नौकरानी राधिका की मस्त चुदाई की

naukrani radhika ki chudai kahani हमारे घर मे एक औरत आती थी बर्तन माँजने, उसका नाम था राधिका, बहुत ही खूबसूरत,

शादी शुदा,मैं भी शादी शुदा हूँ.इतनी खूबसूरत औरत कि देखते ही मन ललचाए,हमेशा घाघरा चोली पहनती थी और उपर से एक चुन्नी,कई बार जब चुन्नी नीचे गिर जाती थी तो चोली के उपर से उसके उभरे दो संतरे दिख जाते थे,जो मुझे और भी गरम कर देते थे, लगता था कि नीचे से ब्रसियर नहीं पहनी हो और क्या चाल थी, पीछे से मैं उसे देखता ही रह जाता था, जी करता था पीछे से ही उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लूँ, मगर तमन्ना दिल मे ही रह जाती थी, कई बार तो उसका ख़याल दिल मे लाकर मुट्ठी भी मार चुका था.

ऐसे ही एक बार मेरी औरत अपनी बहन के घर गयी हुई थी हमारे बच्चे को साथ लेकर और वहीं रात बिताने का वीचार था.शाम का समय मैं अकेला था घर मे और राधिका आई बरतन माँजने, मेरे दिल मे तेज़ गुदगुदी सी होने लगी, अकेला घर, उसमे वो और मैं अकेले, सोच रहा था काश उसको बाहों मे भर कर नंगा कर दूं, और उसके खूबसूरत जिस्म को देख सकूँ.मगर हमेशा की तरह अपनी इच्छा को दबाए रखा, ऐसा करना ठीक नहीं था, वो शादी शुदा और मैं भी. पर ऐसे महॉल मे मैं बहुत ही गरम हो रहा था और अपने लंड को अपने आप ही मसलने लगा, राधिका रसोई मे बर्तन मांज रही थी, रसोई के बाद बैठक थी और उसके बाद मेरा कमरा, जैसे कि मुट्ठी मारने मे और भी मज़ा आए तो मैने कमरे मे रखे ड्रेसिंग टेबल के आईने को घुमा कर ऐसे रखा जैसे कि कमरे के दूसरे तरफ खड़े होकर मैं बैठक का दरवाज़ा देख सकूँ जहाँ से राधिका बर्तन माँजने के बाद आती और मैं एक दम नंगा होकर अपने लंड से को मसल्ने लगा और आईने की तरफ देखता रहा, सोचा अगर उसने देख लिया और कुच्छ कहती भी है तो कह देता मैं तो अपने कमरे मे कपड़े बदल रहा था और आईने की तरफ ध्यान नहीं गया कि बाहर से दिख रहा है.

थोरी देर के बाद बर्तन धोने की आवाज़ बंद हुई और मेरा दिल और भी ज़ोर से धरकने लगा, किसी भी समय वो आईने मे दिखे और ऐसा ही हुआ उसे देख कर मैं ऐसे करने लगा जैसे अपने कपड़े बदल रहा हूँ, कुच्छ पल के बाद मैने अपनी आँखें उपर उठाई तो देखता ही रह गया, वो अभी तक आईने से दिख रही थी और उसका एक हाथ चोली के अंदर बूब्स से खेल रहा था और दूसरा हाथ घाघरे के उपर से चूत पर रखा था, शायद उसने मुझे आईने से देख लिया था, मेरी धरकन और भी तेज़ होने लगी, समझ गया कि आग उधर भी लगी थी, दो बार नहीं सोचा और धड़कते दिल से वैसे ही नंगा मैं बाहर की तरफ गया, वो मदहोश आँखें बंद किए अपने जिस्म से खेल रही थी, मेरे आने की आहट से चौंक उठी और घबरा कर जल्दी से अपनी चुननी ठीक करने लगी और मैने उसके हाथ थाम लिए और कहा–“घबराओ मत राधिका, मैं भी तुम्हे प्यार करने के लिए बेचैन हो रहा हूँ.”

शरमाती घबराती कहने लगी–“आपको आईने मे नंगा देख कर अपने आप को रोक नहीं पाई, एक मीठी सी गुदगुदी होने लगी थी, मगर मैने नहीं समझा कि आप मुझे देख लोगे.” उसकी इस अदा ने मुझे और भी मदहोश कर दिया और कहा–“मैने जानभुज कर आईना ऐसे ही रखा था जिससे मैं तुम्हे देख सकूँ और शायद तुम भी मुझे देख सको.” उसका कोमल चेहरा अपने दोनो हाथो मे लेते हुए आगे कहा–” तुम बहुत ही खूबसूरत हो राधिका, तुम्हारा यह चेहरा एक गुलाब के फूल जैसा सुन्दर है और तुम्हारे यह दो होंठ जैसे गुलाब की दो पंखुरियाँ हो, चूमने को जी करता है.” शरमाते हुए कहने लगी–“मुझे जाने दो बाबूजी, यह ठीक नहीं है, मुझे शरम आती है.” उसकी अनसुनी करके मैने अपने तपते होंठ उसके काँपते होंठो पर रख दिए, कितने कोमल होंठ थे उसके, कितनी मिठास थी उन होंठो मे.

शरमाती, अपनी आँखें झुककर कहने लगी–“ऐसा मत कहिए बाबूजी, ऐसा मत कीजिए, मैं सह नहीं पाउन्गि, आज तक किसी ने मेरी तारीफ नहीं की, मैं तो खामोश अपने तन को राहत देना चाहती थी, आप का नंगा बदन,उठा हुआ….मैं तारप उठी, पर आप ने देख लिया.”

मैने हैरानी मे पूछा–“क्यूँ, तुम्हारा मर्द तुम्हारी तारीफ नहीं करता, इतनी हसीन,इतनी खुबुसरत हो तुम.”

अपना सिर नीचा कर लिया उसने–“कहना नहीं चाहिए, पर मेरा मर्द तो शराब के नशे मे धुत रात को आता है और मेरी तरफ देखता भी नहीं, जब उसकी इच्छा होती है अपनी पतलून नीचे करके मेरा घाघरा उपर करके बस अपनी आग ठंडी कर लेता है और मैं तड़पति रह जाती हूँ, उसे भी कितने महीने हो गये, शराब के नशे मे आते ही सो जाता है, कभी कभी तो खाना भी नहीं ख़ाता, लरखड़ाते हुए आता है और सीधा बिस्तर मे जाकर सो जाता है.”

“तुम्हारा मर्द बदनसीब है, इतनी सनडर औरत और देखता भी नहीं, मैने तो जब से तुम्हे देखा है, फिदा हो गया हूँ तुम पर. जी करता है तुम्हे देखता ही रहूं, अपनी बाहों मे लेकर प्यार करूँ और तुम्हारा यह प्यारा मुखरा चूमता रहूं.” कहते हुए मैने उसे अपने आगोश मे ले लिया. चुपचाप मेरी बाहों मे समा गयी और अपना सिर मेरे सीने पर रख लिया, उसे बहुत ही राहत मिल रही थी, उसका घबराना कुच्छ कम हुआ था. इन सभ बातों मे मेरा लंड भी थोड़ा सा मुरझा गया था, उसका खूबसूरत, कोमल जिस्म मेरी बाहों मे था, मुझे भी बहुत ही अच्छा लगा रहा था, थोरी देर तक ऐसे ही उसे अपनी बाहों मे बाँधे रखा और फिर उसके गाल को सहला कर उसका मुँह उपर किया, हमारी निगाहें मिली, प्यार भरा था उसकी आँखों मे, उसे अपना महसूस कर रहा था, शायद वो भी ऐसा ही महसूस कर रही थी इसीलिए वो भी बेफिकर मेरी बाहों मे बँधी थी, मैने उसका माथा चूम लिया और उन प्यारी सी आँखों पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन दिया और कहा–“राधिका, आज मैं तुम्हे प्यार करके तुम्हारी यह तडप निकाल दूँगा, और तुम्हे महसूस कराउँगा कि तुम वाकई मे कितनी हसीन हो.” कहते हुए मैने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए, इस बार वो नहीं हटी और मेरे चुंबन का जवाब अपने चुंबन से दिया, मैने अपने होंठ नहीं हटाए और उसका होंठ अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगा, जवाब मे उसने भी मेरा उपर का होंठ चूसने लगी.बिना होंठ हटाए कहने लगी–“मुझे पिघला दिया तुमने, बेताब थी ऐसे चुंबन के लिए, मेरा दिल इतना धड़क रहा है कि ऐसे लग रहा है की उच्छल कर बाहर आ जाएगा.”

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उसके गाल को चूम कर कहें लगा–“मैं भी सुनू कैसे धड़क रहा है तुम्हारा दिल.”

कहते हुए मैं नीचे हुआ और अपना कान उसके कोमल सीने पर रख दिया, एक लंबी साँस ली उसने, वाकई मे बहुत ही तेज़ धड़क रहा था, मेरी बाहें उसकी कमर के इर्द गिर्द थी, साँस लेकर उसने अपना एक हाथ मेरी पीठ पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे बालों मे डाल कर अपनी तरफ हल्के से दबाया, उसकी धरकने सुन कर अपने होंठो से चोली के उपर से ही उसके बूबे चूमने लगा और उसकी एक निपल पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन दिया, वो सिसक उठी, पीछे हाथ करके उसकी चोली को ढीला करके चोली उतार दी, उसके तड़प्ते दो कोमल पन्छि आज़ाद होकर उच्छल कर बाहर आ गये, नंगे बूबों पर चूमा और फिर उसकी निपल अपने होंठो मे लेकर चूसने लगा, उपर होते हुए गले को चूमता हुआ फिर उसके होंठो पर अपने होंठ रख चूमा और अपनी जीभ से उसकी जीभ टटोलने लगा, उसने मेरा साथ देते हुए अपनी जीभ मेरी जीभ से मिला ली और दोनो एक दूसरे को चूमने और चूसने लगे.

मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा था, उसके बूब्स मेरे सीने से दब रहे थे, उसकी धरकन मेरी धरकन से मिल गयी थी, उसके घाघरे का नाडा खोल दिया मैने, नाडा ढीला होते ही घाघरा एक दम नीचे फर्श पर गिर गया, उसके चूटर दबाते हुए और होंठ चूस्ते हुए मैने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया और नीचे होते हुए उसका कच्छा भी नीचे करने लगा,

घुटनो के बल बैठ कर अपने होंठ उसकी चूत के बालों पर रख कर चूमा तो फिर सिसक उठी , अपनी जीभ से चूत के होंठ पर रख कर उसे गुदगुदी करने लगा.उसने मेरे सिर को थाम कर अपनी चूत की तरफ दबाया और मैं उसकी चूत को चाटने लगा, मुझे भी इच्छा हो रही थी कि राधिका भी मेरे लंड को अपने कोमल हाथो मे लेकर मसले और अपने नाज़ुक होंठो के बीच लेकर चूसे, मैं उठा और उसे नीचे घुटनो के बल बिठा कर अपने लंड को थाम कर उसके गालो पर सहलाने लगा, वो अपना मुँह खोलकर लंड को पकड़ने की कोशिस करने लगी, थोड़ा सा उसे तडपा कर मैने अपना लंड उसके होंठो पर रख दिया, चूमते हुए उसने आहिस्ता से जितना अंदर जा सकता था उतना लंड मुँह मे डाल दिया और धीरे से बाहर निकालने लगी चूस्ते हुए, जब लंड के सुपादे पर पहुचि तो ऐसे चूसने लगी जैसे लॉली-पोप चूस रही हो, बहुत ही मीठी सी गुदगुदी होने लगी मुझे, फिर आहिस्ता से लंड को अपने मुँह मे वैसे ही डाला और फिर धीरे धीरे निकाल कर चूसने लगी, मैने उसका सिर थाम कर अपनी तरफ दबा कर उसके मुँह मे चोद्ने लगा, उसने एक हाथ मे मेरे बॉल्स पकड़ लिए थे और धीरे से दबा कर सहला रही थी.मैने उसे उठाकर उसका हाथ थाम कर कहा–” तुम्हारी खूबसूरती देखने दो राधिका”

अपने से थोड़ा सा दूर करके उसका खुबुसरत नंगा जिस्म देखने लगा–“वाकई मे तुम बहुत ही खुबुसरत हो, एक गुलाब के फूल की तरह हसीन और कोमल.” उसने शर्मा कर आँखें झुका ली और झट से मेरी बाहों मे समा गयी अपना सिर मेरे सीने पर रख कर, हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे मे समा गये थे, इतना ज़ोर से अपनी बाहों मे दबाया कि उसकी साँस थमने लगी, अपने से अलग करके उसके होंठ और जीभ चूस्ते हुए अपनी बाहों मे उपर उठा लिया, उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर से बाँध ली, उसके बूब्स मेरे होंठो के करीब और मेरा उठा हुआ लंड उसकी चूत को छूने लगा, उसके बूब्स चूस्ते हुए अपने लंड को उसकी गरम चूत पर सहलाने लगा, एक दूसरे की गर्माहट से दोनो मदहोश हुए जा रहे थे, हल्के से मैं उसकी चूत के अंदर गया, मदहोशी मे बल खाने लगी राधिका, और लिपट गयी वो मुझसे, एक झटके से लंड को और अंदर डाला तो उसके मुँह से एक चीख निकल आई, मैं उसे चोद्ने के लिए पागल होने लगा, दीवार का सहारा लेकर अपनी गोदी मे लिए उसे और ज़ोर से चोद्ने लगा, उसकी कोमल चूत की धरकन मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था जो मुझे और भी मदहोश किए जा रही थी, उसे डाइनिंग टेबल पर लिटा कर मैने उसकी टाँगे खोलकर उपर कर दी और जाँघो को सहलाते थामे और फिर उसकी चूत को चूसने लगा, चूत के दोनो होंठो को साथ लिए अपने होंठो मे लेकर चूसा और जीभ से बीच मे सहलाने लगा, उसके सारे जिस्म मे गुदगुदी होने लगी थी और इधर से उधर बल खाने लगी, मैं फिर खड़ा हुआ टाँगो को खोले मैने अपना टाइट लंड उसकी चूत के उपर रखा, मगर अंदर नहीं डाला और दबाते हुए अपने दोनो हाथो से उसके दोनो बूब्स थाम कर दबाते हुए मसलता हुआ लंड को चूत से दबाते हुए आगे झुका और एक एक करके उसके बूब्स के निपल चूसे और फिर उसकी टाँगो को थाम कर लंड को एक ही झटके मे चूत के अंदर डाला, एक और चीख निकली उसके मुँह से, दर्द से बिलख उठी, पर गुदगुदी भी बहुत हो रही थी, टेबल को थामे और माँगने लगी–“और ज़ोर से चोदो राज.” उसके मुँह से मेरा नाम और भी अच्छा लगा, हमेशा बाबूजी कहती थी, थोड़ा और चोदा, लंड को चूत से निकाले बिना उसे उठाया और वैसे ही अपनी गोदी मे ले लिया, अपनी टाँगे मेरी कमर पर बाँध ली उसने और उसे अपने बेडरूम मे ले गया. बिस्तर पर सुला कर उसे सिर से पाँव तक चूमने लगा और रह रह कर जीभ से चाट भी रहा था, जब मेरे होंठ उसकी चूत पर रुके तो फिर सिसक कर बल खाने लगी, इतनी तेज़ गुदगुदी होने लगी थी कि वह अपनी टाँगे बंद करने लगी.

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मैने उसकी दोनो टाँगे खोलकर उपर कर ली और चूत का हसीन नज़ारा देखने लगा, गुलाबी, गीला चूत उस पर काले, घुंघराले बॉल बहुत ही अच्छे लग रहे थे, उसका लचीला जिस्म, टाँगे एक दम पीछे कर ली उपर उठाते हुए और मैने अपना टाइट लंड उसकी चूत मे डाल दिया, दर्द और मज़े से तड़पने लगी, अपने सिर को आँखें बंद किए इधर से उधर करने लगी, उसके बाल उसके चेहरे पर बिखरे,होंठ भींचे हुए उसे और भी खूबसूरत बना रहे थे, और मैं पागलो की तरह उसे चोद्ने लगा, राधिका दर्द को सहन नहीं कर पा रही थी और मुझे नीचे उतार दिया, मैं उसके कोमल जिस्म से लिपट पड़ा, दोनो के होंठ एक दूसरे से मिले, एक दूसरे को चूस्ते हुए उसे पलटा कर मैं नीचे हुआ और उसे अपने उपर कर दिया, मेरे होंठ चूमते हुए वो नीचे हुई और मेरे खड़े लंड को अपने हाथ मे लेकर मसल्ते हुए अपने मुँह मे डाल दिया और ज़ोर से उपर नीचे करते चूसने लगी, इस बीच मे उसकी चूत का दर्द थोड़ा सा कम हुआ तो मेरी दोनो तरफ टाँगे करके चूत के अंदर लंड डाल कर उपर नीचे होने लगी, मैं भी उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को उपर नीचे करके उसे चोद्ने लगा, अब बर्दाश्त से बाहर था, लंड मे बहुत ही तेज़ गुदगुदी हो रही थी, उसे पलट कर फिर उसे नीचे करके मैं उसके उपर हुआ और ज़ोर से चोद्ने लगा, बस लंड और नहीं सहन कर पाया और एक पिचकारी निकली मेरे गरम पानी की और चूत को अंदर से भिगो दिया, मेरा गरम पानी अंदर महसूस करके वो भी ज़ोर से अपनी कमर को इधर उधर हिला कर मुझसे से और भी लिपट गयी अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर से लपेट कर अपने से चिपका लिया, उसका शरीर काँप रहा था. कितनी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों मे लपेटे सोए रहे, मेरे होंठ चूमते हुए उसने कहा–” राज, आज पहली बार अपने को एक औरत महसूस किया है, अभी तक तो ऐसे लगता था जैसे मैं अपने मरद का खिलोना हूँ, जब उसे जी चाहता है मेरे जिस्म से खेल लेता है, बिना यह सोचे कि मैं क्या चाहती हूँ.”

होंठो से होंठ मिले रहे थे,”मुझे खुशी हुई कि तुम्हे अच्छा लगा, मुझे भी तुमसे प्यार करके बहुत ही अच्छा लगा.” मैने जवाब मे कहा.

“पहली बार महसूस किया है प्यार का मज़ा, पहली बार महसूस किया है सेक्स का आनंद, मुझे तो ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मुझे पंख लग गये हो और मैं उड़ रही हूँ.इतना आनंद मिला कि मेरा जिस्म काँप रहा था, ख़ासकर जब तुम मेरी चूत चूस रहे थे, जब तुम्हारा गरम पानी अंदर गहराई मे महसूस किया, मैं तो अपने होश खो रही थी.”

“यह ऑर्गॅज़म था जो तुम्हे इस तरह कंपन दे रहा था तुम्हारे जिस्म मे.” मैने उसके बाल सहलाते हुए, चूमते हुए कहा.

“अब मुझे जाना चाहिए, और भी घर हैं जहाँ काम करना है.”

“जी तो करता है, ऐसे ही मेरी बाहों मे समाई रहो, मुझे अच्छा नहीं लगता कि तुम दूसरे के घर मे बर्तन माँजने का काम करो, अगर मैं तुम्हारे लिए कुच्छ कर सकूँ तो सिर्फ़ कहने की देर है.” मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उस से प्यार हो गया हो.

“मेरी फिकर मत करो, मुझे कुच्छ भी ज़रूरत होगी तो मैं तुम्हे कह दूँगी.” मेरे होंठ चूमते हुए उसने कहा और मुझसे अलग होकर उठी और कपड़े पहनने लगी और मैं चुपचाप उसे देखता रहा, उसे देख कर मेरी दिल की धरकन मेरे काबू मे नहीं थी और प्यार करने को जी कर रहा था, शायद राधिका ने मेरे दिल की बात सुन ली थी और कहने लगी–“जब भी मौका मिलेगा और अगर नहीं मिलेगा तो ढूँढ लेंगे इसी तरह प्यार करने के लिए.

कपड़े पहन कर जाने लगी, मगर जाने से पहले हम एक बार फिर एक दूसरे की बाहों मे बँध गये दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ



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