जो भी ये कहानी का पार्ट पढ़ रहा है पहले इस सीरीस के पिछले पार्ट पढ़िएगा. नही तो कहानी समझ में नही आएगी. कहानी आयेज से शुरू करता हू.
मेरा अब मेरी मम्मी से मिलने का मॅन बहुत हो रहा था. हर रात हम सेक्स की बातें करते. मैने इससे पहले कभी किसी लड़की को टच तक नही किया था. तो पूरा थ्रिल था. वो भी मम्मी को टच करूँगा उनका ब्फ बन के. ये सनसनी सी मचा देता था सोचने पर. मैं मिलने का प्लान बना चुका था 26 जन्वरी को. थर्स्डे था 26 जन्वरी को.
फ्राइडे की छुट्टी लेने पर लोंग वीकेंड. मैने टिकेट बुक करवाई. 26 जन्वरी को सुबा ही देल्ही पहुँचा. फिर अपने टाउन. फुल एग्ज़ाइटेड था मैं. शायद मम्मी भी एग्ज़ाइटेड थी. इस कहानी में मम्मी का व्यू बहुत कम ही मिलेगा. मैने ज़्यादा उन दीनो उनका व्यू जानने की कोशिश की ही नही थी.
मैं जैसे ही घर पहुँचा मम्मी को देखा. मेरा दिल ज़ोरो से धड़कने लगा. घबराहट सी स्टार्ट हो गयी. तभी पता चला भाई और भाभी भी आए हुए थे. लोंग वीकेंड की वजह से वो भी आ गये थे. मेरा मूड खराब हो चुका था. मॅन में घबराहट और बढ़ गयी थी. ये सोच के दर्र जाता कही मैं ऐसी हरकत ना कर डू, जिससे भाई-भाभी को कुछ शक हो जाए.
मैं डोर-डोर सा रहने लगा मम्मी से. मम्मी भी जानती थी मैं किस लिए डोर था. मैं थोड़ी देर के लिए घर से बाहर चला गया. कुछ 30 मिनिट बाद कॉल आता है मम्मी का.
मम्मी: कहा हो?
मैं: मैं बाहर आ गया हू. मुझे घबराहट हो रही थी.
मम्मी: मैं समझती हू.
मैं: भाई-भाभी पास में नही है क्या!
मम्मी: वो नीचे कमरे में है. मैं उपर आ गयी आपको कॉल करने.
मैं: सॅकी बात करने का बहुत मॅन था तेरे से आमने सामने.
मम्मी: मेरा भी. और कुछ करने का मॅन नही था.
मैं: था तो बहुत एक-दूं से ख़तम हो गया दर्र से.
मम्मी: दर्र तो मुझे भी लग रहा है.
मैं: समझता हू. फोन पर बातें करना कुछ और है. हम चेहरा नही देखते.
मम्मी: हा.
सॅकी फोन पर आप किसी से भी कैसी बात कर सकते हो. क्यूंकी आप चेहरा नही देखते हो. आमने सामने कुछ और बात होती है, क्यूंकी हमे फेस करना होता है. फोन पर बातें करते वक़्त हमने ये गफ़-ब्फ वाला रीलेशन आक्सेप्ट कर लिया था. फेस तो फेस हो पाएगा की नही मुझे भी कुछ नही पता था उस वक़्त.
फिर मैं वापस घर आ गया. ईव्निंग में छाई पी. जैसे ही मम्मी की तरफ देखता, मेरा चेहरा दूसरी तरफ देखने लग जाता. मगर मम्मी बहुत गॉर्जियस लग रही थी. उनको देखता मुझे लगता इनसे सुंदर गफ़ कभी मिल भी नही सकती. उनका वेट 55 क्ग से 60 क्ग के बीच होगा, उससे ज़्यादा नही होगा. उनके हिप्स थोड़े से मॉट.
चूचे बाहर निकले हुए थे. अब साइज़ तो कभी लिया नही ना उनकी गांद का, ना चूचों का. पर पर्फेक्ट थे चूचे चूसने के लिए, और गांद खाने के लिए. चेहरे पर तोड़ा सा भी फट नही था. उनको पहली बार धीरे-धीरे नोट कर रहा था. इसलिए तोड़ा सा मॅन कर रहा था कुछ हिम्मत लगौ कुछ करने की.
मैं अब उनको तू कहने लग गया था. घर में बात करते वक़्त ध्यान रख रहा था, आप ही निकले मूह से. जब उनको आप बोलता वो हल्की सी स्माइल करने लग जाती. उनको पता था मैं ध्यान से बातें कर रहा था. पहला दिन कुछ भी किए निकल गया.
नेक्स्ट दिन भाई भाभी ने चंडीगार्ह घूमने का प्लान बनाया. मैं माना करता रहा, पर वो मुझे साथ ले गये. वो दिन भी मेरा खराब हो गया. मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था. सॅटर्डे को भाई-भाभी बाहर गये मार्केट में. तब तोड़ा मौका मिला हमे अकेले घर रहने का. तब मैं उनके पास गया. वो किचन में थी.
मैने उनका हाथ पकड़ा, और एक-दूं से करेंट दौड़ने लगा. पहले भी टच किया है, हाथ पकड़ा है मम्मी का, लेकिन ऐसा महसूस नही हुआ. मेरा बहुत मॅन था पहली बार अपनी गफ़ को प्रपोज़ करू. मैं 2 दिन पहले गुलाब का फूल लाया था. उस दिन देने का चान्स नही लगा. मैने जैसे-तैसा भी था, अब वो गुलाब का फूल घुटनो पर बैठ कर उनको ई लोवे योउ बोलते हुए दिया.
फिर मैने उनको हग किया. ज़्यादा टाइट हग नही था. फिर हम हासणे लगे. मैं उनकी हार्टबीट सुन सकता था, और वो मेरी. बहुत दर्र सा लग रहा था.
मैं: दर्र सा लग रहा है.
मम्मी: मुझे भी.
मैं: कभी नही सोचा था ऐसे करूँगा, फूल दूँगा ऐसे आपको. मैने तो सोचा तक नही था कोई गफ़ भी होगी मेरी.
मम्मी: अछा, जैसे मैने सोचा था तेरे पैदा होते ही तेरी गफ़ बनूँगी. बस हो गया मुझे भी नही पता. पता नही सही कर भी रही हू
मैं: मेरा भी यही डाउट है, की हम सही कर भी रही है की नही.
मम्मी ने हाथ ज़ोर से पकड़ा
और बोली: ज़्यादा मत सोच, जो होना होगा देखी जाएगी.
मैं: ह्म.
मैने उनको फिरसे हग किया. थोड़ी हिम्मत जुटाई, और उनकी गांद पर हाथ सहलाया. वो तोड़ा सा हिचकिचाने लगी. उनको भी समझ नही आ रहा था क्या करे वो. फिर मैं अलग हुआ, और एक बार फिर उनकी गांद पर हाथ रखा. मुझे लगा अनकंफर्टबल सा लग रहा था उनको. पता नही उनके मॅन में उस वक़्त क्या चल रहा था. फिर उनको नॉर्मल करने के लिए मैं अलग सा हुआ. हम हॉल में आके बातें करने लगे.
अब मैं नॉर्मल हो चुका था. कुछ देर बाद बेल बाजी. मम्मी उठी, और मैं भी. मॅन में आया शायद लास्ट मौका था अकेले का, तो हिम्मत जुटाई. मैने फिरसे उनकी गाड़ पर हाथ रखा, और हल्का सा पिंच किया. वो मूडी, और स्माइल करके दरवाज़ा खोलने चली गयी.
नेक्स्ट दिन भी कुछ नही हुआ. मगर मैं खुश था. कुछ बात आयेज बढ़ी. मैं अब उनको टच तो कर सकता था. इन्सेस्ट रीलेशन में टाइम लगता है. हम एक या दो दिन में नही स्टार्ट कर सकते. मुझे लगता मा बेटे वाले में तो नही होता होगा. भाई बेहन वाले में हो जाता हो. मा बेटे वाले में टाइम लगता ही होगा. मैं तो इस रीलेशन को फास्ट ही समझ रहा था. हम कॉल मेसेज पर सेक्स की बातें करने लग गये थे. कम से कम मैं उनकी गांद टच कर सकता था.
सनडे को वापस मैं जॉब पर आ गया. वही रुटीन स्टार्ट हुआ. तोड़ा सा अपने उपर गुस्सा था, तोड़ा सा प्राउड, की कुछ तो किया.
अब रात को बात करना नॉर्मल हो चुका था. उस वक़्त ब्सनल की सिम आती थी 500 में अनलिमिटेड बातें. वो तो सबसे सही था. कितनी भी बातें करो. कभी-कभी मम्मी मुझे 4 बजे से पहले सोने नही देती थी. बातें करते हुए हर 10 मिनिट में ई लोवे योउ बोलो बोलती थी मुझे. वो आज इतना सही लगता है. उस वक़्त मैं उनसे बोलता था कल मुझे सुबा जॉब पर जाना है. वो सुनती ही नही थी. फेब में मम्मी को फंक्षन में जाना था. उस दिन मम्मी का कॉल आता है.
मम्मी: क्या कर रहे हो.
मैं: बस अभी ऑफीस से आया हू.
मम्मी: मुझे मास्टरबेट करना है.
मैं: आज तो तुम फंक्षन में आई हो.
मम्मी: हा, मुझे नही पता, मेरा मास्टरबेट कारवओ.
मैं: ठीक है. कहा पर हो?
मम्मी: अभी फंक्षन वाले घर आई हू.
मैं: फिर यहा कैसे करोगी?
मम्मी: टाय्लेट चली जाती हू, वाहा कारवओ.
कुछ देर बाद उन्होने रूम लॉक किया. रूम के साथ अटॅच्ड टाय्लेट गयी वाहा, ताकि बाहर आवाज़ ना जाए
मैं: अपने सारे कपड़े उतरो.
मम्मी: वो तो कभी के ही उतार रखे है.
मैं: बहुत तेज़ हो.
मम्मी: आप ने बना दिया.
मैं: मैने तो कुछ किया ही नही. अभी तक तेरी गांद को टच किया है, वो भी सारी के उपर से. जिस दिन करना स्टार्ट कर दिया, फिर क्या हो जाओगी?
मम्मी: फिर तो बस सीधा आपके लंड के उपर ही बैठ जया करूँगी.
मैं: तेरा मलिक तो तेरे अंदर जाने के लिए हमेशा तैयार रहता है.
मम्मी: अछा मैं भी तैयार हू इसके लिए.
मैं: अपनी दो उंगली को अपनी छूट में डालो, और समझो ये मेरा लंड ही है.
मम्मी: ह्म डाल ली. मगर मुझे असली में चाहिए है ये.
मैं: कोई नही जाएगा इस छूट में असली में भी. मेरी जान को उस दिन सोने नही देगा. डॅल्लूसियी में उसी रूम में छोड़ूँगा. उस रिसेप्षनिस्ट को बोलना छोड़-छोड़ के तका दिया, सोने ही नही दिया.
मम्मी उंगली कर रही थी छूट में, और मैं बोले जेया रहा था.
मैं: उस रिसेप्षन को भी पता चले तेरा हज़्बेंड कितना छोड़ता है.
मम्मी: ह्म उफ़फ्फ़.
मैं: तेरे को जिस दिन मका सही से मिला, पटक-पटक कर छोड़ूँगा.
मम्मी: ह्म.
मैं: तेरी गांद को तो खाने का फुल मॅन कर रहा है. इसको चबा-चबा के खा जौ.
मम्मी: हो गया. थॅंक योउ मेरी जान. आप बहुत आचे हो. मेरी हर डिमॅंड पूरी करते हो.
मैं: तेरे लिए कुछ नही मेरी जान.
मम्मी: अछा जी. देखते है क्या करोगे इस बार मिलोगे तो.
मैं: क्या करूँगा, छोड़ूँगा तुझे.
मम्मी: बस रहने दो. मूड खराब मत करना. इस बारे में बाद में बात करेंगे. अभी आप ने अछा मूड बना दिया है मेरा.
फिर वो तैयार हुई फंक्षन के लिए और चली गयी.
मैं सोच रहा था कॉल में मैं कितना एग्ज़ाइटेड हो जाता हू. उसके सामने एक-दूं से दर्र जाता हू. मैने इस बार उनसे मिलने का प्लान इस तरीके से बनाया, की भाई-भाभी पहले आ जाए, उसके बाद ही जौ घर. होली के बाद का प्लान बनाया. भाई-भाभी घर पर ना हो. दिन में सिर्फ़ हम दोनो हो. 14 मार्च का प्लान बनाया घर जाने का होली के बाद. तोड़ा ज़्यादा जल्दी था घर जाने का. मगर मम्मी से मिलने का मॅन बहुत कर रहा था.
मैने ये प्लान मम्मी को मम्मी को बताया. वो बहुत खुश हुई. शायद फेब एंड में बताया जब बॉस ने भी बोल दिया जेया सकता हू. मैं पहले बता के माना नही करना चाहता था. उस रात हमने 3 से 4 बजे तक बात की. ख्वाबी पुलाओ बनाए, ये करेंगे वो करेंगे तोड़ा सी बात बताता हू.
मम्मी: इस बार दिन में कोई नही होगा, तो हिम्मत भी रहेगी. किसी के आने का दर्र नही होगा तो पक्का करेंगे
मैं: इस बार तो पक्का नंगा करूँगा आपको.
मम्मी: हॅट, ऐसे बोलते है अपनी मा को नंगा करूँगा. ऐसे बोलो प्यार से कपड़े उतारूँगा सारे.
मैं: मेरी जान है तू, कुछ भी बोलू. सुन मा कुछ ना रहेगी अब तू मेरी. मेरी बंदी है तू.
मम्मी: मा भी हू गफ़ भी जान भी.
मैं: मेरी बीवी हो मा नही.
मम्मी: बीवी कैसे? शादी कब की है मेरे से?
मैं: कर लूँगा.
मम्मी: देखते है क्या करते हो. उस दिन कपड़े ही उतार लेना बहुत बड़ी बात है. कपड़े क्या किस भी हो जाए बड़ी बात है.
मैं: इस बार कर लूँगा, सोच के अवँगा.
मम्मी: मुझे तो बस एक बार आपका लंड हाथ में लेना है. इतना ही हो गया मेरा तो काफ़ी है. इससे ज़्यादा सोचती नही. मुझे पता है आसान नही है ये.
मैं: कोई नही, सब हो जाएगा. तेरे को छोड़ूँगा भी एक दिन ये पक्का है.
मम्मी: अछा, देखते है कब आएगा ये दिन. इस बार ही आ जाए. कॉंडम ले आना फिर
मैं: क्यूँ दर्र लगता है प्रेग्नेंट ना कर डू तुझे?
मम्मी: कर देना, मैं तो बोल दूँगी ये बचा आपका है. घर वाले निकाला देंगे. फिर इस बुधिया को रखते रहना.
मैं: कोई नही रख लूँगा. बुद्धि तो तू लगती ही नही. तेरे से बेटर मिलेगी भी नही.
आइसे ख्वाबी पुलाओ बनाते रहते हम.
अब नेक्स्ट पार्ट 14 मार्च 2012 में क्या हुआ वाहा से स्टार्ट करूँगा. कहानी लंबी है, इसलिए तोड़ा-तोड़ा जंप रहेगा कहानी में
धन्यवाद पढ़ने ले लिए. मैं ज़्यादातर इस कहानी में सकचाई पर ही रहूँगा. रिमाइंड करता रहता हू हमारे बीच की बात जो एग्ज़ाइट करती है आज भी मुझे, वो बतौ इस कहानी में. जो मैं इवेंट हुए, जब भी मिले हम उसको पूरा बतौ.
पढ़ने में पता नही मज़ा आएगा नही आपको. इसमे बाकी इन्सेस्ट कहानी की तरह सेक्स ज़्यादा नही है. ज़्यादातर कॉल और मेसेज की बातें. कभी-कभी जब मिलते क्या हुआ वो बातें. आशा करता हू आपको रियल स्टोरी पसंद आए.