या तो आज या फ़िर कभी नहीं 2

मामा ने पूछ, रात केसी गुर्जरी, नींद अच्छी से आयी य नहिन. yaa to aaj phir kabhi nahi – 1

मैंने कहा, जबरदस्त, ऐसी मुबारक रात सब को मिले.

यह सुन कर सब ही मुस्कुरने लगे.

भाई ने पूछा, सम ! तैराकी अच्छी से सीख ली न.

मैंने जवाब दिया, बहुत कुछ सीख लिया.

हम लोग घर पहुँच गये और मामा हम लोगोन को छोड़ कर अपने घर चले गये. उन्हें जाते हुए देख कर मैंने मुस्कुर कर शुक्रिया अदा किया और वोह मुस्क्रथे हुए चल्ले गये.

मैं दिल में सोच रही थी कि अब अगली बार मामा से किस तरह मज लुंगी और अब तो कोई मुश्किल भी नहीं. मैं अपने कमरे में चली गयी और शोवेर लेकर सो गयी. सरी रात तो जगी थी. मैं ने तो फार्म हाउस में अपनी जिन्दगी की सब से सोहानी रात गुजरी थी. शाम को सो कर उठी और भाभी के कमरे में चली गयी. वोह भी अभी सो कर उठी थी. शायद उन्होने ने भी भाई के साथ फार्म हाउस का लुत्फ उथाय था. भाईया शोवेर ले रहे थे.

भाभी ने मुझ से कहा, सम ! तुम पिक्क्निक के बाद कित’नी खुश ओर फ्रेश नजर आ रही हो.

मैं सिर्फ मुस्कुर दी. भाभी ने फार्म हाउस वल बेग निकल कि सामान set कर्लैन और इतने में भाईया हस्बे आदत बनियान और शोर्त पहने हुए हाथ में तोलिअ (तोवेल) लिये हुए आ गये.

उन्होने ने मुझे देख कर पूछ, पिक्निक केसी रही

मैं ने कहा, भाईया बहुत मजा आय.

मैं भाभी का हाथ बात रही थी. इत’ने में भाभी ने भाई की तरफ चीख कर कहा,

यह आपको क्या हुआ.

मैं भी चोंकी तो देख कि भाई के कंधे पर नील पड़ी हुई है. मैंने देख तो भीतर तक हिल गयी और सोचने लगी कि कही रात को मामा की जगह भाई तो नहिन थे. भाई थोरे से घबरा गये और मैंने भी भाईया के करीब जाकर देख तो वहाँ दातोन के निशान साफ नजर आ रहे थे. मुझे अछी तरह याद आय कि मैंने मामा के दाहिने कंधे को बुरी तरह कात था, जब उनका लंड मेरी चूत के परदे को फाड़ रहा था. भाई भाभी को तसली दे रहे थे,

मैं फार्म हाउस पर खिड़की के किनारे लेटे हुए था सो हो सकता हैं कि किसी कीड़े ने कात लिया हो.

भाभी ने कहा, मैंने मन किया था न और कहा था न कि हॉल के बीच में सो जओ. पर मेरी कौन सुन’त है.

भाय ने कहा, मामा को खिड़की के पास ठंड लगी तो उन्होने बिस्तर खिड़की से दूर लगा लिया, तब मैं पापा के सामने वाले हिस्से में लेट गया कि कही पापा को रात को कोई ज़ुरुरत हो तो मैं वही हुँ.

मेरी पेशानी पर पस्सेन आ गये और अभी मैं खोफ ज़दह हो ही रही थी कि भाभी की और हल्की सी चीख ने मुझे चोंक दिया. वोह भाईया पर नारज़ हो रही थी और पूछ रही थी,

वोह चादर कहन हैं जिस्पेर आप सोये थे.

भाईया ने कहा, चादर पर चाय गिर गयी थी सो मैंने र्द्य क्लेअनेर को धोने के लिये भिजवा दी हैं और कल मिला जायेगी.

भाभी को यह चादर बोहत अज़ीज़ थी चूंकि यह वही शीत थी जिस्पेर भाभी दुल्हन बंकर पहली बार भाईया के साथ अपनी सोहाग रात मनायी थी और चुदी थी.

मुझे कतो तो लहू नहिन. मैं थर थर ने लगी और अपने कमरे में चली गयी. अब तो कोई शक नहीं था कि गुज़िश्तह रात मेरे साथ मामा नहीं थे. मैंने अपने सगे बडे भाईया के साथ उसी चादर पर अपनी जवानी का लुत्फ उथाय था जो कि भाईया और भाभी की सोहाग रात की थी. भाई ने सोचा उस रात उनकी कोई कज़िन होगी जो रात में अपने तन की आग ठंडी करने उनके पास आ कर सो गयी. सुबह जब चादर पर खून देख होगा और फिर उससे रज़ खुल जाने की वजह से नौकर के हाथों dry cleaner को भिज्व दिया . भाईया को क्या मालूम कि उन्होने ने रात को अपनी छोटी बहन की चूत को चोद था और वही चादर थी जिस्पेर उन्होने ने पहली बार भाभी को चोद था. मैं अब कुछ नोर्मल हुई और तमाम बथोन को सोचने लगी. डिन्नेर में चुप चुप रही और मेरा ज़मीर मलामत कर रहा था कि यह क्या हो गया.

रात को बेड़ पर लेटे हुए मैं सब कुछ सोचती रही और भाई ने किस तरह मुझे चोद था एक एक तफ़सील याद आ रही थी. भाई के बारे में सोचते हुए मुझे उन यदून में एक नय पन लगा और मैं सोचने लगी कि भाई ने किस्स मोहबत से मुझे पहली बार चोद था और सोच रहे होंगे कि वोह कौन थी. यह सोचते सोचते मैं सो गयी और सुभ बहुत देर से अंख खुली. मैं college भी नहिन गयी और तमाम दिन सोच थी ही रही. मम्मी पापा सब ने पूछा और शाम को मामा आय तो उन्होने ने भी पूछ मैंने कहा दिया कि मैं थक चुकी हुँ. मैं सोच रही थी कि मामा अप्प क्यों वहाँ से हटे और यह भी सोचा कि मामा अप कितने बादनसीब है कि ऐसा हस्सीन वक्त गंव दिया. मैं इसी फिक्र में थी और भाई का सेक्स का अन्दज़ कुछ ज़ेयदह ही याद आ रहा था.

ऍब मैं बिल्कुल मुतमइन हो गयी थी मैं कोई अनोखी लर्की नहिन हुँ जिसने अपने भाई से चुदवाय हैं. मैंने सुन हैं और इंतेर्नेत पर मेन पढा भी है कि हज़रोन लड़कियोन ने अपने पापा य भाइयोन के साथ चुदवाय हैं. येस सोच कर कुछ सुकून हुआ और एक नायी तब्दीली आयी कि में भाई से सेक्स की. यादों को तज़ह कर के खुश हो रही थी. दो तीन दिन में मेरी कैफियत बादल गयी और अब भाईया की एक एक बात और एक एक चीज पहले से भी ज्यादा अछी लगने लगी. डिन गुजरते रहे और मैं खुश होती रही कि भाई ने मेरे को चोद. भाई जब सामने आते तो मुझे वोह shoulder वल निशान नजर आत और वह इतना गेहरा था कि अब भी मौजूद था.

मेरे बेड़ की शीत मेली (dirt) हो गयी थी मैं भाभी के पास चादर मांगने गयी तो भाभी ने वही चादर मुझे दै दी. मैंने अपने बेड़ पर वोह चादर बिछदी और मैं खुश थी कि यह वही चादर हैं जिस्पेर मैंने और भाभी ने जिन्दगी का पहला सेक्स किया था. इन्हीन यादों मेन कुछ दिन गुजर गये. इस बीच भाभी भी कुछ दिनों के लिये पीहर चली गयी.

फिर एक दिन में अपने कमरे मेन बैथी टीवी देख रही थी कि भाई आ गये और मेरे बथ रूम में शोवेर लेने चले गये. जब भाई शोवेर ले रहा थे तो मैं सोच रही थी कि भाईया नंगे हो कर कैस्से लगा रहे होंगे और भाभी कित’नी खुश नसीब है कि भाईया जैस्स सेहत मन्द शौहर मिला और मजे से सेक्स करने वाला मिला हैं. बथ रूम से शोवेर की अवज़ सुंकर मेरे दिल में एक खेयल आय और मैं जल्दी से बथ रूम के ventilation का पास पहुँच गयी जो कि गेलरी में खुलता था. वह stool करीब था और उस्पेर खरी होकर झांक तो भाईया नंगे शोवेर ले रहे थे.

क्या हसीन पुर कशिस जिस्म था भाई का और वहाँ से भाईया का वोह लंड नजर नहीं आ रहा था जो कुछ दिन पहला मेरी चूत की अघोश में था. भाईया के भरे भरे बज़ू और चोडा चक्ल सीना बस दिल चाहा रहा था कि उनके सीने से लिपुत जाऊँ. भाईया ने शोवेर बन्द किया और मैं जल्दी से बेड़ पर आ गयी. मेरा दिल बल्लीयो उछल रहा था और मैं सोच ही रही थी कि काश भाईया खुद ही मेरे पास आ जायें और अपनी प्यारी छोटी बहन को एक बार फिर वही मज दे लेकिन ऐसा मुमकिन नहिन था. भाईया हस्बे आदत शोर्त पहने हुए और बेघैर बनियान के तोवेल हाथ में झुलाते हुए कमरे में आ गये. मैं बेड़ पर सीरहाने तकिया लगा कर लेटी हुई थी.

टेलेविसिओन पर भाईया का पसन्दीदह प्रोग्रम आ रहा था. भाईया मेरे बेड़ पर बैठ गये और प्रोग्रम देखने लगे. मैं भाईया का गीला गीला नौजवान जिस्म देख रही थी जो मुझ से एक इंच के फासले पर था. यह वही पूरा कशिश और सेक्सी जिस्म था जो मुझे अपने से चिपका चुक्क था. वही जिस्म मेरे सामने था और सिर्फ शोर्त में था लेकिन मैं इस जिस्म की होकर भी उस से चिमत्ने तो कहन में हाथ भी नहिन लगा रही थी. भाई TV प्रोग्रम देख रहे थे और मैं भाईया के कंधे को जिस पर अब भी वही मेरे दातोन के निशान थे. मुझे तसवुर में भाईया मेरे ऊपर लेटे हुए और मुझ से सेक्स करते हुए नजर आ रहे थे. मैं दिल ही दिल में खुश थी कि भाईया के शौल्देर पर मेरे दातोन के निशान थे. मैं अन्दर ही अन्दर पीघल रही थी और बहुत दिल चाहा रहा था कि भाईया मुझे गल्ले लगा लैन.

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मैंने कहा कि ‘भाईया यह इंसेक्त का निशान तो बहुत ही गहरा हैं अप कोई मलहम नहिन लगा रहे’

भाईया ने कहा, अरे छोड़ ! यह मामूली घाव अप’ने आप ठीक हो जायेगा.

मैंने फिर कहा, अप भाभी से कहैन कि कम अस कम इस्से हाथों से सेह्लायेन ताकि जल्द ठीक हो जाये.

भाईया ने कहा, थीक हैं आज तो तुम्हरी भाभी मैके (परेंत्स होमे) गयी हुई है.

मैं बहुत ही गरम हो रही थी और दिल भी तेजी से धरक रहा था. मैं बेड़ पर से उठी और खुद ही कहा कि लैये मैं सहला देती हुँ.

मैं भाईया के पीछे बैठ गयी और सहलाना शुरु कर दिया. भाईया TV में मगन थे. मैंने हल्के हल्के अपने दातोन के निशान को सहलाना शुरु कर दिया और वोह रात मेरे सामने थी जब भाईया का लंड मेरे चूत के अन्दर था और मैंने पैन की वजह से उनके शौल्देर पर खूब जोर से कत था.

भाईया का जिस्म नहाने के बावजूद गरम था और उनके शौल्देर को सहलाना बहुत ही अच्छ लगा रहा था. मैंने सेह्लथे हुए उस निशान पर अपनी जुबान रख दी. भाई ने एक दम कहा कि अर्रे यह किया कर रही हो. मैंने कुछ जवाब नहिन दिया और धड़क्थे दिल के साथ मैंने उनकी कमर पर ३ time SSS लिख दिया. भाईया एक दम चोंके और TV से उनकी तवजह हठ् गयी. मैंने एक बार फिर अपनी उंगलियों से उनकी नंगी कमर पर पहले एक स फिर दूसरा स और फिर तीसरा स लिख. ज्योंही मैंने तीनों स लिखें भाईया एक दम चोंक गये और बेड़ पर से बैठे बैथ्य इस तरह मेरी तरफ रुख किया जैस्से उन्हें बीछू ने कात लिया हो. उन्होने मेरी तरफ रुख किया और मैंने उनकी तरफ देख और कहा,

भाईया sorry उस रात मैंने जोर से कत लिया था.

यह सुनना था कि भाई के चेहरे पर एक रंग आ रहा था और दूसरा ज रहा था. उनको सक हो गया था वोह मेरी तरफ देख रहे थे और मैं निगाहें नीची किया बेड़ की तरफ देख रही थी. कोई एक मिनुते तक कम्र में TV की अवज़ के एलवह खामोशी थी. मेरा दिल बुरी तरह धरक रहा था कि दिल हलक से बाहर निकल ने को था. भाईया एक दम बडे और मुझे गल्ले लगा लिया और मुझे चूम्ने लगे. भाई ने मेरी घबराहट और मुश्किल असन कर दी. मैं भी भाईया से लिपत गयी और उन्हें प्यार करने लगी. इसी दोरन भाईया ने मुझे बेड़ पर लित दिया और मेरे पहलू में आकर मेरे होंठों को किस्स कर’ने लगे.

मेरा जिस्म खुशी से सर्शर था और मैं बहुत ही खुश थी. कुछ देर तक मुझे किस्स किया तो भाईया के शोर्त में से लंड ने उथ्न (stand) शुरु कर दिया. जो कि मेरी टाँगों के बीच, मेरी चूत के नीचे महसूस हो रहा था. भाईया ने मेरी शलवार उतार दी और फिर मेरी शर्ट् को भी उतार कर मुझे नंगा कर दिया. मैं बिस्तर पर लैती हुई थी और अब भाईया ने अपनी शोर्त भी उतार कर नंगे हो गये. अब हम दोनों नंगा होकर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. भाईया बहुत ही खुश नजर आ रहे थे और मैं भी खुश थी. लेकिन दोनों एक दूसरे से कोई बात नहिन कर रहे थे. भाईया म्जुहे होंठों पर चूमते हुए नीचे चले गये और मेरी चूचियोन पर पहुँच गये और मेरी चूचियोन को चूमना शुरु कर दिया. मैं भाईया को देख रही थी कि वोह किस्स बुरी तरह मेरी चूचियोन को चूसा रहे थे.

उस रात को भी मेरी चूचियन चूसा रहे थे लेकिन उस रात अंधेर था और कुछ नजर नहिन आ रहा था और आज तो कमरा tube light से खूब रोशन था और हर चीज नजर आ रही थी. भाईया अब मेरे पेडू पर थे और वह अपनी कड़ी जुबान से गुद गुद रहे थे. मेरे जिस्म के रोंग्ते खड़े हो गये थे. मेरा जिस्म खूब गरम हो गया था और मैं सिर्फ मजा ले राही थी. भाईया पेडू को छोड़ कर मेरे पैरो में आ गये और मेरे पैरो के तले को चत्ने लगे. भाईया का पैरो को चाटना अजीब और लज्जत से भर पूरा लगा लेकिन इससे ज़ेयदह भाईया की मुहब्बत का इज़्हर अच्छ लगा. भाईया अब पैरो के एक एक हिस्से को चाट’ते हुए ऊपर की और बध रहे थे. मेरी दोनों thighs को चाटने लगे तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी भर गयी. अब वोह मेरी चूत तक पहुँच चुके थे और जब चूत पर जुबान रखी तो मेरे अन्दर एक नय तूफान बर्प हो गया.

भाईया कित’नी मोहबत से मेरे जिस्म के एक एक हिस्से को चाट’ते हुए मेरी चूत को चत रहे थे कि उनकी मुहब्बत और अन्दज़ ने मुझे पागल कर दिया. मैं खुद को बहुत ही खुश नसीब महसूस कर रही थी और खुश थी कि उस रात मैंने मामा के बजाय भाईया से चुदवाय था. भाईया की नुकीली जुबान मेरी चूत को खूब चत रही थी. कभी जुबान की नोक चूत के अन्दर आ लगती तो कुछ नय लगा’त और जब अपनी जुबान से पुरी चूत के बाहर चाट’ते और भी भल लगा’त. उस्वक़्त मैंने सोचा कि वोह लर्किअन कितनी खुश किस्मत होगी जो अपने सगे भाईयोन से चूत मरवाती होगी. हकीकत में जिससे मोहबत हो उस से मरवाने का मजा ही कुछ और होता हैं. ऍप्ने भाईया का जिस्म अपना अपना लगा रहा था.

भाईया मेरी चूत को बुरी तरह गीली कर चुके थे. मेरे जिस्म की आग थी कि दहक ही रही थी. भाई अब मेरी दोनों टाँगों के बीच आ गये और अब अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. उन्होने ने मेरी टाँगों को फेल कर बीच में अपने लिये जगह बनायी. मैं अब तक भाईया के लंड को देख नहीं पायी थी और ख्वाहिश थी कि उनके लंड को दैखून. भाई का लंड मेरी चूत पर था और अब अन्दर आने वल था. भाईया का लंड मेरी गीली बुर के अन्दर दाखिल होने लगा और मेरी चूत भी उनके लंड पर लपक्ने लगी चूंकि बहुत देर से प्यासी थी. लंड अन्दर आ रहा था और आज मुझे दर्द बहुत ही कम था. भाईया ने लंड थोर स अन्दर किया और मेरे ऊपर लेट गये. ज्योंही भाईया को अपने करीब पाय मैंने उनको अपनी बन्होन में ले लिया और उनको भूकी शेरनी की तरह चूम्ने लगी.

भाईया ने भी मुझे लिप्त लिया और उनका लंड भी अन्दर होने लगा. प्यारे और मुझ से १२ येअर्स बारे सगे भाईया का लंड अपनी सगी छोत्ती १७ साला की बहन की चूत में धीरे धीरे अन्दर आ रहा था. भाईया का लंड अब पुरी तरह अन्दर आ चुका था और भाईया ने लंड को अन्दर बाहर कर’न शुरु कर दिया था. दर्द तो था लेकिन उस दिन के मुक़ब्ले में कुछ कम था लेकिन मैं बर्दाश्त कर रही थी और उफ्फ नहिन कर रही थी. कही मुझ से इस क़दर प्यार करने वाले भाईया फिक्र मन्द नहीं हो जैन. भाईया मुझे चूम रहे थे और बहुत ही एहतियात से अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे कि कही मुझे तकलीफ न हो जाये. मैं भाईया को खूब चूम रही थी और एक बार फिर मैं भाईया के कंधे पर उसी जगह चूम्ने लगी. भाईया ने खामोशी तोड़ी और कहा,

क्यों सम ! फिर काट’ने का इरादा है क्या?

मैंने कहा, नहिन भाईया उस रात यह मेरे साथ पहली बार हुआ था और उस वक्त मेरा दर्द न क़बिले बर्दाश्त था.

भाईया ने यह सुन तो मेरी पेशानी पर अपने होंठ रख दिये और sorry कहा. भाईया का लंड अभी अन्दर ही था और मेरी चूत में इस’तरह फिट हो चुका था कि अगर नीद्ले भी दलो तो न जाये. भाईया अब बातें कर रहे थे और पूछ,

सम जनू यह कैसे हुआ. भाईया जब बहुत प्यार कर’ते तो जनू ही कहते.

मैंने कहा, तैराकी कर’ते हुए जब आप भाभी के साथ खेल रहे थे तो मेरा बहुत दिल चाहा कि आप मुझ से खेलैन चूंकि आप को मैंने एक बार भाभी को यह कर’ते कर’ते हुए देख लिया था जब से मेरा दिल चाह रहा था कि आप मुझ से भी इसी तरह करे.

भाईया का लंड मेरी चूत के अन्दर ख़मोश बैठ हुआ था और मैं मुसल्सल झूठ बोल रही थी. भाईया ने फिर कहा,

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तुमने जब देख तब मैं तुम्हारी भाभी के साथ क्या कर रहा था? तुमने ३ बार स क्यों लिख था?

मैंने कहा, भाईया जो आप अभी मेरे साथ कर रहे है, वही भाभी के साथ कर’ते हुये मैंने आपको देख था. ऍउर ३ स का मतलब मैंने अपना पूरा नम इसे लिये लिख था कि आप मुझे पहचान लेंगे.

इस्पेर भाईया हंस परे और कहा, यह तो अब मालूम हुआ कि ३ स का क्या मतलब हैं वर्न मैं तो अब तक नहिन समझा था.

भाईया मेरी ऑखो में देख रहे थे और पूछ, पहली बार दर्द तो बहुत हुआ होगा. पर तुम को भी मन’न पड़ग कि उस रात मेरा पूर घोट गयी थी.

मैंने कहा, दर्द नहिन बल्कि उस रात तो मेरे ऊपर क़ेयमत बर्प थी. जब आप भाभी से यह कर रहे थे तो उस वक्त भी अप्क यह भाभी के अन्दर था और इसकी सिज़े मैं ठीक से देख नहिन पायी, वर्न मैं शायद पहले से ज़ेह्नी तोर पर तैयार होती.

मैं भाईया के सामने लंड य चूत का नाम, बावजूद सेक्स कर’ने के, नहीं ले पा रही थी. भाईया ने जब सुन कि मैंने उनका लंड नहिन देख तो उन्होने ने फोरन अपना लंड बाहर निकल लिया और मेरे पहलू में लेट गये. मैं सब समझ गयी और बिजली की सी तेजी के साथ बैठ गयी. भाईया का लंड बहुत ही हसीन लगा रहा था जैसे पुरी दुनिया में वही एक लंड हैं बहुत ही मघ्रूर लगा रहा था और छत की तरफ अपनी एक अंख से देख रहा था.

मैंने भाईया के लंड को देख और फिर अपने प्यारे भाईया के लंड को हाथों से थाम लिया. किस क़दर बर था कि मेरी हथेली (palm) से भी लम्बा था और मोटा भी इतना कि मेरे हाथों में नहिन सम रहा था. ग़ोल मतोल और खूब तनदुरुस्त लंड इतना बैक़बू और गरम था कि मेरे हाथों में रुक ही नहिन रहा था. भाईया सीधे लेटे हुए सब कुछ देख रहे थे कि मैं किस तरह नादीदी'(greedy) की तरह अपने भाईया के मस्त लंड को देख रही थी. मैं भाईया की टाँगों के बीच आ गयी और बेताबी से भाईया के लंड पर अपने गुलाबी होंठ रख दिये. ऑहो यह तो मेरे मुँह में बरी मुश्किल से आ रहा था. मैंने ice cream की तरह भाईया के लंड को चूसना शुरु कर दिया. कितना प्यार लंड था और उसे चूम्ने में कितना मजा आ रहा था.

भाई का लंड हल्का हल्का नमकीन लगा रहा था और यह मेरी चूत की लज्जत थी जो मैं लंड को अपनी जुबान से चाट रही थी. सिर्फ आध लंड मेरे मुँह में आ रहा था और वोह भी बुरी तरह फंस हुआ था. मैंने लंड को हाथों से पक्र हुआ था और मुँह में डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी. मुझे तो मजा आ ही रहा था भाईया भी मजे में मचल रहे थे और मेरे बलोन को सहला रहे थे. भाई का लंड मेरे मुँह में था और ऐसा लगा रहा था कि जैसे लंड की हज़रोन नब्ज़ैन (वैंस) हिल रही हो. मैं लंड को चूस्ने के लिये कब बिस्तर से उठ कर भाईया की टाँगों के बीच चली गयी, मुझे पत ही नहिन चला. भाईया का सीना खूब भर हुआ था और दोनों मर्दन निप्प्लेस ब्रोव्न कोलोर के थे. भाईया का पथर (stone) की तरह सख्त सीना बहुत ही चौडा था और मैं पूरे सीने के एक एक इंच को मस्ती में सह’ल रही थी.

अखिर मेरे ही सगे भाईया का सीना था किसी और का नहीं. भाईया ने मुझे पकड करके ऊपर खींच लिया और उन’के होंठ अब मेरे होंठों में थे और भाईया की सांसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी. भाईया अपनी चमक दार और खूब रोशन और कूत कूत कर भरी हुई बड़ी बड़ी ऑखो से मुझे देख रहे थे जबकि उनका लंड मेरी चूत के नीचे दब हुआ इधर उधर भागने की कोशिश कर रहा था. मैं उठी और अपनी जुबान से लंड को एक बार फिर गीला किया और देख कि लंड बिल्कुल भीग चुक्क हैं. ऍब हम दोनों के बीच कोई शर्म ओर हय तो थी नहिन. मैंने अपने दोनों पैर भाईया की चुत्तड़ की thighs के दोनों तरफ रखे और उनके लंड पर अपनी चूत रख कर बैथ्ने लगी.

भीग हुआ मगर खूब तैयार जवन लंड में ज्यों ही बैथी, अन्दर आने लगा. मैंने दोनों हाथ भाईया के सीने पर रखे और आहिस्ता आहिस्ता अपना बोझ(weight) भाईया के लंड पर दल्ने लगी. भाईया ने मेरे दोनों चूचियोन को पक्र हुआ था और सहला रहे थे. मैं सिर झुकाये भाईया के लंड को अपने अन्दर आते हुए देख भी रही थी और भाईया चूचियोन के एलवह मेरी कमर को भी सहला रहे थे. लंड को देख रही थी किस तरह मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर आ रहा था और मेरी चूत के अंदरूनी हिसे में एक जश्न का सम था. पूरा जिस्म गुन गुन रहा था कि भाईया का लंड अपनी बहन की चूत को पहचान कर अन्दर आ रहा था उस रात तो मालूम ही नहिन था कि लंड किस्स की चूत में था जबकि खुश किस्मत चूत को भी नहिन मालूम था कि किस्क लंड अन्दर आ रहा हैं.

लंड की हेअल्थ ने मेरी चूत और रूह में एक धमक किया हुआ था. लंड अन्दर आ चुका था और अब मैंने भाईया की तरफ सिर उथ कर देख तो वोह मुस्कुर रहे थे. मैं उनके सीने पर लेटे हुए उन पेर झुक गयी और उनके होंठों को अपने होंठों से सख्ती से पकड़ लिया.

मैंने कहा, भाईया यह वही चादर हैं जिस्पेर मैंने और भाभी ने आपसे पहली बार करवाय था.

भाई ने यह सुन तो और भी जज्बाती हो गये और मेरे ऑखो को चूसना शुरु कर दिया. उनका लंड भी यह सुन लिया था. वोह भी चूत के अन्दर ही हिल कर अपनी इस खुशी का न कर रहा था. मैं भाईया के लंड पर ऊपर नीचे होने लगी और दर्द जो हो रहा था वोह अच्छ लगा रहा था. मैं भाईया के लंड को चूत से प्यार कर रही थी और अन्दर बाहर करने का खेल खेल रही थी और लंड भी पूरा साथ दे रहा था. भाई जन मेरी जुबान को चूसा रहे थे और उन्होने ने अपने हाथों से कमर को भी पकड़ हुआ था.

में भाई की पेशानी पर होंठ रखी हुई थी और मेरी चूचियन भाईया के होंठों पर थी. मेरा दिल भी चाह रहा था कि भाईया मेरे मसून और उभ्री हुई चूचियोन को चूसैन और वे अछे भाईया की तरह चूसा रहे थे. मैं खूब मस्त हो चुकी थी और लंड को यूँ अन्दर बाहर कर रही थी कि जैसे लंड को सजा दे रही हुँ. ऍब मैं और तेज़ हो गयी और मेरी सांसें भी तेज़ हो गयी. मैं इत’नी जोर जोर से भाईया के लंड पर उथ कर बैठ रही थी कि जब लंड पर बैठ’ती तो ट्व की अवज़ के बावजूद धप की अवज़ आती. भाई के लंड में भी अन्दर ही अन्दर कुछ ज़ेयदह हलचल मची हुई थी. भाईया ने मेरी मांसल गांड पर अपने हाथ रखे हुए थे और वोह भी मेरी चुत्तड़ को खूब जोर लगा कर भिंच रहे थे.

हम दोनों की ऑखो की चमक और रूह की तड़प बध चुकी थी और अब एक mashine की तरह भाई बहन के लंड चूत का मुक़ब्लह हो रहा था. मेरे भाईया के लंड ने अपनी थमी हुई मुहब्बत मेरी चूत में उगल दी और मेरी चूत ने भी अपना सब कुछ उगल दिया. हम दोनों रुक गये थे और एक दूसरे को होंठों और गालों पर खूब कात रहे थे. भाईया कभी लबोन को, कभी गालों को और कभी ऑखो को चूम रहे थे और मैं भी इस’ तरह उन्हें प्यार कर रही थी जैसे मा रूथे हुए बचे को प्यार कर’ती हो.

मेरा जिस्म फूलों की तरह हल्का फुलका हो चुका था. भाईया का लंड भी मेरी चूत को चोद करके निकल चुक्क था. मैं उठी और मैंने एक बार भाईया के लंड को देख कि वों इस हालत में भी कितना बाद था. मैंने उसे अपनी ऑखो से लगा कर प्यार किया और भाईया की पहलू में आ गयी. मैंने भाईया को गल्ले लगा कर चूम और भाई ने भी मुझे प्यार किया. भाईया चले गये और मैं lucky चादर को देख’ती रही जो आज फिर सगे भाई बहन के मिलाप से गीली हो गयी थी. भाभी तो थी नहिन रात को भाईया अपनी जानू के बिस्तर पर आ गये और फिर वहीं हुआ जिसका हमें शोक नहिं जुनून था.



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