नदी किनारे चूत पुकारे

हाय फ्रेंड्स मेरा नाम चंदन है ये कहानी तब की है जब 20 साल का था, मे का महीना मैं हमेशा गाओं जाता था उस बार जब गाओं गया तो घर पे कोई नही था सिर्फ़ दादा दादी घर पे थे और कोई नही था मुझे बोर लग रहा था गर्मी बहुत था. हिन्दी सेक्स स्टोरीस

हमारे गाओं मे एक नदी है जिसमे हमेशा पानी भरा हुआ रहता था वाहा एक बड़ा सा पेड़ था जिसके वजह से उस जगा बैठने मे मज़ा आता था.

मैने 12 बजे वाहा जाने का प्लॅन बनाया वाहा जाके बैठा था की एक औरत वाहा आई जिसका उमर कुछ 40 के बीच मे होगी उसने शायद पेटिकोट नही पहना और ब्लाउस बिल्कुल नही पहना था उनका बूब्स साफ पता चलता और वो जब चलरहिति बूब्स हिल रहेते वो कुछ बर्तन लेके आई थीसाफ करने के लिए.

वो मुझे देख के थोड़ा हसके पूछी कौन हो तुम और किसके घर आए हो मैने कहा मैं बद्री मेरा दादा जी है और मेरा नाम चंदन है तो वो बोले अछा और बर्तन नदी के कीनारे रख दिया और थोड़ा आगे जाके मेरे तरफ पीठ करके साड़ी उठाली मैं उनकी गॅंड देखके पागल हो गया और मेरा लंड खड़ा हो गया पिशाब करने लगी उसका गॅंड मेरे तरफ था उनका एक दम चिकना गॅंड था.

मैं तो गर्मी के कारण चड्डी नही पहनतता और मेरा खड़ा हुआ लंड पता चलता वो औरत पिशाब करके अपने बर्तन माँजने लगी वो अपने साड़ी घुटने के उपर कर के बैठी थी और उनका चुत मुझे थोड़ा थोड़ा दिखाई दे रहा था उनके चुत मे बहुत बाल थे और वो जब बर्तन साफ कर रही थी तो उनके बूब्स हिल रहे थे और वो थोड़ा थोड़ा मुझसे बात भी कर रही थी इस बीच मे उनके बर्तन साफ करना ख़तम हो गया और वो नहाने लगी मैने कहा आप अभी बाथ करेगी क्या.

तो वो बोली हाँ तो मैने कहा ठीक है मैं चलता हूँ तो वो बोली कोई बात नही तुम बैठे रहो और वो नहाने लगी वो ऐसी नहा रही थी की मुझे मज़ा आ रहा था पहेले वो अपना साड़ी घुटने से थोड़ा उपर कर ली और झुक के अपनी टांगे को एक कपड़े से रगड़ रही थी तो उनका साड़ी का पल्लो नीचे गिर गया और बूब्स दिखने लगा.

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वो वैसेही कर रही थी फिर वो पानी के अंदर जाके एक डुबकी लगा के निकल आई जब वो बाहर निकली तो मेरा दिमाग़ का टेंपरेचर 100 से पार हो गया उनका सारा बदन गीली साड़ी से चिपक के था उनके बूब्स और चूत का शेप साफ पता चलता था फिर उन्होने कहा कल इसी वक़्त आना हम यहा बात करेंगे मैने कहा ठीक मेरा खड़ा हुआ लंड तो वो देख लिया था फिर जब वो जा रही थी उनकी गॅंड देख के तो और भी दीवाना हो गया और जब चली गयी वाहा बैठके मैं मूठ मारके घर चला आया.

अगले दिन जब 12 बजे तो मैं झट से चला गया मैं वाहा पहुचा तो कोई नही था थोड़ी देर इंतजार करने के बाद आंटी आई वैसेही साड़ी मे और बर्तन लेके वो देख के मुझे थोड़ा स्माइल देके कहा क्या मेरा इंतेजर कर रहे हो मैने कहा नही वैसे घर मे बहुत गरमी है इसलिए बैठा हूँ तो आंटी बोली अछा ठीक है और वो अपने बर्तन साफ करने लगी और आज उन्होने अपनी साड़ी ऐसे उठाया था की उनकी चुत मुझे साफ दिखाई दे रहा था एक दम बाल से भारी पूरा मेरा तो लंड खड़ा हो रहा था उन्होने भी नोटीस किया था.

फिर आंटी नहाने चली गयी वो नहा रही थी और मैं घूर रहा था तो आंटी अचानक बोली चंदन एक काम कर आजा मिलके नहाते हैं तो मैने कहा आंटी कोई आ जाएँगा तो बुरा सोचेगा तो आंटी बोली इस वक़्त कोई नही आता मैने सोचा की अगर जाता हूँ तो थोड़े और पास से दर्शन हो जाएँगा और हाथ मार ने का मौका मिलजाएगा फिर मैने एक टॉवेल पहन के चला गया और टॉवेल मे मेरा खड़ा हुआ लंड पता चलता था फिर मैं पानी के अंदर गया जब अंदर गया तो आंटी ने एक डुबकी मारके बाहर आई उनके साड़ी का पल्लू गिर गया था उनके बूब्स मेरे सामने थे.

आंटी बोली क्या देख रहा है कभी देखा नही है क्या ये बोल के वो मेरे पास आई मैं सिर्फ़ बूब्स को घूर रहा था अचानक आंटी ने मेरा टॉवेल खींच के बाहर फेंक दिया मैं कुछ सोचने से पहेले उन्हो ने एक डुबकी मारी और डुबकी मारने के बाद मुझे महेसुस हुआ की कोई पानी के अंदर मेरा लंड चूस रहा है मैं कुछ सोच नही पा रहा हाथ लगाया तो पता चला की वही आंटी पानी के अंदर मेरा चूस रही हैं 2 मिनट के अंदर वो बाहर आई बोली तेरा लंड तो बहुत बड़ा है और टेस्टी है.

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मैने कहा अछा इतना अछा लगा, मुझे आंटी का इरादा मालूम पड़ गया था और मेरी भी हिम्मत हो गयी थी फिर मैं फिर आंटी को किस करने लगा और बूब्स दबाने लगा फिर मैं एक पत्थर पे बैठा दिया और उनका साड़ी उपर उठा लिया और बाल बड़े चुत को चाट ने लगा और उंगली करने लगा कुछ देर ऐसे करनेके बाद आंटी बोली अब कंट्रोल नही होता डाल दे लंड मैं लंड को चुत मे सेट कर के चोदने लगा वो सिर्फ़ चीख रही थी.

ऐसे 15-20 मिनट छोड़ने के बाद मैं झड़ गया उनके चुत मे वो चुत मे उंगली डाल के रस निकाल के चाटने लगी फिर ऐसे ही हमारा कारवा चलता रहा एक दिन तो मेरी दादी वाहा पहुच गयी और आंटी दूर से दादी को देख के छुप गयी पानी के अंदर और मेरा लंड चूस रही थी.

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दादी बोली इतना देर क्या कर रहा है जल्दी घर आजा मैने कहा हाँ दादी नहा के आता हूँ तो दादी बोली ठीक है जल्दी नहा के चले आना मैंने कहा ठीक हैं चले आउन्गा फिर आंटी बाहर आई और उसे जम के चोदा और घर चला गया और रोज उसे नदी मे चोदता था किसी भी दिन भी फ़ुर्सत नही था ऐसे रोज का काम था मेरा.

हिन्दी सेक्स स्टोरीस कैसी लगी ज़रूर कॉमेंट लिखना इसका नेक्स्ट पार्ट बताउन्गा की कैसे मैने एक लड़की का सील तोड़ा गाओं मे बाइ टेक केर.



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