हेलो दोस्तो ये मेरी पहली और साची कहानी है. अगर कुछ ग़लतिया हो तो माफ़ कर दीजिएगा. ये कहानी थोड़ी लंबी है. क्यू की ये कोई हवस की कहानी नही. बल्कि एक मा बेटे की लोवे स्टोरी है. जिसमे एक बेटा अपनी मा के प्यार मे पद के उसका दीवाना हो जाता है.
तो दोस्तों सबसे पहले मई अपना और अपने परिवार का इंट्रोडक्षन दे देता हूँ…मेरा नाम रॉकी है. और मई देल्ही का रहने वाला हू. मेरी उमरा अभी 20 साल है. और देल्ही के एक कॉलेज से कंप्यूटर इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हू. साथ ही घर पे ही रहता हू.
मेरे अलावा मेरे घर मे 3 लोग और है. मेरे मों, दाद और मेरी छ्होटी बहन. मेरी बहन का नाम दिशा है. और वो मुंबई से फॅशन डिज़ाइनर की पढ़ाई कर रही है. और पिछले एक साल से वो वही एक हॉस्टिल मे रहती है. दिशा सिर्फ़ फेस्टिवल्स पे ही घर आती है.
मेरे दाद का नाम राजीव है. और दाद की उमरा अब 54 साल है. दाद एक मंक मे मॅनेजर की पोस्ट पे है. जिस कारण वो अक्सर आउट ऑफ कंट्री ही रहते है. और साल मे 25-50 दिन ही घर पे रहते है. वो भी दिशा की तरह सिर्फ़ फेस्टिवल्स पे ही घर आते-जाते है.
अब बात कहानी की हेरोयिन की करते है. मेरी मों का नाम नेहा है. और उनकी उमरा अभी 40 साल है. मों एक हाउसवाइफ है. पेर वो बेहद ही मॉडर्न और खुले विचारों वाली महिला है. शायद यही कारण है की मों के दोस्तों की लिस्ट काफ़ी लंबी-चौड़ी है.
मों की शादी बहुत ही केयेम आगे मे हो गयी थी. तब वो सिर्फ़ 18 साल की थी और दाद तब 32 साल के थे. दरअसल मों दाद की दूसरी बीवी है. दाद की पहली बीवी बहुत ही कम आगे मे मार गयी थी. जिसके बाद दाद ने मों से दूसरी शादी कर ली और मेरी मों को घर ले आए.
मों का फिगर 46-36-48 है. और मों एक बेहद ही सुंदर महिला है. हन थोड़ी मोटी ज़रूर है. लेकिन उनका पेट बाहर नही निकाला है. क्यू की मों अपने आप को बहुत ही अच्छे से मेनटेन करती है. साथ ही मों डेली सुबह-सुबह मेरे साथ वॉक पे भी जाती थी.
मों जब सुबह मेरे साथ वॉक पे जाती थी. तो वो काफ़ी टाइट ट्रॅक्सयूट पहने हुए रहती थी. जिसमे उनकी गंद का उभर सॉफ पता चलता था. और जिसे देख के पार्क मे टहल रहे बूढ़े अपनी आँखे सएकते थे. काई बार तो पार्क के आवारा लड़के उनकी गंद दबा भी देते थे.
पेर मों कुछ बोलती नही थी. क्यू की वो लोग सोसाइटी के नामी लोगो के बचे थे. साथ ही दाद काफ़ी डरपोक टाइप है. एक दो बार मों ने दाद को ये बताया भी. पेर दाद ने सॉफ बोल दिया. की वो सोसाइटी मे अपनी बदनामी नही करवाना चाहते. इसलिए मों भी चुप ही रही.
अब मई बिना आप लोगो को बोर किए सीधा स्टोरी पे आता हू. बात दो महीने पहले की है. जब मई कॉलेज से एक बार जल्दी घर आ गया. अब मई घर पहुँचा तो देखा की निम्मी आंटी की स्कूटी नीचे खड़ी है. निमी आंटी मों की बेस्ट फ्रेंड है और मेरा पहला क्रश.
अब मई फ्लॅट मे घुसा तो मों और आंटी की आवाज़ उनके रूम से आ रही थी. अब मई दोनो की बाते सुनता हुआ, अंदर जाने लगा. पेर जैसे ही मों के रूम के पास पहुँचा तो उनके ज़ोर-ज़ोर से हासणे की आवाज़ आने लगी. तो मई उनकी बाते सुनने के लिए बाहर ही रुक गया..
मों- यार तेरा सही है, तेरे हज़्बेंड कितना ख़याल रखते है तेरा, यहा तो कोई है ही नही.. सब के सब अपनी-अपनी लाइफ मे बिज़ी रहते है.
निमी आंटी- क्यू राजीव तेरा ख़याल नही रखते है?
मों- वो घर पे रहते ही कहा है, जो मेरा ख़याल रखेंगे… बेटी हॉस्टिल मे और बेटा अपनी पढ़ाई मे बिज़ी रहता है.
निमी आंटी- अरे तो रॉकी के साथ ही बाहर जया कर, मई तो जिम्मी के साथ ही नकलती हू,जब मेरे हज़्बेंड कही बाहर चले जाते है तो.
मों- पेर यार जब भी बाहर निकलती हू तो कोई ना कोई पक्का च्छेद देता है,अभी एक दिन पार्क मे एक लड़के ने मेरी गंद दबा दिया… तब रॉकी भी मेरे साथ था.
निमी आंटी- तो क्या ये चीज़ रॉकी ने देखा था?
मों- इसी बात की तो खुशी है की वो देखा नही था, वरना क्या ही होता… तू खुद ही सोच.
निमी आंटी- अरे यार ये सब मेरे साथ भी हो चुका है, और वैसे भी रॉकी अब बचा थोड़े ही है… वो भी जनता होगा ये सब, आजकल आम बात है ये.
मों- तो क्या तेरे बेटे को बुरा नही लगा था, जब तेरे को गैर मर्दों ने च्छेदा था तो?
निमी आंटी- बुरा तो लगा था… और उसने रिक्ट भी किया था, पेर मैने उसे समझा दिया की ये सब हो जाता है कभी-कभी, ये कोई बहुत बड़ी बात नही है.
मों- तो क्या जिम्मी मान गया?
निमी आंटी- हन मानेगा क्यू नही, मैने उसे भी तोड़ा जवानी को टेस्ट करवा दिया… तोड़ा पापी-झापी उसे भी दे दी… हाहहहहहहाहा..
मों- तू ना बिल्कुल पागल है, कुछ भी बोलती है.
निमी आंटी- अरे तुझे आज कल के लड़कों के बारे मे पता नही है… बड़े हरामी हो गये है.
मों- हरामी मतलब समझी नही… क्या जिम्मी तुझे यानी अपनी मों को हवस की नज़रों से देखता है?
निमी आंटी- यार.. आज कल के सभी लड़के अपनी मों मौसी, चाची या भाभी पे नज़र रखते है और तेरा बेटा भी दुनिया के लड़कों से अलग नही है.
मों- ओह गोद… क्या तू सही बोल रही है? या मज़ाक कर रही है? देख ऐसा मज़ाक की तो बहुत मारूँगी.
निमी आंटी- नही यार मई बिल्कुल भी मज़ाक नही कर रही… बल्कि मैने तो फील किया है की,थोड़ी सी जवानी इधेर-उधर लूटा दो ज़िंदगी बहुत आसान हो जाती है.
मों- बात तो तू ठीक कह रही है… पेर मुझे नही लगता मेरा बेटा मुझे ऐसी नज़रों से देखता है.
निमी आंटी- तेरी मर्ज़ी मानना हो तो मान, ना मानना हो तो मत मान.. क्यू की अपने बेटे के बारे मे जानने से पहले मुझे भी ऐसा ही लगता था.
मों- छ्चोड़ ये सब जाने दे… ये बता तुझे कब पता चला की तेरा बेटा तुझपे फिदा है?
निमी आंटी- कुछ दीनो पहले से जिम्मी अक्सर मुझे च्छुने की कॉसिश करता था.. पेर शायद दर के मारे वो च्छू नही पता था, लेकिन एक बार जब मई उसे हग की तो वो मेरी गंद को धीरे से दबा दिया.
मों- हाअ… ये तू क्या बोल रही?
निमी आंटी- अरे यार साची मे… पहले मुझे लगा की ये ग़लती से हुआ है, पेर ऐसी घटनाएँ मेरे साथ जब अक्सर होने लगी तो मई समझ गयी की जिम्मी क्या चाहता है?
मों- तूने इस्पे ऐतराज़ नही किया?
निमी आंटी- एक-दो बार समझाई थी मई, लेकिन वो बोला की उसका इंटेन्षन ऐसा नही है,पेर आज भी मुझे चुप-चुप के नहाते हुए देखता है और काई बार तो वो मुझे पिच्चे से हग भी कर लेता है.
मों- तो उसे रोका कर, या फिर ना माने तो उसे डाट भी सकती है, तो क्या पता फिर मान जाए?
निमी आंटी- यार जाने दे ना, वैसे भी कों सा वो मुझे छोड़ता है, बस तोड़ा एंजाय ही तो करता है और वैसे भी अब मुझे तोड़ा अच्छा लगने लगा है.
मों- पेर वो तेरा बेटा है यार… बेटे के साथ ये सब ग़लत माना जाता है.
निमी आंटी- यार कुछ भी ग़लत नही होता,वैसे भी अब हज़्बेंड पूरा टाइम तो दे नही पता तो ऐसी स्थिति मे बेटा मा का ख़याल रख रहा, इसमे ग़लत क्या है?
मों- ह्म्म्म्मम… ये बात तो तू बिल्कुल सही बोल रही है, हज़्बेंड पूरा टाइम नही दे पाते है, ऐसे मे कोई करे भी तो क्या ही करे?
निमी आंटी- देख बाहर किसी से अफ़ायर करो तो वो पता नही वो क्या डिमॅंड कर दे? उपेर से बदनामी हो जाती है, ऐसे मे बेटा सही है… बस तोड़ा बहुत कर के एंजाय करता है और मेरा पूरा ख़याल भी रखता है.
मों- बात तो तेरी सही है, पेर बेटे से अप्रोच किस मूह से करूँगी? और वैसे भी वो अपनी ही दुनिया मे बिज़ी रहता है.
निमी आंटी- अरे यार तुझे बिल्कुल भी अप्रोच नही करना है… बस थोड़े सेक्सी कपड़े जैसे ट्रॅन्स्परेंट निघट्य, दीपकुट वाला ब्लाउस पहन के उसे सामने चली जेया, वो खुद पे खुद तेरी तरफ खिछा चला आएगा.
मों- हाहहाहा… यार मेरे पास है तो ऐसी निघट्य, पेर मई उसे अपने हज़्बेंड के साथ बस बेडरूम मे ही पहना करती हू, टा नही उसे अच्छी लगूंगी या नही?
निमी आंटी- बिल्कुल अच्छी लगेगी… पहन के तो देख पहले, क्या पता फिदा ही हो जाए वो तुझपे?
मों- यार तू भी ना… रुक मई तेरे लिए कुछ पीने को लेके आती हू, फिर हम आराम से बाते करेंगे.
ये सुनते ही मई समझ गया की अब मों बाहर आने वाली है. तो मई फाटक से उनके रूम का दरवाज़ा खोल दिया. ताकि उन दोनो को ऐसा ना लगे की मई उनकी बाते सुन लिया हू. अब मैने देखा तो मों बिस्तर पे बैठी हुई है. और निमी आंटी बेड पे लेती हुई है.
मों- मुझे देखते ही… तू कब आया बेटा?
मई- जस्ट अभी-अभी आया हू मों… नमस्ते आंटी.
निमी आंटी- नमस्ते रॉकी बेटा… क्या चल रहा है आज-कल?
मई- कुछ नही आंटी… आज ही 4त सेमेस्टर का एग्ज़ॅम ख़तम हुआ है, तो तोड़ा फ्री फील कर रहा हू.
मों- तुम लोग बाते करो, मई तुम दोनो के लिए छाई बना के लाती हू… वैसे भी आज ठंड बहुत है.
निमी आंटी- अरे यार तू बैठ, आज रॉकी छाई बना के लाएगा.. मुझे आज रॉकी के हाथ की छाई पीनी है.
मई- बस 10 मिनिट वेट करो आप लोग, मई अभी छाई बना के लता हू.
मों- ठीक है बेटा ले आ, तब तक मई तेरी आंटी से बात करती हू… वरना ये अकेले बोर होती रहेगी.
अब मई रूम से बाहर निकल गया. और उनका दरवाज़ा बंद कर दिया ताकि उन्हे बाहर का कुछ दिखाई ना दे. अब मई अपने पैरों को ऐसे बजाया की उन्हे लगे की मई किचन मे चला गया हू. ताकि मई उनकी पूरी बात सुन साकु. हुआ भी ऐसा ही, एर बाहर जाते ही मों बोली…
मों- यार मेरा बेटा बहुत अच्छा है,वो बिना कुछ किए ही मेरा पूरा ख़याल रखता है, कही वो सब के चक्कर मे वो मुझसे डोर ना हो जाए.
निमी आंटी- अरे कुछ नही होगा… उपेर से तेरी लाइफ मे रोमॅन्स भी आ जाएगा, सोच कितना अच्छा रहेगा जब तेरा बेटा तुझे बिके पे घुमाए ले जाएगा, तुझे लाइफ एंजाय करवाएगा, हमेशा तेरे पास रहेगा.
मों- एक कॉन्फिडेन्स भारी आवाज़ मे बोली.. हन यार बात तो तेरी सही है. अब जो होगा देखा जाएगा पेर अब अपने बेटे के सहारे ही आयेज की लाइफ ज़िनी है.
ये सुनते ही निमी आंटी काफ़ी ज़ोर से हासणे लगी. मुझे भी लगा की अब देर करना ठीक नही. तो मई किचन मे चला आया और छाई बनाने लगा. लगभग 20 मिनिट मे छाई बन गयी. अब मई छाई लेके रूम मे गया. फिर हम लोग छाई पीते-पीते गप्पे भी मरने लगे.
गप्पे मरते हुए आंटी बीच-बीच मे मों को स्माइल पास कर रही थी. बदले मे मों भी उन्हे स्माइल पास कर रही थी. मई सब कुछ जान रहा था. इसलिए उनकी स्माइल को देख के मुझे सब समझ आ रहा था. लेकिन फिर भी मई अंजन उनकी नज़रों मे अंजन बना रहा.
कुछ देर मे हम लोगो ने छाई ख़तम किया. फिर आंटी अपने घर जाने के लिए तैयार हो गयी. मई भी अब उन दोनो को अकेला छ्चोड़ के अपने रूम मे आ गया. कुछ ही देर मे आंटी अपने घर चली गयी. और मई अपनी आँखों मे मों को छोड़ने के सपने लिए सो गया.
आयेज की कहानी मई अगले पार्ट मे बतौँगा. कहानी पे अपनी राई ज़रूर दीजिएगा. उम्मीद है पूरी कहानी आप लोगो को खूब पसद आएगी. बाइ बाइ गाइस, मिलते है अगले पार्ट मे…