नेपाल में भाभी की चुदाई

भाभी का मैन गेट खुला था और एक कमरे से हल्की रोशनी आ रही थी। मैं उसी दरवाजे की तरफ़ बढ़ा, दरवाजा आधा खुला था और भाभी पलंग पर बैठकर कुछ पढ़ रही थी। मैंने दरवाजा थोड़ा पुश किया तो भाभी दरवाजे की तरफ़ पलटी, उसकी और मेरी आंखें चार हुई तो वो अलग अंदाज़ में मुझे न्यौता दे रही थी। मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। सारे कमरे में हलकी खुश्बु फ़ैली थी। भाभी भी पलंग से उठकर आयी तो मैंने देखा, वो एक झीनी सी पारदर्शी नाइटी में थी और उसका सारा अंग मुझे दिखाई पड़ रहा था। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और वो अभी भी ब्रा पहने नहीं थी। काले लम्बे बालों को आगे की तरफ़ झुकाये थी और आंखों में काजल उसको और सेक्सी बना रहा था।

मेरा लंड फिर हरकत में आ गया और देर करना मुझे मेरी मूर्खता लगी इसलिये मैं आगे बढ़ा और एक झटके में उसे बाहों में जकड़ लिया। मैंने उसके होंठ पर अपना होंठ रख दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा। उसने मेरी पैंट का हुक खोलकर मेरी पैंट नीचे गिरा दिया। मेरे लंड का दबाव शायद वो अपनी चूत पर कर रही थी। मैंने उसकी नाइटी को उतार दिया और अपना भी सारा कपड़ा उतारा। हल्की रोशनी में मुझे उसका जिस्म ताजमहल जैसा लग रहा था। मैंने फिर एक बार उसके होंथ पर लम्बा किस जड़ दिया। मेरे हाथ धीरे धीरे उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर बढ़ने लगे। उसकी चूचियां सख्त थी और ऐसा नहीं लगता था कि उसके दो बच्चे भी हैं। मैं अपना दबाव उसकी गोलाइयों पर बढ़ाता गया और वो मेरे शरीर के अंग अंग को किस कर रही थी। मैं उसकी कड़क निप्पलों को चूसने लगा तो सिसकारी भरने लगी।

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उसके शरीर की गरमाहट मुझे और मदहोश बनाने लगी थी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत पर रगड़ने लगा और मुँह से उसके निप्पल चूस रहा था। उसके चूत से निकला पानी से मेरी उंगली भीग गई थि। मैंने उसको उठकर बेड पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर विपरीत दिशा में बैठ गया तो उसकी टांग मेरे सर की तरफ़ थी और मेरी टांग उसके मुँह की तरफ़ थी। मैं धीरे धीरे उसकी चूत सहलाने लगा तो वो छटपटाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर फ़ेरना शुरु कर दी। लाल चूत के बीच में जो छोटा मास का टुकड़ा होता है मैं उसको मुँह में लेकर अपनी जीभ से दबाने लगा। उसने भी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। उसकी चूत में अपनी जीभ अंदर बाहर करता था और कभी कभी मैं टुकड़े को हल्का सा काट देता था। वो सिहर उठी थी और मेरे सर को जोर से चूत की तरफ़ खींचती थी। वो अपनी चूत को ऊपर नीचे कर रही थी जिससे मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर बाहर हो जाती थी। थोड़ी देर हिलने के बाद उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला जो मैंने ज्यादा से ज्यादा मुँह से निगल गया। मेरा भी लंड तुनक रहा था तो मैं अब उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत के सामने रखकर थोड़ा दबाव दिया तो लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुस गया। उसने हल्की आह की आवाज़ मुँह से निकाली और मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, अब सारा लंड उसकी चूत के अंदर था।

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