मा, बेटी, और उसके प्यार की थ्रीसम स्टोरी

ही दोस्तों, मैं नीलम वापस आ गयी हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. उम्मेड है की आप सब को पिछला पार्ट पसंद आया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ जाके पहले उसको पढ़े.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की किस तरह मैं कणिका मेडम को सॉरी बोलने गयी थी. लेकिन वाहा जाके मेरा और कणिका माँ का सेक्स हो गया. हम दोनो को बहुत मज़ा आया. अब आयेज चलते है.

अब हम दोनो बेड पर नंगे पड़े हुए थे. किसी के मूह से कोई बात नही निकल रही थी. मेरे दिमाग़ में ये चल रहा था की हम यहा तक तो आ गये थे, लेकिन आयेज हमारे रिश्ते का कोई भविष्या था या नही. शायद कणिका भी यही सोच रही होगी. फिर वो बोली-

कणिका: नीलम हम यहा तक तो आ गये है. और ये भी जान गये है की भगवान ने हमे कैसा बनाया है. लेकिन अब आयेज क्या? ये समाज हमारे इस रीलेशन को कभी नही मानेगा. समाज छ्चोढो हमारे घर वाले ही नही समझेंगे.

मैं: लेकिन हमे कोशिश तो करनी होगी. मैं बिना कोशिश किए हार नही मानूँगी. मुझे अपनी मा से बात करनी होगी.

मेरे घर में मेरे अलावा सिर्फ़ मेरी मा है. मेरे बाबा की डेत काफ़ी टाइम पहले हो गयी थी, और मैं अपने घर की अकेली लड़की थी. अब मेरी मा के बारे में जान लीजिए.

मेरी मा की उमर 43 साल है, और उनकी शादी 20 साल की उमर में हो गयी थी. पापा की डेत जब हुई थी, तब मैं सिर्फ़ 3 साल की थी. और उनकी डेत के बाद मेरी मा सिर्फ़ अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करती आई थी.

मा दिखने में अपनी उमर से 10 साल कम लगती है. उनका फिगर 36-30-38 है. रंग उनका गोरा है, और मर्द आज भी उन पर लाइन मारते है.

मैने कणिका को अपने साथ लिया, और घर पर ले आई. फिर मैने मा को सामने बिताया, और बात शुरू की.

मैं: मा ये कणिका है. मेरी कॉलेज प्रोफेसर.

मा: अछा, कैसी हो कणिका बेटा. बहुत प्यारी हो तुम. क्या खावगी?

कणिका: जी नही आंटी कुछ नही.

मैं: मा हम दोनो को आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है.

मा: हा बोलो, क्या बात है?

मैं: मा आक्च्युयली.

मेरा मॅन घबरा रहा था. मैं सोच रही थी, की अगर मा मुझसे नाराज़ हो गयी तो मैं क्या करूँगी, क्यूंकी मैं अपनी मा से बहुत प्यार करती हू.

मा: हा बोलो बेटा, रुक क्यूँ गयी?

मैं: मा मैं कणिका से प्यार करती हू, उससे शादी करना चाहती हू.

मेरी ये बात सुन कर मा चुप हो गयी. फिर कुछ सोचने के बाद वो बोली-

मा: ये नही हो सकता. हमारा समाज ये कबूल नही करेगा.

फिर मैं और कणिका दोनो मा को समझने की कोशिश करने लगे.

मा बोली: जो प्यार तुम्हे एक मर्द देता है, वो एक औरत नही दे सकती. तो ये नही हो सकता, और मैं इसकी मंज़ूरी कभी नही दूँगी.

ये बोल कर मा जाने लगी. तभी कणिका ने मा का हाथ पकड़ा, और उसको खींच कर अपनी बाहों में भर लिया. इससे पहले की मा कुछ बोल या समझ पाती कणिका ने अपने होंठ मा के होंठो के साथ लगा दिए.

मा उससे डोर होने की कोशिश करने लगी, लेकिन कणिका ने उनको कस्स के पकड़ रखा था. वो मा के होंठ चूस रही थी. तभी मैने भी पीछे से मा को पकड़ लिया, और उनके दूध दबाने लग गयी.

कुछ देर तो मा ने रेज़िस्ट किया, लेकिन फिर मा ने हार मान ली. अब वो ह्म ह्म कर रही थी, और कणिका का किस में साथ देने लगी. मैं अपने हाथ उनके दूधो से उनकी जांघों पर ले गयी, और उनकी छूट को सहलाने लगी. इससे मा और उत्तेजित हो गयी, और कणिका के होंठ काट-काट कर चूसने लगी.

मा ने कणिका के कपड़े उतार दिए, और मैने मा के कपड़े उतार दिए. अब वो दोनो सिर्फ़ ब्रा और पनटी में थी. फिर मा ने कणिका का हाथ पकड़ा, और उसको अंदर ले गयी.

मैने भी अपने कपड़े उतारे, और उनके पीछे चली गयी. मा ने कणिका को बेड पर लिटाया, और उसकी पनटी उतार कर उसकी छूट चाटने लग गयी. मैं और कणिका हैरान थे, की मा ये कैसे कर रही थी.

फिर मैने भी मा के पीछे आके उनकी पनटी उतारी, और उनकी छूट चाटनी शुरू कर दी. मा अपनी गांद हिला कर अपनी छूट चटवाने लगी, और उधर कणिका भी मज़ा ले रही थी.

फिर कणिका ने अपनी ब्रा उतार दी, और मा को अपने उपर खींच लिया. मा उसके बूब्स को चूसने लग गयी. फिर मा ने भी अपनी ब्रा उतार दी, और अपने बूब्स को कणिका के बूब्स के साथ रगड़ने लग गयी.

मैने भी अपनी पनटी उतार दी, और उनके पास लेट कर अपनी छूट में फिंगरिंग करने लगी. फिर वो दोनो 69 पोज़िशन में आई, और एक-दूसरे की छूट चूसने लगी. मैं अपने बूब्स दबा रही थी, और छूट सहला रही थी. कुछ देर बाद वो दोनो अलग हुई, और मेरी टाँगो के बीच आई.

उन दोनो ने मेरी छूट चाटनी शुरू कर दी. उन दोनो ने अपनी एक-एक उंगली मेरी छूट में डाल दी, और एक साथ अंदर-बाहर करने लगी. मैं तो अपनी चरम सीमा पर थी, और जल्दी ही मेरा पानी निकल गया.

फिर वो दोबारा एक दूसरे की छूट उंगली डाल कर छोड़ने लग गयी. वो दोनो एक-दूसरे की गोद में बैठी थी, और किस करते हुए एक-दूसरे की छूट में उंगली कर रही थी.

फिर मा ने कणिका को खड़ा किया, और उसके सामने घुटनो पर बैठ गयी. मा ने अपना मूह उसकी छूट पर लगाया, और जीभ अंदर डाल कर उसकी चुदाई करने लगी. कणिका और बर्दाश्त नही कर पाई, और उसने मा के मूह पर अपनी पिचकारी निकाल दी.

फिर दोनो ने पोज़िशन चेंज की, और अब कणिका घूणटो पर थी, और मा खड़ी थी. मैं भी कणिका के साथ मा की छूट छोड़ने लगी. हम कभी जीभ डाल रहे थे, और कभी उंगलियाँ डाल रहे थे.

फिर मा आहह आ करने लग गयी, और उनकी चूत से ज़ोर की पिचकारी निकली. उनका माल इतना ज़्यादा था, की हम दोनो के मूह भीग गये.

फिर हम तीनो वही लेट गये, और मा ने कहा: मुझे भी शुरू में लड़कियाँ अची लगती थी. लेकिन घर वालो के प्रेशर की वजह से मुझे तुम्हारे पापा से शादी करनी पड़ी. नो डाउट उन्होने मुझे बहुत प्यार किया, लेकिन मुझे कभी वो मज़ा नही आया. अब से हम तीनो साथ रहेंगे, और मैं तुम दोनो की शादी कार्ओौनगी.

तो दोस्तों ये थी हमारे प्यार की जीत. और यहा कहानी ख़तम होती है.

यह कहानी भी पड़े  Bhai, Main Aur Uski Girlfriend Chudai Kahani

error: Content is protected !!