी रास्ता शहर जाने को नही था| और फिर हमरे एनुअल एक्साम हो गये और हमारा वह साल खराब हो गया | दोस्तों मैं उस दिन अपने कमरे में बहुत रोया था | मैंने 3 दिन तक खाना नही खाया था |फिर मैंरे पापा ने हमारी पढाई करने के लिए शहर में एक अच्छा सा मकान खरीद लिया | औरअब हम सभी वहीँ रहने लगे | और इस बार मेरे पापा ने मेरा एडमिशन शहर के सबसे अच्छे स्कूल में करवा दिया था | और वह स्कूल मेरे घर के एक दम करीब था |
और मैं अपने स्कूल पेदल ही जाता था | दोस्तों वह स्कूल उस शहर के टॉप स्कूलों में से एक था |जिसमे मेरे पापा ने मेरा एडमिशन करवाया था | मैं अपने स्कूल जाने लगा | धीरे-धीरे मेरे दोस्त भी मन गये | अब हम अपने स्कूल में खूब मस्ती करते थे | औरछुट्टी के बाद हम मैथ की कोचिंग करते थे और फिर हम सब अपने-अपने घर को जाते थे | धीरे-धीरे अपने मोहल्ले में भी जान पहचान हो गयी थी | मैं छुट्टी के बाद अपने मोहल्ले के दोस्तों के साथ खेला करता था | और खूब मस्ती करता था | और सन्डे को मैं कभी-कभी अपने स्कूल चला जाया करता था अपने हॉस्टल के दोस्तों के साथ खेलने या तो फिर मोहल्ले के दोस्तों के साथ प्लाई बोर्ड की फील्ड में क्रिकेट खेलने चला जाया करता था | दोस्तों गावं से शहर में आके जिन्दगी एक दम मस्ती से कट रही थी | हम कभी-कभी अपने गावं भी जाया करते था टहलने के लिए | और शाम को पापा के साथ चले आया करते थे |
दोस्तों एक दिन स्कूल में छुट्टी थी और मैं अपने मोहल्ले में दोस्तों के साथ क्रिसी-विभाग की फील्ड में बैठा था बैठा था | और इधर-उधर की बाते कर रहे थे | लगभग सब लोग अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड के बारे बाते कर रहे | जो हमारे दोस्त थे सालोसब ने 2-3 लडकिया सेट कर रख्खी थी | वहां सिर्फ मैं ही था जिसके पास गर्लफ्रेंड नही थी | मैं अपने दोस्तों की बाते सुन-सुन कर अबमेरा भी मन कर रहा था किमेरी भी एक गर्लफ्रेंड हो | मैं भी उसे डेट पर ले जाऊ घूमू-तह्लूँ ऐश करू | एक दिन मेरा दोस्त मेरे पास आया और बोला की भाई मुझे तेरी और तेरी गाडी की जरुरत है | मैंनेपूंछा की भाई आखिर जाना कहाँ है | उसने मुझे पूरी बात बताई |
दराअसल वह एक लड़की को चोदने के लिए ले जाना चाहता था | और उसे एक साथी और गाडी की जरुरत थी | मैंने कहा की ठीक है हम थोड़ी देर मै हम निकलते है | दोस्तों हम शहर से बाहर जंगल में राजा का महल बना था अब वहां कोई भी नही ज्यादा नही जाता | हम लोग अपनी गाडी से वहीँ गये | जब हम लोग वहां पहुंचे तो मेरे दोस्त ने उस लडकीको साइड में ले जाके चोदने के लिए चला गया और मैं वहीँ अपनी गाडी के पास खड़ा होकर सिगरेट पिने लगा | वे लोग जब चुदाई कर रहे थे | तब उन लोगो के मुह से आह आह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओंह उन्ह उह उह उह हां उन्ह उन्ह उन्ह अहह ओह्ह इह्ह इह इह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह उह्ह उह्ह उह्ह आह आह की जोर-जोर से सिस्कारिया आ रही थी | दोस्तों मेरा भी मन चोदने को कर रहा था | लेकिन अफशोस मेरे पास कोई माल नही था | उन दोनों की आवाजे सुनकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया वो मैं अपने आप को रोक न सका और साइड में आके मुठ मार दिया | इस तरह से मैंने भी अपनी गर्मी वहीँ निकाल दी |
दोस्तों अब मेरा भी मन इक लड़की को फंसा के उसे चोदना चाहता था | मेरे इक पडोसी थे राकेश अंकल वह बहुत ही सीधे और शांत | उनकी बीवी और मेरी मम्मी ज्यादा तर आपस में बैठकर बाते किआ करती थी | कहीं आंटी घर पे आ जाया करती थी तो कहीं मेरी मम्मी उनके घर पर चली जाया करती थी | दोनों का एक-दुसरे के घर पर उठाना-बैठना था | दोस्तों राकेस अंकल की एक लड़की थी | उसका नाम रागनी था तथा वह दिखने में भाईसाहब एक दम कट्टोमाल थी |मैं उसे पसंद करने लगा था और उसके पीछे पड गया था| एकदिन रात में वह अपनी मम्मी के साथ पर मेरे घर पर टीवीदेखने आयी थी| मैं भी वही बैड पर लेटकर टीवी देख रहा था | उसकी मम्मी आके मेरी मम्मी के पास कुर्सी पर आके बैठ गयी और वह मेरे बैड पर आके बैठ गयी |
मेरी मम्मी और आंटी की कुर्सी मेरे बैड के आगे पड़ी थी और वे लोग टीवी देखने में बिजी थे | मैंनेथोड़ी देर के बाद अपनी कमीनी पंथी स्टार्ट की मैंने पहले उसके हाथ को पकड़ लिया और मलने लगा | फिर थोड़ी देर हाथ मलने के बाद में उसके दूधो को दाबने लगा| मम्मी लोग टीवीदेखने में बिजी थे | मैंने थोड़ी देर तक उसके दूधो को दबाने के बाद में मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी के अन्दर दाल के उसकी चूत में फिन्गरिंग करने लगा | और उसके हाथ को अपने पेंट के अंदर डलवाकेअपने लंड को सहलवाने लगा | मैंने थोड़ी देरतक उसकी चूत में फिन्गरिंग की और वह झड गयी | मैंने अपना हाथ निकाला औरसीधा अपने बाथरूम में चला गया और मुठ मार के अपना सारा माल बाहर निकाल दिया | अब मुझे उसे चोदना था पर कोई जगह नही मिल रही थी |
क्योकिवहबाहर ज्यादा नही जाती थी | एक दिन हम लोग अपनी-अपनी छत्त पर बैठकर नैन-मटक्का कर रहे थे | उसने मेरी तरफ एक स्लिप फेकी उसमे बाहर मिलने की जगह लिखी थी उसने | उसने लिखा की कल मैं अपने पापा के साथ खेत जाउंगी | तो तुम मुझे वहीँ आके मिलना | मैं वहीं पहुंचा तो देखा की वो रास्ते पे बैठी थी और उसके पापा खेत में स्प्रे कर रहे थे | मैं चुप-चाप वहीँ पडोश के गन्ने के खेत में जाके और धीरे से उसको बुलाया | उसने अपने पापा को देख कर चुपके से आ गयी | वह जैसे ही मेरे पास आई मैंने तुरंत उसे अपनेअप से चिपका लिया और चूमने चाटने लगा | वो भी मेरा साथ देते हुए मुझे चूम रही थी |
जब दोस्तों वह पूरी तरह से गरम हो गयी | मैंने उसके धीरे-धीरे सारे कपडे उतार दिए और अपने भी कपडे उतार दिए | कपडे उतारने के बाद में मैंने अपने लंड को उसके मुह में दे उसे चूसाने लगा | औरमेरे मुह से आह आह आह ओह्ह ओह्ह उह उह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह आह आह आह हाह आह आह आह ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह आह ओह्ह ओह्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह आह आह आह आह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह की सिस्कारिया निकल रही थी | बाद मै मैंने उसे वहीँ घास पर लिटा कर उसकी चूत को चाटने लगा और वह उन्ह उन्ह आह आह आह इह्ह इह्ह इह्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह आह आह आह आह आह आह हह ओह्ह ओह्ह ओह्ह उन्ह उन्ह उन्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी |
थोड़ी देर उसकी चूत चाटने के बाद में मैंने उसकी चूत चोदने का प्रोग्राम बनाया | मैंने उसकी दोनों पैरो को अपने कंधो पर रखकर उसकी चूत में अपना लंड डालने लगा और जोर-जोर से चोदने लगा और उसके मुह से आह आह आह आह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह आह आह आह आह सिस्कारिया निकल रही थी | लगभग 10 मिनट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड गया | उसके बाद में मैंने उसको जल्दी कपडे पहनाये और खुद पहेने | वह जाके उसी रास्ते पर बैठ गयी और मैं दुसरे रास्ते से अपने घर चला आया |