हेलो दोस्तों, आज मैं आपको अपनी रियल सेक्स स्टोरी बताने जेया रही हू, जो 6 महीने पहले शुरू हुई थी. सीधे कहानी पे आते है.
मेरा नाम सलोनी है. मेरी आगे 42 साल है. मेरी हाइट लगभग 5.4 फीट है. मेरा रंग गोरा है. गड्राया हुआ शरीर है मेरा, मतलब हेल्ती हू. बात करू अपने बूब्स की, तो वो गोल-मटोल और मुलायम है. आप मेरी ब्रा के साइज़ से अंदाज़ा लगा ले. मुझे 36द ब्रा होती है, और मेरी गांद चौड़ी और थुलथुली है, जैसे दो बच्चो की मा जैसी 42 साल की औरत की होनी चाहिए.
मेरे बड़े बेटे का नाम है अंशु. उसकी आगे 19 साल है. मेरे छ्होटे बेटे का नाम आदि है, और उसकी आगे 11 साल है. मेरे हज़्बेंड का नाम विराज है. उनकी आगे 43 है. मेरे हज़्बेंड मेरे साथ बेड पे तो बहुत आचे है. मुझे आचे से संतुष्ट कर देते है. मगर वो सिर्फ़ 2-3 महीनो में सिर्फ़ एक बार आते है, और वो भी 2-3 दीनो के लिए. उसके बाद मेरी प्यास बुझाने वाला कोई नही होता.
मुझे सेक्स की बहुत तड़प होती थी विराज के बिना, और होती भी क्यूँ नही. वो जब भी घर आते थे, तो हम डेली सेक्स करते थे, और कभी-कभी तो 3 बार भी हो जाता था. लेकिन उनके जाने के बाद मैं अकेली पद जाती थी. मैं बस छूट में उंगली करके रह जाती थी.
मुझे कोई भी संत्ुस्त करने वाला चाहिए था. विराज की तरह जो मेरी कमर तोड़ चुदाई करे, जिससे मैं तक जौ, मेरी हालत खराब कर दे, मुझे ऐसा कोई चाहिए था.
तभी एक दिन दोपहर में मैं अंशु के रूम में बिना दरवाज़ा नॉक किए गयी. मुझे अचानक से देख कर वो हड़बड़ा गया. क्यूंकी मैने उसे देख लिया था. वो फोन में शायद पॉर्न देख के मास्टरबेट कर रहा था. मुझे देखते ही उसने फोन को चादर के अंदर कर दिया.
फिर वो झिझकते हुए बोला: क्या हुआ मम्मी?
मैं बोली: कुछ नही, बेज़ार से कुछ समान लाना है.
मैं उसे ये बोल के नीचे आ गयी. फिर सोचने लगी उसके बारे में की वो क्या सच में मास्टरबेट कर रहा था या मुझे ग़लतफहमी हुई थी. फिर मैं ये सोचने लगी की जब मेरे अंदर इतनी आग लगी थी, तो वो तो अभी बिल्कुल जवान था. इसलिए उसको तो और हवस होगी.
उसके बारे में सोचते-सोचते मैं मों-सोन पॉर्न देखने लगी. मुझे बुरा लग रहा था की अंशु मेरा बेटा था, और उसके साथ आख़िर मैं ऐसा कैसे कर सकती थी. ये भी टेन्षन थी, की अगर उसने किसी को बोल दिया तो क्या होगा? मुझे यकीन भी नही हो रहा था की बेटे के साथ मों ऐसा करती होगी.
तभी मुझे एक दिन ऐसे ही सर्च करते-करते देसी कहानी वेबसाइट मिली, जिसमे मैने काई ढेर सारी कहानिया पढ़ी. फिर कुछ लोगों से मेरी बात भी हुई जिन्होने बताया की ऐसा होता है ये सच है. ऐसे घर की बात घर में ही रहती है, लेकिन बाहर बदनामी का भी दर्र रहता है. और जब छूट में आग लगी हो, तो कोई रिश्ता नही होता. फिर बेटे का लंड थोड़ी घिस जाएगा. घर में दोनो जब चाहो तब मज़े कर सकते हो, कोई शक भी नही करेगा.
ये सुन के ही मेरी छूट गीली हो गयी. मैं भी सोचने लगी उसकी बातों को. मुझे भी शी लगी ये बात की बाहर तो बदनामी का दर्र रहता है, और घर में वो भी बेटे के साथ कोई शक भी नही करेगा. फिर मैं अंशु को सिड्यूस करना शुरू कर दी. अब मुझे इतना दर्र भी नही लग रहा था.
मैं अपने सारी का पल्लू नीचे रखती थी उसके सामने जान-बूझ ताकि उसे मेरे बूब्स की क्लीवेज दिखे. क्यूंकी जोश तो उसके भी अंदर होगा. पॉर्न देख के जब हिला सकता था, तो मेरी क्लीवेज कैसे अनदेखी करता वो.
मैने उसको बहुत सिड्यूस किया. लेकिन वो कुछ रिक्ट ही नही करता था. शायद दर्र की वजह से, या फिर मैं उसकी मम्मी थी, इसकी वजह से. मैं रात को निघट्य पहन के सोती थी, तो मैं सारी चेंज करते टाइम जब ब्रा उतारने लगी, तो जान-बूझ के अंशु को बुलाया. क्यूंकी मैं बिना ब्रा के सोना पसंद करती हू, सिर्फ़ निघट्य में.
अंशु आया और बोला: क्या हुआ मम्मी?
मैं उसे बोली: बेटा मेरी ब्रा की हुक फ़ासस गयी है शायद. मुझसे खुल नही रही है. खोल दे ज़रा.
उसने हुक खोल दिया जल्दी से. फिर मैने उसके सामने ही ब्रा निकाल दी. मेरी चूचिया बिल्कुल खुली हुई थी. अब मैं सिर्फ़ साए में थी उसके सामने. वो थोड़े शॉक में था. वो झिझकने लगा. उसने फिर भी कुछ नही किया, और वो चला गया अपने रूम में सोने.
अब मैं सोचे जेया रही थी, की क्या करू? कैसे उसका लंड लू? कैसे मनौ उसे. फिर मैने सोचा आज जो होगा देखा जाएगा. मैं आज उसे अपने रूम में बूलौंगी रात को ब्रा की हुक खोलने के बहाने. तब आदि भी अपने रूम में सो रहा होगा.
मैने सोच लिया था की अगर अंशु ने माना किया, या किसी को ये सब बताने को कहा, तो मैं उसे उसकी मस्तुबतिओं वाली बात बोलूँगी. जैसे-जैसे रात हो रही थी, मेरे दिल की धड़कने भी तेज़ हो रही थी, की आज क्या होगा. जब रात हुई, आदि के सोने के बाद मैने अंशु को आवाज़ लगाई. वो मेरे रूम में आया.
मैं उसको बोली: मेरी ब्रा की हुक खोल, मुझसे नही खुल रही बेटा.
उसने ब्रा की हुक खोली.
फिर मैने बोला: निकाल इसको.
वो अजीब सा साउंड करते हुए बोला: क्या?
तभी मैने अचानक से ब्रा निकाल दी और उसके दोनो हाथो को अपने हाथो से पकड़ कर अपनी दोनो चूचियों पे रख दिया, और उससे मसलवाने लगी. उसने तुरंत अपना हाथ झटक के नीचे किया हिचकिचाते हुए, और नज़रें फेरते हुआ बोला-
अंशु: मम्मी ये क्या कर रही हो?
मैं फिरसे उसकी हाथो को पकड़ के अपनी चूचियों पे रखती हू.
बाकी आयेज की स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में जल्द ही आएगी. जिनको भी मुझसे बात करनी हो या किसी मों या सोन को कोई टिप चाहिए, तो मुझे मैल कर सकती है. मुझे पता है की आप लोग भी दर्र की वजह से कदम आयेज नही बढ़ा पाती होंगी. लेकिन करना तो आप लोग भी चाहती है ये सब. बाकी प्लीज़ आप लोग बिना वजह की फालतू मेल्स मत करिएगा.