मेरी भाभी के भाई ने मेरी गांड मारी

आप सभी को मेरा नमस्कार। मेरा नाम दिशांत है, और मैं हिमाचल प्रदेश से हूं। मेरी उम्र 24 साल है। मुझे बचपन से ही लड़कियों के कपड़े पहनने का शौक है। मैं जब भी घर में अकेला होता हूं, तो दीदी या भाभी के कपड़े पहनना और मेकअप करना ही मेरा काम होता है। जब भी मैं लड़कियों की तरह सजता-संवरता हूं, तो मैं खुद को दिशा समझता हूं और यही मेरा लड़कियों वाला नाम है।

वैसे तो मैं अब तक कई बार गांड मरवा चुका हूं। लेकिन आज मैं आपको सबसे पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूं। उससे पहले मैं बता दूं कि मेरी हाईट 5’7″ है और फिगर 30-28-32 है।

बात करीब 7 साल पहले की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। एग्जाम के बाद मैं फ्री था, तो मैं घर में बोर ही होता था। क्योंकि करने के लिए कुछ काम नहीं था।

तभी एक दिन मेरी भाभी ने बताया कि उनका भाई जो चंडीगढ़ में जॉब करता था। वो आजकल वहां अकेला ही था, उनकी बीवी घर में नहीं थी। तो भाभी ने मुझसे कहा-

भाभी: तुम चाहो तो चंडीगढ़ में घूम कर आओ। वैसे भी घर में फ्री ही तो हो। मैं उससे बात कर लूंगी, वो तुम्हे चंडीगढ़ घुमा देगा।

मैं पहले कभी चंडीगढ़ नहीं गया था, तो मुझे भाभी की बात सही लगी, और मैं भी जाने के लिए तैयार हो गया। फैमिली को भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी, क्योंकि वहां भाभी का भाई था। तो वो भी मुझे भेजने के लिए निश्चिंत हो गए।

बस फिर क्या था। मैं दो दिन बाद ही चंडीगढ़ के लिए निकल गया। मैं शाम को करीब 6 बजे चंडीगढ़ पहुंच गया। वहां से मुझे खरड़ जाना था। तो मैं ऑटो करके वहां चला गया। वहां पहुंच कर मैंने भाभी के भाई को फ़ोन किया, तो वो थोड़ी देर में ही मुझे लेने आ गए। उसके बाद हम उनके रूम में गए।

इसी बीच हमने एक-दूसरे का हाल-चाल पूछा और थोड़ी बहुत बातें हुई। हम पहले से एक-दूसरे को जानते तो सब नॉर्मल था। रूम पहुंच कर उन्होंने कहा कि पहले फ्रेश हो तो, तो मैं फ्रेश होने के लिए चला गया।

मैं आपको बता दूं कि भाभी के भाई का नाम नितिन है, और उस समय उनकी उम्र करीब 27 साल थी। मैं उन्हें भाई कह कर ही बुलाता था। मैं तब 19 साल का था। उनकी शादी को 2 साल हो गए थे। उनकी पत्नी भी कुछ समय पहले तक यहां थी, लेकिन गर्मी ज़्यादा बढ़ने की वजह से करीब डेढ़-दो महीने पहले वो घर चली गई थी।

रात को हमने खाना खाया और फिर थोड़ी बहुत बातें करके सो गए। मैं भी दिन भर ट्रेवल करके थक गया था और उन्हें सुबह काम पर जाना था। सुबह मैं उठा तो 7 बज चुके थे। वो काम पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे। उस दिन शनिवार था।

उन्होंने कहा: मैंने चावल और दाल बना दी है, फ्रेश हो कर खा लेना।मुझे निकलना पड़ेगा, नहीं तो लेट हो जाएगा।

उन्होंने मुझे 100 रुपये का नोट दिया और बोले: नीचे उतरते ही गली में बहुत सारे ढाबे हैं, दिन में वहीं खाना खा लेना। आज रेस्ट करो रूम में। कल सन्डे है, तो कल घुमाता हूं तुम्हें चंडीगढ़।

मैंने ओके बोला। उसके बाद वो काम पर चले गए, और मैं भी वाशरूम चला गया। गर्मी बहुत थी, तो उसके बाद मैं ठंडे पानी से नहा भी लिया।

नहा के मैंने क्रीम ढूंढने के लिए अलमारी खोली, तो उसमें मुझे उनकी पत्नी के कपड़े दिख गए। कपड़े देखते ही मेरे अंदर की औरत जाग गई, और मैंने उनका एक लाल रंग का सूट उठा कर देखा।

बहुत सॉफ्ट कपड़ा था। मेरे बदन पर अलग ही सिरहन सी दौड़ गई। वैसे भी मैं रूम में अकेला ही रहने वाला था शाम तक। तो मेरे मन में ख्याल आया बोर होने से अच्छा है क्यों ना लड़की बन कर इंजॉय किया जाए। अब आगे की कहानी मैं लड़की बन कर यानी दिशा बन कर ही लिखूंगी।

तो जो सलवार कमीज मैंने उठाई थी, देख कर लग रहा था कि मुझे फिट आ जायेगी। फिर मैं ब्रा पैंटी ढूंढने लगी। कपड़ों के नीचे मुझे ब्रा पैंटी भी मिल गई। मैंने काले रंग की ब्रा पैंटी उठा ली। उसके बाद फटाफट अपने कपड़े उतारे और ब्रा पैंटी पहन ली। मैं पतला था तो मैंने चूचियां बनाने के लिए कुछ कपड़े ब्रा के अंदर डाल लिए।

फिर मैंने वो सलवार कमीज भी पहन ली। वो भी मुझे फिट आ गई। उसके बाद मैंने लिपस्टिक और बिंदी लगाई। हमारे हिमाचल में जब बचपन में लड़कों के बाल काटे जाते हैं, तो उस समय कान में छेद करके सोने की तारें पहनाई जाती है। तो इस वजह से मेरे कान में भी छेद थे।

हालांकि अब मैंने वो तारें उतार दी थी, पर उसके छेद बंद नहीं हुए थे। क्योंकि मैं भाभी की इयररिंग्स पहना करती थी। मुझे अलमारी में ही इयरिंग्स, चूड़ियां और पायल भी मिल गई, तो वो भी मैंने पहन ली। उसके बाद मैंने उसी सूट का लाल रंग का दुपट्टा भी सिर में ले लिया। अब मैं लड़की या औरत कुछ भी कह लो, बन कर तैयार हो गई थी।

उसके बाद मैंने वैसे ही खाना खाया, और फिर बरतन वगैरह भी साफ किए। लड़की बन कर काम करने का अलग ही मज़ा आता है। मेरी सीडी बहनें समझ सकती हैं। बर्तन धोते समय मुझे ऐस लग रहा था, जैसे मानों मेरे पति काम पर गए हो, और मैं पीछे से घर के काम कर रही हूं। यहीं सोचते-सोचते मेरी गांड में हलचल होने लगी और मैं खुद को नितिन की बीवी समझने लगी।

मैंने टाइम देखा तो 10 बज चुके थे। फिर मैंने फेसबुक खोली और लोगों से गंदी चैट करने लगी। मेरी आग बढ़ती जा रही थी। मैंने कुछ लोगों से कॉल पर भी बात की। इस सब में पता ही नहीं चला कब 1 बज गया। मुझे बहुत तेज टॉयलेट आ रहा था, तो मैं वाशरूम चली गई। मैं बैठ कर टॉयलेट करने लगी। तभी मुझे गांड में फिंगर डालने का मन करने लगा।

मैं फटाफट उठ कर बाहर गई, और क्रीम की डिब्बी लेकर बेड में सलवार और पैंटी नीचे करके लेट गई। मैंने एक फिंगर में क्रीम लगा कर गांड में डाल ली। मैं पहले भी फिंगरिंग करती रहती थी, तो आराम से चली गई। और मैं जोर-जोर से फिंगर अंदर बाहर करने लगी। तभी अचानक कमरे का दरवाजा खुला, सामने देखा तो नितिन खड़ा था। मेरी नंगी गांड जिसमें मेरी फिंगर थी, बिल्कुल नितिन के सामने थी। मैंने झट से फिंगर बाहर निकाली और सलवार ऊपर करके नाड़ा बांधने लगी।

तभी नितिन बोला: अरे पैंटी भी ऊपर कर लो।

नितिन के मुंह से ये बात सुनके मुझे थोड़ा होंसला भी आया और शर्म भी। मैंने सलवार के अंदर हाथ डाल के पैंटी को ठीक किया, और नाड़ा बांध दिया। शर्म से सिर नीचे झुका कर बेड के कोने पर बैठ गई।

मैंने नितिन से बोला: प्लीज़ भाई भाभी या किसी और को मत बताना ये सब।

तभी वो बोले: यार मैं क्यों बताऊंगा। तेरी लाइफ है तू जो मर्ज़ी कर। पर हम दोनों एक-दूसरे की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। आरती (नितिन की पत्नी) को घर गए 2 महीने हो गए हैं। तब से लंड तड़प रहा है। चल दोनों एक-दूसरे की प्यास बुझाते हैं।

मैं मन ही मन बहुत खुश थी। क्योंकि जो मैं सुबह से सोच रही थी, वो बिना कुछ किये ही पूरा होने वाला था।

तभी मेरा डर दूर हो गया, और मैंने ओके बोला। मैंने नितिन से पूछा-

मैं: आप इतनी जल्दी कैसे आ गए? आप तो शाम को आने वाले थे।

तो उन्होंने बोला: आज काम कम था, तो सोचा तुम्हे थोड़ा बाहर घुमा दूं। पर मुझे क्या पता था कि इस तरह से तुम्हारे दर्शन होंगे।

तभी मैं हंसते हुए बोल पड़ी: क्यों, इस तरह मैं अच्छी नहीं लग रही?

तभी नितिन ने मुझे बेड में लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया। नितिन ने अपने लिप्स मेरे लिप्स पर रख दिये, और मेरे लिप्स चूसने लगा। मैं भी उनका साथ देने लगी। करीब 5 मिनट तक हमने जोरदार किसिंग की। उसके बाद नितिन अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। उनका लंड करीब 7 इंच का मेरे सामने फड़फड़ा रहा था।

नितिन ने पूछा: चूसोगे?

मैंने हां में सर हिलाया। तो नितिन ने अपना लौड़ा मेरे मुंह में डाल दिया। मैंने करीब 3-4 मिनट तक मजे से चूसा।

फिर नितिन बोले: चल अब सलवार निकाल कर घोड़ी बन जा।

मैंने सलवार और पैंटी उतारी और घोड़ी बन गई। क्रीम की डिब्बी बेड पर ही पड़ी थी। उन्होंने मेरी गांड और अपने लंड पर क्रीम लगाई और लंड गांड पर रख कर जोर से झटका मारा। मैं चिल्ला उठी, पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए। मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं सहन कर रही थी।

धीरे-धीरे करके उन्होंने पूरा लंड गांड में डाल दिया। थोड़ी देर में ही मेरा दर्द कम हो गया तो उन्होंने रफ़्तार तेज कर दी। थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा। तो मैं भी गांड हिला कर उनका साथ देने लगी।

करीब 10 मिनट तक मेरी गांड चुदाई के बाद वो मेरी गांड में ही झड़ गये, और मैं थक कर पड़ गई। नितिन भी मेरे ऊपर ही पड़ गया।

नितिन ने मुझसे पूछा: मज़ा आया?

मैने हां कहा।

तभी नितिन ने पूछा: साड़ी पहनना आता है?

मैंने बोला: पहन लूंगी।

तो नितिन बोला: ठीक है फिर रात को साड़ी पहनना। आरती बना कर चोदूंगा।

मैंने हंसते हुए कहा: वैसे तो मेरा नाम दिशा है, पर आपके लिए आरती भी बन जाऊंगी मेरे पति देव।

इसके बाद हम दोनों हंसते हुए थोड़ी देर के लिए एक-दूसरे की बाहों में ही सो गए।

दोस्तों आगे की कहानी मैं बाद में लिखूंगी कि रात को आरती बनके और बाकी दिन हमने क्या-क्या किया। लेकिन उससे पहले आप मुझे ईमेल करें कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी। अगर आपके मेल आये तो ही मैं अगली कहानी लिखूंगी, नहीं तो समझूंगी आपको मेरी कहानी पसन्द नहीं आई।

मेरी ईमेल आईडी है

आपकी प्यारी दिशा

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