नेपाल में भाभी की चुदाई

मेरे सब्र का बांध टूट रहा था और मैं उसको बोला “भाभी आप पूरी तरह से भीग गयीं हैं, कपड़े बदल लीजिये नहीं तो आपको सर्दी लग जायेगी” वो बस मुस्कुरा कर बोली “आपने ही तो भिगाया है देवर जी, आप बहुत बड़े वो हो”। मैं अपना लंड पकड़कर थोड़ा हिला रहा था और इसी दौरान मेरा लंड झड़ गया। मैं उसे देख कर उसकी कल्पना में खोया था कि उसके बच्चे आ गये और मेरा सपना टूट गया। दूसरे दिन जब मैं ओफ़िस से घर लौटा तो शाम के चार बज रहे थे। मैं कपड़े बदलकर सीधा ऊपर चला गया। भाभी और बच्चों में जंग चल रही थी कि सबसे ताकतवर कौन है। वो एक आपस मेन एक दूसरे को उठा रहे थे। मैंने गौर से भाभी को देखा तो उस दिन भी उसने ब्रा पहनी नहीं थी, हल्के गुलाबी रंग के ब्लाउज़ और शिफ़ोन की साड़ी के साथ हल्का मैकअप उसको और हसीन बना रहा था। मेरे शरीर में हरकत शुरु हो गयी और मेरा लंड धीरे धीरे बढ़ने लगा। मैं भाभी और अपने लंड के बारे में सोच ही रहा था एक लड़का बोला “अंकल आप हमारी मम्मी को उठा सकते हैं“ मैं भाबी को चिढ़ाने के लिये बोला “आपकी मम्मी भारी तो हैं पर हम उठा सकते हैं”। इतने में भाभी बोली “हम भारी हैं या देवर में उठाने की ताकत नहीं है”। हम कुछ कहने वाले थे कि बच्चों को उनके दोस्तों ने नीचे से आवाज़ दी और बच्चे नीचे की तरफ़ भागने लगे और भाभी उन लोगों को आहिस्ता जाने की हिदायत दे रही थी। उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और मैंने सोचा यही मौका है भाभी को दबोचने का और मैं आगे बढ़ा और उनकी कमर में हाथ डालके झटके से ऊपर उठा लिया। वो न नुकर कर रही थी लेकिन मैंने उसको दबोचे रखा। मैंने अंदाज़ा लगाया वो लगभग ५५ किलो की थी और ५’५” उंचाई वाली औरत थी। उसने हल्का खुश्बुदार परफ़्यूम लगा रखा था जो मुझे और मदहोश कर रहा था। मैंने अपना हाथ थोड़ा ढीला किया तो वो धीरे धीरे नीचे की तरफ़ सरकने लगी और जब वो ज़मीन पर टिक गयी तो उसकी दो बड़ी बड़ी चूचियां मेरे हाथ में थी। मैंने अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर महसूस किया और मैंने अपना हाथ का दबाव उसकी चूचियों पर थोड़ा और बढ़ाया। उसका शरीर भी काँप रहा था और सांसें गरम हो गयी थी। इसी बीच मैंने एक लम्बा चुम्बन उसके होंठों पर रख दिया।

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उसके निप्पल बहुत कड़क हो गये थे और मेरा लंड साड़ी के बाहर से ही उसकी चूत में जाने के लिये तड़प रहा था। मैंने अपना हाथ उसके ब्लाउज़ के अंदर डाल दिया और उसकी दो पहाड़ जैसी रसीली चूचियां दबाने लगा। मैंने महसूस किया कि मेरे लंड से पानी निकल रहा है। मैंने उसके निप्पल को थोड़ी ज़ोर से दबाया तो वो दूसरी तरफ़ हटकर बोली “देवरजी आप बहुत नटखट हैं, जो काम रात को करते हैं वो दिन में नहीं करते” इतना कहकर वो किचन की तरफ़ चली गयी और मैं वहीं बैठकर अपने लंड हिला हिला कर पानी निकालने लगा। मैं एक बार फिर नकामयाब होकर लौट गया। अब मुझे रात का इन्तज़ार था और घड़ी की सुई थी कि हिलती ही नहीं थी। मैं कभी कभी व्हिस्की पीता था इसलिये एक दो व्हिस्की की बोतल मेरे पास रहती थी। मैंने एक पैग ले लिया लेकिन मेरी बेसब्री और बढ़ गयी। मैंने दूसरा पैग भी ले लिया अब मेरी बेसब्री थोड़ी कम हुई। मैंने तीसरा पैग बनाया और खाना खाने लग गया। खाना खाने के बाद मैंने ब्रश किया और थोड़ा परफ़्यूम अपने शरीर पर और थोड़ा अपने लंड पर लगा लिया। इतने में रात के नौ बज गये और मैं तैयार होने लगा। मैंने व्हिस्की का तीसरा पैग एक घूंठ में हलक से नीचे डाला और मैं सीड़हियों के तरफ़ बढ़ा।

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