पड़ोसन रेखा आंटी का बुर चोद दिया

फिर मैंने आंटी के लिप के ऊपर अपने लिप्स रखे और दूसरा झटका दे दिया. मेरा पूरा लंड आंटी ककी बुर में चला गया. और वो मेरे होंठो को पागलो के जैसे चूमने लगी और कह रही थी अहह मर गई. फिर मैं कुछ देर के लिए शांत पड़ा रहा और फिर धीरे धीरे झटके देने लगा. एक बार फिर वो झड़ गई मगर मैं दनादन पेलता रहा. वो अह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह औऊह अह्ह्ह्ह कर रही थी. फिर मैंने आंटी को घोड़ी बना दिया. जब वो घोड़ी बनी तो उसकी चूत किसी गोलगप्पे के जैसी लग रही थी. मैंने उनकी चूत के ऊपर एक हलकी सी पप्पी दे दी और लंड को चूत के ऊपर रख दिया. मैंने फिर से अपने लंड को उसकी चूत में मारना चालू कर दिया.

मैं आंटी को चोदते हुए उनकी गर्दन के ऊपर और कमर के ऊपर किस कर रहा था. वो भी अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर मार के मजे से चुदवा रही थी. फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया और फिर से उसके बुर को चोदने लगा. फिर मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा की अन्दर ही झड़ जाओ मैंने ओपरेशन करवा लिया हे इसलिए बच्चा वैसे भी नहीं होगा. तो मैं आंटी की बुर में ही पूरा झड़ गया. आंटी ने मुझे एक किस दी और बोली थेंक्स मेरी को आग को बुझाने के लिए! और उसने कहा की मेरी ऐसी अच्छी चुदाई आजतक किसी ने नहीं की हे!

आंटी ने बोला एक महीने से वो अपनी ऊँगली से ही काम चला रही थी. मैं फिर उन्हें किस करता रहा और उन्हें आई लव यु कहा मैंने. और 5 मिनिट के बाद उनकी बुर में से अपना सोया हुआ लंड बहार निकाला. और जब मैं उनको चोद के निकला तो 4 बज चुके थे. फिर मैंने अपने घर आ के शाम को 8 बजे वापस उन्के घर गया. मेरे लंड महाराज ने फिर से सलामी देनी चालु कर दी थी. रेखा आंटी उस वक्त घर पर अकेली थी. चोदने की इच्छा हुई थी मेरी और चाची अभी भी ब्लाउज में ही थी. तो जाते ही मैंने उन्के कान के ऊपर किस कर दी और आई लव यु कहा. तो उन्होंने कहा आज इतनी जल्दी आ गए बच्चू!

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तो मैंने भी आंटी को सीधे ही बता दिया की आप की बुर का बुलावा आ गया इसलिए मैं जल्दी आ गया! लेकिन आंटी ने पहले तो सेक्स के लिए मना ही कर दिया और वो बोली नहीं नहीं सविता कविता किसी भी वक्त आ सकती हे अभी तो. मैंने कहा अरे आंटी अभी तो आधे घंटा हे उन्के आने में तब तक मैं आप को चोद के फ्री कर दूंगा. वो मान गई और मैं आंटी को अपने हाथ में उठा के बेडरूम में ले गया. और वहां पर मैं उन्के बदन को चुसने और चूमने लगा. आंटी सिस्कारियां भरने लगी थी.

मैंने आंटी की साडी उठाई और उसके बुर को चाटने लगा. फिर तो उनका हाल एकदम बुरा हो गया और उन्होंने कहा,. अब जल्दी से डाल दो टाइम भी ज्यादा नहीं हे.

तो मैंने फिर से उनकी इस बार अपने ऊपर बिठा के चूत में लंड डाला. आंटी के बूब्स मेरे चहरे के सामने ही थे. मैं उन्हें चूस के निचे से आंटी की चूत में धक्के दे रहा था. और वो भी मेरे लंड के ऊपर उछल उछल के चुदवा रही थी. वाह क्या मज़ा आ रहा था दोस्तों मैं शब्दों में लिख नहीं सकता हूँ.

पूरा कमरा पच पच की आवाज से गूंज रहा था और अब ऐसे ही चोदते चोदते 15 मिनिट हो गई. तो मैंने उन्हें पकड़ के लियादिया क्यूंकि मैं झड़ने वाला था. और हम दोनों एक साथ झड़ भी गए. फिर मैं उठा और उन्हें किस करते हुए उठा. आंटी ने भी फट से अपने कपडे पहने और बोली, तुम्हे अब बुर का भूत आ गया हे.

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मैंने कहा वो क्या होता हे आंटी?

वो बोली, बहुत खतरनाक भूत होता हे, तुम्हे अक्सर मेरे पास ले के आएगा!

मैंने कहा फिर तो वो प्यारा भूत हुआ ना खतरनाक थोड़ी हुआ!

आंटी हंस पड़ी और मैं हॉल में आ के बैठ गया कविता और सविता के आने से पहले पहले!

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