भाभी की सेक्सी बहन ने मेरा लंड लिया

दोस्तों मेरा नाम जतिन हे रेलवे में जॉब करता हूँ और वो दिखने में हट्टा कट्टा हूँ. मैं अपनी फेमली के साथ साउथ दिल्ली में रहता हूँ. दोस्तों ये सेक्स की कहानी तब की हे जब मेरी शादी नहीं हुई थी और मेरी पोस्टिंग मुजफ्फरनगर में हुई थी. और रेलवे की तरफ से मुझे क्वार्टर मिला था रहने के लिए. क्वार्टर रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर से भी कम फासले पर था. और उन दिनों मेरे बड़े भाई दिनेश की पोस्टिंग भी उसी स्टेशन में हो गई. मेरे कहने पर दोनों भाई एक ही क्वार्टर में रहने लगे.

दोस्तों अब मैं आप को अपनी भाभी के बारे में बताता हूँ. उनका नाम हंसिका हे और वो दिखने में एकदम मस्त हे. उसका गोरा चिट्टा जिस्म हे और कथ्थई सेक्सी आँखे. उनके रसीले होंठो और सेक्सी फिगर को देख के बदन के अन्दर चुभन सी होने लगती हे. सच में भाभी एकदम पटाखा माल हे.

मैं अपनी भाभी को बहोत देखता रहता था. उनके कातिलाना बदन ने मुझे दीवाना बना दिया था और मेरे होश ही नहीं रहते थे! मैं अजीब कशमकश में उलझा हुआ था. लंड का खुमार कहता था की जा अपनी हंसिका भाभी की बुर में अपना लंड डाल दे. और घर के संस्कार मुझे ऐसा करने से रोके हुए थे! और भाभी की तरफ से भी मुझे कोई इशारा नहीं मिल रहा था. वैसे मैं भाभी के साथ मजाक मस्ती कर लेता था पर उस से अधिक कभी कुछ नहीं हुआ.

वैसे भैया और भाभी की शादी को अभी नयी नयी ही कह सकते हे. ऐसे में चद्दर बदलने के का यानी की चोदने का कार्यक्रम जोरो शोरो पर ही होता हे. हंसिका भाभी और भैया के कमरे से रात को अह्ह्ह्ह अह्ह्ह की आवाजे आती रहती थी. मैं जब ये आवाजे सुनता था तो अपने लंड को पुचकार के बिठा देता था और मन ही मन जल उठता था. मेरा मन भी चोदने को करता था पर मेरे पास कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी जिसके साथ मैं ऐसे कर सकता था. मैं तो बस खुद ही अपने हाथो से मुठ मर के खुद को शांत कर लेता था.

ऐसे ही समय चलता गया और काफी समय चले जाने के बाद आखिर मेरी किस्मत ने पलटी मारी और मेरी जिंदगी में तब कोई आया, मेरी भाभी की छोटी बहन जिसका नाम किंजल हे और वो मेरी भाभी से सिर्फ दो साल छोटी हे और दिखने में तो वो भाभी की पूरी नक़ल हे हे. वो अपने बी.ए. फायनल के एक्साम्स के लिए यहाँ आई थी. भाभी के पापा ने भाभी को कॉल किया की हंसिका बेटी किंजल आ रही हे ट्रेन से उसे लेते आना.

भाभी के पापा कानपुर में रहते हे. वैसे वो लोग यही पर रहते थे लेकिन भाभी के पापा का तबादला हुआ तो वो लोग कानपूर चले गए. लास्ट इयर थे इसलिए किंजल ने कोलेज नहीं बदला और वो एक्स स्टूडेंट के तौर पर सिर्फ एक्साम्स देने के लिए यहाँ आती थी.

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मेरे भैया भी काम के लिए बहार थे और घर में सिर्फ मैं ही मर्द था तो मैंने भाभी से बोला, भाभी किंजल की ट्रेन साढ़े तिन या चार बजे आएगी और मेरी भी ड्यूटी वही पर तिन बजे तक की हे तो मैं ही उसे ले आऊंगा. भाभी ने कहा बहुत बढ़िया हे ये तो, मुझे आने की जरूरत नहीं पड़ेगी तुम हो तो.

मैं अपनी ड्यूटी खत्म कर के 3 बजे फ्री हो गया और बाद में पता चला की आगे बारिश थी इसलिए ट्रेन लेट हो गई थी. ट्रेन 4 घंटे देरी से चल रही थी. मैं स्टेशन पर ही अपने दोस्तों के साथ गप लगाने बैठ गया. और यहाँ भी बारिश का मौसम बनने लगा था. काले बादल छा गए और कुछ ही देर में बारिश चालु भी हो गई. साढ़े 6 बजे तो बारिश एकदम तेज थी. साथ ही में ठंडी ठंडी तेज हवा भी चल रही थी.

और फिर कुछ ही देर में किंजल वाली ट्रेन भी आ गई. मैं उसकी बोगी के पास गया और अन्दर देखने लगा. तभी मैं इस सेक्सी लड़की को देखा जिसने अपनी कमर के ऊपर दुपट्टा बाँधा हुआ था और उसके हाथ में एक बेग था. चहरे के ऊपर काफी चेंज आ गया था उसके लेकिन मैं उसे पहचान ही गया. वो मेरी सेक्सी भाभी की हॉट बहन किंजल ही थी. मैंने उसे दो सालों के बाद देखा था और अब वो किसी फिल्म की हिरोइन के जैसी सेक्सी लग रही थी.

बारिश अभी भी अपने जोर पर ही थी. मैंने किंजल को स्टेशन के केफेटरिया में कोफ़ी पिलाइ और फ्रेंच फ्राइज खिलाई. उतने में बारिश का जोर कम हुआ. उसने कहा घर कैसे जाना हे. मैंने कहा मैं तो बाइक ले के आया था. वो बोली चलो उसके ऊपर ही फिर. मैंने कहा, बारिश हे लेकिन. वो बोली कम हो गई हे और भीग भी लेंगे वो बहाने से.

मैंने बाइक निकाली और किंजल मेरे पीछे बैठ गयी. किंजल के पास एक बहुत बड़ा बेग था जिसको मैंने अपनी जांघो के ऊपर रखा था और वो मेरे पीछे बैठी हुई थी. उसने बेग को एडजस्ट किया. लेकिन बेग काफी बड़ा था तो उसने कहा, आगे आप को मोड़ने में तकलीफ होगी ना!

मैंने कहा, हां एक काम करते हे तुम्हारे पीछे बाँध देते हे इसको.

किंजल को बैठा के मैंने बाइक को मेन स्टेंड पर की. पीछे एक रस्सी आलरेडी बंधी हुई थी मेरी बाइक में. मैंने बेग को पीछे बाँधा. और फिर स्टेंड निचे कर के मैं आहिस्ता से बाइक पर चढ़ा. अब बेग के आने से बाइक के ऊपर उतनी जगह नहीं थी. किंजल मेरे से एकदम चिपक के बैठी हुई थी! मैं पेट्रोल की टंकी के ऊपर था आधा फिर भी उसके कडक निपल्स मेरी पीठ में चिभ रहे थे. और फिर मैंने बाइक चला दी. किंजल बहुत कोशिश कर रही थी की उसके बूब्स मेरी पीठ को ना छुए. लेकिन बारिश की वजह से रास्तो के ऊपर पानी भरा हुआ था और बार बार ब्रेक लगने से वो मुझसे लड़ जाती थी. मैं भी ब्रेक लगाने को एन्जॉय कर रहा था.

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तभी वो काँप सी रही थी. मैंने कहा, ठंडी लगी हे क्या आप को?

किंजल: हां बारिश की वजह से शायद!

कुछ ही देर में हम घर पहुंचे. कपडे चेंज कर के भाभी के हाथ की कडक चाय पिने लगे हम लोग. किंजल थक गई थी इसलिए वो आराम के लिए चली गई और मैं भी अपने काम में लग गया. भाभी रसोईघर में थी.

मेरे अन्दर वासना का कीड़ा कुलबुला गया था. और मुझे पता नहीं था की किंजल के अन्दर भी कुछ ऐसी फिलिंग थी या नहीं! ना ही मुझे नींद आ रही थी ना ही मेरा ध्यान लग रहा था कही पर. मेरी आँखों के सामने बस किंजल की सेक्सी फिगर और उसका हसीन चहरा आ रहा था बार बार!

अब तो दोस्तों मैं ही उसे एग्जाम के लिए छोड़ने के लिए और उसके पेपर ख़त्म होने पर लेने जाता था. और वो बड़ा ट्राय करती थी की उसका बदन मेरे से टच ना करे. पर मैं ऐसे रस्तो से बाइक निकालता था की ब्रेक की आवश्यकता रहे और उसका बदन मुझे टच करता रहे! मुझे उसके बूब्स का टच अपनी कमर में होने पर बड़ा सेक्सी फिलिंग होता था.

ऐसे ही एक दिन मैं उसे पेपर के लिए छोड़ने जा रहा था. मेरा मन बार बार कर रहा था की किंजल को अपने दिल की बात कह ही डालूं!

मैं: किंजल अब तो सब मेन पेपर हो गए हे तुम्हारे?

किंजल: हां, बस अब सब इजी पीजी बचे हे!

मैं: तो फिर चलो मेरे साथ घुमने के लिए!

किंजल वैसे वो अब मेरे साथ घुलमिल गई थी और हमारी बातचीत भी बहोत होई थी इसलिए उसने मुझे मन नहीं किया. उसकी हाँ सुनते ही मेरे दिल में जैसे म्यूजिक बजने लगा था. और मैं उसी शाम को उसे ले के पार्क में चला गया. पार्क की हरियाली में हम दोनों बैठे हुए थे. फिर मैं और किंजल टहलने के लिए निकल पड़े पार्क के अन्दर ही. मैं जानबूझ के उसकी जांघ को टच कर लेता था चलते चलते और वो कुछ भी नहीं कहती थी.

तभी किंजल ने कहा: चलो ना कोफ़ी पिने चलते हे.

अब मैं उसको ले के बगल की एक रेस्टोरेंट में गया. वहां पर फेमली केबिन बनी थी उसके अन्दर हम चले गए क्यूंकि वहां पर अकेले में मजा आना था मुझे. हम दोनों एक साथ बैठे और वेटर के जाते ही किंजल ने मेरा हाथ अपने हाथो में ले लिया और मैंने भी अपना दूसरा हाथ उसके हाथ के ऊपर रख दिया. अब मुझे लगा की मछली फंसी थी. किंजल का बदन काँप रहा था.

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