ऑफीस गार्ड का लंड भगाए ठंड

ही गाइस, मेरा नाम विद्या है. मैं 35 साल की एक डिवोर्स्ड औरत हू. मेरा डाइवोर्स 3 साल पहले हो गया था, और मेरा कोई बच्चा नही है. मैं एक मंक में काम करती हू. मेरी हाइट 5’4″ है, और रंग ठीक-ताक है. फिगर मेरा 34-30-36 है. अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आती हू.

ये बात पिछले विंटर सीज़न की है. हमारे ऑफीस में सभी एंप्लायीस को कुछ टार्गेट्स दिए गये थे. टारगेट ना पुर होने की सूरत में जॉब भी जेया सकती थी. काम करते हुए मुझे अक्सर एक्सट्रा टाइम लगाना पड़ता था. लेकिन उस दिन मैं कुछ ज़्यादा ही लाते हो गयी.

जब मेरा काम ख़तम हुआ तो मैने देखा पूरा ऑफीस खाली था. सब लोग जेया चुके थे. फिर मैने जल्दी से अपना समान समेटा, और ऑफीस से निकालने लगी. जैसे ही मैं अपनी सीट से उठी, तो मुझे क्लाइंट की कॉल आ गयी. मैने सोचा जाते-जाते बात कर लेती हू, तो मैने कान से फोन लगा लिया.

हमारे ऑफीस की मैं एंट्रेन्स पर एक पूल बना हुआ है. जब मैं पूल के पास पहुँची, तो मेरा ध्यान फोन में होने की वजह से मुझे पूल दिखा नही, और मैं सीधे उसमे जेया गिरी. मैं पूरी पानी में डूब गयी, और मेरे सारे कपड़े गीले हो गये.

वैसे मुझे स्विम्मिंग भी नही आती, लेकिन पूल ज़्यादा गहरा नही था सिर्फ़ 4 फुट गहरा था. एक तो कड़ाके की ठंड, और उपर से मेरे सारे कपड़े गीले हो गये. मैं तो ठंड से जमने लग गयी. फिर मैं पानी से बाहर आने लगी. तभी ऑफीस का गुआर्द भागता हुआ आया, और उसने मुझे हाथ देके पूल से बाहर निकाला. फिर वो बोला-

गुआर्द: मेडम आप तो पूरी भीग गयी. रुकिये मैं आपके लिए टवल लाता हू.

फिर पहले उसने मुझे बैठने के लिए कुर्सी दी. मैं कुर्सी पर बैठ गयी और काँपने लगी. मैने फॉर्मल सूट पहना हुआ था. मेरे कोट के अंदर वाइट शर्ट के भीगने से मेरी ब्रा भी दिख रही थी. फिर गुआर्द आया, और उसने मुझे टवल दिया. मैने अपना फेस और बाल तो पोंछ लिए, लेकिन गीले कपड़ों के साथ मैं बॉडी कैसे पोंछती.

फिर वो बोला: मेडम आप ऐसा कीजिए, पीछे मेरा रूम है. आप कपड़े उतार कर बॉडी पोंछ लीजिए, और फिर ब्लंकेट लपेट कर कपड़े मुझे दे दीजिए, मैं सूखा दूँगा.

मुझे उसकी बात बिल्कुल सही लगी. वैसे इसके अलावा मेरे पास कोई ऑप्षन भी नही थी. अगर मैं ज़्यादा देर ऐसे ही भीगी हुई रहती तो बीमार हो जाती. फिर मैं उसके साथ उसके रूम की तरफ चल पड़ी. वो रूम के बाहर खड़ा हो गया, और मैने अपने कपड़े उतार कर बॉडी पोंची, और ब्लंकेट लपेट कर कपड़े उसको दे दिए.

ब्लंकेट में भी मुझे बहुत ठंड लग रही थी. गुआर्द चला गया, और कुछ देर बाद मेरे लिए छाई लेके आया. उसने आके छाई मुझे दी. मैने छाई पी ली, लेकिन अब मुझसे ठंड बर्दाश्त नही हो रही थी. तो मैने उससे कहा-

मैं: कुछ कीजिए, वरना मैं ठंड से मॅर जौंगी.

वो कुछ सोच कर बोला: मेडम अगर आप बुरा ना माने तो मैं एक बात काहु?

मैं: हा बोलो.

गुआर्द: अगर आपको बॉडी हीट मिल जाए, तो आपको ठंड नही लगेगी.

मैं उसकी बात समझ गयी थी, की उसको मेरे साथ सोना पड़ेगा. मैने सोचा ठंड से मरने से अछा मैं उसके आठ सो जौ. फिर मैने उसको हा बोल दी. मेरे हा बोलते ही उसने अपने कपड़े उतारे और अंडरवेर और बनियान में मेरे साथ लेट गया. अब हम दोनो एक ब्लंकेट में थे. मेरी बॉडी को गर्मी चढ़ने लगी थी.

कुछ देर बाद मुझे अपनी गांद पर कुछ फील हुआ. मैं समझ गयी की उसका खड़ा हुआ लंड मुझे चुभ रहा था. वो ऐसा-वैसा कुछ भी नही कर रहा था, लेकिन उसके लंड की चुभन से मेरा मूड बनने लगा.

डाइवोर्स के बाद मैं चूड़ी नही थी. एक बाय्फ्रेंड बनाया था, लेकिन वो भी किसी काम का नही था. फिर मैने सोचा की अब उसके साथ बिस्तर में लेट तो गयी ही हू, तो क्यूँ ना तोड़ा मज़ा कर लिया जाए. ये सोच कर मैं अपना हाथ पीछे ले गयी, और उसके लंड को अंडरवेर ने उपर से मसालने लगी.

मेरे ऐसा करने से वो भी समझ गया की मैं क्या चाहती थी. वो भी अपनी कमर हिला कर लंड मेरी गांद पर रगड़ने लग गया. फिर मैं उसकी तरफ घूम गयी, और हम दोनो एक-दूसरे की आँखों में देखने लगे. उसके बाद मैं उसके करीब गयी, और उसके होंठो से होंठ मिला दिए.

गुआर्द एक आवरेज लड़का था. उसकी उमर कोई 23-24 साल होगी. वैसे तो वो पढ़ा लिखा था, लेकिन शायद जॉब ना मिलने के कारण गुआर्द की नौकरी कर रहा था. उसकी हाइट 5’9″ थी, और बॉडी ठीक-ताक थी. लंड उसका 6 इंच का था.

किस करते-करते वो मेरे उपर आ गया, और मेरी गर्दन और बूब्स चूसने लगा. अब मुझे ज़रा भी ठंड नही लग रही थी. कुछ देर बूब्स चुसवाने के बाद मैने उसको नीचे धकेला. वो समझ गया की मैं क्या चाहती थी. फिर वो नीचे गया, और मेरी छूट पर अपना मूह लगा दिया.

चाहे मेरी सेक्स लाइफ अची नही थी, फिर भी मैं छूट हमेशा क्लीन रखती थी. जब वो मेरी छूट चाट रहा था, तो मुझे स्वर्ग का मज़ा आ रहा था. मैं उसके फेस को अपनी छूट में दबा रही थी. वो भी बढ़िया से मेरी छूट चाट-चूस रहा था.

फिर मैने उसके बालों को पकड़ कर उसको फिरसे अपने उपर लिया. अब वो मेरी छूट पर अपना लंड रगड़ने लग गया. जैसे ही लंड छूट के मूह पर टीका, उसने धक्का मार कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया. मेरी चीख निकली, लेकिन इतनी देर बाद लंड लेके मुझे बहुत मज़ा आया. फिर वो धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा.

हम दोनो किस करते जेया रहे थे, और वो मुझे छोड़ते जेया रहा था. मेरी सारी ठंड उतार चुकी थी, और मुझे तोड़ा-तोड़ा पसीना आ रहा था. अब गुआर्द पुर ज़ोर से मुझे छोड़ रहा था, और मैं भी गांद उठा-उठा कर उसका साथ दे रही थी. 20 मिनिट तक हमारी चुदाई ऐसे ही चली. फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला, और मेरे पेट पर अपना माल निकाल दिया.

उसके बाद उसने अपने कपड़े पहने, और बाहर चला गया. मैने भी अपने आप को सॉफ किया. थोड़ी देर बाद वो सूखे हुए कपड़े लेके आया. मैने कपड़े पहने और वाहा से निकल आई. उस दिन के बाद हमारा आमना-सामना तो बहुत बार हुआ, लेकिन कभी बात नही हुई.

थे एंड..

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