नौकर और उसके दोस्त के साथ थ्रीसम सेक्स स्टोरी

ही फ्रेंड्स, मैं कल्पना केपर अपनी कहानी का लास्ट पार्ट लेके आप सब के सामने वापस आ गयी हू. मेरी पिछली कहानी को अपना प्यार देने के लिए आप सब का धन्यवाद. उमीद है की आप इस पार्ट को भी उतना ही प्यार देंगे.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की घर वापस आने के बाद मैने पंकज को सब भूल जाने के लिए कहा था. उसने भी मेरी हामी भारी थी. फिर ऑफीस में पंकज मेरे पास आया, और उसने वाहा भी मेरी चुदाई कर दी. मैं चूड़ना नही चाहती थी, लेकिन उसने मुझे फिर भी गरम करके छोड़ दिया. अब आयेज बढ़ते है.

अब मैं सोच रही थी की मैने होटेल में अपने आप पर काबू रखा होता, तो ये सब नही होता. लेकिन अब मैं कुछ कर भी नही सकती थी. पंकज को बोल कर मैं देख चुकी थी. और अगर उसको नौकरी से निकालती, तो वो मेरी बदनामी कर सकता था. मैं समझ नही पा रही थी, की क्या किया जाए. इतने में शाम हो गयी, और ऑफीस बंद होने का टाइम हो गया.

फिर मैं घर वापस आ गयी. वापस आके मैने पाजामा त-शर्ट पहने, और थोड़ी देर रेस्ट किया. मेरे दिमाग़ में अब भी पंकज ही घूम रहा था. फिर सोचते-सोचते मुझे नींद आ गयी. आधे घंटे बाद मेरी नींद खुली. अंधेरे हो चुका था, और डिन्नर का टाइम हो गया था.

फिर मैने अपने लिए डिन्नर बनाया, और टीवी के सामने बैठ कर डिन्नर करने लगी. डिन्नर करने के बाद मैं किचन में गयी ही थी प्लेट रखने के लिए, की तभी दरवाज़े की घंटी बाजी. मैने सोचा की इस वक़्त कों होगा, लेकिन कोई आइडिया लगा नही पाई. फिर मैने जाके दरवाज़ा खोला.

जैसे ही मैने दरवाज़ा खोला, मैं हैरान हो गयी. मेरे सामने फिरसे पंकज खड़ा था. उसको देख कर मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही वो बिना कुछ बोले अंदर आ गया. उसके साथ एक और आदमी भी था. मैं कुछ समझ नही पाई. फिर मैं बोली-

मैं: पंकज तुम यहा क्या कर रहे हो? और ये आदमी कों है?

पंकज: मेडम ये मेरा दोस्त है. मैने जब इसको बताया की आपके और मेरे बीच में क्या हुआ है, तो ये माना नही. तो मैं इसको यहा ले आया, लिव दिखाने की मेरे और आपके बीच क्या होता है.

मैं: तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या?

पंकज: इसमे दिमाग़ खराब वाली क्या बात है मेडम? मैने कों सा झूठ बोला है. आप मुझसे प्यार करती है, और मैं आपसे. सीधी सी बात है.

इससे पहले मैं कुछ और बोलती, पंकज मेरा पास आया, और उसने अपने होंठ मेरे होंठो से मिला दिए, और मुझे कस्स कर अपनी बाहों में जाकड़ लिया.

मैं उससे डोर होने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसकी मज़बूत पकड़ से आज़ाद नही हो पाई. वो मुझे किस करते हुए मेरी गांद दबाने लग गया. उसने मेरी त-शर्ट फाड़ दी, और ब्रा भी साथ ही निकाल दी. फिर वो मुझे किस करते हुए मेरा एक बूब दबाने लग गया. मैं गरम हो रही थी, और ना चाहते हुए भी उसका साथ देने लग गयी. जब उसने ये देखा तो अपने दोस्त को बोला-

पंकज: देखा भाई, मैने बोला था ना. मेडम मुझसे प्यार करती है. लेकिन बस थोड़ी नाराज़ है.

ये बोल कर पंकज ने मुझे बाहों में उठाया, और बेडरूम में ला कर बेड पर पटक दिया. फिर वो नंगा हो गया. उसका लंड पूरा तन्ना हुआ था. उसके बाद उसने मेरे बूब्स चूसने शुरू किए. इससे मैं और उत्तेजित होने लगी, और मेरी छूट गीली होने लगी.

फिर वो नीचे आया, और मेरा पाजामा और पनटी उतार दिए. अब मैं नंगी उसके सामने पड़ी थी. वो मेरी छूट चाटने लगा, जिससे मैं पागल हो गयी, और चूड़ने के लिए तैयार भी. फिर वो मेरी टाँगो के बीच आया, और लंड रगड़ते हुए मेरी छूट में डाल दिया.

मेरी आ निकली, और हम दोनो की चुदाई शुरू हो गयी. कुछ 10 मिनिट तक वो मुझे उसी पोज़िशन में पेलता रहा. साथ-साथ उसने मेरे होंठ और बूब्स चूस-चूस कर लाल कर दिए. फिर हमने पोज़िशन बदली. अब मैं उसके उपर थी, और वो मेरे नीचे. मैं उछाल-उछाल कर उससे चुड रही थी. मेरे बूब्स भी हवा में उछाल रहे थे.

तभी उसका दोस्त भी रूम के अंदर आ गया. मैने पंकज से कहा की उसको बाहर जाने को बोले, तो पंकज बोला-

पंकज: मेडम जी, ये भी आपको छोड़ना चाहता है.

उसकी बात सुन कर मैं उछलते-उछलते रुक गयी. मैने उसको बोला-

मैं: मैं कोई रंडी नही हू, जो हर किसी से चुड्ती फिरू. तुमसे सेक्स करके मुझसे ग़लती हो गयी, जिसका भुगतान मैं कर रही हू. अब किसी और से नही कर सकती.

तभी उसने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, और कहा-

पंकज: मैं तुझे जिससे चाहूँगा उससे चड़वौनगा.

और ये बोल कर उसने मुझे बाहों में भर लिया. फिर मेरे होंठ अपने होंठो से बंद किए, और अपने दोस्त को इशारा किया. उसका इशारा पाते ही उसका दोस्त नंगा होके मेरे पीछे आया, और मेरे चूतड़ खोल कर गांद का च्छेद चाटने लगा. मैं हिल भी नही पा रही थी.

फिर उसने अपने लंड पर थूका, और मेरी गांद के च्छेद पर सेट किया. उसके बाद उसने ज़ोर का धक्का मारा, जिससे उसका आधा लंड मेरी गांद फाड़ कर अंदर घुस गया. मैं दर्द से झटपटाने लगी. मेरी चीख भी मूह में ही डाबब गयी किस की वजह से.

उसका दोस्त धक्के पे धक्का मारता गया, और पूरा लंड मेरी गांद में घुसा दिया. फिर वो 2 मिनिट रुका, और जब मैं थोड़ी ढीली पड़ी, तो उसने अपना लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मेरा दर्द कम हो गया, और मुझे मज़ा आने लगा. फिर पंकज भी नीचे से मेरी छूट छोड़ने लगा.

अब दोनो रिदम में मेरी छूट और गांद छोड़ रहे थे. मैं उनके बीच ऐसे थी जैसे सॅंडविच में टिक्की होती है. मुझे इसमे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं समझ गयी थी, की अब मुझे पक्की रंडी बनना पड़ेगा, तभी मैं खुश रह सकूँगी.

आधा घंटा छोड़ने के बाद उन्होने अपने माल से मेरी छूट और गांद भर दी. फिर दोनो मेरे आस-पास लेट गये. थोड़ी देर में पंकज बोला-

पंकज: मेडम आज बहुत मज़ा आया. कल किसी और लड़के को साथ में लेके अवँगा.

मैने भी रंडी की तरह बोला: जिसको मर्ज़ी ले आना, मैं खुश कर दूँगी.

इस तरह से मैं लॉयर के साथ-साथ एक सस्ती रांड़ भी बन गयी. अब वो रोज़ मुझे छोड़ता है, और बहुत से नये लड़कों से भी चुड़वता है.

तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर आपको मेरी कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसका लिंक जितना हो सके शेर करे. ताकि सब लोग इसका मज़ा ले सके.

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