चाची: ये क्या है?
मा: अब देखना चाची कैसे सांड़ की तरह पागल होके तुम्हे छोड़ेगा वो.
चाची शर्मा गयी, उसकी साँस फूलने लगी. चाची की उमर बेशक थी, पर अभी भी मादक थी बहुत. उपर से आज गीयी में लपेटी हुई उम्म. मैं उस वक़्त आराम कर रहा था.
मा: रूको दीदी, उसको फोन करके बता तो डू आज उसका दिन बनने वाला है.
चाची शर्मा कर मुस्कुराने लगी. फिर मा ने फोन निकाला और-
मा: सुनो, तुम्हारे लिए एक बहुत अछा गिफ्ट आ रहा है. तुम खुश हो जाओगे.
फिर फोन काट दिया मा ने, और चाची को भेज दिया.
मा: चाची तुम जैसे ही अंदर जाओगी, मैं बाहर से गाते बंद कर दूँगी. ताकि कोई परेशन ना करे.
चाची ने सिर हिलाया, और दूध का ग्लास लेके आने लगी. गीयी में उसका जिस्म साना हुआ था उऊँ. वो आयेज जाने लगी और पीछे बने हुए एक रूम में जहा मा ने बताया था आ गयी. मा ने अंदर जाने का इशारा किया, और चाची शरमाती हुई अंदर घुस गयी. फिर मा बाहर से गाते लगा दिया.
चाची ने जैसे ही अंदर देखा, उनके दामाद जी मतलब रोशनी दीदी का पति, और मेरा जीजा वाहा पलंग पर लेता हुआ त. और अपनी सास को ऐसे मादक गीयी में लिपटा हुआ देख कर वो एक-दूं सर्प्राइज़ होके देखता रह गया सासू मा का ऐसा रूप.
चाची भी शॉक हो गयी. ये तो सुनील नही दामाद जी थे. वो फ़ासस गयी क्यूंकी बाहर गाते बंद था. अपने तर्की दामाद जी के साथ ऐसे बंद होके चाची की साँस फूलने लगी. उसका गीयी में साना हुआ पेट और छाती देख जीजा खड़ा हो गया, और आयेज आने लगा.
मनीष( हवस भारी आवाज़ में): सासू मा, तुमहरा ये रूप पहली बार देखा है. कसम से क्या मादक लग रही हो.
चाची ( तेज़ साँस लेते हुए): हा दामाद जी, वो मैं ग़लती से.
मनीष: कोई ग़लती नही हुई सासू मा. तुम्हारा कोई मर्द नही है ना? तो ऐसे मादक जिस्म में हवस की आग तो ज़रूर लगती होगी. इसीलिया यहा आई हो ना?
चाची की छाती फूलने लगी, और गीयी में पसीना आने लगा. जीजा जी ने हाथ से ग्लास ले लिया और पीने लगा. चाची की और गांद फटत गयी. चाची का जिस्म घूरते हुए जीजा ने दूध पी लिया, और ख़तम कर डाला.
अब चाची समझ गयी थी, की आज वो अपने दामाद से चूड़ने वाली थी. दूध ख़तम होने के कुछ सेकेंड बाद असर दिखने लगा.
चाची: दामाद जी, दामाद जी, रूको.
जीजा जी ने चाची की कमर पकड़ कर अपने से चिपका ली, और कमर को बुरी तरह नोचते हुए बोले-
मनीष: सासू मा, मैं तेरी इस छूट को फाड़ कर रख दूँगा.
और चटाक़! एक ज़ोरदार थप्पड़ चाची की छाती पर पड़ा, जीजा जी ने देके मारा.
चाची: आहह मॅर गयी.
मनीष: बोल मेरी सासू मा, फाड़ डू ना तेरी छूट को?
इतना तेज़ थप्पड़ की चाची की आवाज़ नही निकली, और चूचे पुर लाल पद गये. जीजा जी कुत्टो की तरह मा के चूचे घूर रहे थे. उनकी लार तपाक रही थी, जैसे पागल हो रहे हो.
चटाक़! एक और थप्पड़.
चाची: आहह मॅर गयी अया, हा फाड़ देना दामाद जी, फाड़ देना आहह.
चाची का चूचा निकल कर बाहर गया थप्पड़ लगने की वजह से. फिर चाची ने देखा दामाद की आँखें लाल पद गयी थी. वो मॅन ही मॅन मा को कोस रही थी, जिस बात को रोशनी को बोल रही थी, आज उसी दामाद से वो रंडी की तरह चूड़ने वाली थी.
चाची का गीयी में लिपटा हुआ जिस्म देख कर जीजा ने एक ही झटके में उनकी चोली और घाग्रा सच में खींच कर फाड़ दिए. अपने दामाद के सामने चाची आज एक-दूं नंगी थी.
उसकी लाल आँखों में चाची देख ही रही थी, की तभी उसने चाची को धक्का देके एक ही झटके में उनकी चिकनी छूट में लंड घुसेध डाला, और चाची समझ ही नही पाई. वो दर्द से एक-दूं चीख पड़ी.
चाची: आहह दामाद जी अया.
सांड़ जैसे गोली ख़ाके पागल हुए पड़े दामाद का लंड चाची ने अपनी इतने दीनो से शांत पड़ी छूट में लिया, तो ये हाल तो होना ही था. वो काँप गयी, और छूट से पानी निकल पड़ा.
आवाज़ एक-दूं चीख कर बंद हो गयी, और छूट अंदर तक चियर गयी. और हवस में पागल हुआ पड़ा उनका दामाद अब बस उनको छोड़ना चाहता था.
बाहर खड़ी मा ने जब उनकी चीख और चुदाई की आवाज़ सुनी, तो एक-दूं खुश हो गयी.
मा ( मॅन ही मॅन): उऊँ, अब आया ना मज़ा? बड़ी आई मेरे सुनील से चूड़ने वाली. अब मज़ा आएगा ना अपने दामाद से 2 दिन तक ऐसे ही चूड़ेगी मेरी प्यारी चाची. अब ज़िंदगी भर मूह नही खोलेगी साली. मेरे से पंगा ले रही थी.
चाची के चीखने की और चूड़ने की आवाज़ तेज़ होती गयी, और मा मुस्कुराती हुई वापस कोठी की तरफ आने लगी. तभी मा ने रोशनी दीदी को देखा, और आवाज़ लगाई.
रोशनी: जी चाची बोलो.
मा: ये लो रोशनी अपने सुनील के लिए खीर ले जाओ, बहुत पसंद है तुम्हे.
रोशनी दीदी थोड़ी शर्मा गयी. वो समझ नही पाई की मा को उनके कांड का पता था या नही.
रोशनी ( शरमाते हुए): जी चाची लाओ.
तभी मा ने रोशनी दीदी के पेट पर दांतो के निशान देखे, और मुस्कुराती हुई समझ गयी.
मा: रोशनी ये पेट पर निशान कैसा?
रोशनी: वो, वो कुछ नही चाची, बस वो बस, तोड़ा.
मा: बहुत ज़ोर से काटा क्या सुनील ने?
रोशनी दीदी एक-दूं सर्प्राइज़ हो गयी, की उनको भी पता था, वो चुप हो गयी.
मा: अर्रे टेन्षन मत लो. तुम जवान हो, तो प्यार हो गया होगा सुनील से. मैं समझती हू.
रोशनी (शरमाते हुए): चाची वो मैं बस.
मा: अर्रे शरमाओ मत, खुल के बोलो.
रोशनी: चाची हम बहुत प्यार करते है सुनील से.
गायतारी से ज़्यादा मेरा प्यार और कों जानता था. मा मुस्कुराने लगी और बोली-
मा: तो क्या मैं तेरे सुनील को बाहर ले जेया सकती हू? हमे गाओं का एलेक्षन का काम है.
रोशनी ( शरमाते हुए): क्या चाची आप भी, आपके तो बेटे है वो. आप पूच क्यू रही हो?
मा हासणे लगी.
मा: अछा सुन, हम अभी बाहर से आ रहे है. उसके बाद तू सुनील को आचे से प्यार करना ठीक है?
रोशनी मुस्कुरा कर हा करने लगी. उधर मा मेरे रूम में आई, और मेरी गोदी में बैठ कर मेरी छाती मसालने लगी.
मा: मेरी जान, आज चलना नही क्या?
मैं: हा चलना है बिल्कुल.
मा मुझे मुस्कुरा कर देखने लगी.
मा: सुन ना मेरी जान.
मैं: बोलो मा.
मा: आज बहुत मॅन है.
मैं: हा मेरी जान, तुझे छोड़ूँगा. टेन्षन मत ले.
मा: ऐसे नही.
मैं: फिर कैसे?
मा: तेरे हरामी वाले रूप में.
मैं: इतनी गर्मी ब्ड गयी तेरी गायतारी?
मा: हा मेरी जान, तेरा हरामी वाला रूप देखने के लिए कब से तड़प रही हू. याद है पहले जब तू मुझे घर के बाहर और अंदर अपनी रखैल बना कर रखता था?
मैं: तो तू ये चाहती है की.
मा: की तू मुझे अब से मुझे अपनी रखैल बना कर रख, एक-दूं कुटिया की तरह. उन सब को दिखा, की कैसे तू मेरे इस मादक जिस्म को नोच कर मुझे छोड़ता है, कुटिया की तरह. मुझे अपने आप से चिपका कर रखता है.
मा की गर्मी देख कर मुझे अछा लगा. फिर मा मेरा लंड मसालने लगी उपर से.
मा: बोल ना मेरी जान, रखेगा ना ऐसे ही? मुझे मेरा पुराना वाला सुनील चाहिए.
मैने मा की दूध से भारी छाती पर एक ज़ोरदार थप्पड़ दे मारा. मा की साँस फूल गयी, और वो मुस्कुराने लगी.
मा: अब से तेरी रखैल हू ना मैं?
मैं: ह्म.
चटाक़! और एक और थप्पड़ मा की छाती पर.
मा: उफ़फ्फ़ आहह.
अब मैं भी जोश में आ गया था.
मैं: याद है गायतारी, कैसे जब तू मेरे साथ बाहर घूमने जाती थी, और मैं जब मर्ज़ी तेरे ब्लाउस में हाथ घुसेध कर तेरा दूध से भरा ये मोटा चूचा भींच देता था?
मा मुस्कुराने लगी.
मा( मुस्कुराते हुए): और फिर तुझे शांत करने के लिए मुझे सबसे बच कर कोने में जाके तेरे इस सांड़ जैसे लंड का पानी पीना पड़ता था.
मैं: हा, और फिर एक बार तुझे कपड़ो की दुकान में जब तू सारी बदल कर देख रही थी, और मैने वही तेरी इश्स गोल माज़ से भारी मोटी गांद में अपना लंड घुसेध कर तेरी गांद मारी थी?
मा ( शरमाते हुए): अछा जी, बस एक बार ही. तू तो मुझे हर दुकान में ले जाता था, और चेंज रूम में मुझे कुटिया की तरह छोड़ कर ही बाहर आता था. मेरी तो जान निकाल देता था तू.
तभी मैने मा का निपल नोच कर रब्बर की तरह खींच डाला.
मा: अहहह.
मैं: क्या करू मेरी रंडी, तू चीज़ ही ऐसी मादक है. मॅन करता है तुझे हर जगह रंडी की तरह छोड़-छोड़ कर तेरा भोंसड़ा बना डू मेरी कुटिया.
मा ( मेरा लंड मसालते हुए): तो मैने कब रोका है. मैं तो तेरी प्रॉपर्टी हू, तू जो मॅन में आए मेरे साथ कर सकता है. मैने कब रोका?
मैं ( मा की छाती मसालते हुए): तू रोक भी नही सकती मुझे.
मा: तुझे तो मैं कभी नही रोकूंगी मेरी जान. ये गायतारी तो तेरी है बस.
मैं: मॅन करता है तुझे पहले की तरह छोड़ू साली. कभी ट्रेन में, कभी बस में.
मा: हा तो लेके चल ना मुझे अपनी रखैल बना कर. अपनी बीवी बना कर ट्रेन में भी, और बस में भी. ये गायतारी बस अब तेरी पूजा करेगी. लेके चल ना मेरी जान.
मा ने मेरी शर्ट खोल दी, और अपना पल्लू भी गिरा दिया, और अपनी बातों से मुझे और गरम करने लगी.
मा: याद है तुझे कैसे उस दिन ट्रेन में सब मेरा जिस्म घूर रहे थे?
मैं: हा याद है मेरी रंडी.
मा ( मेरी छाती मसालते हुए): और फिर उन 3 लोगों ने मुझे पकड़ कर मेरी कमर, नाभि, और पेट को कितनी बुरी तरह चूसा था.
मैने मा का ब्लाउस खींच कर आधा खोल दिया, और उसका एक चूचा बाहर निकल गया. उऊँ, मैने उसका चूचा पकड़ा और मसालने लगा.
मैं: हा याद है.
मा ( शरमाते हुए): और फिर तूने कैसे पूरी रात ट्रेन में मेरे उपर चढ़ कर मुझे छोड़ा था. मुझे तो पानी भी नही पीने दिया था तूने. इतना छोड़ा मुझे, की मेरी साँस ही निकल गयी थी.
मैं: साली पता है उस दिन तेरा एक चूचा चूसने के लिए भी लोग मुझे 2000 रुपय दे रहे थे. साली तेरा निपल उखाड़ कर तेरा चूचा कक्चा चबा जाते वो.
मा मुस्कुराने लगी. वो जानती थी की ये सच था. उसका जिस्म आचे-आचे लोगों के लंड का पानी निकाल देता है.
मैं: बोल साली, इस बार चूड़ेगी? सब माद्रचोड़ तेरी इस गुलाबी क़ास्सी हुई छूट का भोंसड़ा बना देंगे. तुझे काक्चा खा जाएँगे.
मा: जैसा तू कहे मेरी जान. वरना तेरी इक्चा के बिना तो कोई मुझे चू भी नही सकता. और अगर ऐसा किया तो उसकी आँखें निकाल दूँगी.
मैं: उऊँ मेरी शेरनी, तभी तो तुझे इतना छोड़ने का मॅन करता है साली. तेरी ये अकड़ और तेरा जिस्म दोनो बहुत कातिल है मेरी जान.
तभी मा मेरी गोदी से उठ गयी, और एक ब्लाउस और सारी लेके आई, और मुझे दिखाने लगी.
मा: कैसा लगा? ख़ास तेरे लिए बनवाया है.
मैं: अछा, ऐसा क्या है इसमे?
मा: देख ये ब्लाउस, जैसा तूने कहा था ना. अब वैसे ही इसमे मेरे निपल हल्का सा झटका देते ही बाहर निकल जाएँगे, और फिर तू जी भर कर चूस लियो. देख तेरे लिए कमर की डोरी भी बस एक धागा है. अब मेरी पूरी कमर एक-दूं नंगी दिखेगी, और देख हल्का सा करते ही पूरा ब्लाउस खुल जाएगा.
मा: अब तुझे मेरा ब्लाउस खोलने की ज़रूरत नही है. जब तेरा मॅन करे, मेरा चूचा एक ही झटके में बाहर आ जाएगा. बोल ना मेरी जान कैसा लगा?
मैं: बहुत मस्त है मेरी रंडी गायतारी. देख अब उन सब मादरचोड़ो के सामने तेरी दूध से भारी इस गरम छाती को रग़ाद दूँगा, और फिर तेरे इस निपल से खेलूँगा. उन ज़्ब के सामने तेरी छूट को गरम कर दूँगा देख.
मा ने मुझे मदहोशी से घूरा, और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी गरम छूट पर ज़ोर से दबा दिया. उसकी फाँक पूरी गीली पड़ी थी. मा ऐसा तब करती थी, जब उसका चूड़ने का बहुत मूड होता था. मैं भी गरम हो चुका था.
मैने भी अपना लंड बाहर निकाला, जो अब खड़ा होके फदाक रहा था, और मा का घाग्रा खोल कर सीधा उसको अपने लंड पर बिता दिया. उऊँ
गायतारी की गरम क़ास्सी हुई टाइट छूट को चीरता हुआ मेरा लंड अंदर तक फ़ासस गया, और गायतारी बस हल्का सा काँप गयी और चूड़ने लगी.
मा: छोड़ अपनी कुटिया को आहह.
गायतारी के गुलाब जैसे होंठ अपने दांतो में चबा कर मैने उसकी आवाज़ भी बंद कर दी, और आचे से चबा कर उसके मुलायम होंठ भी खाने लगा. साली के होंठ मूह से चबा कर मैने 15 मिनिट तक खूब चबा कर खून निकाल दिया, और एक ज़ोरदार झटके के साथ गायतारी की छूट में मेरा वीर्या भी भर गया
मा: आहह.
मैं: आहह मेरी कुटिया.
मेरा मॅन अभी भरा नही था. अभी मुझे गायतारी को घोड़ी बना कर उसके बाल खींच कर छोड़ना था. पर मैने सोचा आज इसका सही से कांड करूँगा.
मैने लंड बाहर निकाला, और पकड़ कर बोला-
मैं: चल साली तैयार हो जेया, आज तेरी रॅली भी कार्ओौनगा, और तुझे रंडी बना कर छोड़ूँगा भी साली.
मा समझ गयी की उसका पुराना सुनील वापस आ गया था. फिर मा खड़ी हुई, और मुस्कुराते हुए अपनी चींकी छूट से मेरा वीर्य निकाल कर चूसने लगी.
मैं: चिंता मत कर साली, तेरे मूह में भी अपने लंड का पानी भरँगा.
फिर मा तैयार होके आ गयी. मैने भी फोन कर दिया की आज गायतारी स्पीच देगी, जल्दी से गाओं की भीड़ में स्टेज लगवा दो. अभी शाम होने में 4-5 घंटे बाकी थे, तो सब कुछ आराम से हो सकता था. मा सारी पहन कर आई, लाल ब्लाउस और काली सारी.
मैने उसको पकड़ कर खींचा, और उसका ब्लाउस साइड से फाड़ दिया. उसका गोरा मुलायम चूचा अब साइड से भी दिखने लगा.
मा: पूरा ही फाड़ दोगे?
मैं: तुझे क्या लगा साली वाहा कोई वोट देने आता है? वाहा सब तेरे मुलायम पेट, तेरे इस मादक जिस्म, और तेरी दूध से भारी चूची देखने आते है. साली आज सब को अपना मादक जिस्म दिकहएगी तू. देख आज तेरा चूचा कैसे मसल दूँगा सब के सामने.
मा शर्मा कर मुस्कुराने लगी. उसकी छूट में अभी मेरा वीर्या भरा हुआ था. वो बस चल पड़ी मेरे साथ. 2 दिन बाद मा को देख कर सब लंड मसालने लगे.
गायतारी स्टेज पर गयी, और बोलने लगी, और साइड में बैठे हुए सब नेता मा की पीछे से नंगी कमर, और साइड से पल्लू में मुलायम पेट, और उसका चूचा देख सब की लार तपाक रही थी.
“मॅन करता है साली की कमर पकड़ कर खाल नोच लू बहनचोड़”
“एक बार पल्लू हटा दे रॅंड तेरा, तो पेट कक्चा चबा कर फाड़ दूँगा साली”
” साली का ख़सम रोज़ इसकी चिकनी छूट को छोड़ कर फाड़ देता होगा. क्या माल है साली”
मैं भी इनके बीच में बैठा था, और घूर रहा था. तभी उनमे से एक बोला
” बुरा मत मानना सुनील भाई, पर भाभी बहुत कड़क माल है”
आयेज की कहानी अगले पार्ट में