मा बेटे की शादी और सुहागरात की कहानी

अब मम्मी को मज़ा आने लगा था. उनका मॅन करता था बार-बार गुरगाओं आने का. मगर मैं माना करता रहता. मुझे ये दर्र था की किसी को पता या शक़ ना हो जाए तो मैं माना करता था उनको आने से. उनको कुछ कमी ना हो, इसलिए मैं अब हर वीकेंड घर जाने लगा. मैं सॅटर्डे 11 बजे तक पहुँच जाता घर. वो तब तक नहाती नही थी.

वो मेरे साथ ही नहाती थी. नहाते वक़्त वो लंड मूह में लेती. मैं उनकी छूट को चाट-ता. कभी-कभी वो अपनी गांद के च्छेद को चाटने को भी बोलती. मुझे भी अछा लगता था उनकी गांद के च्छेद को जीभ से छोड़ना. हम उनके ही बेडरूम में नंगे ही साथ में लेते रहते क्यूंकी उनके ही रूम में अटॅच्ड बातरूम था.

वैसे कोई आता नही था घर, फिर भी कोई आ भी जाता तो वो बातरूम में चली जाती थी, और मैं त-शर्ट और शॉर्ट्स पहन लेता था. शाम तक 2 बार छोड़ देता था उनको. मैं मॅग्ज़िमम टाइम लंड उनके मूह में देता था, और उनकी गांद के बीच में मूह देके गांद को खाता था.

सनडे को पापा के जाने के बाद साथ में नहाते, और दोपहर दो बजे तक उनको 2 बार और छोड़ देता था. फिर वापस गुरगाओं आ जाता. वीकडे में वो सारा दिन कॉल मेसेज करती रहती. उनका मॅन लगता ही नही था साथ में मेरा भी.

मैं: मेरा तो मॅन लगता ही नही तेरे बिना.

मम्मी: मेरा तो आपसे ज़्यादा नही लगता. मेरा तो गुरगाओं आने का मॅन कर रहा है. आप आने क्यूँ नही देते.

मैं: तू समझती क्यूँ नही है? मैं घर आता तो हू. 2 दिन साथ में रहते है. घर के अंदर किसी का ख़तरा नही. किसी को शक़ भी नही. यहा आओगी क्या बहाना बना के? किसी ने देख लिया हमे ऐसे गफ़-ब्फ की तरह घूमते हुए तो सब ख़तम.

मम्मी: कोई नही देखेगा. बहाना मैं खुद बना लूँगी. आपको कोई टेन्षन नही.

मैं माना करता रहता. वीकेंड में जाता रहता, की कही वो गुरगाओं ना आ जाए. जितना मज़ा हो सकता उनको देता. ऐसा नही है मुझे नही आता था मज़ा. उनको छोड़ने में अलग ही मज़ा था. अभी भी सोचता हू उनसे अची गफ़ कोई नही हो सकती थी मेरे लिए. देखने में अभी भी 35 की ही लगती थी.

मगर जुलाइ में ज़िद करके वो गुरगाओं आ ही गयी. फ्राइडे को दोपहर में ही पहुँच गयी वो अपने आप रूम पर. के उनके पास थी ही रूम की. मैं भी ऑफीस से जल्दी आ गया बहाना बना कर 3 बजे तक. वो लेती हुई थी.

मैं जैसे ही घर पहुँचा वो उठी, और एक बच्चे की तरह मेरे उपर झपटी. वो मुझे किस करने लगी. हमने साथ में खाना खाया. फिर एक-दूसरे से लिपट के मोविए देखने लगे टीवी पर. मेरा हाथ उनके मोबाइल पर पड़ा. मैं उनका मोबाइल देखने लगा. उनकी गॅलरी में जाके फोटोस देख रहा था. एक फोटो नज़र आई.

उसमे मम्मी ने फोटो ली हुई थी पापा के साथ. दोनो ब्लंकेट में थे, जैसे दोनो ने कुछ ना पहना हो. मैने जैसे ही वो फोटो देखी. मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर था. वो फोटो मम्मी को दिखाते हुए मैने पूछा-

मैं: ये क्या है?

वो कुछ बोलती उससे पहले पता नही मैने एक ज़ोर का थप्पड़ उनके मूह पर मार दिया.

मैं: बहनचोड़, ये क्या है? उससे भी चुड़वति है मेरे से भी. ज़्यादा मज़े लेने की आदत हो गयी है? एक लंड से तेरा जी नही भरता?

मम्मी सुन्न थी. उनको समझ में नही आया क्या हुआ एक-दूं से. मैं उनको गालियाँ पता नही क्या-क्या बोलता रहा. उनकी आँखों में आँसू आ गये.

मम्मी: ऐसा नही है. ग़लत समझ रहे हो आप.

मैं: क्या ग़लत? नंगी नही हो पापा के साथ?

मम्मी: मेरी बात पूरी सुन लो प्लीज़. उस दिन वो बोले सेक्स करने के लिए. मैने माना कर दिया. फिर वो बोले नंगे हो जाते है काफ़ी दिन हुए. मैं बताओ कैसे माना करू?

मैने कुछ नही सुना और बोलता गया: आज के बाद मेरे से ना छुड़वा लेना. कल के कल सुबा चली जाना. तेरा मेरा रिश्ता ख़तम.

वो रोटी रही, और मैं रूम छ्चोढ़ के चला गया. मैं फुल गुस्सा था. मैं उस वक़्त अपने आप को पता नही क्या समझता था. ये सोचता था ऐसी पता नही कितनी मिल जाए. तब तो थोड़ी सी भी इज़्ज़त नही बची थी सुषमा के लिए. उनके साथ रीलेशन को कॅषुयल सा लेता था, जैसे ये तो नॉर्मल सा था उनको छोड़ना.

मैं 6 बजे रूम से चला गया था. 7 बजे तक मेरा गुस्सा शांत हुआ. तोड़ा सोचा, तो लगा ज़्यादा ही कर दिया मैने. थप्पड़ तो नही मारना चाहिए था. अब उनको समझा दूँगा मेरी थी वो. पापा के साथ नही कर सकती वो ये अब. वो काफ़ी दीनो से ज़िद कर रही थी दारू पीनी है.

मैने सोचा उनको मानने के लिए दारू ले जाता हू. विस्की तो सही नही रहेगी उनके लिए. तो रेड वाइन लेके गया. 8:30 पर घर पहुचा. वो लेती हुई थी. रूम क्लीन हुआ पड़ा था. मैने उठाया और सॉरी बोला. उसने कहा-

मम्मी: आपकी भी कोई ग़लती नही है.

मैं: सुषमा मैं देख नही पाया तुझे पापा के साथ. बस अब लगता है तू मेरी ही है.

मम्मी: मुझे पता है. मैं आपकी ही हू.

मैं: मैं तेरे लिए वाइन लेके आया.

मम्मी उसमे ही खुश हो गयी. हमने फिर वाइन पी. मम्मी को दूसरे पेग में ही नशा हो गया. उसके बाद हमने नही पी. फिर खाना खाया, और फिर उनको जी भर कर प्यार किया. उनके कपड़े उतारे, और किस किया जी भर कर. छूट छाती उसकी फुल. गांद के च्छेद को छाता. उसने लंड को मूह में लिया, और जीभ के साथ लंड से 15 से 20 मिनिट खेली.

फिर उनको प्यार से छोड़ा, कोई हरास सेक्स नही. फिर एक-दूसरे के साथ लिपट के सो गये. नेक्स्ट दो दिन मैने उनको पूरा प्यार देने की कोशिश की. उनके साथ फिरसे बरबेक़ुए नेशन गया. उन्होने ब्लॅक ड्रेस पहनी उस दिन भी. सनडे को वॉटर पार्क लेके गया. वाहा ओपन में पानी के अंदर हग कर रहा था उन्हे. कभी किस भी कर रहा था. तोड़ा दर्र ज़रूर था. फिर सोचा देखी जाएगी.

उनको अपनी गोद में बिता के स्लाइड भी किया. उनको काफ़ी अछा लगा. हम वापस रूम पर आए. नेक्स्ट दे मॉर्निंग में वो वापस फिर चली गयी. अब फिरसे मैं वीकेंड पर घर जाता. वही रुटीन बन गया था हमारा. मुझे नही लगता कोई इतना सेक्स करता होगा जितना हम करते थे.

मेरी कोई और गफ़ होती शायद वो तो ना करती इतना. उनकी बस एक ही ज़िद रहती, की गुरगाओं आना था उनको. मैं माना ही करता आने से. इस बार फिरसे वो अक्टोबर में आई मेरे माना करने पर भी. इस बार एक नयी ज़िद लेके आई.

मैं: तू मानती नही है बार-बार माना करने पर भी आ ही जाती है. ऐसा क्या है यहा जो घर पर मज़ा नही आता तुझे?

मम्मी: ये मुझे मेरा असली घर लगता है, वो नही. यहा करने का अलग ही मज़ा है.

मैं: ऐसा क्या मज़ा आता है?

मम्मी: ऐसा लगता है मैं यहा असली पति के साथ हू.

मैं: वाहा पर भी तो पति की तरह छोड़ता हू तुझे.

मम्मी: फिर भी यहा अलग मज़ा आता है. क्यूँ ना आप असली में पति बन जाओ.

मैं: इसमे अब कमी क्या ही रह गयी है?

मम्मी: फिर भी असली में शादी.

मैं: कुछ दिमाग़ खराब है क्या?

मम्मी: जहा से स्टार्ट हुआ, वाहा मुझे आपकी वाइफ समझते थे. उसे पूरा कर ही लेते है ना प्लीज़.

मैं: नही ये नही हो सकता.

मुझे ऐसा लगता था शादी एक पवितरा चीज़ है. हमे इसको नही घुसना इस रीलेशन में.

मैं: तू मत भूल मेरी मा भी है तू. कैसे कर सकता हू मा से शादी?

मम्मी: कों सी मम्मी वाली बात कर रहे हो आप? कोई मा बेटे का रीलेशन बचा भी है? छोड़ते आप हो, गाली भी देते हो, अब तो थप्पड़ भी मार दिया. मैं कोई मम्मी नही रह गयी आपकी.

मैने बहुत माना किया मैं नही कर सकता शादी. पर अब वो अलग ज़िद पकड़ कर बैठ गयी. नेक्स्ट दे फिरसे वही बात.

मम्मी: कब कर रहे हो शादी मेरे से.

मैं: मैं नही कर रहा. कैसे करेंगे, मंदिर जेया कर? पंडित को क्या बोलेंगे कों है हम?

मम्मी: मैने कब कहा मंदिर में शादी करो?

मैं: फिर कैसे?

मम्मी: बस सिंदूर और काला धागा बाँध दो.

मैं: तू भी ना ज़िद्दी है. क्या इससे ही खुश हो जाओगी.

मम्मी: हा.

मैं: चलो फिर नहा के कर लेते है ये वाली शादी.

नहाने के बाद दुकान से काला धागा लाया, जो कलाई पर भी बाँधते है. फिर उनको ये पहनाया, और सिंदूर लगाया. मुझे अछा सा नही लग रहा था. मगर क्या ही रह गयी थी मा-बेटे वाली चीज़ हमारे बीच. ये भी कर ही लो.

वो खुशी से बोली: चलो आज रात सुहग्रात मानते है.

मैं: अब कों सी सुहग्रात? सब कुछ तो कर लिया.

मम्मी: बस ऐसे ही आज सारी पहनुँगी. रात को आप बाहर से आना. फिर सारी खोलना. फिर मनाएँगे सुहग्रात.

मैं: तू खुश रह ये भी कर लेते है.

हमने सुहग्रात मनाई. 2 दिन रहने के बाद उनको मंडे इसबत छ्चोढ़ के आया. वो जाते वक़्त रोने लगी. मुझे अजीब लग रहा था. लॅडीस के अलग ही फुंदे होते है. रोना किस बात का, नेक्स्ट वीकेंड फिर घर जाना ही था मुझे.

अब जब भी कॉल करती पति देव कह के बुलाती. उसको मज़ा आता था बोलने में. थोड़े दीनो में फिर एक ज़िद पकड़ ली.

बोलने लगी: हनिमून पर कब लेके जाओगे?

मैने बोला: ये ज़िद पूरी नही कर सकता.

मगर वो पीछे पद गयी, की मुझे हनिमून पर जाना है. मेरा बर्तडे भी आने वाला था, उसने कहा ब’दे भी सेलेब्रेट करेंगे, और हनिमून भी मनाएँगे. फिर मैने उनसे ही पूछा की कहाँ जाना था. वो बोली गोआ.

मैने उनसे कहा: पापा को क्या बताएँगे?

मम्मी: पापा को कुछ और ही बोलेंगे. उनको कों सा साथ जाना है. हम जाएँगे गोआ ही.

मैने पापा से कहा: मेरा बर्तडे बाहर मानना है. मैं मम्मी को साथ ले जाना चाहता हू. हम उडापुर जाएँगे, और 5 दिन में वापस आ जाएँगे.

उन्होने हा बोल दी.

मैं: पापा को बोल दिया, अब खुश?

मम्मी: ह्म.

मैं: तैयार हो जाओ हनिमून पर चूड़ने के लिए. पीरियड के बिना भी प्रेग्नेंट कर दूँगा.

मम्मी: कर देना, मैं तो अब तैयार हू.

सनडे तो थर्स्डे का प्लान बनाया. वो सॅटर्डे रात को ही गुरगाओं आ गयी. सनडे सुबा की फ्लाइट थी. रात को वो फुल एग्ज़ाइटेड थी. उस दिन 1 बार ही छोड़ा उसे. अब हनिमून पर ही छोड़ना था.

आयेज की कहानी नेक्स्ट पार्ट में.

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