मेरी सहेली की मम्मी की चुत चुदाइयों की दास्तान-5

‘मैडम जी यह तो गलत बात है… देखो शौहर बीवी में ये बातें तो होती ही रहती हैं… प्यार से चुदाई कराओ और मजा लेकर जिंदगी का लुत्फ़ उठाओ।’
‘नहीं कबीर, मेरे शौहर का लंड आप देखोगे तब आप को मालूम पड़ेगा कि ऐसी लुल्ली देखकर तो रंडी भी मना कर देगी।’
‘अच्छा! तब तो सच में एक बार देखना ही पड़ेगा… वैसे उनका हथियार कितना बड़ा और कितना ताकतवर है?’

‘बहुत… छोटा बच्चों की जैसा, एकदम नूनी लेकिन तू तो जवान है तेरी तो गर्लफ्रेंड तो खुश रहती होगी?’
‘नहीं मैडम। गर्लफ्रेंड होती तो आपको थोड़ी लाइन मारता? आपके बारे में एक बात सुनी है आप बुरा तो नहीं मानोगी?’
‘अरे! नहीं बोल न?’
‘आपके शौहर के ही दो दोस्तों ने आपको जमकर चोदा है।’

‘हाँ हा हा… शैतान… ज़रूर रोशन ने बोला होगा। दरअसल जब मेरे शौहर यहीं इंडिया में थे तो वह लोग घर पर आते थे इनके साथ शराब पीने को। यह तो दुबई चले गए वह लोग आते रहे। बस एक दिन मैंने भी बहुत पी रखी थी तो नशे में ‘भाभी प्लीज़… भाभी प्लीज़…’ करते करते उन्होंने पकड़ लिया तो मैं भी न नुकुर करते हुए पिघल गई थी।’

‘वाह मैडम, आप तो बहुत सेक्सी हो कॉलेज में सब आपको बहुत शरीफ औरत समझते हैं। तो क्या करते थे वो दोस्त आपके साथ?’
‘किसी के साथ सेक्स करने से मेरे शरीफ होने न होना का क्या ताल्लुक? यह मेरा निजी मामला है। हम भारतीय लोगों की सोच भी न…’

‘हा हा हा… सही बात, हम बचपन से ऐसे माहौल में रहते हैं कि पराये मर्द के साथ सेक्स को ग़लत मानने लगते हैं। भला किसी के साथ सहमति से सेक्स कर लेने से रिश्ते कैसे ख़राब हो सकते हैं। घटिया सोच है लोगों की।’

‘बिल्कुल सही, रिश्तों में नयापन लाने के लिए आजकल की नई पीढ़ी वाइफ स्वैपिंग काफी पसंद करती है। एक लड़का, एक लड़की एक छत के नीचे रहते हुए एक चुत के लिए तरस रहा है और एक लंड के लिए तड़पे… यह कैसी सोच है। विदेशो में बहन का पहला सेक्स पार्टनर उसका भाई ही होता है। और इससे परिवार में रिश्ते और गहरे होते हैं, प्यार बढ़ता है न कि घटता है।’

‘सही बात है, आखिर बहन बाहर भी तो किसी से चुदेगी ही फिर भाई क्यों नहीं? सुरक्षित भी और आसान भी!’
‘बिल्कुल, अगर बहन के साथ करने में झिझक है तो किसी दोस्त से खुलकर बात करो और सिस्टर स्वैपिंग कर लो।’
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‘वाह मैडम, मान गए… आप तो अल्ट्रा मॉर्डन हो, घरेलू औरत शौहर के रहते हुए ग्रुप सेक्स करे, यह अभी अपने यहाँ बहुत आम नहीं हुआ है। वैसे आप लोग क्या पसंद करते हो लाइक वुमन ऑन टॉप?’

‘वैसे उनको तो बस मेरी गांड मारने में ही मजा आता है। कभी तो हम तीनों कई मिनट तक एक दूसरे का चूसते रहते हैं। मजा तो तब और दुगना हो जाता है… जब एक मेरे पीछे डाल कर चुदाई करता है, और एक आगे से! मैं दोनों के बीच फंसी रहती हूँ। लेकिन गांड मरवा कर कब तक गुज़ारा करूँ, चुत की आग सोने नहीं देती है।’

‘मैडम दर्द नहीं होता क्या? रोशन बता रहा था कि आपको गांड मरवाने में दर्द बहुत हो रहा था?’
‘उफ्फ उसने तुझे यह भी बता दिया। अरे यार, अचानक उसने वाशरूम में पकड़ लिया था। इसलिए खड़ी थी न, इसलिए होता है शुरू शुरू में… जब लंड जगह बना लेता है… तो चुत से ज्यादा मजा गांड मराने में मजा आता है। लेकिन चुत की चुदाई के बिना कैसा मजा?’

इस तरह की बातें करते करते मैं विचलित होने लगी, मुझे लगा कि ज्यादा और बातें हुई तो मैं झड़ने लगूंगी। अब मैंने कुर्सी पर बैठे हुए ही अपने पैर फैला दिए।

तभी उसने अपना हाथ आगे से खुले गाउन को खिसका दिया, अब वो मेरी गोरी जाँघों में अपने हाथ फेरने लगा।
मैं उसको मुस्कुराते हुए देख रही थी। धीरे धीरे उसने मेरी चड्डी को सरकाते हुए चुत के पास उंगली को लगा दिया और मेरी चुत को सहलाने लगा।
मैंने कुछ दिन पहले ही वीट से चुत की शेव की थी, चुत पर हल्के बाल थे।

उसने फिर उसने मुझे बांहों में भर लिया और मेरी दोनों चूचियों को दबा दिया। मैं उससे दिखावटी नाराज होने लगी। मैं अपनी कुर्सी सरकाकर उसके करीब आ गई थी।
वो बोला- मैडम बहुत मजा आएगा… मौसम भी साथ दे रहा है… मजा ले लो।
मैं चुप थी…

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कबीर ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड मुझे हाथ में पकड़ा दिया।
उसका लौड़ा पहले ढीला था… फिर धीरे धीरे एकदम से सख़्त हो गया।
मेरा मन उसका लंड लेने को हो गया… लेकिन मेरे शौहर कमरे में बैठे ड्रिंक कर रहे थे।

उसने मेरी ब्रा को पीछे से खोल दिया, अपने हाथ उसने मेरे गाउन में डाल कर मेरे चूचों को दबाने लगा।
मैं मादकता से सिसकार कर रह गई, मुझे अब अच्छा लगने लगा था, मैं चुदास के चलते उसके साथ सेक्स का खेल खेलने लगी थी।
मैंने उसकी पैन्ट को खोल दिया, अब उसका लंड एकदम तन गया था और मेरी चुत में घुसने को बेताब था।

‘आराम से आराम से… वे अन्दर ही हैं…’ उसने मेरा गाउन आगे से खोल कर मुझे नंगी कर दिया और मेरे तन बदन को चूमने लगा।
कुछ ही देर में मेरी नंगी चुत पानी छोड़ने लगी, मेरा मन उससे चुदवाने के लिए तैयार था।

‘आआहह्ह… अन्दर मेरे शौहर अल्ताफ हैं, यहाँ यह सब ठीक नहीं है।’ मैं कमरे की तरफ झांकते हुए सिसकार उठी।
‘मैडम आप बोलो तो बाहर किसी होटल में चलें?’ उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा।
‘बाहर कहाँ? होटल में किसी ने मुझे देख लिया तो? रेड पड़ गई तो रंडी कहलाऊँगी। वैसे भी मैं तुमसे बहुत बड़ी हूँ, क्या बोलूंगी होटल में कौन हो तुम मेरे?’

‘आप अपना लॉन्ग कोट पहन लेना, मैं हेलमेट लगा लूँगा, एक दोस्त है अकेला ही रहता है, उसके घर चलते हैं।’ कबीर का जवाब सुन कर मैं तैयार होने को बढ़ गई।

‘अल्ताफ़, मैं शॉपिंग के लिए जा रही हूँ। कबीर मुझे मर्केट तक छोड़ देगा, लेट हुई तो वहाँ से रिक्शा लेकर आ जाऊँगी। तुम्हारे लिए कुछ लाना है?’
‘बियर चाहिए जो तू नहीं ला पायेगी, जा अपना काम कर…’

‘मेरी बिना इन्सल्ट किये इस कुत्ते का दिल ही नहीं भरता!’ सोचते हुए मैं फटाफट तैयार होकर अपने स्टूडेंट कबीर के साथ निकल गई। मैंने लॉन्ग कोट के नीचे एक क्लब वियर टाइप रेड कलर की स्पघेटी (spaghetti) पहनी हुई थी।

कुछ ही देर में हम उसके एक दोस्त नदीम के घर में थे।

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