मा को बेटे के सामने नंगा करने की कहानी

कहानी अब आयेज.

मेरा लंड सिकुड कर बाहर आ गया था. मैं उसके उपर था. रूपाली नंगी बेड पर ताकि हुई लेती हुई थी. उसका बदन पसीने से भरा हुआ था. इस चुदाई से उसकी छूट का सारा रस्स निकल चुका था.

अब उसके उपर से उठ कर बगल में आ गया. अनिल की मम्मी वही पड़ी हुई थी. मैने उसे उठाया और अपने उपर लेके बोला-

मैं: क्या मेरी जान. कैसी लगी चुदाई?

रूपाली: बहुत तका दिया तुमने. आज तक ऐसे चुदाई कभी नही देखी.

फिर वो मेरे सीने पर सर रख कर चूमते हुए मेरे उपर ही लेटने लगी. मैं बाहर देखने लगा, गाते पर अनिल नंगा खड़ा था. वो खुश होके मुझे बेस्ट ऑफ लक दिया. मैने भी उसे स्माइल देके जाने को कहा.

अनिल वाहा से चला गया. ऐसे ही नॉर्मल होने में रूपाली को 15 मिनिट लगे. फिर वो बोली-

रूपाली: चलो अब मैं किचन में जाती हू. खाना बना लेती हू. अनिल नीचे होगा वो हमारा वेट कर रहा होगा.

रूपाली: बेबी चलो नीचे अब.

वो मेरे उपर से उठने लगी. मैने उससे पकड़ लिया, और कहा-

मैं: मेरी रानी, ये तेरे एंजाय करने के दिन है. खाना वो बाहर से ऑर्डर कर लेगा. मैं अभी अनिल को बोलता हू.

मैने अनिल आवाज़ दी और उसे उपर बुलाने लगा. इतने में उसकी मा बोली-

रूपाली: क्या कर रहे हो? हम नंगे है वो देख लेगा.

मैं: साली अभी तुझे उसी के सामने उठा कर लाया था. पता है ना? तेरे बूब्स देख लिए थे उसने. तू उसी से दर्र रही थी.

रूपाली: फिर भी एक लिमिट होती है मा बेटे की, उसी में रहना चाहिए.

वो कपड़े पहनने लगी. मैने उसे रोका, और अपने उपर खींच लिया. इतने में अनिल आ गया. रूपाली ने जल्दी से चादर ओढ़ ली. मैने उसे अपने से चिपका लिया. रूपाली ने मेरे उपर भी चादर डाल दी थी, जिससे मेरा लंड तक का हिस्सा धक गया था.

अनिल आया और बोला: क्या हुआ ब्रो?

मैं: यार तेरी मम्मी आज मेरे साथ एंजाय करने के मूड में है. तू बाहर से खाना ऑर्डर कर ले.

अनिल: कोई बात नही. मम्मी को एंजाय करने दो. मैं अभी ऑर्डर कर देता हू.

रूपाली: थॅंक्स बेटा. ये नही मान रहे है. मुझे पकड़े रखा है. जाने नही दे रहे है.

अनिल: तो क्या हुआ? आप भी एंजाय करो ना. क्यूँ दर्र रही हो.

मैं: देखा तूने तेरा बेटा कितना सपोर्ट करता है तुझे.

रूपाली अपनी नज़रें नीचे करके मुस्कुराने लगी. फिर मैने झट से चादर खींच कर निकाल दी. हम दोनो नंगे अनिल के सामने थे. रूपाली ने शरम के मारे अपना मूह मेरे बगल में दबा दिया. इससे उसका नंगा बदन अनिल देख रहा था. फिर अनिल हस्ता हुआ वाहा से चला गया. उसके जाने के बाद रूपाली मेरी चेस्ट पर धीरे से मारते हुए मुझे बोली-

रूपाली: आपको ना शरम नाम की चीज़ नही है. बहुत ज़िद्दी और बेशरम हो.

मैने उसके होंठो को चूम लिया, और दोनो एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मैने कहा-

मैं: मेरी रंडी, तू बस मज़े कर. तू ऐसे दिन बाद में याद करेगी.

रूपाली: मैं तो अब आपकी फन हो गयी हू. मुझे आपसे अब डोर नही जाना है, और आपको भी नही जाने दूँगी. आपको मेरे पास हर बार आना पड़ेगा.

मैं: मेरी बुलबुल, तेरे लिए हमेशा अवँगा.

इतना सुन कर वो मेरे होंठो को चूमने लगी. फिर वो उठी, और नंगी ही बातरूम जाने लगी. बातरूम जाने से पहले उसने गाते बंद कर दिया, जिससे अनिल ना आ सके. वो मुझे देख कर हेस्ट हुए बातरूम चली गयी.

अब मैं उठा और अपनी जीन्स में से सिगरेट निकालने लगा. मैं बेड पर बैठा और सिगरेट पीने लगा. 10 मिनिट बाद वो बाहर आई, और मुझे सिगरेट पीते हुए बोली-

रूपाली: श आप सिगरेट पीते हो. बहुत बिगड़े हुए हो.

मैं: आजा तू भी बिगड़ जेया.

रूपाली: नही-नही. आप ही पियो.

मैने उसे पकड़ा, और अपने उपर लिया. वो नंगी मेरे उपर आ गयी, और हासणे लगी थी. मैने उसके मूह में सिगरेट डाल दी, और पीने को कहा. रूपाली ने मेरे बात मानते हुए एक बार पी. इससे वो ज़ोर से खाँसने लगी थी. मुझे धीरे से मारते हुए बोली-

रूपाली: देखो क्या कर दिया आपने? बहुत बेकार हो आप.

मैं: तू पहली बार बिगड़ रही है ना. इसलिए तुझे प्राब्लम हो रही है.

मैने वापस से उसे सिगरेट पीने को कहा. उसने भी हेस्ट हुए मूह खोल कर सिगरेट मूह में ले ली, और इस बार धीरे से पीने लगी. मैने वो सिगरेट उसे ही डेडी, और एक और सिगरेट निकाल कर पीने लगा. रूपाली भी अब आचे से मज़े से सिगरेट का मज़ा ले रही थी. मैने कहा-

मैं: क्या बात है रंडी साली, तू तो आचे से पी रही है.

रूपाली: अब आप इतनी ज़िद करोगे तो करना ही पड़ेगा ना. आप मानोगे नही.

मैने सिगरेट का एक काश लिया, और उसके होंठो को चूसने लगा. इससे होंठो के बीच में से धुआ निकालने लगा. वो भी अब ऐसे खुल कर मुझे चूसने लगी. 5 मिनिट तक हम ऐसे ही करते रहे. उसके बाद मैं सिगरेट पीते हुए अनिल की मा का निपल चूसने लगा. इससे उसके मूह से सिसकियाँ निकल गयी.

रूपाली: श उहह. रोहित कितना मज़ा आता है आपके साथ. लोवे योउ बेबी.

वो भी सिगरेट का मज़ा लेते हुए सिसकियाँ ले रही थी. मैं बारी-बारी से उसके दोनो ब्राउन निपल्स को चूसने लगा. रूपाली मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी.

10 मिनिट बूब्स चूसने के बाद मैने फिरसे उसके होंठो पर हमला कर दिया. इस बार वो भी पूरा साथ देते हुए मेरे होंठो से होंठो को चूस रही थी. रूपाली एक हाथ से मेरे लोड को मसल रही थी. मैं उसके बूब्स को मसालते हुए होंठो को चूज़ जेया रहा था. हम दोनो के चूसने और सिसकियों की आवाज़ आने लगी.

मैं: श उम्म्म बेबी. मेरी रंडी, कितनी कड़क माल है तू.

रूपाली: उम्म्म आह उहह. रोहित आप भी कम नही हो. किसी भी औरत की जवानी गरम करके उसे बाहर निकालना कोई आपसे सीखे.

हम दोनो एक-दूसरे को चूज़ जेया रहे थे. कभी मैं उसके होंठो को काट देता. तो अनिल की मा मेरे भी होंठो को काट देती. क्यूंकी रूपाली भी गरम हो गयी थी, तो मैने उससे कहा-

मैं: देख लंड तेरे किए खड़ा हो गया.

रूपाली: हा इसे अभी बताती हू. बहुत शैतान है. जान निकाल देता है. आज इसे चूस-चूस कर इसकी जान निकाल दूँगी.

इतना बोल कर वो खुले बालों में मेरे घुटनो के पास आई, और लंड के टोपे को किस करने लगी. इससे मेरी श निकल गयी. अब अनिल की मम्मी लंड को देखते हुए चाटने लगी.

7 इंच के काले मोटे लंड को वो अपनी गुलाबी ज़ुबान से उपर से नीचे तक चाट रही थी. मेरे बदन में भी बिजली दौड़ गयी. मैने एक और सिगरेट निकली, और पीने लगा. मुझे पीते हुए देख वो बोली-

रूपाली: मेरी कहा है, मुझे भी चाहिए. मुझे अब पूरा आचे से एंजाय करना है. अनिल ने भी कहा था ना.

मैने उसे भी सिगरेट दे दी. रूपाली रंडी की तरह सिगरेट पीते हुए लंड को चूसने लगी. दोस्तों क्या मज़ा आ रहा था. रूपाली जब लंड मूह में भर कर मूह उपर-नीचे करती, तो उसके हाथो की चूड़ियाँ ख़ान-ख़ान करने लगती.

मैं तो बस बेड पर लेते हुए उसे चूस्टे हुए देख रहा था. रूपाली को सिगरेट के साथ लंड चूस्टे हुए अभी 2 से 5 मिनिट हुए थे. इतने में डोर पर उसका बेटा आ गया. उसने बाहर गाते बजाते हुए आवाज़ दी. रूपाली अब उससे दर्र नही रही थी. वो मुझसे बोली-

रूपाली: बोलो क्या करू?

मैं: जेया गाते खोल. आने दे उसे.

रूपाली: लेकिन मैं ऐसे नंगी नही जेया सकती.

मैं: तू साली अब इतना मत शर्मा.

लेकिन उसने बेडशीट ओढ़ ली, और गाते खोला. मेरा लंड अभी खड़ा था. मैं बेड वैसे ही नंगा था. अनिल अंदर आया और उसने देखा की उसकी मा और मैं सिगरेट का मज़ा ले रहे है.

अनिल: क्या बात है भाई. तूने तो मा को नेक्स्ट लेवेल पर पहुँचा दिया. मा आप खुश हो ना?

रूपाली: हा बेटा. तू खाना ले आया?

अनिल: हा, लो आप लोग खा लो.

मैं: तू भी आजा. साथ में खाते है सब. क्यूँ बेबी?

रूपाली ने भी अब मुस्कुराते हुए हा में सिर हिलाया. वो अभी भी चादर में खड़ी थी. मैं बेड पर नंगा था. रूपाली के अंदर थोड़ी सी शरम थी, जिससे वो चादर नही निकाल रही थी.

मैने उसे उसके बेटे के सामने उठाया, और अपनी गोद में बिता लिया. वो शरमाते हुए बैठ गयी. मैं अनिल के सामने ही उसके होंठो को चूमने लगा. अनिल अपनी मा को देख कर खुश हो रहा था.

अनिल प्लेट में खाना निकाल रहा था. तब तक मैने उसकी मा का मूह लंड में दे दिया. वो उसे चूसने लगी. अनिल सब देख रहा था. रूपाली आँख बंद करके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी. मैने मस्ती लेते हुए उसकी गांद पर एक ज़ोर का छाँटा मार दिया.

इससे रूपाली के मूह से आह निकल गई. अनिल और मैं हासणे लगे. रूपाली भी हेस्ट हुए लंड चूसने लगी. उसने लंड को पूरा गीला कर दिया था. करीब 10 मिनिट तक रूपाली ने लोड को गरम करके चूसा. इतने में अनिल ने खाना सर्व कर दिया.

हम तीनो खाना खाने लगे. रूपाली अभी भी मेरी गोद में थी. मैं उससे अपने हाथो से खाना खिलाने लगा. रूपाली को अछा लग रहा था. फिर अनिल ने कहा-

अनिल: आप भी आचे से एंजाय करो ना.

रूपाली: कर तो रही हू. और कैसे करू? रोहित खुद इतना अछा करते है, मैं उसे ही एंजाय कर रही हू.

अनिल: मा आप रोहित के साथ खुश है ना?

रूपाली: हा बेटा. बहुत खुश हू. आज तक तेरे पापा ने कभी मुझे ऐसे ट्रीट नही किया. थॅंक्स बेटा.

अब रूपाली भी खुल के मुझे खाना खिलाने लगी. मैने झट से उसकी बेडशीट निकाल दी. इससे हम दोनो अनिल के सामने नंगे थे. रूपाली ने अपना मूह मेरी चेस्ट की तरफ कर लिया. अनिल ने अपनी मा को आचे से नंगा देखा. मैं अनिल को आँख मार रहा था. रूपाली ने मुझे देख लिया और बोली

रूपाली: आप ना बहुत बेशरम हो. ज़रा भी शरम नही आ रही है एक मा को उसके बेटे के सामने नंगा कर दिया.

अनिल: रिलॅक्स मों. मैने आपको कहा था ना आप मुझे अपना फ्रेंड समझो. अभी मैं आपका बेटा नही हू ओक.

रूपाली ने एक स्माइल दी, और मैने उसके होंठो को चूम लिया. खाने में गुलाब जामुन भी थे. तो मैने जामुन का मीठा रस्स अनिल की मा के होंठो पर लगा दिया. फिर मैं उसके होंठो को चूसने लगा. इससे रूपाली की आँखों में अजीब सा नशा दिख रहा था. अनिल भी खाते हुए हमे देख कर मज़े ले रहा था. फिर मैने रस्स को अपने होंठो पर रखा, और रूपाली को चूसने को कहा.

इस बार रूपाली बिना किसी शरम के मेरे होंठ आचे से चूसने लगी. रूपाली के मूह से उहह उम्म्म निकल रहा था. मैने एक छाँटा उसकी गरम और नरम गांद पर मारा. इससे अनिल की मा की आह की आवाज़ निकल गयी.

ऐसे ही मैने 3 से 4 बार छानते मारे. रूपाली की गांद लाल हो गयी. वो भी बिना रुके अपने बेटे के सामने मेरे होंठो से गुलाब जामुन चाट रही थी, और बोली-

रूपाली: उहह उम्म्म बेबी. ऐसा एंजाय मुझे कभी नही मिला है. बहुत मज़ा आ रहा है.

कहानी अब अगले भाग में है. बहुत मज़ा आएगा, कैसे मैने अनिल की मा की सील्ड गांद मारी. पढ़ते रहना मेरी कामुक देसी कहानी.

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थॅंक्स ड्के.

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